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फोस्टर चाइल्ड

फोस्टर चाइल्ड-


'क्या नाम है तुम्हारा?'

'आपको मालुम है कि मेरा नाम क्या है?'

'फिर भी मैं तुमसे पूछता हूँ?'

'क्यों?'

'यह इस कोर्ट का नियम है कि आरोपी की शिनाख्त और सही पहचान करने में कोई भी कमी न रहे.'

'तो फिर अपनी कमी अपने आप पूरी करिये, मेरी सहायता की क्या जरूरत है आपको?'

'देखो, मैं तुमसे बहस नहीं करना चाहता हूँ. अगर तुमको ज्यादा बात करना पसंद नहीं है तो फिर केवल हां और नहीं में ही जबाब दो ताकि कोर्ट की कार्यवाही आगे बढ़ाई जा सके.'

'बहस तो आपने आरम्भ की है. मैं जब कहता हूँ कि प्रीस्ट जेराल्ड होलीनेस का खून मैंने चर्च के अंदर एक हजार लोगों के सामने किया है और ग्लोक (पिस्तौल) की सारी १७ गोलियां उसके शरीर में भर दीं तौभी आप यकीन क्यों नहीं करते हैं?'

'इसलिए कि तुमने उसे यूँ बे-दर्दी से मारकर अमानवता का उदाहरण पेश किया है और मारने का कारण भी नहीं बताते हो?'

'वह मैं यहाँ और पब्लिक के सामने कभी भी नहीं बताउंगा कि मैंने एक पास्टर को मसीहियत का प्रचार करते समय चर्च के अंदर ही क्यों मारा है?'

'सजा जानते हो.'

'हम्म ! सज़ा से वे डरा करते हैं जो अपनी ज़िन्दगी से लाड़ किया करते हैं. होलीनेस को जान से मारने की पूरी योजना बनाने से पहले ही मैं अपनी कब्र खुद खोद कर आया हूँ.'

'?' सरकारी वकील ने उस लड़के को एक बार ध्यान से देखा. उसकी आंखों में अपनी आँखें डालकर गंभीरता से झांका फिर चारो तरफ कोर्ट में बैठे लोगों की तरफ देखा और फिर से अपनी नज़र उस लड़के की उस तरफ धंसा दी जिसके चेहरे से अभी भी बचपन की लाली झलक रही थी.

'तुम्हारा नाम रोज़र होलीनेस है?'

'जी हां.'

तुम्हारी उम्र २२ साल है?'

'जी हां."

'तुमने उनकी ही पिस्तौल से उनके ऊपर पिस्तौल की सारी १७ गोलियां चलाईं थीं?'

'मुझे दुःख है कि पिस्तौल की मैगजीन में केवल १७ गोलियां ही आती थीं, अगर ५० होतीं तो मैं वे भी उसके जिस्म में भरने से नहीं चूकता.'

'बड़े जालिम हो तुम?'

'?' - खामोशी.

'काम क्या करते हो?'

'अभी कुछ नहीं.'

'मतलब?'

'घर पर रहता हूँ. घर से स्कूल जाता हूँ और स्कूल से घर.'

'बाकी समय में घर पर क्या करते हो?'

'घर के काम, स्कूल का होमवर्क, अपने कपड़े धोना आदि. . .'

'रात में सोने कितने बजे जाते हो?'

'कभी आठ बजे और कभी रात के तीन बजे तक भी नहीं सो पाता हूँ.'

'ऐसा अंतर क्यों है, तुम्हारा रात के सोने के समय में?'

'नहीं बता सकता.'

'रात में आठ बजे के बाद कहीं बाहर भी जाते हो?'

'जी नहीं.'

'आख़िरी सवाल, तुमको होलीनेस की पिस्तौल कैसे मिल गई थी जबकि वह तो बाकायदा गन रखने की अलमारी में बंद रहती थी.'

'बारदात की रविवार की सुबह होलीनेस देर में सोकर उठे थे. उन्होंने हमसे कहा कि 'मुझे देर हो रही है, सो मैं चर्च जाता हूँ, तुम लोग घर बंद करके आ जाना. उन्होंने चाबियाँ मुझे पकड़ाईं और चले गये. मैं तो अवसर की तलाश था ही, मैंने गन की अलमारी खोली और पिस्तौल अपनी कमर से लगाई और अपने तीनों भाइयों के साथ चर्च चला गया. फिर उसके बाद तो जो हुआ उसे सारी दुनिया ही जानती है. . .'

सरकारी वकील ने इसके बाद रोज़र से कुछ भी सवाल नहीं किये. उसने बाद में अपनी जबाबी कार्यवाही के रूप में अपनी प्रतिक्रिया इस प्रकार से दी,

'आरोपी रोज़र ने अपना गुनाह खुद ही कबूल किया है और हमारी तहकीकात से भी पता चला है कि वह मानसिक तौर से बिलकुल ही स्वस्थ है तथा उसने ये खून अपने पूर्व प्लान और सोच-समझ कर ही किया है. इसलिए ये कोर्ट उस पर कोई भी रहम न करते हुए उसे सलाखों के पीछे न रखते हुए लेथल का इंजेक्शन दे.'

