Confession - 22 books and stories free download online pdf in Hindi

Confession - 22

सुधीर  की आँखों  को यकीन नहीं आ रहा है  कि वह नूरा  को सामने' देख रहा  है । उसके  हाथ-पैर  काँपने  लग गए।  उसकी  जबान  लड़खड़ाने लग  गई । नूरा  का  नूर  से  भी ज्यादा चेहरा चमक रहा  है, उसकी  वही गहरी नीली  आंखें  जिसे  शांतनु देखते  नहीं  थकता  था ।  नूरा  ने सुधीर को  देखा और देखते ही देखते उसके  चेहरे' का रंग' बदल  गया  । काले  रंग ने उसके  चेहरे  के  नूर  को ढक लिया । वह  पहले  ज़ोर  से दहाड़ी, फ़िर  उसने सुधीर  को घूरकर  देखा और  तभी सुधीर  के मुँह से एक  चीख  निकली । उन्होंने  अपनी गर्दन  पर हाथ  रखा  जैसे  उनकी  कोई गर्दन  दबा  रहा हो  ।   यश, शुभांगी, अतुल भागकर सुधीर  की तरफ  दौड़े।  मगर नूरा  पहले  ही सुधीर  को हवा  में  खींचकर  उसे ऊपर लगे पंखे पर टांग  चुकी थीं ।  अंकल!  तीनों  के तीनों  चिल्लाये, मगर  तब तक   बहुत देर  हो चुकी  है।  सुधीर  के प्राण  हवा  में  ही निकल गए  ।  उसकी जीभ   बाहर आ  गई।  सुधीर  हवा में  लटका हुआ  है ।   सबने  आज  नूरा  की झलक  देख ही ली ।  शुभांगी  को विश्वास  नहीं हो रहा  है कि उसके जीवन  से  जुड़ा यह  अतीत  कितना भयानक और जानलेवा हो सकता है। नूरा  ने सब  पर एक  नज़र  डाली  उनके  साथ  खड़े  फादर  एंड्रू  को भी देखा   और   एकदम से  गायब  हो गई । बाहर  पेड़ पर  बैठे  चील  और बाज़  दोनों  एक आवाज़  सुनाकर  साथ ही उड़  गए ।   बाहर  एकदम  सन्नाटा  है।  शुभांगी  के आँसू  निकल  आए ।   अब तो उसके  बीते  हुए  कल का आखिरी  किरदार भी  हमेशा  के लिए चला  गया है । यश  से शुभु  की हालत  देखी  नहीं  गई, उसने  रोती  हुई  शुभु  को गले  लगा लिया ।   फादर  एंड्रू  ने उन लोगों  को चलने  के लिए  कहा ।

अब  चलो  यहाँ  से, अब भी  हम खतरे  से अलग  नहीं हुए  हैं । अतुल   ने  एंड्रू की बात  सुनी  तो   यश   के कंधे पर हाथ रख, उन्हें  चलने के  लिए कहा।  उनके  देखते ही देखते  सुधीर  की लाश  टुकड़े-टुकड़े  होकर  फर्श  पर बिखर  गई । इनकी  कितनी भयानक  मौत हुई  है, सचमुच  वह  गुस्से  और बदले  की आग में  जल रही है  ।  फादर  एंड्रू के मुँह  से यह  शब्द  सुनकर  वे  तीनों  डर  से काँप  गए । वे  बड़े  भारी  कदमो  से बाहर  की  तरफ़  निकले । और अपनी  गाड़ी  की तरफ चलने लगे।  पेड़  पर  बैठे  पंछी  उन्हें  घूरकर  देख  रहे  हैं । पक्षियो  को भी हम  पर दया  आ रही  है ।   अतुल  उनकी  तरफ  देखकर  बोला ।  ये  सब पक्षी  मर चुके   हैं,  यह  तो उस  शैतान  प्रेत  को पल -पल  की खबर  देने  वाले  उसके  ग़ुलाम है।   फादर  एंड्रू  ने अपनी  बात  खत्म  की  तो अतुल  और बाकी  सब के  सब  हैरानी  से  उन्हें  देखने  लगे  और  बिना समय गवाएं  गाड़ी  में  बैठ गए  और  अतुल ने गाड़ी  चला दी ।   

