Mahila Purusho me takraav kyo ? - 50 books and stories free download online pdf in Hindi

महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 50 - केतकी की खोजबीन शुरू

अभय ने केतकी की हमशक्ल को देखने की बात,अपने मम्मी पापा व दामिनी को बताई सभी का दिमाग सोचने पर मजबूर हो गया । सभी अपने अपने तर्क देने लगे । कस्तुरी' अभय की मम्मी ने कहा ..हमशक्ल भी हो सकती है । हमारे यहां केतकी तो खुश थी , वह ऐसा क्यों करेगी ? कोई अपनी बसी बसाई गृहस्थी को खराब करेगा क्या ? अभय का पापा बोला .. कस्तुरी ! हमारे बेटे का तो घर बस गया , छोटी सी फूल सी पोती है हमें क्या ? वह केतकी है या हमशक्ल ? फिर अगले ही पल अभय के पापा ने कहा ..यदि वह केतकी ही है तो उसने ऐसा क्यों किया ?
सभी अपने अपने तर्क रख रहे हैं । घर में अनचाहा तनाव सा हो गया । मानव का स्वभाव है ,वह जब किसी के द्वारा ठग लिया जाता है तो क्रोध व दु:ख दोनो मन को सताने लगते हैं । उसके दिमाग मे सवालों की शृंखला चल पड़ती है । ऐसा ही अभय के परिवार वालो के साथ हो रहा है ।
सहसा अभय चुप्पी तोड़ते हुए बोला .. पापा ! जब तक सच्चाई का पता नही चल जाता, मेरा मन किसी ओर काम मे लगेगा ही नही । मैं कल ही मुंबई जाकर पता करता हूँ ।
अभय की पत्नी दामिनी ने कहा ..आप वहां जायेंगे तो भी' पता नही लगा पायेंगे । क्योंकि केतकी ने वहां बता दिया होगा । आप मुझ पर छोड़ दो ..थोड़ा हम पुलिस वालों पर भी विश्वास करो ..मेरे पास एक योजना है, मैं वहां पर अपने विश्वास के आदमी को भेजूंगी, वह सब पता करके बता देगा ।
अब आप इस बात का जिक्र किसी से न करें ,खासकर केतकी की सहेलियों से । हो सकता है, वे भी इस षडयंत्र में शामिल हो ।
दामिनी ने अपना मोबाईल फोन निकालकर फोन लगाया .. उधर से नमस्ते की आवाज आई दामिनी ने भी नमस्ते कहकर जबाब दिया ..बोलिए मेडम ..दामिनी ने कहा ..प्लीज आप मेरे घर पर आजाइए, यहीं पर बात करती हूं ..
दामिनी ने फोन कट कर दिया ..
करीब आधे घंटे बाद ... वैल बजी ..कोई दरवाजे पर था ..दामिनी ने कहा मैं देखती हूँ ..दामिनी ने गेट खोला .. नमस्ते मेडम ..नमस्ते ..आइए आइए ..मैं आपका ही इंतजार कर रही थी .. उनको बाहर आगन्तुक कक्ष में बैठाया ..बोली आप चाय लेंगे या खाना ही खायेंगे ..नही मेडम ..यह सब औपचारिकता छोड़िए काम की बात करिए । आपने कैसे याद किया ? ..दामिनी ने बाहर आकर अपने सास ससुर को कहा आप भी आजाइए ..अभय को थोड़ा झांककर देखा फिर रसोई की ओर देखा ..अभय समझ गया ..।
कस्तुरी अभय की मम्मी ने अपनी पोती को गोद मे ले रखा था ..वह बोली बेटा आप ही बात कर लो ..यह गुड्डिया वहां डिस्टर्ब करेगी ..दामिनी बैठक ( आगन्तुक कक्ष ) में आ गयी उनके पीछे पीछे दामिनी का ससुर पूरण सिंह भी आगया ..
थोड़ी देर मे अभय चाय लेकर आ गया ..सबको चाय देकर वह भी वहीं बैठ गया .. बाते शुरू हुई ... अभय ने और दामिनी ने सारी बात उस आगन्तुक को बता दी । अभय ने फोटोग्राफ दिखाये .. अपनी शादी का एल्बम भी दिखाया ..ताकि सबकी जानकारी अच्छे से हो जाये ..
आगन्तुक पुलिस मित्र था । वह करीब 10 साल से पुलिस के साथ सिविलियन बनकर काम करता था । पुलिस उससे कई पेचीदा केस मे मदद ले चुकी थी .. .. उसका नाम तो बद्री था पर उसे उसके नाम से न बोलकर लोग उसे काका बोलते थे ..दुनिया की नजर में वह पनवाड़ी था पर अस्ल काम उसका पुलिस के साथ रहता था ।
सारी बात सुनकर वह बोला मेडम मैं अपनी पत्नी के साथ जाना चाहता हूँ .. वहां हम घूम फिर लेंगे ..
दामिनी बोली आप कब निकलना चाहेंगे .. आप बताए ..कल ही निकल जाओ , मैं आपकी टिकट बनवा देती हूँ ... आपका जो खर्चा होता है उसका बिल दे देना ..अभी 10000 रूपये ले जाओ ..
केतकी के सच को जानने के लिए दामिनी ने अभियान छेड़ दिया ..