Tamacha - 34 books and stories free download online pdf in Hindi

तमाचा - 34 (स्टार )

"प्रिय विद्यार्थियों आपने कॉलेज इलेक्शन में जो फैसले लिए है। वह बेहतरीन है। हालांकि दिव्या मेरी बेटी है और इस इलेक्शन में आपके सामने प्रत्याशी थी। पर वह चुनाव मेरी मदद से नहीं जीती। अपने बल पर और आपके अतुलनीय सहयोग से। वह चाहे मेरी बेटी ही क्यों न है? पर अगर वह भी आपके हित में काम न करे तो आप बेझिझक मेरे पास आना। मैं आपको ,दिव्या और उसकी पार्टी के सभी विजयी सदस्यों को बधाई देता हूँ और साथ ही उनको जोर देकर कहना चाहूँगा कि अब आपका कर्तव्य है सब विद्यार्थियों और कॉलेज के हितों का ध्यान रखना । अगर आपको कभी मेरी जरूरत पड़ जाए तो बेशक आप आधी रात को भी मेरे पास आ सकते हो। लेकिन इस चुनाव में एक व्यक्ति से मैं बेहद प्रभावित हुआ हूँ। आज मैं आपके सामने उसको माल्यार्पण कर उसका सम्मान करना चाहूँगा।" विधायक श्यामचरण स्वयं दिव्या के विजय होने के उपरांत पार्टी ऑफिस गए और विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बोला।
जब विधायक ने किसी विशेष व्यक्ति को इसका श्रेय देना चाहा और माल्यार्पण के लिए उसे बुलाना चाहा तब तेजसिंह के मन में प्रसन्नता के पुष्प हिलोरें मारने लगे। वह सोचने लगा चलो मेरी मेहनत रंग तो लाई। हॉल में उपस्थित सभी विद्यार्थियों का ध्यान भी तेजसिंह की तरफ़ ही चला गया। विधायक जैसे ही उसका नाम पुकारने लगे , तभी वह पुकारने से पहले ही खड़ा हो गया। लेकिन जैसे ही विधायक ने बोला,"मैं बुलाना चाहूँगा, आपके नए बने उपाध्यक्ष राकेश को कि वह मंच पर आए ।" राकेश का नाम सुनते ही जैसे तेजसिंह के पैरो के नीचे की ज़मीन खिसक गई। वह हतप्रभ होकर अपनी कुर्सी पर जा पड़ा। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसा क्या हो गया। इस लड़के ने ऐसा क्या जादू कर दिया । वह अपमान का घूंट पीकर रह गया । उसने वहाँ से जाना ही उचित समझा। वह जैसे ही दरवाज़े से बाहर निकला तो विधायक के बॉडीबिल्डर उसे उठाकर ले गए। विधायक ने तेजसिंह की राजनीति को अंकुरित होने से पहले ही नष्ट कर दिया था और अब उन बोडीबिल्डरों ने उसकी दादागिरी को भी जड़ से उखाड़ फेंका। उस दिन के बाद तेजसिंह किसी को नज़र नहीं आया।


राकेश जो अचानक ही कॉलेज में ऐसे चमका जैसे रात में अचानक मानव द्वारा छोड़ा गया कोई सेटेलाइट चमक गया हो। जिसकी कल्पना किसी साधारण मानव को नहीं होती। सभी उस सेटेलाइट को देखकर आश्चर्य करते है कि आकाश में आज क्या चमक रहा है। उसी तरह किसी ने राकेश के बारे ऐसा नहीं सोचा था। कुछ ही दिनों में वह कॉलेज का स्टार बन गया।

लेकिन वह ऐसे ही नहीं बना स्टार। विधायक ने आखिर उसका नाम ही क्यों लिया? यह प्रश्न सभी विद्यार्थियों के मन में था लेकिन इसका उत्तर केवल विधायक, दिव्या और स्वयं राकेश को ही पता था। जब दिव्या ने उसे इलेक्शन से पहले एक रात को चुनाव में खड़े होने की चुनौती दी थी। तब कुछ ही देर बाद उसने दिव्या को वापस कॉल किया और तेजसिंह से कैसे निपटना है इसकी सारी योजना बताई। दिव्या तो उसकी योजना से चकित हुई ही साथ ही दिव्या द्वारा विधायक को तेजसिंह के धोखे और राकेश की योजना के बारे में बताया तो वह भी दंग रह गए। विधायक ने सोचा कि यह लड़का बड़े काम का है। इसके पास राजनीतिक बुद्धि है। यह अवश्य मेरा अच्छा मोहरा बन सकता है और काम आ सकता है।


राकेश अपनी कॉलेज लाइफ की मस्ती में मस्त था। उसे अपने घर की कोई ख़बर नहीं थी। उसके माता-पिता जिसने राकेश की शादी के लिए लड़की भी देख ली थी और बात भी पक्की कर ली । पर अभी तक वह इस बारे में राकेश को कुछ बता नहीं पाए।
रेखा हमेशा अपने पति को कहती कि राकेश को हमें अब बता देना चाहिए प्रिया के बारे में , पर मोहनचंद हमेशा उसे "सही समय आने पर" कह कर टाल देता। लेकिन आख़िर एक दिन वह समय आना ही था।

क्रमशः.....
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