अब गाड़ी पॉल  एंडरसन  के घर  की तरफ  जा रही  है ।   रास्ते  में  अतुल  ने पूछा, "अगर पॉल  एंडरसन  भी उस  प्रेत  को वापिस  न भेज  पाए  तो हमारा क्या होगा?" फादर एंड्रू  ने गहरी  साँस  ली और  कहा, "जो आदमी  उसको यहाँ  बुला  सकता है, वो उसे   वापिस  भेज भी सकता  है ।  ज़रूर नूरा  को वापिस  भेजने  की प्रक्रिया में  ही उनकी मौत हुई होगी।  अतुल  को फादर  एंड्रू  की बात  सुनकर तसल्ली   हुई, मगर  शुभांगी  अब  भी अपने अतीत  के बारे  में  सोच रही  है । कभी  सोचा  नहीं था  कि मेरी  ज़िन्दगी  में  ऐसा   कोई  राज़  होगा । मेरे  मम्मी-पापा  एकसाथ  होकर  भी कभी  साथ नहीं  थें ।   शुभांगी  यह  सोचते ही फफक  का रो पड़ी । जो होना  होता  है, वो होकर  ही  रहता  है ।   यश  ने उसके  आँसू  पौछते  हुए कहा ।  यश  ठीक कह रहा  है, वह  तो इंतज़ार  कर रही  थी कि  कब वो बदला  ले। और  जब  तुम लोग  पॉल एंडरसन से जुड़े  तो उसके  आने  का रास्ता  खुल  गया  ।  फादर  एंड्रू  ने  गाड़ी  में  लगे  शीशे  में  देखते  हुए  कहा ।  थोड़ी  देर बाद  गाड़ी  पॉल  एंडरसन  के घर  के बाहर   रुक गई है ।   वही जगह, वही  घर और  वहीं बड़ा  सा  पेड़ -पौधों  से घिरा  ऑउटहॉउस, जहाँ  वे पहले  रुके  थे । शुभु  और अतुल  को  लगा  जैसे  उनकी नज़रो  के सामने  वहीं  बीते हुए  वो भयानक पल आ गए है ।   दोनों  एक  दूसरे  का मुँह  देखने  लगे । अब पॉल  एंडरसन  के घर  के बाहर  कोई बैठा  नहीं है।  अतुल  ऑउट हॉउस  की तरफ  मुड़ा  तो फादर  ने पूछा, "वहाँ  क्यों  जा रहे  हो ?"  "क्या  हम सीधे  पॉल  एंडरसन  के घर  जायेगे? पहले  कुछ  देर  यहाँ  रुक जाते  हैं ।  अभी-अभी तो एक  मौत देखकर  आए  हैं।"  अतुल  ने घबराते  हुए  कहा।  

"भागना किसी  चीज  का हल नहीं  है , फ़िर  भी तुम्हारा  मन  है तो  तुम वहाँ  पर रुक  जाओ, ।"  फादर  एंड्रू  ने बड़े  ही शांत भाव  से कहा । अतुल क्यों  परेशान  हो रहा  है ? कोई  बात  है तो मुझे  अभी बता  दे ।  क्या  तेरे  मन  में  कुछ  चल  रहा  है ? अतुल  ने शुभु की बात  सुनी  और उसे  देखते हुए  कहने लगा, " यार  ! शुभु  मुझे  मरना  नहीं है।  पहले  लगता  था  कि  पॉल  एंडरसन  का किस्सा  खत्म  नहीं हुआ, मगर  अब वो  नूरा  का सुनकर  मुझे  लग रहा  है  कि  इस  सब में मेरी  क्या गलती  है? तुम लोग  उस  प्रेत  को रोको। मैं  यहाँ  से वापिस  अपने  मम्मी-पापा  के पास  निकल जाऊँगा ।  अतुल  एक ही सांस  में  बोल  गया। यश  ने अतुल  को देखते  हुए  कहा, "इसका  मतलब  तू  दोस्ती  तोड़  रहा   है?"  नहीं  यार ! बस  मैं इन  सबसे  छुटकारा  पाना  चाहता हूँ ।  अतुल  ने उसकी  तरफ़  देखते  हुए  कहा ।  ठीक  है, अतुल  तुम  सही  हो ।  तुम चाहो  तो यहाँ  से जा सकते  हो।  शुभु  ने अपने  आँसू  छुपाते  हुए  कहा ।  फादर  ने अपनी जेब  में  रखा  आखिरी  कॉइन  अतुल  को देते  हुए  कहा कि  "यह  लो, इसे  रखो  अपने पास ।  सूरज  ढलने  से  पहले  ही इस  शहर  से  बहुत  दूर  निकल  जाना और   शहर  के अंदर  कहीं  भी  मत रुकना ।    प्यास  लगे, तब  भी  गाड़ी  कहीं  मत रोकना।  क्योंकि  शहर  की ये  सीमाएं  उसके वश  में  है, अगर शहर  से निकल गए  तो  बचने  की पूरी  उम्मीद  है।  