बाद में कोर्ट की कार्यवाही चलती रही. सरकारी वकील और बचाव पक्ष के वकील आपस में भिड़ते रहे. दलीलें चलीं, 'लड़का अभी बहुत छोटा है, भावनाओं में बहकर उसने ये खून किया है, सरकारी वकील ने अपने तर्क दिए, ' खून तो खून है, लड़का वालिग़ है, भले ही उसने ये खून करने का कारण न बताया हो, फिर भी उसने घातक जुर्म किया है, उसे सजा मिलनी ही चाहिए,'

लेकिन जब कोर्ट की लगातार पांच तारीखों के बाद जो फैसला आया उसे सुनकर कोर्ट तो क्या उस शहर का सारा इलाका ही दंग रह गया. कोर्ट के फैसले में रोज़र होलीनेस को इस जुर्म से बरी कर दिया गया था लेकिन उसे बाकायदा तीन साल तक अपने घर पर रहकर ही सुधारगृह के कोर्स पूरे करने होंगे. ये कोर्स पूरे न करने की दशा में उसे जेल जाना होगा.'

एक पत्रकार की हैसियत से जब मैं रोज़र से व्यक्तिगत तौर से मिला और उससे बात की तो मेरे बहुत ही आश्वासनों के बाद जो उसकी दर्दभरी कहानी सामने आई उसे सुनकर मैं रोया तो क्या ही, पर उसका भोला और मासूम चेहरा न जाने कितने ही दिनों तक मेरे जहन में अपनी तस्वीर लिए मुझे कितना झकझोरता रहा कि, मैं बता नहीं सकता.

रोजर को उसके फोस्टर फादर जेराल्ड होलीनेस ने उसके तीन अन्य भाइयों के समान फोस्टर होम से बाकायदा गोद लिया था. अमरीका में इस प्रकार से गोद लिए गये अनाथ बच्चों को सरकार बाकायदा हरेक माह उनके खानपान, स्कूल, रहन-सहन आदि के लिए खर्चा दिया करती है. होलीनेस ने भी यही सब किया था. वह रोमन कैथोलिक चर्च का प्रीस्ट था, इसलिए चर्च के नियमानुसार वह अपना विवाह नहीं कर सकता था. लेकिन अपनी गन्दी आदतों और हवस को मिटाने के लिए फोस्टर होम के बच्चों को इस्तेमाल किया करता था. हर रात एक बच्चे की एक प्रकार से उसके साथ सोने की ड्यूटी लगा करती थी. इतना ही नहीं वह अपने बच्चों को शारीरिक यातनाएं भी दिया करता था. इन यातनाओं में सिगरेट से उनके बदन को जलाना, अप्राकृतिक सम्बन्ध बनाना, बगैर वस्त्र पहने हुए लडकों से उसको स्नान कराना, शराब छिड़क कर उस पर लायटर से आग लगाना आदि. . ., यही कारण था कि रोज़र वर्षों से इन यातनाओं को तो झेल ही रहा था लेकिन, साथ ही साथ, अंदर ही अंदर उस प्रकार की आग में जल भी रहा था जिसने एक दिन प्रतिशोध की ज्वाला को जंगल में लगी आग का रूप दे दिया था. रोजर ने अपनी कहानी क्या ही बल्कि अपनी आपबीती मुझे सुनाई और जब मुझे अपनी कमीज़ उतारकर अपनी पीठ मुझे दिखाई तो मैं भी देख कर दंग रह गया. उसकी पीठ पर अभी भी अनगिनत ऐसे जले हुए दाग थे जो ठीक होने के बजाय अभी भी उसके दुःख, दर्द और यातनाओं के सबूत में अपने गुनगुने पानी के साथ आंसू बहा रहे थे. उसके छलनी बदन से बहते हुए इन आंसुओं को वह सरे-आम कहीं दिखा भी नहीं सकता था. लेकिन कोर्ट की लेडी जज ने जब उससे बहुत पूछा तो रोज़र ने केवल अपनी यह सच्चाई जज को ही बताई और दिखाई भी थी, यही कारण था कि उसको कोर्ट से रिहा कर दिया गया था.

अनाथ बच्चों की पैदावार जिस पाप और अधर्म के फलस्वरूप होती है, उसकी हांमी दुनिया का कोई भी धर्म नहीं भरता है, लेकिन दुःख तो इस बात का है कि ऐसे बच्चों की मजबूरी का लाभ जो लोग उठाया करते हैं उनके पर्दे में छिपे हुए धूर्त चेहरे को हमारा समाज परदे में क्यों छिपाये फिरता है?

-समाप्त.