Tadap Ishq ki - 30 books and stories free download online pdf in Hindi

तड़प इश्क की - 30

अब आगे.............

विक्रम हाॅस्पिटल के अंदर दाखिल होता है ,, ,।

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दूसरी तरफ अधिराज होश में आने पर रत्नावली और शशांक को परेशान देखकर पूछता है...." आप इतने परेशान क्यूं लग रहे हो ...?... क्या हुआ...?..."..."

शशांक अधिराज के पास जाकर कहता है....." तुम्हें कुछ स्मरण नहीं....?..."

अधिराज कुछ सोचते हुए कहता है...." हां , ध्यान है हमें , जब हम एकांक्षी के पास से आए थे उस समय कुछ बैचेनी होने लगी थी जैसे हमारे शरीर में आग जलन होने लगी हो , उसके बाद क्या हुआ कुछ ध्यान नहीं...."

" अधिराज मैं ये तो नहीं जानता , तुम्हें क्या हुआ , किंतु तुम्हारे लिए एक बार फिर माद्रिका संजीवनी बनकर आई थी...."

अधिराज हैरानी से पूछता है...." माद्रिका आई थी...?..."

" हां , , " शशांक उसे सारी बात बता देता है ,...

" इसका मतलब माद्रिका एकांक्षी को बहुत अच्छे से जानती है , इतनी सरलता से जीवंतमणि का स्पर्श उसे कैसे मिल सकता है....." अधिराज कुछ सोचते हुए कहता है...." मां हम अब बिल्कुल स्वस्थ हैं इसलिए आप आराम कीजिए हमें शशांक के साथ कुछ विशेष कार्य करने है...."

रत्नावली अधिराज के चेहरे पर हाथ फेरते हुए वहां से चली जाती हैं..... शशांक उन्हें जाते देखकर पूछता है..." कुछ जरूरी बातें हैं जो तुम राजमाता के सामने नहीं कर सकते...?.."

" हां शशांक , मां परेशान न हों इसलिए हमने उन्हें भेजा है , .."

" तो क्या बात है अधिराज..?.."




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उधर विक्रम डाक्टर के ड्रेस में इमरजेंसी वार्ड के पास पहुंचता है , जहां उसे बिना रोक टोक अंदर जाने का मौका मिल जाता है , विक्रम सीधा अंदर पहुंचता है जहां नर्स और एक डॉक्टर एकांक्षी के पास उसके रिकवरी के लिए उसे ट्रिटमेंट दे रहे थे , ....

डाक्टर विक्रम को देखकर पूछ्ते है...." Who are you...?...Dr .Rao......?

विक्रम अपने मास्क को हटाकर साइड में रखकर उसके पास जाता है...

डाक्टर चिल्लाने लगता है...." Hey तुम अंदर कैसे आए..?..,...जाओ...

डाक्टर उससे पहले कुछ और बोलता विक्रम अपने हाथ से उसके मुंह को पकड़कर घूरते हुए उसके माथे पर अपनी दोनों उंगलियां फेरता है जिससे वो डाक्टर बेहोश होकर नीचे गिर जाता है , जिसे देखकर नर्स घबराई सी पीछे होने लगती है.....

विक्रम उसे घूरते हुए कहता है....." तुम्हें चुप रहना है या इसकी तरह पड़ना है , जाओ यहां से , मुझे यहां मेरे और एकांक्षी के अलावा कोई नहीं चाहिए...."

वो नर्स हड़बड़ाते हुए बाहर चली जाती हैं .... विक्रम डोर लॉक करके एकांक्षी के पास जाता है.....




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उधर अधिराज रत्नावली को जाने की कहकर शशांक से कहता है...." शशांक, , हमें लगता है , कहीं माद्रिका के कारण एकांक्षी को वो बातें ध्यान न आए जिसके कारण हमें इतना सबकुछ झेलना पड़ा था....."

शशांक अधिराज की चिंता को समझते हुए कहता है ‌‌...." तुम ठीक कह रहो हो अधिराज , , मैंने अपने गुप्तचरों को इसके वर्तमान स्थिति के बारे में जानने के लिए भेज दिया है , वो कुछ समय में सारी सूचनाएं हम तक पहुंचा देंगे...और तुम एक बात का विशेष ध्यान रखना माद्रिका ने अपने गुप्तचरों को तुम्हारी स्थिति के बारे में जानने के लिए भेज रखा है...."

