009 SUPER AGENT DHRUVA - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

009 सुपर एजेंट ध्रुव (ऑपरेशन वुहान) - भाग 8

प्रोफेसर सीवांग की स्थिति अब सामान्य थी,ब्लड प्रेशर बढ़ने के कारण अक्सर प्रोफेसर को इस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता था....,ध्रुव द्वारा फर्स्ट एड बॉक्स में रखी दवा खिलाने से प्रोफेसर का स्वास्थ्य अब सही हो चुका था....प्रोफेसर सीवांग ने अपनी अधूरी बात जारी रखी....
"वह रात लगभग दस बजे का समय था जब टिम ली ने मेरे दरवाजे की डोर बेल बजाई, वह स्वंय को ठगा हुआ महसूस कर रहा था, उसे अहसास हो चुका था कि उसका निर्णय गलत था, हमारे देश की गवर्नमेंट ने उसकी योग्यता का इस्तेमाल एक अनैतिक कार्य के लिए किया था,यह बात उसे खाये जा रही थी, हड़बड़ी में उसने एक मैगजीन को इस सब से जुड़ा हुआ एक आर्टिकल दे दिया था,जो कि उसी दिन पब्लिश हुआ था....इस आर्टिकल के पब्लिश होते ही हमारी सरकार की नीतियों पर एक बड़े तबके वाली अमन पसन्द चाइनीज जनता द्वारा सवाल उठाए जाने लगे, ऐसे में टिम ली को डर था कि सरकार उसके विरुद्ध किसी भी प्रकार की निषेधात्मक कार्यवाही कर सकती है......उस रात उसने मुझे इस वायरस से जुड़े हुए कुछ राज भी बताए......उसने बताया कि वायरस पर शोध के दौरान वुहान लैब में कुछ भी ले जाने अथवा वहाँ से लेकर आने की अनुमति नही होती थी ,अतः उसने वायरस के एंटीडोट के फार्मूले की एक सॉफ्टकॉपी पेनड्राइव में स्टोर करके 'वुहान लैब' में स्थित लाइब्रेरी में कहीं छिपा कर रख दी है, चूंकि यह प्रोजेक्ट बेहद सेंसटिव था,इसलिए इस से जुड़े हुए किसी भी साइंटिस्ट का अगले दो वर्ष तक उस लैब में जाना पूर्णतः प्रतिबंधित था, इस कारण टिम ली अपने घर पर ही पुनः एंटीडोट बनाने का प्रयास कर रहा था.....पर उसी दौरान वह अचानक से गायब हो गया.....आज तक कोई पता नही चला उसका......हमारे देश की एजेंसियों के हाथों या तो उसे दर्दनाक मौत दी गयी होगी या फिर किसी अंधेरी जेल में पड़ा हुआ अपनी उम्र काट रहा होगा।" प्रोफेसर सीवांग ने अपनी बात को विराम दिया।

"हम्म.....मतलब यह है कि यदि अब उस वायरस की एंटीडोट चाहिए तो वुहान लैब जा कर लाइब्रेरी में टिम ली के द्वारा छिपा कर रखी हुई पेनड्राइव को खोजना होगा।" ध्रुव बड़बड़ाया

"हां सुपर एजेंट ध्रुव....उसके अलावा और कोई चारा नही.....पर उस लैब में प्रवेश करना भी नाकों चने चबाने जैसा है.....जबरदस्त सिक्योरिटी लगा रखी है चाइनीज गवर्नमेंट ने लैब में"-प्रोफेसर ने ध्रुव को चेताया।

ध्रुव तो बस कैसे भी लैब में जाकर वह फार्मूला हासिल करना चाहता था "पर कोई दूसरा चारा भी तो नही प्रोफेसर......आप तो बस अंदर जाने की कोई तरकीब बताइए....भले ही वह कितनी भी कठिन हो....मैं जाऊंगा ।"

थोड़ी देर सोचने के बाद प्रोफेसर ने जबाब दिया

"एक रास्ता हैं......'वुहान डेवलपमेंट ऑथोरिटी'...यानि वीडीए.....लगभग सौ एकड़ में फैली वुहान लैब का निर्माण शहर की गवर्नमेंट बॉडी वीडीए द्वारा किया गया था,वहां का सिक्योरिटी सिस्टम भी वीडीए ने ही डिजाइन किया है,अगर किसी तरह वीडीए के कम्प्यूटर सर्वर में एक्सेस कर लिया जाए,तो तुम सर्वर में उपलब्ध लैब के डिजिटल नक्शो के माध्यम से आसानी से लैब कैम्पस की संरचना को समझ सकते हो......बस इस से ज्यादा मैं तुम्हारी कोई मदद नही कर सकता सुपर एजेंट,आगे का रास्ता तुमको ही तय करना पड़ेगा"

