Hum Dil de chuke Sanam - 6 in Hindi Love Stories by Gulshan Parween books and stories PDF | हम दिल दे चुके सनम - 6

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हम दिल दे चुके सनम - 6

दोस्तों अभी तक आपने पढ़ा मिहिर अनुष्का के घर आया हुआ था। अनुष्का अमरीका जाने के लिए अपने शॉपिंग पर गई हुई थी जिस कारण मिहिर अनुष्का से नही मिल पाया था। अब आगे.....




मिहिर अपने पिता अमित का इकलौता बेटा था। मिस्टर अमित और मिस्टर मलिक साहब बहुत गहरे दोस्त हैं, वे दोनो हर काम में एक दूसरे की राय लेते थे। इसलिए घर में एक दूसरे का आना जाना लगा रहता था।मिहिर एकलौता बेटा होने के कारण जिद्दी भी था और जो चीज उस को पसंद आ जाती थी वह इसे चाहिए होती थी। कैसे?? क्यों और किस तरह?? वह नहीं जानता था बस जो इसे चाहिए था वह इसे चाहिए होता था। किसी भी हालत में वह इस बात से अनजान था कि जिद करना गलत नहीं होता। किसी की चाह करना गलत नहीं होता। इंसान की फितरत है जो चीज इसकी आंखों को भा जाए वह इसकी आरजू करने लगता है इसकी जिद करने लगता है, लेकिन इसको हासिल करने में सही और गलत का फर्क भी भूल जाता है। मिहिर भी ऐसा ही था इसे सही गलत से कोई फर्क नहीं पड़ता था। उसे जो चीज हासिल नहीं होती थी उसको हासिल बनाने में ही इसे खुशी मिलती थी।

"हो गई शॉपिंग आप लोगों की" मिस्टर मलिक ने अनुष्का के हाथ से शॉपिंग बैग ले लिया जिसे पकड़े पकड़े वह शायद बहुत थक चुकी थी, और आते ही सोफे पर बैठ गई।

"जी पापा हो गई शॉपिंग, अब बस मैं सोने जा रही हूं और मुझे जगाना मत कोई" अनुष्का बैग पकड़ते हुए खड़ी हो गई और कमरे की तरफ बढ़ने लगी।

"और कल की पैकिंग कौन करेगा तुम्हारी?? मिसेज मलिक ने पीछे से आवाज लगाई।

"आप कर देना मामा मैं बहुत थकी हुई हूं, अनुष्का ने बिना मुड़े ही जवाब दिया।

"कुछ नहीं हो सकता इस लड़की का" मिसेज मलिक ने गर्दन हिलाते हुए कहा और शॉपिंग बैग उठाकर देखने लगी।इधर अनिल भी पैकिंग में लगा था।

"यार सर ने पासपोर्ट वीजा भिजवाया कि नहीं" अंशु ने पूछा जो की अनिल की पैकिंग में मदद करने आया था, मगर बेड पर लेटे हुए मोबाइल में मग्न था।

"हां यार भिजवा दिया है" अनिल ने बैग में कपड़े डाले इसकी जीप बंद कर दी और बराबर में पड़ा तकिया उठाकर अंशु के मुंह पर दे मारा।

"उठ यह से मेरी एक फाइल पड़ी थी यहां"

"नहीं है यहां कोई भी फाइल अंशु तकिया उठाकर एक हाथ से दबोचा।

"नानी नानी यहां एक फाइल पड़ी थी" अनिल ने कमरे से चिल्लाते हुए आवाज दी।

"हां बेटा वह मैं वहां साइड पर रखी है"नानी ने ने कमरे में आकर मेज की तरफ इशारा किया।

"और पैकिंग कर ली तुमने" नानी ने दोबारा पूछा।

"जी नानी मैंने सारी पैकिंग करा दी है इसकी" अंशु ने बेड पर छलांग लगाई।

"हां तूने करा दी है सारी पैकिंग, तू ना होता तो पता नहीं क्या होता मेरा" अनिल ने कहा।

"हां चल बस अब शुक्रिया कह कर शर्मिंदा करने की जरूरत नहीं है" अंशु ने उसके कंधे पर हाथ मारा, नानी इन दोनो की नोकझोंक पर मुस्कुराती हुई दोबारा किचन की तरफ चली गई।

"अच्छा मैं चलता हूं यार मुझे कल ऑफिस भी जाना है इसलिए मुलाकात नहीं हो पाएगी, अपना ख्याल रखना" अंशु उसके गले लगते हुए बोला।

"बस कर पगले रुलाएगा क्या?? अनिल ने उसे अपने से अलग करते हुए बोला और वह हंसते हुए बाहर गेट की तरफ बढ़ने लगा।