अधिराज हैरानी से पूछता है...." इसका मतलब ये माद्रिका , हमारे कार्य में व्यवधान पैदा कर रही है , शशांक जल्द से जल्द इस माद्रिका की सूचना दो हमें , अब हम ऐसे लापरवाही नहीं कर सकते..."

" अधिराज वैसे तुम्हें हुआ क्या था ..?.. कुछ तो तुम्हें समझ आया होगा....?...."

अधिराज सोच विचार करते हुए कहता है...." हमें एकांक्षी के पास जाने के बाद पहली बार अग्नि ताप जैसा महसूस हुआ है , , हमें ऐसा लग रहा है जैसे एकांक्षी को किसी और शक्ति ने छुआ है , जो नहीं चाहता हम उसके पास जाएं ... किंतु ऐसा कौन है...?...माद्रिका की शक्ति से हमें किसी तरह का कोई नुक़सान नहीं पहुंचेगा , , फिर ऐसा कौन है...?..."

शशांक उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है....." अधिराज तुम्हें इस बार अपने प्रेम को ऐसे ही नहीं छोड़ना चाहिए , तुम्हारी दृष्टि उनपर बनी रहनी चाहिए तभी तुम प्रक्षीरोध का सामना कर सकते हो....और इस बार तो तुम्हारे सामने कई चुनौतियां हैं , , पहले इसे पता करो जिसने तुमपर आघात किया है , उसके बाद माद्रिका को उनसे दूर करो ..."

अधिराज शशांक की बात पर सहमति जताते हुए कहता है..." बिल्कुल शशांक , कल सुबह हम एकांक्षी के पास जाएंगे.... किंतु पता नहीं कुछ अजीब सी हलचल हमारे ह्रदय में हो रही है , , हमें एक बार एकांक्षी को देखकर आना चाहिए...."

" हां अधिराज तुम जाओ..."

अधिराज इंसानी दुनिया में जाने के लिए अपने महल से चला जाता है.....

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दूसरी तरफ विक्रम एकांक्षी के नजदीक पहुंचता है.....

विक्रम एकांक्षी के आक्सिजन मास्क को उससे दूर कर देता है , फिर उसके माथे पर उंगलियां फेरने लगता है , , तभी उसका ध्यान उसके गुलाबी होठों पर जाता है , जिससे एकांक्षी बेहोशी में भी बड़बडा़ रही थी......

विक्रम उसके बड़बड़ाने को ध्यान से सुनकर गुस्से में अपने दांतों को भींचते हुए कहता है......" तुम अधिराज को अपने दिमाग से निकालोगी नहीं , , मैं इस बार उस अधिराज को हमारे बीच में नहीं आने दूंगा , , ..." विक्रम अपने हाथों से एकांक्षी के गालों पर हाथ फेरते हुए आंखें बंद करके कुछ देर बाद खुद से कहता है...." तो वो अधिराज तुम्हारे आस पास था , ..."

विक्रम हंसते हुए कहता है....." उसे झटका तो जरूर मिला होगा... लेकिन तुम्हारी बेहोशी का कारण क्या है ...?... मेरे जहर ने तुम पर असर नहीं किया फिर अचानक ये सब क्या हुआ है.....?..."

विक्रम अपनी मुट्ठी बंद करके कुछ बोलने लगता है जिससे उसके हाथ में एक गोल सा पत्ता आ जाता है... जिसे वो एकांक्षी के होंठों से टच करते हुए वापस अपने पास लाकर देखता है....." मेरा अनुमान सही था , तुम मेरे कवच विष से प्रभावित नहीं हो , , जो भी हो मुझे पहले तुम्हें इस अधिराज का परिछाया से दूर करना होगा..." मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता...."

विक्रम इतना कहते ही उसकी आंखों पर हाथ रखकर उसके होंठों तक पहुंचने लगता है तभी उसे एक जोर से झटका लगता है और वो उससे दूर हो जाता है......

विक्रम गुस्से में एकांक्षी की तरफ घूरता हुआ कहता है..." तुम्हारी इतनी हिम्मत..."




..........to be continued..........

क्या एकांक्षी को होश आ गया....?

क्या अधिराज माणिक के बारे में जान पाएगा...?

जानने के लिए जुड़े रहिए......