अतुल ने शुभु  को गले  लगा लिया ।  यार ! शुभु  मुझे  गलत  मत समझियो, मैं  तुझे  ऐसे  नहीं छोड़ना  चाहता ।  पर मुझे  माफ़  कर दें शुभु।  क्या  यार ! दोस्त  भी बोल रहा  है और माफ़ी  भी मांग  रहा  है।  मेरा  कोई हक़ नहीं  बनता  कि  में  तेरी  ज़िन्दगी  को खतरे  में  डालो । उसने गले  लगे  अतुल  को अपने  से अलग  करते  हुए  कहा । अपना  ख्याल  रखियो, जैसे  फादर  एंड्रू  ने कहा  है, वैसा  ही करियो, समझा । अब जा, तुझे  यहाँ  रुकने  की कोई  ज़रूरत नहीं है।  अतुल  ने एक बार सबको देखा  और अपनी  भीगी  पलकों  से गाड़ी  की तरफ़  जाने  लगा । तभी  शुभु  ने उसे  आवाज  देते  हुए  कहा,  "सुन अतुल !  रुक । वह  रुका  और उसने  पीछे  मुड़कर  देखा  तो  शुभांगी  ने यश  का हाथ  पकड़ते  हुए  कहा, "यश  को भी अपने  साथ लेता  जा  । यश  ने  शुभु  को देखा और बोला, "तुम्हें  लगता  है,  मैं  तुम्हें  छोड़कर  कहीं  जाऊँगा ।  प्यार  अपनी  जगह है, मगर  जिन्दा  रहोंगे तो  ज़िन्दगी  में कुछ  कर पाओगे ।  शुभु  ने उसे  समझाते  हुए कहा  । नहीं,  तुम्हारे बिना  तो ज़िंदा  रहने  का सवाल  ही नहीं है ।  अगर  साथ  होगा  तो तुम्हारा  ही होगा ।  देखो ! यश  तीन-चार  दिन  बाद  रिजल्ट  आने  वाला  है ।  तुम्हारे  सामने  पूरी  ज़िन्दगी  पड़ी  है ।  यह  मेरा  सफर  है, इसे  मुझे  अकेले  तय  करने  दो । शुभु  ने तेज  आवाज़  में  कहकर अपना मुँह  मोड़ लिया ।  इस  सफर में   तुम्हे  किसी  हमसफ़र  की ज़रूरत  है । यश  ने प्यार  से शुभु  को अपनी  तरफ  मोड़ा  और  उसकी  आँखों  में  देखते  हुए  कहा ।  अतुल  तू जा  यार, मुझे  यकीन  है  कि  हम  तीनों  फ़िर ज़रूर  मिलेंगे  ।  यश  की बात  सुनकर  सबके  चेहरे  पर मुस्कान आ गई  और  अतुल  ने सबको  हाथ  हिलाते  हुए अलविदा  कहा ।  

थोड़ी  देर  में  वह आँखों  से ओझल  हो गया ।  अब  एंड्रू, शुभु  और  यश  पॉल एंडरसन  के घर  की ओर बढ़ने लगे । अंदर अँधेरा  ही अँधेरा  है ।  यश  ने लाइट  जला  दी ।  पहले  की तरह  सभी  सामान अपनी जगह  रखा  था, वो  कन्फेशन  बॉक्स  भी वहीं  अपनी  जगह  पर है ।  एंड्रू  ने  पूरे  घर  को देखा, वहाँ  की हर चीज  उन्हें  अपनी  ओर  खींच  रही है ।  धूल-मिट्टी  से  सारा  घर का सामान  सना हुआ है ।  यश  ने दीवार की  ओर  देखकर  पूछा," यह  है , पॉल एंडरसन?"  "हाँ, यही  है ।"  यश ने  शुभु  की  आवाज  में दर्द  महसूस किया ।  यश  बाथरूम  ढूंढ़ता  हुआ  जब ऊपर  गया  तो  एक कमरे  की तरफ़  उसकी  नज़र  गई ।  उसने  थोड़ा  झिझकते  हुए  दरवाज़ा  खोला  तो  उसकी  चीख  निकल  गई ।  उसकी आवाज़  सुनकर  दोनों  ऊपर  पहुँचे   तो देखा  कि  पंखे  पर एक आदमी  लटका  पड़ा  है ।  शुभु  उसे  पहचानते  हुए  बोली, यह  तो इस  घर  की  रखवाली  करने वाला वॉचमन है। तीनों  ने  उसकी  लाश  को देखा  और फादर  एंड्रू  ने उन्हें  नीचे  चलने  की तरफ़  ईशारा  किया। 

