Ek Ruh ki Aatmkatha - 33 books and stories free download online pdf in Hindi

एक रूह की आत्मकथा - 33

समर और कामिनी के सभी रिश्तेदारों से मिलने ,उनसे लंबी बातचीत करने के बाद दिलावर सिंह समझ गए थे कि इनमें से कोई भी कामिनी का हत्यारा नहीं है।हालाँकि सबके पास हत्या की अपनी वज़ह थी। नब्बे प्रतिशत वज़ह तो कामिनी की दौलत ही थी।
दिलावर सिंह को आज के लोगों की उपभोक्तावादी मानसिकता पर कोफ़्त हुई।सभी धन के पीछे भाग रहे हैं।सभी चाहते हैं कि बिना मेहनत किए किसी प्रकार धन मिल जाए।छल -कपट,चोरी- बेईमानी,हत्या- लूट कुछ भी करना पड़े।नैतिकता,मानवता,धर्म किसी का भी विचार नहीं ।
कोई नहीं सोचता कि संसार में खाली हाथ आए हैं और खाली हाथ ही वापस जाना है।सब इस तरह एक अंधी दौड़ में शामिल हैं जिसका कोई हासिल नहीं है।
'ऊँह.....!भाड़ में जाए ऐसे लोग।'
दिलावर सिंह ने अपना सिर झटका।
'मुझे कामिनी हत्या पर फोकस करना है,पर कैसे?'
दिलावर सिंह देर तक चिंतित मुद्रा में बैठे रहे।
'नहीं वे हार नहीं मानेंगे।कहीं कुछ छूट रहा है उनसे।फिर एक बार शुरू से शुरू करना होगा।'
गोआ!
एक बार फिर!
वे गोआ के नवरंग होटल और फिर उस रिसोर्ट जाएंगे ,जहां आखिरी बार कामिनी देखी गई थी ।नए सिरे से मामले की जांच करेंगे।ईश्वर चाहेंगे तो कुछ सूत्र हाथ जरूर लगेंगे।
अपनी सोच पर वे मुस्कुराए।
फिर उन्होंने अपने सहयोगियों से गोवा चलने की योजना पर विचार -विमर्श किया।सभी उनकी बात से सहमत हुए।
दिलावर सिंह को पूरा विश्वास था कि समर कामिनी का हत्यारा नहीं है।वह यूँ ही फंस गया है।अगर उसे सज़ा मिली तो यह अन्याय होगा।वे यह अन्याय नहीं होने देंगे।वह असल अपराधी तक जरूर पहुँचेंगे....।
गोवा पहुँचकर सबसे पहले वे नवरंग होटल गए फिर रिसोर्ट। उन्होंने दोनों जगहों के सफाईकर्मी से लेकर मैनेजर तक से पूछताछ की फिर समर के उन स्थानीय मित्रों से मिले जो उस रात पार्टी में शामिल थे।
सबके बयान लगभग एक जैसे ही थे।होटल से कामिनी का रिसोर्ट जाना।पार्टी में जरूरत से ज्यादा ड्रिंक करने से उसकी तबियत का खराब होना और फिर उसका होटल वापस लौटना। यहीं तक सबकी नॉलेज में था।कामिनी की हत्या की ख़बर उन सबको सुबह ही हो पाई थी।
हाँ,इस छानबीन से दिलावर सिंह को एक नई बात जरूर पता चली कि पार्टी में समर के एक और मित्र डॉo मयंक भी शामिल थे,जो अमेरिका से उसी दिन आए थे।कामिनी तबियत खराब होने के बाद उन्हीं के साथ होटल वापस गई थी।वे एक घण्टे के बाद वापस लौट आए थे और उन्होंने समर को आश्वस्त किया था कि कामिनी अब बिल्कुल ठीक है और अपने कमरे में आराम से सो रही है।अब पार्टी रात -भर चलती रहे,तो कोई बुराई नहीं।सुबह होटल लौटेंगे फिर उन्हें वापस अमेरिका लौटना भी है।
मयंक! डॉo मयंक!
