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नन्हे दीदी

ये बात उस वक्त की है जब हम ग्रेजुएट कर रहे थे, और पढ़ाई का बहुत दवाब हुआ करता था हमारे ऊपर हम बहुत परेशान से रहते थे। घर के लोगो से कुछ कहते तो लोग मुझे लेकर बहुत कुछ बोला करते थे उनको लगता था, कि मैं जान बूझ कर शैतानी करती हूं मैं पढ़ना ही नही चाहती, पापा हमेशा डाटा करते थे कोई ये नही पूछता था कि तुम पढ़ क्यू नही रही हो किया बात है केसे पढ़ाई में मन नही आता बस सब लोग हमारी परीक्षा के आते ही हमारे ऊपर दबाव बनाने लगते। उस वक्त हम महसूस करते कि सब लोगो के होते हुए कोई हमारे जैसा है ही नही, काश मेरे जैसा मेरा कोई होता जो मुझे समझ सकता समझा सकता, मेरी बातें सुनता मेरे लिए उसके पास हमेशा वक्त होता। यह सब बातें मुझे उस व्यक्ति की तरफ ले जाने के लिए तैयार रहती कभी कभी सोचती घर से भाग जाऊं और अकेले उसको कही से ढूंढ लूं , वो कही तो होगा ही, घर के सभी परेशान होने लगे कि मैं ऐसा व्यवहार क्यू करती हूं आखिर किया चाहिए मुझे, पर मुझे कुछ नही चाहिए था बस अकेले रहना था, यही कारण था मेरे हॉस्टल में पढ़ने का घर से दूर किसी की किच किच नही बस शांति, पर हॉस्टल में मेरे बहुत से दोस्त बनने के बाद मुझे एहसास हुआ कि सब लोग एक जैसा ही होता हम अलग हैं तो लोग अपने आप अलग हैं , मेरी एक बहुत अच्छी दोस्त हुआ करती थी, हम उससे सभी प्रकार की बातें बताए करते थे, बह दिखने में बहुत मासूम थी, बह कब हमारे इतने करीब हो गई, पता ही नही चला, एक दिन उसने हमारा मोबाइल नंबर लिया, और पूरे कॉलेज में बांट दिया, दिन रात हमारे पास बेकार कॉल आने लगी, परेशान करने लगे, हम बहुत दुखी हो गए डर से पापा को भी नही बताए कि कही पापा मुझे ही नही डांटे, मैं डरती रही रात हो दिन हो हम तकलीफ में रहने लगे अपने फोन से परेशान होने लगे, कुछ दिन सहने के बाद हम नंबर बदल दिए, उस वक्त हमारे कॉलेज में नए बच्चे भी आए थे नए होने के कारण बह अभी उदास से रहते थे तो कुछ वक्त हम उधर चले जाया करते थे, मेरी ये बात उस दोस्त को अच्छी नही लगी, बह मेरे पास आई और बोली तुम हमसे दूर क्यू हो।हम कोई गलती किए किया हमे बताओ, हम सब कुछ जानते हुए भी कुछ नही बोले। उसको जाने को कह दिए और उससे दूरियां बन गई फिर दोस्ती से भी विश्वास सा उठने लगा। हम फिर से अकेले हो गए , एक दिन छोटी क्लास की एक लड़की अपने फोन में इस तरह सर गुसाए बैठी थी कि हम सोचने लगे कि ये कर किया रही है, हम उसके पास गए, और बोले इतने करीब से फोन देखना सेहत बिगड़ सकती है, बह बोली दीदी देखो ये मेरा ग्रुप है बहुत मजा आता है।जब हम ग्रुप में बातें करते हैं यहां सब लोग दूर दूर से होते है पर अपने होने का अहसास होता है, बस कुछ वक्त के लिए आई सही सारी चिंता,परेशानी भूल कर कुछ वक्त यहीं गुजार लेती हूं वरना दिन भर किच,किच पिच,पिच ही रहती है, बोली आपके पास फेसबुक हो तो बताओ अपने ग्रुप में आपको भी ले लूंगी।
हम ये बात माना कर दिए क्यू की मेरे घर में किसी को सोशल मीडिया पसंद नही थी, पापा हमेशा कहते थे कि य सब ठीक नही होता, मना कर हम अपने रूम में आ गए । कुछ वक्त सोचने के बाद हमने अपना फोन देखा उसमे फेसबुक पहले से ही था बस अपना अकाउंट नही बनाए थे, अकाउंट बनाते ही हमारे पास बहुत से दोस्तों के नाम आए बिना सोचे समझे सब को दोस्त बना लिए, कुछ अच्छे भी मिले कुछ बुरे, हम डर से फिर बंद कर अपनी पढ़ाई में लग गए, एक बार हमारे फोन में एक मैसेज आया किसी ने हमे अपने ग्रुप में आमंत्रित किया है हम बह देखे। तब मैसेंजर पर मैसेज आया। कि उन ग्रुप के एडमिन को हमारी कुछ पोस्ट अच्छी लगी तो बह ग्रुप में ले लीं हम सोचने लगे, कि य किया है।कुछ समय लगा समझने में पर सब अच्छे लोग थे, काफी अच्छे थे, बहुत सी दोस्त मिली कुछ हमारे फोन में जगह, जगह आ गई,
उनमें से एक थी, अन्नपूर्णा उनसे एक अलग सा नाता था बह हमे जानते जानते बहुत जान गई और हमारे बहुत करीब आ गई बह ग्रुप का एडमिन बना कर कही गायब हो गई, कुछ समय बाद वापस आई और पता चला कि उनकी शादी तय हो गई है, बह हमे बहुत अच्छे से समझाती थी समझ पाती थी,
उनका शादी तय होना मुझे बिलकुल अच्छा नही लगा।हम नाराज हो गए, बह हमे बताई की बह शादी नही करना चाहती उनके घर के लोग करा रहे हैं, यह बात सुन मुझे हसी आने लगी और हम हस गए। उनको यह बात अच्छी नही लगी बह हमसे लड़ाई कर लीं और हमे हर जगह से हटा कर चली गई, उनकी यह लड़ाई कर फेसबुक से हमे हटा कर जाना सबसे अच्छा लगता था, उनको कोन समझाता कि हमारा और उनका रिश्ता कुछ इस तरह का है जो ब्लॉक कर देने से दूर नही होगा,
कुछ दन नाराज रहती मन भी लगता तो वापस आ जाती फिर कहती तुम हमे कभी याद नही करेगी ।
हमे तुम्हारे सपने आते हैं हम ही पागल है जो तुमको इतना याद करते हैं। पर मैं उनको केसे बताती कि उनका दूर जाना जैसे मेरे शरीर से जान के जाने बराबर था।
जब उनकी शादी हो गई मैं मां को बताई तो मां बोली उनकी नई नई शादी हुई है तुम उनसे रोज बात करोगी तो वो ससुराल में नही ढल पाएंगी। उनको भूल जाओ बेटा और दूरी बना लो मां की बात अच्छी तो भी थी, पर सच थी। हम उनसे दूरियां बनाने लगे।