propose books and stories free download online pdf in Hindi

प्रपोज

""आप आयशा है"।कोठी का दरवाजा खुलते ही जय ने दरवाजा खोलने वाली युवती से कहा था।
"आप कौन?मैं आपको नही जानती।"
"जानेंगी कैसे?हम पहली बार मिल रहे है,"जय उसकी बात सुनकर बोला,"मेरा नाम जय है।मैं सॉफ्ट वेयर इंजीनियर हूँ।"
"जब हम पहली बार मिल रहे है,तो फिर आप मेरा नाम कैसे जानते है?"
"यू ट्यूब से।"
"यू ट्यूब से किसी का नाम भी जाना जा सकता है।वन्डरफुल,"जय की बात सुनकर आयशा बोली,"ऐसा कौनसा अप्प आया है।मुझे भी बता दो।"
"ऐसा कोई अप्प नही है।"
"लेकिन। अभी तो तुमने कहा,यू ट्यूब से मेरा नाम पता चला।"
"हां मुझे यूट्यूब से ही आपका नाम पता चला।"
"पहेलियां मत बुझाओ।साफ साफ बताओ।"
"हमारे देश के एक नेता ने विदेश में हमारे देश के बारे में जो बोला।उसी के सम्बन्ध में एक यूट्यूब के न्यूज़ चेंनल पर आपने जो कहा।उसको मैंने सुना था।उसमें आपने अपना नाम आयशा बताया था।"
"ओह--आयशा हंसने लगी,"अब समझी तुम्हे मेरा नाम कैसे पता चला,"आयशा बोली,"मैने अपना नाम तो बताया था।पर मैने उसमें घर का पता तो नही बताया था।फिर तुम यहाँ तक पहुंचे कैसे?"
"जंहा चाह है वहां रहा भी है।"
"तुम्हारी बात तो सही है,लेकिन रहा निकाली कैसे?"
"मैने फेसबुक पर तुम्हारी प्रोफाइल ढूंढी और ऊसी के सहारे खोज करता हुआ यहां तक आ पहुंचा।"
"लेकिन तुम मेरे पास आये क्यो हो?
"तुम भी हिंदुस्तान की रहने वाली हो।और हमारे देश मे अतिथि देवो भवो की परंपरा हो।"
"ओह सॉरी--जय का इशारा समझते हुए वह बोली,"मैं भी कैसी पागल हूँ।बाहर खड़ी बाते कर रही हूँ।अंदर आइए।"
"बैठिये।मैं तुम्हारे लिए पानी लेकर आती हूँ।"
आयशा किचन में चली गयी।जय ड्राईंग रूम में बैठा हुआ घर को निहारने लगा।आयशा पानी लेकर लौटी थी।
"आपका घर तो काफी बड़ा है।"जय पानी का गिलास उठाते हुए बोला।
"घर मेरा नही है।"
"तो किराए का है।"
"नही।मैं इसका कोई किराया नही देती।"
"क्यो?"
"मेरी सहेली गीता का है।उसकी शादी एक एन आर आई से हुई है।उसने मुझे रहने के लिये दे रखा है।"
"घर सहेली का है पर साज सज्जा तो आपने ही कि होगी।"
"जी।"
"आपके ड्राइंग रूम में पेंटिंग्स है।प्रकृति प्रेम की।कलाम और विवेकानंद के साथ भगवान श्रीकृष्ण के साथ सीता के भी चित्र है,"जय बोला,"आप मुसलमान है फिर भी सीता और श्रीकृष्ण?"
"मै पहले हिंदुस्तानी हूँ उसके बाद मुसलमान।राम कृष्ण हमारे पूर्वज है।राम मर्यादा पुरषोत्तम थे और श्रीकृष्ण योगी।गीता का उपदेश जीने की राह दिखता है।गीता पूरे विश्व मे पढ़ी जाती है।"
"और सीता?"
"विवेकानंद ने सीता के बारे में कहा है--सीता जैसी न कोई हुई है।न अभी कोई है और न होगी,"आयशा बोली,"सीता से में बहुत प्रभावित हूँ।वास्तव में ऐसी स्त्री दूसरी पैदा होना असंभव है।"
"आप जितनी सुंदर है आपके विचार उससे भी ज्यादा सुंदर है।तन से ही नही आप मन से भी सुंदर है।"
"थैंक्स,"आयशा मुस्कराकर बोली,"अभी तक आपने मेरे पास तक आने का उद्देश्य तो बताया ही नही।"
"आपकी वाक्पटुता,बोलने के लहजे,बोल्डनेस और अंदाज से में बहुत प्रभावित हुआ और आपको साक्षत देखकर आपकी सुंदरता ने और भी ज्यादा मुझे प्रभावित किया है।"
"यह बात तो तुम मुझसे फोन करके या मेसेज भेजकर भी कह सकते थे।"
"तुम ठीक कह रही हो लेकिन मैं सिर्फ इसलिए नही आया।"
"तो?"
"आज वेलेंटाइन डे है।"
"तो?"आयशा ने प्रश्नसूचक नजरो से जय कोदेखा था।"
"मैं तुम्हे प्रपोज करने आया हूँ।"
"क्या?"
"आयशा मैं तुम्हे अपनी बनाना चाहता हूँ।"और जय ने अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिया।आयशा ने सोचा भी नही था कभी ऐसा भी हो सकता है।एक अनजान युवक जो पहली बार उससे मिल रहा था।उसके सामने ऐसा प्रस्ताव भी रख सकता है।वह उसके बारे में कुछ जानती भी नही थी।आयशा को सोच में डूबे देखकर जय बोला,"अगर तुम्हें कोई संदेह है तो मेरे बारे में पता कर लो।"
जय की बात सुनकर आयशा अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए बोली,"मुझे कबूल है।"