समर और कामिनी के घरवालों ने एक बार भी डॉo मयंक का जिक्र नहीं किया था।इसमें उनका कोई दोष नहीं था क्योंकि डॉo मयंक गोआ से ही वापस अमेरिका लौट गए थे।डॉo मयंक के बारे में सिर्फ समर जानता था पर वह कामिनी की हत्या के बाद से ही वह अपनी सुध -बुध खो बैठा था।पुलिस ने उसे कामिनी की हत्या के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया था।
दिलावर सिंह ने होटल नवरंग के मैनेजर से डॉo मयंक के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि वे हत्या के दिन ही होटल आए थे।समर ने अपने बगल वाला रूम उन्हें दिलाया था और यह भी बताया था कि दूसरे दिन सुबह ही उन्हें वापस जाना है।
तीनों साथ ही होटल से रिसोर्ट गए थे।देर रात को कामिनी अर्ध बेहोशी में डॉo मयंक के साथ लौटी थीं ।
कामिनी को डॉo मयंक के सहारे आते देख होटल नवरंग का मैनेजर चौंक गया।
उसने चिंतित होकर डॉo मयंक से पूछा - "मैडम को क्या हुआ है सर?"
डॉo मयंक ने मुस्कुराते हुए कहा-"कुछ नहीं पार्टी में थोड़ा ओवरडोज होने से तबियत खराब हो गई ।आराम करेंगी तो ठीक हो जाएंगी।चिंता की कोई बात नहीं ।"
"सर, कहिए तो डॉक्टर को बुला दूँ।"
"अरे नहीं,इसकी कोई जरूरत नहीं। वैसे मैं खुद डॉक्टर हूँ।"
डॉo मयंक ने मैनेजर को आश्वस्त किया।
" सर अब मैं घर जा रहा हूँ।इस समय से दूसरे मैनेजर की ड्यूटी है।कोई भी दिक्कत होगी आप उसे जरूर इत्तला कर दीजिएगा।"
"आप बेफ़िक्र होकर जाइए।"
डॉo मयंक कामिनी को सहारा दिए हुए लिफ़्ट की ओर बढ़ गए थे।
दूसरे दिन सुबह दस बजे जब पहला मैनेजर होटल आया तो होटल के बाहर पुलिस को देखकर चौंक गया।कामिनी की हत्या हुई है यह जानकर वह हतप्रभ हो गया।
"तुमने दुबारा डॉo मयंक को कब देखा?"
दिलावर सिंह ने मैनेजर से पूछा।
"सर, जब तक मैं आया,वे जा चुके थे।उन पर
संदेह की कोई वज़ह ही नहीं थी।उनका कमरा भी अलग था।सुबह ही उनकी फ़्लाइट थी ,इसलिए वे चले गए होंगे।"
"मित्र की प्रेमिका की हत्या के बाद भी...।"दिलावर सिंह ने अपनी आँखें चौड़ी करके पूछा।
"सर हो सकता है कि फंस जाने के डर के कारण न रूके हों या फिर उनको हत्या की जानकारी ही नहीं हुई हो" मैनेजर ने अपनी बुद्धिमानी दिखानी चाही।
"ऐसा कैसे कह सकते हो?"
दिलावर सिंह ने मैनेजर को घूरा।
"सर ,दूसरे मैनेजर ने बताया था कि समर जी डॉo मयंक के साथ सुबह के पाँच बजे लौटे थे।समर जी तब भी नशे में झूम रहे थे।उसने डॉ0 मयंक को समर से कहते सुना था कि वह अपने कमरे में जाकर सो जाए।वे थोड़ी देर बाद ही निकल जाएंगे ।फ्लाइट पकड़नी है।समर जी ने रिसेप्शन पर ही उन्हें बाय -बाय कह दिया था।
फिर समर जी डबलबेड वाले अपने कमरे में जाकर सो गए।देर से उठे तब उन्हें हत्या का पता चला।तभी तो हत्या का आरोप उन पर लगा।"
मैनेजर ने दिलावर सिंह को पूरी जानकारी दी।
"हूँ.....!
दिलावर सिंह ने मैनेजर को जाने को कहा।
'अब समर से मिलना होगा।वही पूरी जानकारी देगा।कामिनी की हत्या के बाद से वह चुप हो गया है।अब उसका मुँह खुलवाना होगा।उसके हार्ट का ऑपरेशन सफल हुआ है और अब वह बेहतर स्थिति में है।उससे बातचीत करने में अब असुविधा नहीं होगी।'
अपने सहयोगियों को यह बताते हुए दिलावर सिंह की आँखें चमक रही थीं।उनके सहयोगी समझ गए कि कामिनी की हत्या की गुत्थी का कोई सूत्र उनके हाथ लग गया है।अब वह दिन दूर नहीं ,जब कामिनी का असल हत्यारा कानून के शिकंजे में होगा।