Tadap Ishq ki - 29 books and stories free download online pdf in Hindi

तड़प इश्क की - 29

अब आगे..................

एकांक्षी बेहोशी में ही बड़बडा रही थी....." अधिराज तुम्हें कुछ नहीं होगा , , तुम्हें जागना होगा , तुम्हें कोई कुछ नहीं कर सकता , .... अधिराज...." तान्या उसकी बड़बड़ाती हुई आवाज सुनकर उसकी आंखों की तरफ देखकर कहती हैं....." मैं इसलिए अधिराज को इससे दूर रख रही थी लेकिन सोचने वाली बात है , अधिराज इतना इंर्जड कैसे हो गया , अगर वो एकांक्षी से मिलने आया था तो वो इंर्जड कैसे हो गया , ...?....ओह , ये सब बाद में सोचूंगी पहले एकांक्षी को होश में लाना जरूरी है नहीं पहले अधिराज को ... हां...."

तान्या खुद से सवाल जबाव करते हुए अपने पास से उस पीले फूल को निकालकर उसे एकांक्षी के दिल से टच करती है उसके ऐसा करते ही वो पीला मुरझाया हुआ फूल दोबारा से खिल उठता है जिसे देखकर तान्या मुस्कुराते हुए कहती हैं...." जैसा मैंने सोचा था , जीवंतमणि की शक्तियां केवल अधिराज के लिए है , कोई बात नहीं एकांक्षी बहुत जल्द सबकुछ बदल जाएगा...."

तान्या वापस एकांक्षी को आक्सीजन मास्क से कवर करते हुए वहां से चली जाती हैं....

इधर राघव गुस्से में मल्होत्रा मेंशन पहुंचता है , , जहां एम एल ए गजराज मल्होत्रा अपनी शाम की चाय अखबार को पढ़ते हुए पी रहे थे , , अचानक राघव को अपने घर में देखकर चाय का कप नीचे टेबल पर रखते हुए कहते हैं...." आइए एसीपी शर्मा , , कैसे आना हुआ...?..."

राघव गुस्से में कहता है...." विक्रम मल्होत्रा कहां है मुझे उससे काम है...."

गजराज जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहते हैं...." बैठीए कुछ नाश्ता वगैरह कर ले फिर बात करेंगे...."

" मुझे आपकी खातिरदारी की जरूरत नहीं है मुझे विक्रम से बात करनी है..."

" ऐसी क्या खास बात करनी है आपको हमारे बेटे से..."

विक्रम काॅलेज से वापस आ रहा था कि उसकी नज़र राघव पर पड़ती है , जोकि बहुत गुस्से में लग रहा था , विक्रम उसे देखकर अपनी भौंहें सिकुड़ते हुए कहता है....." क्या बात है डैड आज इतनो दिनों बाद एसीपी घर में क्या कर रहे हैं , क्या इन्हें भी आपसे कुछ रिक्वेस्ट करनी है..."

राघव दांतों को भींचते हुए कहता है....." राघव किसी के सामने कोई रिक्वेस्ट नहीं करता , , बाय द वे तुमने जो मेरी बहन को मेंटली टार्चर किया है , उसके लिए मैं तुम्हारा यही एनकाउंटर कर दूं , लेकिन राघव मारने से पहले चेतावनी जरुर देता है अगर उसे होश नहीं आया तो तू हमेशा लिए सो जाएगा....तेरी वजह से आज वो हाॅस्पिटल में है , ..."इतना कहकर राघव वहां से चला जाता है , ,

गजराज मल्होत्रा उसे जाते हुए देखकर कहते हैं...." इसमें कुछ ज्यादा ही इगो प्रोब्लम है , , मेरे बेटे को कोई हाथ तो लगा के दिखाए फिर बताता हूं ये गजराज क्या कर सकता है...."

विक्रम राघव की बातों से काफी परेशान दिख रहा था इसलिए वो अपने पापा के पास जाकर कहता है...." इसमें उसकी गलती नहीं है , ये सब मेरी वजह से हो रहा है , मैंने ही एकांक्षी को ज्यादा परेशान किया है... किसी को भी गुस्सा आ सकता है अपने सबसे करीबी को सेड देखकर... लेकिन एकांक्षी को हुआ क्या है...?..."

गजराज उसके कंधे से पकड़कर कहते हैं...." तुम कबसे दूसरों के बारे में सोचने लगे , , तुम्हें जो पसंद है वो करो , पावर से प्यार से माने या न माने जबरदस्ती छीन लो उसे..."

