009 SUPER AGENT DHRUVA - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

009 सुपर एजेंट ध्रुव (ऑपरेशन वुहान) - भाग 3

"ध्रुव.....कम हेयर......" लैपटॉप पर काफी देर से व्यस्त जेनिफर आश्चर्यजनक रूप से चीख पड़ी.....
ध्रुव के पास आते ही स्क्रीन की ओर इशारा करते हुए उत्सुकता से पूंछा......"इज दिस फ़ॉर यू"

सामने जो था ,उसको देख कर ध्रुव की आंखे भी चौड़ी हो गयी थी.....
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के ट्विटर अकॉउंट से एक ट्वीट किया गया था
"NATION FIRST 009 PARAMVEER"
"ये....ये तो मेरा कोड नेम है.....मतलब ये मैसेज मेरे लिए वायरल किया जा रहा है...पर क्यों।"

ध्रुव ने तुरंत ही लैपटॉप के कीपैड पर अपनी अंगुलिया NIA एवं RAW की ऑफिशियल वेबसाइट एवं उनसे जुड़े हुए अन्य सोशल रिसोर्सेज को सर्च किया।
परिणाम सामने था .....

"जेनी .....सभी जगह ये मैसेज ब्लिंक कर रहा है.....मतलब वजह बहुत खास है.....उनको मेरी जरूरत है।"

जेनिफर के चेहरे पर एक अनजान सी चिंता की लकीरें साफ दिख रही थी।

"ध्रुव .....यह एक ट्रैप भी तो हो सकता है.....डोंट फॉरगेट इंडिया की अपनी एजेंसीज के लिए भी तुम एक वॉन्टेड ही हो।"

ध्रुव की आंखों में इस समय अपने देश से बुलावा आने पर एक अलग ही चमक दिख रही थी " नही जेनी .....यह कोई ट्रैप नहीं.....फिर भी मैं अपने देश के काम आने की सोच लेकर उनके द्वारा पकड़ा भी जाऊं...तब भी मुझे गर्व ही होगा.....और उम्मीद है कि तुमको भी मुझ पर उतना ही गर्व होगा......वैसे मैने कोई देशद्रोह या जुर्म नही किया है.....सिर्फ रॉ के कुछ प्रोटोकॉल तोड़े है.....जिनकी सजा बस डिपार्टमेंटल इंक्वायरी एवं कुछ समय की कस्टडी ही होगी....."

ध्रुव की बात सुन कर जेनी बस मन्द मन्द मुस्कुरा दी.....और उसकी इसी मुस्कुराहट ने ध्रुव को सहमति दे दी थी।
जेनी का यह अंदाज उसके एक आदर्श पत्नी होने के साथ साथ उच्चतम स्तर की देशभक्त होने का भी इशारा कर रहा था।

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फ़िनलैंड में इस समय रात के साढ़े दस बज चुके थे.....और भारतीय समय के अनुसार रात के ठीक 12 बजे.....

दिल्ली में रॉ के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉक्टर रघुराम देसाई का आर्मी कैट एरिया में स्थित आवास....

काफी देर से किसी उधनबेड में डूबे डॉक्टर देसाई करवटें पलटते हुए किसी तरह नींद के आगोश में अभी गए ही थे कि उनके सिरहाने रखे मोबाइल की रिंग ने उनकी नींद में व्यवधान डाल दिया।

आधी रात को रॉ के इस अधिकारी के फोन पर आया कॉल महत्वपूर्ण ही होगा इतना तो तय था।
डॉक्टर देसाई ने पास रखा चश्मा पहनते हुए मोबाइल की डिस्प्ले पर नजर डाली तो कॉलिंग पर प्राइवेट नम्बर का नोटिफिकेशन शो कर रहा था।

"हैलो........"

कॉल रिसीव करते ही डॉक्टर देसाई ने सामने वाले कि पहचान जाननी चाही।

"गुरुदेव"
कुछ सेकेंड्स की खामोशी के बाद एक चिरपरिचित सी आवाज उनके कानों को सुनाई पड़ी...
वह आवाज जिसको सुनने का इंतजार लम्बे अरसे से डॉक्टर देसाई कर रहे थे.......और आज उस आवाज से निकले बस एक शब्द ने ही उनकी सारी नींद गायब कर दी.....एक झटके से वह बेड़ से उठ खड़े हुए........बड़े ही आत्मीयता के साथ उन्होंने जबाब दिया "ध्रुव....अरसा हो गया यह शब्द सुने हुए...थैंक गॉड तुमने कांटेक्ट किया....."

दरअसल ध्रुव द्वारा डॉक्टर देसाई को अनऑफिशियल रूप से गुरुदेव कह कर ही पुकारा जाता था........अब इतने समय बाद अपने प्रिय शिष्य और बेस्ट कमांडो से बात करने की प्रसन्नता तो डॉक्टर देसाई को होनी भी भी लाजिमी थी।

"ध्रुव.... वी नीड यू......प्लीज कम बैक"

"यस सर.....आई विल बी देयर वैरी सून"

इसी के साथ फोन कट हो गया......डॉक्टर देसाई के चेहरे पर अब एक अलग ही किस्म की मुस्कुराहट थी, सब कुछ जल्द ही ठीक होने का अटूट विश्वास उनकी आंखों में साफ झलक रहा था.......।

अगले दिन सुबह फिनलैंड के हेलसिंकी से भारत आने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट नई दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड कर चुकी थी....

