Mahila Purusho me takraav kyo ? - 74 books and stories free download online pdf in Hindi

महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 74

केतकी से मिलने के बाद अभय अपने भाग्य को कोसने लगता है । यह सब मेरे साथ ही क्यों हो रहा है । अभय के चेहरे पर तनाव साफ झलक रहा है । जिस टेक्सी से अभय आरहा है उस टेक्सी का ड्राईवर भी अभय के तनाव को देखकर कहता है .. बाबूजी! सब ठीक तो है न ? कोई परेशानी ? अभय ने कहा ..नही ऐसी कोई बात नही है । अगले ही पल अभय सोचने लगता है , मेरे चेहरे को इस ड्राईवर ने ही पढ लिया ..तो " दामिनी तो बहुत चालाक है ..उसे समझते तो ' देर ही नहीं लगेगी । क्या मुझे अभी दामिनी के सामने जाना चाहिए या नही । वह सोच ही रहा था कि ड्राईवर ने कहा ..बाबूजी आपका होटल आगया ..अभय ने टेक्सी का भुगतान किया और होटल में चला गया । होटल में दामिनी अभय का ही इंतजार कर रही थी ..अभय को आया देख दामिनी मुस्कुराकर बोली आप ! आगये .. बहुत देर लग गयी । आपको कैन्टीन डिपो मे भी जाना है ..आपके लिए चाय मंगवा दूँ ।
अभय ने कहा ..हां मंगवा लो ..मेरी तबयत भी थोड़ी नर्म हो रखी है । दामिनी ने तुरंत अभय के ललाट पर अपना हाथ रखा और कहा क्यों क्या हो गया ? बुखार तो नहीं है ..सिर दर्द कर रहा है क्या ? दामिनी ने अपनी मधुर आवाज में कहा ..अभय ने उसका हाथ झटक दिया ..और कहा तुम रहने दो .. । अभय को दामिनी में एक नागिन नजर आ रही थी ..अभय अपने मन मे सोच रहा है ..किसी ने सच ही कहा है नाग जब झुकता है तभी काटता है । दुष्ट जब अधिक विनम्र बनते हैं तो वे कोई बड़ा नुकसान करने वाले होते हैं । सहसा ही अपनी गुडिया पर उसका ध्यान जाता है .. वह भी उसे सफोली ही नजर आती है । अगले ही पल सोचता है इस फूलसी बच्ची का क्या दोष ?
यह भी सच है जिससे घृणा हो जाती है उसकी प्रत्येक वस्तु बुरी लगने लगती है । ऐसे ही जिससे प्रेम हो तो उससे जुड़ी सब वस्तुएं अच्छी लगने लगती है । ठीक ऐसा ही अभय के साथ हो रहा है ।
दामिनी कहती है अभय ! आप अब तो कैन्टीन डिपो नही जायेंगे न ? अभय ने दामिनी को देखा ..वह पहले से ही बनठनकर तैयार होकर बैठी थी ..अभय ने कहा ..तुम अपने पुलिस स्टेशन हो आई या अभी जाना है । दामिनी ने कहा ..नही.. मैने कैंसिल कर दिया ..आज तो आपके साथ डिपो ही जाऊंगी। अभय ने कहा ठीक है ..थोड़ी देर में चलते हैं ... अभय अपने मन मे सोचता है .. मैं जानता हूँ तुम क्यों जाना चाहती हो ।
थोड़ी देर बाद चाय लेकर वेटर आगया ..दोनों ने चाय पी .. दामिनी अभय को अपलक निहार रही है ..अभय उससे आंखे चुरा रहा है .. अभय कहता है दामिनी ! तुम अपना काम निपटाकर आजाओ ..मै थोड़ा आराम करना चाहता हूँ ..एक घंटे बाद हम बाहर घूमने चलेंगे ..डिपो कल चलेंगे .. दामिनी कहती है क्यों ? आज नही चलेंगे .. अभय के दोनों हाथ पकड़ते हुए दामिनी कहती है ..मेरा कही ओर जाने का मन नही है ..सिर्फ डिपो ही देखना चाहती हूँ ..कोई बात नही हम एक घंटे बाद चले चलेंगे । अभय ने फौजी अंदाज में कहा ..नही आज नही, कल चलेंगे ..दामिनी ने कहा ..जैसी आपकी मर्जी । लेकिन मै भी कहीं ओर नही जाऊंगी । अभय सोचने लगा इसे बाहर कैसे भेजूं। अगले ही पल कहता है .. तुम ऐसा करो बाहर मेडिकल स्टोर से सिर दर्द की दवा ले आवो ..यदि ठीक हो गया तो आज डिपो ही हो आयेंगे । दामिनी के चेहरे पर एक मुस्कान तैर जाती है ..वह कहती है यह ठीक है..मै दवा लेकर आती हूँ ..दामिनी दवा लेने चली जाती है ...