प्रोफेसर सीवांग से मिलने के बाद ध्रुव को 'ऑपरेशन वुहान' प्रारम्भ करने के लिए कम से कम एक दिशा तो मिल ही गयी थी।

"प्रोफेसर, इतना काफी है ,आगे का रास्ता मैं स्वयं बना लूंगा......,आप एक सच्चे इंसान है,इंसानियत को बचाने के इस युध्द में योगदान देने के लिए शुक्रिया......उम्मीद है दोबारा मिलना होगा आपसे"

ध्रुव ने प्रोफेसर से विदा ली....तो प्रोफेसर ने अलविदा कहने के साथ साथ ध्रुव की मदद के लिए एक और संकेत दे डाला।

"अलविदा सुपर एजेंट......और हां......टिम ली को जॉन मिल्टन की पुस्तकें पढ़ना बेहद पसंद था,उसकी फ़ेवरेट पुस्तक 'पैराडाइज लास्ट' थी।"

जबाब में ध्रुव ने भी कृतज्ञता जाहिर की......और फिर नेईलांग के साथ आगे की रणनीति की तैयारी के लिए निकल पड़ा वापिस जिनयांग शहर की ओर ,जहाँ पर जेनिफर उसका इंतजार कर रही थी।
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उधर भारत में कैप्टन विराज के नेतृत्व में इंडियन आर्म्ड फोर्सेज चांग ली के उस गुप्त ठिकाने के प्रवेश द्वार तक पहुंच चुकी थी,जिसमें बैठ कर वह हिंदुस्तान को बर्बाद करने का यह मास्टर प्लान ऑपरेट कर रहा था।

टैंक की नाल से निकलते विस्फोटको ने उस तहखाने के सीक्रेट गेट को ध्वस्त कर ड़ाला।

सिर से पैर तक बुलेट प्रूफ ड्रेसेस और अत्याधुनिक शस्त्रों से सुसज्जित कमांडोज की टोलियां पोजीशन ले कर धड़धड़ाते हुए बेसमेंट में दाखिल हो गयी......बेसमेंट में चारो ओर अंधेरा छाया हुआ था, कमांडोज अपने सिर पर लगे हुए हेलमेट्स के टार्च की रोशनी में आगे बढ़ रहे थे......अंदर किसी भी प्रकार की इंसानी गतिविधि महसूस नही हो रही थी।
कुछ देर बेसमेंट के उस अंधेरे गलियारे में चलते रहने के बाद, कैप्टन विराज के और उसके सभी साथी कमांडोज उस बेसमेंट के मुख्य स्थल अर्थात एक बड़े से हॉल में खड़े थे......सुनसान पड़े हुए उस हॉल की लाइट्स ऑन थी, ढेर सारे कम्प्यूटर, तमाम आधुनिक उपकरण,गैजेट्स और एक कोने में बनी हुई एक बड़ी सी लैबोरेट्री......चांग ली के इस ठिकाने को देख कर कैप्टन विराज के साथ साथ वहां मौजूद हर शख्स भी दंग रह गया था.....
बेसमेंट का चप्पा चप्पा छान लेने के बाद भी कैप्टन विराज के हाथ कोई नही आया जबकि कुछ ही घण्टो पहले वहां एक बड़े मूवमेंट की पुष्टि सैटेलाइट्स द्वारा की गई थी ।

माजरा समझने के लिए बेहद गौर से चप्पे चप्पे का निरीक्षण कर रहे कैप्टन विराज के कानों में आसपास से आ रही किसी की उखड़ती सांसो की बेहद धीमी आवाज सुनाई पड़ी, सतर्कता के साथ आवाज वाली दिशा में बढ़ते हुए विराज एक कोने में बने हुए स्टोर रूम तक पहुंच गया........विराज के पीछे पीछे अन्य कमांडोज भी अपनी गन्स को स्टोर रूम के दरवाजे की ओर टारगेट करते हुए सामने खड़े थे......दरवाजा बाहर से बन्द था.…...अंदर से किसी के कराहने की बेहद मामूली सी आवाज सुनाई दे रही थी.......दरवाजे की कुंडी खोलते हुए जैसे ही विराज ने दरवाजा खोला......अंदर खून में लथपथ बुरी तरह घायल अवस्था में एक शख्स को पाया.......कमांडोज ने तुरंत ही उस शख्स को बाहर निकाला........ खून में सने होने के बावजूद उस शख्स के चेहरे पर जैसे ही विराज की नजरें पड़ी, बिना देर किए उसके मुंह से आश्चर्य के साथ निकला........"ओह नो.......फेमस न्यूक्लियर साइंटिस्ट प्रोफेसर अनन्त कुम्भलकर"

