The Story of Scalencil in Hindi Short Stories by Amit Pradhan books and stories PDF | The Story of Scalencil

The Story of Scalencil

ये कहानी है उस दौर की जब बिना जियोमेट्री बॉक्स के लकीरे सीधी खींची जाती थी..बिना किसी ग्रेफाइट पाउडर के बात लिखी जाती थी..उस वक्त कहानियां तो बहुत थी पर किसे पता था एक और कहानी कही दूर लिखी जा रही है।

"स्कैलेंसिल की कहानी (स्केल+पेंसिल)"

तो बात है 2650 ईसा पूर्व की जब दुनिया ने पहली बार सीधी लकीर खिचने की कला सीखी। ये कला दुनिया को एक तांबे के टुकड़े ने सिखाया। उसने दुनिया को सीधा रास्ता दिखाया। लोगो को अब टेढ़ा है पर मेरा है वाला कॉन्सेप्ट भूल कर, सीधा है और साधा है वाला कॉन्सेप्ट पता चला।अब इंसान ने सीधे रास्ते पर चलाने वाला तो ढूंढ लिया पर इस रास्ते को बनाने वाला भी तो चाहिए था। जैसे पटरी पर ट्रेन को चलाना। तो अब बारी आती है हमारी चुलबुली पेंसिल की, इसका इतिहास बड़ा अजिब है। कोई कहता है इसका जन्म 1564 में तो कोई कहता है 1662 में हुआ ।अब ये तो भारी दुविधा थी। किसकी सूने और किसकी माने, खैर जो भी सही था पर अब एक बात तो तय हो गई थी, की सीधी लकीर और उसको खिचने का जरिया दोनों मिल गये । तो इस प्रकार दुनिया को सीधा रास्ता दिखाने और चलाने वाले दो प्यारे लोग मिल गए ।

धीरे धीरे वक्त गुजरता गया और वक्त के साथ इन दोनो के रूप रेखा भी। नये नए रंगो में सजे ये दोनो, दुनिया को बहुत लुभाने लगे थे । पेंसिल ने तो जैसे दुनिया को रंगीन बना दिया। हर तरफ अपने अलग अलग रंग बिखेरने लगी थी। वैसे ही स्केल ने भी दुनिया को अलग अलग आकार बनाना सिखाया था । लोगो को नई नई डिजाइन,आकृति बनाना बताया, और इन दोनो की कहानी बहुत प्यारी चल ही रही थी लेकिन फिर अचानक से इनकी जिंदगी में नया मोड़ आया और आए भी क्यों ना वो कहते हैं ना
"A perfect story doesn't exist "

फिर वो दौर आया जब दोनो की जगह दुसरो ने लेनी सुरू कर दी जैसे प्रोटेक्टर, सेट स्क्वायर, कलर पेन, डिवाइडर, और भी। अब इनकी कहानी ट्रैक से फिसलने लगी थी। मानो की इन दोनों की अहमियत जैसे गायब हो गई। ऐसे पल पर एक गाना याद आ गया मुझे

"कभी यादों में आऊ कभी ख्वाबों मैं आऊ"
हाहाहाहा एक और एक और
"मैं पल दो पल का शायर हूं" हेहेहे

अब दुनिया एडवांस हो गई है। आगे बढ़ने की चाहत मानो खून में दौड़ने लगी। एक क्रांति सा आ गया। नए नए खोज होने लगे, नया दौर आने लगा। वक्त के साथ साथ इन दोनो की रूप रेखा भी बदलने लगी। अब इनको अलग अलग जगह में रखा जाने लगा। कभी बैग में कभी बॉक्स में तो कभी बंद दरवाजा में। फिर भी ये खुश थे क्यूंकी साथ थे, और अब तो इनके दोस्त भी बन चुके थे। जैसे – पेन, सेट स्क्वायर, डिवाइडर और भी बहुत। इस बीच पेंसिल की दोस्ती डिवाइडर से हुई और कुछ ऐसे हो गई की डिवाइड ने पेंसिल को पकड़ कर हर जगह ऐसे घुमाने लगा मानो जैसे कोई मेला में झूला को घूमा रहा हो।

पर कहते हैं ना हर कहानी में विलेन (Villain) ना हो तो कहानी का मजा कैसे आएगा।

दोनों के स्टोरी में भी विलेन आए। "इरेज़र और शार्पनर" ये दोनो ही पेंसिल को बहुत तंग बनाने लगे। बेचारी पेंसिल कुछ भी लिखे तो इरेज़र उसे मिटा देता और अगर बेचारी कुछ बोलने की कोशिश करे तो शार्पनर उसे छिल कर छोटा कर देता है। हद तो तब हो गई जब स्केल बीच में बचाने गया तो इरेज़र उसको खुद में चिपका दिया। बेचारा अपनी जगह से हिल भी नहीं पाया। ये दोनो ऐसे ही बहुत तंग करने लगे थे। पर उसके बाद कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरी कहानी बदल दी। वक्त जज्बात जिंदगी सब बदल गए । हुआ कुछ ऐसा की एक दिन इरेज़र को ये पता चला की जब जब वो पेंसिल को मिटाने जाता वो खुद भी छोटा हो जाता और शार्पनर जब पेंसिल को छिलता उसके धार कम होती जाती थी। ये सुन दोनो को बहुत बुरा लगा और फिर वो दोनो पेंसिल और स्केल के पास गए, और माफ़ी मांगने लगे। ये देख स्कैलेंसिल अरे है स्कैलेंसिल तो याद है ना अरे वही दोनो जिनकी ये कहानी है पेंसिल और स्केल। बाद में उन दोनो का दिल भी पिघल गया और दोनो ने उनको माफ कर दिया।

फिर........ फिर क्या था इरेज़र ने पेंसिल को बोला अब जब जब तुम कोई गलती करोगी। मैं तुम्हारी गलती को सुधारने हमेशा साथ रहूंगा और शार्पनर ने कहा जब भी तुम्हारी नोक बिगड जायेगी में उसको ठीक कर दूंगा। ये बात सुन दोनो बहुत खुश हुए और सभी के आंखो में आंसू आ गए।

फिर पेंसिल, स्केल के पास जा कर कहने लगी। तुमने जिंदगी के हर मोड़ पर मेरा साथ दिया। हम हमेशा साथ रहेंगे। हम दोनो का एक दूसरे के बगैर कोई वजूद नहीं होगा। जब भी तुम कही जाओगे मैं हमेशा साथ रहूंगी। तुम्हे किनारे से तुम्हें छू कर गुजर जाऊंगी.. और हम दोनो मिल कर दुनिया को हमेशा सीधा राह दिखाएंगे।

तो ये रही इन दोनो की थोड़ी खट्टी थोड़ी मीठी पर प्यार भरी कहानी

आज भी हर जरूरत में दुनिया इनको साथ लाती है, मैथ्स हो या फिजिक्स इनकी ही याद आती है,बायोलॉजी की ड्रॉइंग पन्नो पर यही तो बनाते है,कोई तस्वीर बनानी हो या बनाना हो कोई नक्सा दुनिया इन्ही को तो बुलाती है, खुद को मिटा कर अपनी दस्ता ये दुनिया को सुनाती है.....

बस यही कहानी है जिसे दुनिया "स्टोरी ऑफ स्कैलेंसिल" बुलाती है।

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Omika singh

Omika singh 7 months ago

Ek smile thi ontho ki bahut din se gussa thi or dikhi na thi iss story ko padhne ke bad vo bhi apna gussa chhod abhi नज़र aai 😊

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