अब सबसे  पहले  हमें  पॉल एंडरसन  को बुलाना  पड़ेगा ।  पर वो हमारे  बुलाने पर आएंगे?  शुभु  ने पूछा । आना  तो चाहिए, वैसे  भी नूरा  को वापिस  भेजने  की जिम्मेदारी  पॉल एंडरसन  की है ।  फादर  एंड्रू  ने  उनकी  तस्वीर  को देखते  हुए  कहा ।  फादर  एंड्रू ने   कमरे की लाइट्स  को बंद कर  एक  टेबल  पर  चार-पाँच  मोमबतियाँ जला  दी ।  पूरे  कमरे  में  अँधेरा  है  और रौशनी सिर्फ  उस टेबल के आस-पास ही है  । उन्होंने  अपने  गले  में  पड़े  क्रॉस  को छूते  हुए पॉल  एंडरसन  को बुलाने  की  प्रक्रिया  शुरू  कर दी ।  वह पॉल एंडरसन  को लगातार  बुलाने  में  लगे  हुए है, शुभु  यश  को और  यश   फादर  एंड्रू  को देख रहा है । कमरे  में  कुछ  आवाजें  आनी  शुरू  हो गई  है। डर के कारण  शुभु  ने यश  का हाथ  पकड़  लिया ।  उन्होंने  देखा  कि  कन्फेशन  बॉक्स  का दरवाज़ा  अपने आप बंद - खुल  रहा  है ।  शुभु  और  यश  का ध्यान  वही चला  गया ।  यश  का  दिल कह  रहा  है कि  वो फादर  एंड्रू  को आवाज  लगाए  मगर वो  आँखें  बंद  करके  सिर्फ  पॉल  एंडरसन  को बुलाने  में  लगे हुए हैं । तभी  उन्हें  महसूस  होने  लगा  कि  कमरे  में  कोई  है ।  मगर  कौन ? एंडरसन या नूरा ?  

दोनों  ने डरते  हुए  मुड़कर  देखा तो  एक  काली  सी परछाई  उनके पीछे  खड़ी  है  । वे  वहाँ  से  हटकर  एंड्रू  के  पीछे  आ गए  ।  तभी  एक  दीवार  पर लटक  रहा  पुराना  और  आधा  टूटा  झूमर  उनकी  तरफ़  आने   लगा  । वे  ज़ोर  से चीखे  फादर ! मगर  एंड्रू  ने अपनी  आँख  नहीं खोली  । झूमर उनके ऊपर गिरता  इससे पहले वे एक तरफ  हट  गए  । इस  तरह  घर  का सामान  भी हवा  में  तैरता  हुआ  उनकी  तरफ़  बढ़ने  लगा  ।  धार  वाला  कोई औज़ार  यश  और शुभु  की तरफ़ आने लगा  तो यश  शुभु  का हाथ  पकड़कर  भागने  लगा  । भागते  हुए  वह  ऊपर  की तरफ  गए  तो वॉचमन  का प्रेत  उन्हें मारने  दौड़ा । यश  और  शुभु  ने  वहाँ  रखी  पुरानी घड़ी  को उसकी  ओर  फेंका । इतने  में  शुभु  और यश किचन  में  घुसे  तो शुभु  लाइटर  खोजने  लगी  । उसने एक लकड़ी  तोड़ी  और आग लगाकर उनकी तरफ़  बढ़ते  हुए वॉचमैन  पर फेंकी । वह  चिल्लाता  हुआ  गायब हो  गया । अच्छा  हुआ, यहाँ  से अतुल चला  गया  । शुभु  ने  राहत  की सांस  लेते हए कहा । तुम घबराओ  मत शुभु, हम भी यहाँ  से बचकर निकलेंगे ।  यह  कहते हुए  उसने  शुभु  को गले  लगा लिया ।  

नीचे  चलते है, शुभु  ने यश  का हाथ  पकड़ा  और उसे  नीचे  की तरफ  ले गई ।  मगर  सीढ़ियों  में  पहुँचते  ही  यश  को  हवा में  खींच  लिया गया ।  वह ज़ोर से  चिल्लाने  लगी ।  यश भी  हवा  में  तैरता  हुआ  चिल्लाया  जा रहा  है ।  तभी फादर  एंड्रू की आँख खुल गई ।  उन्होंने  अपने गले  के  क्रॉस  को पकड़  यश की तरफ़  किया और यश  ज़मीन  पर  आ  गिरा।  "यश  तुम ठीक  हो ? " यह  पूछते हुए   शुभु  यश  की तरफ  दौड़ी और  यश  की उठने  में  मदद  करने  लगी ।  एंडरसन  आ गये  क्या? उनके  आने से पहले  नूरा  यहाँ  पहुँच  गई  है ।  एंड्रू  ने शुभु  की बात  का ज़वाब  दिया ।