विक्रम उनके हाथों को हटाते हुए कहता है...." मुझे पावर की जरूरत नहीं है , न ही प्यार कभी पावर से पाया जा सकता है , मुझे अपनी ग़लती का एहसास है इसलिए मैं उससे माफी जरूर मांगूंगा..."

गजराज मल्होत्रा उसे समझाते हुए कहते हैं....." तुम्हें क्या हो गया है बेटे , जबसे तुम्हें चोट लगी है तुम बिल्कुल बदल गए हो बेटा..."

विक्रम बिना कुछ कहे वहां से जाकर अपनी कार में बैठकर खुद से कहता है...." एकांक्षी को हुआ क्या है ...?... जिससे वो बेहोश है मुझे जाकर देखना होगा कहीं मेरे जहर ने उसपर तो कोई असर नहीं किया.... नहीं मै एकांक्षी को कुछ नहीं होने दूंगा..."

विक्रम इतना सोचते हुए कार ड्राइव करते हुए वहां से सीधा हाॅस्पिटल के लिए चला जाता है.....




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दूसरी तरफ तान्या उस फूल को लेकर अधिराज के महल में पहुंचकर उसके कमरे में पहुंचती है.... जहां रत्नावली अधिराज के सिरहाने बैठे हुए उसके सिर को सहलाते हुए उदास सी बैठी थी , वहीं शशांक भी परेशान सा इधर उधर घूम रहा था....

तान्या रत्नावली के पास आकर कहती हैं...." राजमाता , हमने कहा था , हम संध्या से पहले औषधि ले आएंगे , तो हमने अपना वचन पूरा किया , अब आप अधिराज के पास से हट जाइए..." रत्नावली तान्या की बात सुनकर तुरंत साइड में हटते हुए कहती हैं..." अवश्य माद्रिका आप जल्दी से हमारे अधिराज को स्वस्थ कर दीजिए..."

तान्या मुस्कुराते हुए अधिराज के पास जाकर उसके माथे पर उस फूल को फेरने हुए धीरे धीरे गले से लेकर हाथों और फिर छाती पर घुमाकर उस फूल को अधिराज के दिल के पास छोड़कर पीछे हट जाती है , ,

उस फूल की चमक धीरे धीरे अधिराज के अंदर समाने लगती है और वो फूल बिल्कुल मुरझा जाता है लेकिन अधिराज के शरीर में हलचल होने लगती है , धीरे धीरे वो पूरी तरह होश में आने लगता है.....

जिसे देखकर तीनों काफी खुश थे , रत्नावली तान्या के पास जाकर उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में लेते हुए कहती हैं..." आपने की बार पक्षीराज की सहायता की है , आपका उपकार कभी नहीं चुकाया जा सकता..."

तान्या मुस्कुराते हुए कहती हैं...." राजमाता आप हमें लज्जित कर रही हैं , अधिराज को बचाना हमारी जिम्मेदारी है , आप इस बात को अच्छे से जानती है...."

शशांक उसे उखड़े हुए शब्दों में कहता है...." तुमने इतनी जल्दी कौन उपाय खोज लिया...."

तान्या मुस्कुराते हुए कहती हैं....." जीवंतमणि , ये फूल जीवंतमणि के स्पर्श से अधिराज के लिए औषधि बना है...."

" और तुमने इतनी सहजता से ये काम कैसे कर लिया...?.."

तान्या तिरछी नजरों से शशांक को देखते हुए कहती हैं...." अब ज्यादा सवाल जबाव करके , हम अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहते , ... राजमाता अब हम चलती है...."

शशांक उसे घूरते हुए अपने आप से कहता है...." तुम इस बार भी अधिराज के प्रेम की बीच में नहीं आ सकती , मैं तुम्हें कभी अधिराज के कार्य में रुकावट पैदा नहीं करने दूंगा..."

इतना कहकर तान्या वहां से चली जाती हैं और अधिराज को होश आ जाता है , ....

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उधर विक्रम मल्होत्रा हाॅस्पिटल पहुंचता है.....

" एकांक्षी अब जो मैं करने वाला हूं , वो तुम्हारे लिए बहुत जरूरी है...."




.............to be continued............

विक्रम मल्होत्रा क्या चाल चलने वाला है....?

जानने के लिए जुड़े रहिए......