प्रोफ़ेसर की स्थिति बेहद नाजुक थी,उनके जिस्म गोलियों से छलनी हो चुका था,विराज के द्वारा उनके मुंह पर पानी छिड़क कर थोड़ा सा सामान्य करने की कोशिश की गई,पर अब देर हो चुकी थी.....प्रोफेसर की सांसे बस टूटने की कगार पर थी......अंतिम समय में टूटी फूटी जुबां में कुछ बताने की कोशिश जरूर की थी प्रोफेसर ने......

"क...कैप्टन.....उस कैमिकल की फ्यूजन इग्निशन प्रोसेस पूरी हो चुकी है.....व वो चांग ली अब त....तबाही मचा देगा....रोको उसे....वाटर पाइपलाइन के माध्यम से उसने साउथ के एक बड़े एरिया में वह कैमिकल फैला दिया है..धीरे धीरे अगले कु...कुछ दिनों में .इस एरिया में वायरस का प्रकोप फैल ज...जाएगा, अब...उसका नेक्स्ट टारगेट उत्तर भारत है......मा...फ़ करना मुझे मेरा प...रिवार उनके कब्जे में था.....म मैं देश द्रोही हूँ......यहां से निकलो..य ये जगह ब्लास्ट होने वाली है.....औ..र हां....तु..तुम्हारा ए..क अफसर उ...उनसे मिला है.…
"
प्रोफेसर कुम्भलकर द्वारा जो बताया गया वह सुन कर वहां आसपास मौजूद आर्म्ड फोर्स का हर एक जवान सकते में आ गया......कैप्टन विराज ने प्रोफेसर से कुछ और जानकारी लेनी चाही.....
"व्हाट...... प्रोफेसर......कौन है वह.....क्या नाम है उस अफसर का? "

प्रोफेसर की जुबां अब लगभग साथ छोड़ ही चुकी थी......बस इतना ही बोल सके वह...."उ.....उसका न...ना.....म....."

इसी के साथ प्रोफेसर अब दम तोड़ चुके थे,उनके साथ ही उनके सीने में दफ़न हो गया देश के उस गद्दार का नाम भी,जिसके बारे में वह बताना चाह रहे थे।

अब तो बस अफसोस ही व्यक्त कर सकता था कैप्टन विराज "उफ्फ......प्रोफेसर......."

फिर अगले ही पल उसको याद आई प्रोफेसर द्वारा दी गयी एक और चेतावनी.....और वह सभी को अलर्ट करते हुए जोर से चीखा

"यह बेसमेंट ब्लास्ट होने वाला है......सभी बाहर निकलो.......फास्ट......फास्ट"

शायद प्रोफेसर द्वारा अंतिम समय में दी गयी उस चेतावनी ने सभी कमांडोज की जान बचा ली थी......गिरते पड़ते सभी बेसमेंट से बाहर निकले ही थे कि एक जोरदार धमाके ने सभी के कानों को सुन्न कर दिया था.....धमाके की आवाज इतना बताने के लिए ही पर्याप्त थी कि अगर वह थोड़ी सी भी देर और अंदर रुकते तो उनके जिस्म की हड्डियां तक भी राख में बदल गयी थी।

कैप्टन विराज के चेहरे पर एक बार पुनः क्रोध और दुख के मिश्रित भाव स्पष्ट दिखाई पड़ रहे थे, चांग ली एक बार फिर इंडियन आर्म्ड फोर्सर्स पर भारी पड़ता हुआ अपने दल बल और उस घातक कैमिकल की खेप सहित भारत की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए बड़े आराम से किसी दूसरे रास्ते से सुरक्षित बाहर निकल चुका था।

देश पर उमड़ रहे खतरे के घनघोर बादलों से अब मूसलाधार बारिश की शुरुआत मानों होने ही वाली थी।

.........कहानी जारी रहेगी.......