Unsolved Case - Season 2 - Part 1 books and stories free download online pdf in Hindi

Unsolved Case - Season 2 - Part 1

एपिसोर्ड 1 ( पुराने जख्म )
इस कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा की ... माया मल्होत्रा .. जो एक सीबीआई एजेंट थी ... उसकी मौत हो जाती है | शौर्य ने माया को किडनैप करवाने ओर उसकी मौत के जुर्म में .. राजीव को 10 की सज़ा करवाई थी |
2 साल बाद
शौर्य अपने मुंबई ऑफिस में किसी पर गुस्से से चिल्ला रहा था |
शौर्य : निकल जाओ तुम यहाँ से | ( गुस्से में ) दुबारा मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना |
अभी वहां विक्रम आता है | जो शौर्य का ही कलिग है | ओर शौर्य से कहता है |
विक्रम : शौर्य शांत हो जाओ | ( ओर शौर्य के असिस्टेंस की तरफ .. दया से देखते हुए उससे कहता है ) तुम यहाँ से जाओ | तुम्हारी पेमेंट हो जाएगी |
विक्रम की बात सुन .. वो असिस्टेंस वहां से जाने लगता है | ओर वो जैसे ही ऑफिस से बाहर आता है | गुस्से में कहता है |
असिस्टेंस : ( गुस्से में खुद से कहते हुए ) क्या बत्तमीज़ आदमी है यार | कभी भी गुस्सा हो जाता है | भाड़ में जाए | शूकर है मेरा पीछा तो छुट्टा | शायद दिमाग से पैदल है |
असिस्टेंस के जाते ही .. विक्रम वापिस शौर्य की तरफ मुड़ता है | वो शौर्य से कहता है |
विक्रम : देख शौर्य | मुझे लगता है की ....
विक्रम की बात पूरी भी नहीं होती है | वो शौर्य उसकी तरफ पानी का गिलास फैंकते हुए कहता है |
शौर्य : मैंने तुमसे कितनी बात कहा है | मुझे कोई असिस्टेंस नहीं चाहिए |
ऑफिस के बहार शीशे के गिलास के टूटने की आवाज़ आती है | तो एक एम्प्लोई आपने सर पकड़कर बोलता है |
एम्प्लोई : ये लो .. इस महीने का पांचवा गिलास शहीद हुआ है | पता नहीं ... सर को बार बार क्या हो जाता है | बीवी की मौ का सदमा तो इनको पागल करके ही छोड़ेगा |
जब आसपास के एम्प्लोईज़ ने उस एक के मुह से शौर्य की बीवी का जीकर होते हुए सुना | तो वो सब उससे बोले |
एम्प्लोई 2 : अरे अरे ... धीरे बोलो | अगर सर ने सुन लिया न | तो तूफ़ान आ जायेगा |
ऑफिस के अंदर
विक्रम : शौर्य शांत हो जाओ यार | इतना गुस्सा तुम्हारे लिए अच्छा नहीं है | तुम्हारे काम के लिए अच नहीं है | ओर रही बात असिस्टेंस की ... तो वो मेन ऑफिस से आते है | वो सब आपने आपने काम में बहुत अच्छे है | ओर तुम .. उनके साथ ऐसा बीहेव करते हो |
शौर्य : ( गुस्से में ) नहीं तो तुम क्या चाहते हो | मैं उन सब को झेलूं ?
विक्रम : अरे नहीं यार | मैंने कब तुमसे ये कहा | मैं तो कह रहा हूँ | की एक चांस तो देके देखो | प्लीज यार | तुम्हारी वजह से मुझे जवाब देना पड़ता है | मेरे कहने पर .... एक चांस ..
शौर्य का अब दिमाग खराब हो रहा था | उसका मन कर रहा था की .. विक्रम का सर फोड़ दे | वो अपनी जगह से उठा ... ओर वहां से जाने लगा |
जब विक्रम ने दखा की .. शौर्य जा रहा है | तो वो शौर्य से बोला |
विक्रम : ठीक है | मैं मानता हूँ | की आजका दिन .. शायद तुम्हारे लिए .. बहुत ,, मुश्किल होगा | पर फिर .. इसका असर तुम्हारे काम पर नहीं दिखना चाहिए | वो भी यही चाहती थी | हैना ?
विक्रम के मुह से ये शब्द सुनते ही ... शौर्य अपनी जगह पर मानो फ्रीज़ हो गया | ओर उसकी आँखें लाल हो गई | शौर्य नहीं चाहता था की उसे कोई इस हालत में देखा | तो वो चुप चाप .. बिना कुछ बोला .. विक्रम की बात का बिना जवाब दिए वहांसे चला गया |