"जल्दी करो अनुष्का लेट हो रहा है" मिसेज मालिक उन्हें हाल से आवाज लगाई थी।

"बस मामा मैं आ रही हु"अनुष्का ने वही कमरे में से जवाब दिया।

"मैं बस एक कॉल कर लूं फिर निकलना है जल्दी तैयारी कर लो" मिस्टर मलिक मोबाइल में नंबर मिलाते हुए बोले।

"जी तैयार है बस, अनुष्का कमरे में है" मिसेज मालिक ने कहा और मिस्टर मलिक साहब नंबर मिलाते हुए साइड में चले गए।

"हेलो सर" अनिल ने कॉल उठाते हुए जवाब दिया।

"फिर सर कहा कितनी बार बोला है मैने मुझे सर मत कहा करो, अच्छा बताओ निकले या नहीं।

"जीअंकल निकल ही रहा हूं" अनिल ने खाने का निवाला मुंह में डालते हुए कहा।

"हां बेटा देखो अगर एयरपोर्ट पर हमें देख भी लो तो बात मत करना, अनुष्का बहुत होशियार है, उसे शक हो जाएगा" मिस्टर मलिक ने समझाया।

"जी जी अंकल मैं सब कुछ समझ गया" अनिल ने जवाब दिया।

"ठीक है फिर हम बस निकल रहे हैं तुम भी निकलो ऐसा ना हो फ्लाइट निकल जाए, और वहां मैंने वापसी की टिकट भी साथ ही करा दिए हैं और तुम्हें बस जब तक अनुष्का अपने अंकल के घर नहीं पहुंच जाती इसके साथ रहना होगा,उसके बाद तुम सामने ही होटल है वहां स्टे करोगे, मैंने वहां की भी ऑनलाइन बुकिंग करा दी है तुम्हारी, अगले हफ्ते ही तुम लोग की वापसी होगी पर वापसी पर भी साथ रहोगे तुम, समझ गए सारी बातें अच्छे से" मिस्टर मलिक लगातार बोले जा रहे थे और अनिल चुपचाप सुन रहा था।

"जीजी अंकल आप टेंशन ना ले मैं सब समझ गया अनिल ने कहा।

"ठीक है फिर जल्दी निकलो और पासपोर्ट वीजा अच्छे से चेक कर लेना, अब मैं निकल रहा हूं और तुम भी निकलो" कहकर मिस्टर मालिक ने फोन रख दिया। अनिल भी फोन रख कर खड़ा हो गया।

"बेटा ठीक से खाना तो खा लो" नानी ने खाना अधूरा छोड़ते हुए देखा तो कहा।

"नहीं नानी बस लेट हो रहा हूं" अनिल ने बैग उठाते हुए बोला।

"ठीक है बेटा जाओ भगवान तुम्हारे साथ है" नानी ने अनिल सर पर हाथ फेरा और अनिल निकल पड़ा एयरपोर्ट के लिए




मिस्टर मालिक और उसकी पूरी फैमिली एयरपोर्ट पहुंच चुकी थी फ्लाइट आने में बस कुछ ही देर बाकी था। अनिल भी रास्ते में था मिस्टर मालिक बार फिर घड़ी में टाइम देख रहे थे।

"लेडीज एंड जेंटलमैन" मिहिर ने अंकिता और सूरज के कंधे पर पीछे से हाथ रखा।

"अरे आ गए बेटा तुम" मिस्टर मालिक ने मिहिर की आवाज पर पीछे मुड़ कर देखा। अनुष्का भी पीछे मुड़कर ऊपर से नीचे तक इसे देखने लगी वह सफेद कलर की शर्ट पहने हुए रहा जो इस पर बहुत जच रही थी।

"जी अंकल आ गया" मिहिर ने अनुष्का पर नजरें जमाए हुए बोला।

"ओहो सेमसेम" ने अपने शर्ट कॉलर पकड़कर खींचे और अनुष्का की तरफ आंखों ही आंखों में इशारा किया। आज अनुष्का भी सफेद जोड़ा पहन रखा था इस पर बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रहा था। अनुष्का ने नजरें फेर ली।

"आंटी आप कैसी हैं इस दिन तो आपसे मुलाकात ही नहीं हुई थी" मिहिर ने मिसेज मालिक से कहा।

"हां मैं ठीक हु बेटा"

मिस्टर मालिक को बेसब्री से अनिल का इंतजार था "मैं जा रही हूं पापा आपको किसका इंतजार है" अनुष्का इनके चेहरे पर आगे हाथ हिलाते बोली

"हां ठीक है बेटा अपना ख्याल रखना और अपने खाने पीने का ध्यान रखना मिस्टर मालिक ने अनुष्का से कहा।

अनुष्का सब को बाय करती हुई प्लेटफार्म की तरफ बढ़ गई और मिस्टर मालिक अनिल का इंतजार कर रहे थे बार बार घड़ी पर नजर दौरा रहे थे लेकिन अनिल का दूर दूर तक कोई अता पता नहीं था।

कहानी आगे जारी है....

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थैंक्यू रीडर्स....