फ्लाइट से निकलने वाली भीड़ में से निकल कर आगे बढ़ता एक शानदार पर्सनालिटी वाला छह फीट का गोरा चिट्टा हैंडसम युवक अपने ड्रेसिंग सेंस और रेबोन के काले चश्मे में बेहद आकर्षक लग रहा था, और उसके साथ कदम से कदम मिला कर चल रही एक सुंदर,छरहरी काया,सुनहरे लम्बे बालो वाली यूरोपियन कन्या भी कम नही थी।

यह ध्रुव और जेनिफर ही थे,जिन्होंने अपने देश में अपने वास्तविक रूप में ही एंट्री की थी.....


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शाम को शहर के पांच सितारा होटल ताज के बाहर पार्किंग एरिया में एक सफेद रंग की मर्सिडीज कार ध्रुव का इंतजार कर रही थी....होटल से निकलकर जैसे ही ध्रुव और जेनिफर जैसे ही पार्किंग एरिया में प्रवेश किया उन्हें DL VK 0222 नम्बर वाली वह सफेद कार सामने ही खड़ी दिख गयी......रॉ अपने आगन्तुकों को पिकअप करने के लिए अधिकांशतः सफेद मर्सडीज कार का ही उपयोग करती है,शायद इसी वजह से ध्रुव ने तुरंत ही उसे पहचान कर पास पहुंच कर ड्राइविंग सीट पर बैठे शख्स को अपना कोड़ नेम 009 बताया......प्रतिक्रिया में उसने बड़ी ही आत्मीयता के साथ ध्रुव और जेनिफर का अभिवादन किया।

ध्रुव और जेनिफर को लेकर वह कार अब दिल्ली की सड़कों पर फर्राटे भर रही थी......
ध्रुव के चेहरे पर आज एक अलग ही खुशी झलक रही थी.....उसे इतने दिनों के बाद अपनी उस मातृभूमि पर वापस आने का मौका मिला था,जिसके लिए वह अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए सदैव तत्पर रहता है।

कार कुछ ही देर में रॉ के मुख्यालय में दाखिल हो चुकी थी.......कार की नम्बर प्लेट के साथ लगे बारकोड को पढ़कर मुख्यालय की प्रमुख इमारत के ऑटोमैटिक सिक्योरिटी सिस्टम ने स्वतः ही गेट खोल दिया ,और फिर वह कार अंदर प्रविष्ट हो गयी।

चंद समय बाद ही ध्रुव और जेनिफर मुख्यालय के उस बेहद सुरक्षित हॉल तक पहुंच चुके थे, जहां पर डॉक्टर देसाई बड़ी बेसब्री के साथ उनका इंतजार कर रहे थे.......

"गुरुदेव " डॉक्टर देसाई को अपने उसी पुराने चिरपरिचित अंदाज में सम्बोधित करते हुए ध्रुव उनके ठीक सामने आ गया.........डॉक्टर देसाई ने भी बिना देर किए उसको अपने गले लगा लिया...."ध्रुव ....माय सन"

प्डॉक्टर देसाई की आंखों के ठीक सामने चेहरे पर स्माइल लिए जेनी खड़ी थी.......
ध्रुव से मिलकर भावुक हो चुके डॉक्टर देसाई ने नम होती आंखों को पोछते हुए जेनी से उसके हालचाल पूंछे।

थोड़ी देर की खामोशी को जेनी ने तोड़ते हुए डॉक्टर देसाई को आभार जताते हुए कहा
"थैंक्स गॉड सर.....आपने हमें माफ कर दिया।"

डॉक्टर देसाई अपनी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करते उस से पहले ही ध्रुव बोल पड़ा....
"सर, आई रियली मिस यू एंड रॉ आल्सो"

"ध्रुव.....यू आर अवर बेस्ट कमांडो... रॉ ने भी तुमको भी बहुत किया है।"

और फिर ध्रुव ने डॉक्टर देसाई से जब उस इमरजेंसी के बारे में जानना चाहे,तो वह गम्भीर हो गए........और फिर उन्होंने विस्तृत रूप से चाइना की इस घातक काली करतूत के बारे में ध्रुव को बताया।


संकट सच में बहुत बड़ा था.....पर शायद सुपर एजेंट ध्रुव के इरादे और जज्बा उस से भी कहीं ज्यादा बड़ा था.....तभी तो अपने देश के लिए रचे गए इस चक्रव्यूह के बारे में सुन कर उसका खून खौल गया .......अक्सर शांत रहने वाले ध्रुव का चेहरा इस वक्त तमतमाया हुआ था....गुस्से से मुठ्ठियां भींचते हुए सुर्ख लाल हो चुकी आखों से लावा उगलते हुए वह किसी शेर की भांति दहाड़ा

"गुरुदेव.....यह देश नही मेरी आत्मा है.....इसकी ओर नापाक इरादों से बढ़ते हुए कदमों को मैं उखाड़ फेंकूँगा.....जिस मिट्टी में पैदा हुआ मैं उसी की सौगन्ध लेता हूँ......उनके घर मे घुस कर यह चक्रव्यूह भी तोड़ूंगा......और उन षडयंत्रकारियो के इरादों के साथ साथ तोड़ डालूंगा उनकी सांसो की डोर भी.......
मेरे जिस्म के खून का आखिरी कतरा भी भारत के लिए उस वक्त तक लड़ेगा,जब तक कि मेरा देश सुरक्षित नही हो जाता "

देश के दुश्मनों के विरुद्ध जंग का एलान कर चुके ध्रुव के चेहरे को बड़े ही विश्वास के साथ देख रहे वहां मौजूद डॉक्टर देसाई और जेनिफर दोनो ही यह बात भलीभांति जानते थे.....कि ध्रुव की जुबां से निकले एक एक जज्बाती शब्द को वह हर हाल में पूरा होकर ही रहता था......या तो उस पर कोई दैवीय कृपा थी,या फिर उसकी दृढ़ इच्छा शक्ति और जज्बे का अनूठा परिणाम।

.......कहानी जारी रहेगी......