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गुमनाम दोस्ती

हम 4 दोस्त थे और बड़ी ही गहरी दोस्ती थी हमारी।
हाँ, मैंने कहा गहरी दोस्ती थी हमारी।
एक ऐसी दोस्ती जो खुद मे एक मिसाल हुआ करती थी, ऐसा नहीं है की आज नहीं हैं, पर अब शायद कहीं गुम गयी है, थम गयी है, या फिर कहीं ठहर गयी है ।
एक नजरिये से कह सकते है की सब अपने अपने कॅरिअर बनाने मे व्यस्त है, पर मेरे ख्याल से आप कितना भी व्यस्त क्यों ना हो, अगर आप वक़्त निकालना चाहते है, तो वो आप कर सकते है।
वो घंटो फोन पे बेवजह बतियाना, वो whatsapp पर 100- 150 massages हमेशा होना और अब सब उसके विपरीत सा हो गया है ।
वो अक्सर कैफे पर meet up रखना,
वो फिल्म ‘ये जवानी है दीवानी ' में होने वाले सारे मस्तियों को फिर से दोहराने की planning, वो लद्दाख, केदार, सिक्किम और भी अंगिनत जगहों पर जाने की planning,
अब सब कुछ, हाँ सब कुछ अब बस यादों के पन्नो में रह गए है।।
मैंने कहा था ना वो दोस्ती कहीं खो गयी है या फिर कहीं ठहर गई है।
हाँ बिल्कुल, वहीं ठहरी है जहाँ पर सबको Ego, गलतफेहमी और कुछ ज्यादा ही समझदारी से मुलाकात हुई थी । हालाँकि किसी रिश्ते को बर्बाद करने के लिए इतने reasons काफी होती है। ये ego भी कुछ खास कारणों से नही बस ऐसे चीजों के कारण आई है की दरार की कोई कारण ही नही बनती।
वो ego ऐसा था की जैसे अगर उसने मेरा फोन नहीं उठाया तो मैं फिर से उसे फोन नही करने वाला, मेरा massage ignore किया तो मैं भी उसका massage seen नही करने वाला।
एक वक़्त था, जब गलती से अगर फोन ना उठा पाओ तो अगली बार बदले में 10 गालियाँ सुनने को मिलती थी, पर अगर अब फोन कर दिया जाए तो पूछा जाता है ‘कैसे याद किये, कोई काम था क्या ??? '
पहले घंटो फोन पे बातें होती थी, कुछ भी कह दो तो कोई फर्क नही पड़ता, पर अब सब विपरीत है। अब कुछ कह दो तो फर्क पड़ जाता है, और कुछ ना कहो तो भी।
मैंने कहा था ना की अब सब मे कुछ ज्यादा ही समझदारियाँ आ गयी थी,तो अब सब वैसा नहीं था जो पहले जैसा था।
सच कहूँ तो ऐसा भी नहीं है की किसी ने दूरियों को कम करने का प्रयास नहीं किया हो।
प्रयास सबने किया था।
सबके तरीके अलग थे, सबके सलीके अलग थे।
कोई रूठता, तो कोई मनाता ।
कोई शांत रहता तो कोई बहुत हँसता।
अगर मैं आज ये सब लिख रहा हूँ तो शायद कुछ गलतियां हर किसी ने किया होगा, चूंकि आप जानते ही हो की ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती। उन सारी गलतियों और गलतफेहमियों को नजरंदाज ना करके अब हर कोई दोस्ती को ही नजरंदाज करने लगे है ।
और वो दोस्ती ही क्या जिसमे आपको कुछ कहने से पहले, कुछ करने से पहले 4 बार सोचना पड़े । हालांकि, दोस्ती मे पागलपन भी उतना ही ज़रूरी है, जितना ज़रूरी एक बच्चे के लिए उसका खिलौना क्योंकि यही हरकतें आपको अकेले वक़्त में हंसाती है। आगे सुनाने के लिए कहानी बनाती है।
वो कहते है न की अपने अंदर के बच्चे को हमेशा जिंदा रखना चाहिए, क्योंकि ज्यादा समझदारी जिंदगी को नीरस बना देती है।
और ये वही दोस्ती है, जो हमने कभी whatsapp पर इसका नाम friends forever रखा था, जो अब बस friends was ever हो कर रह चुका है।।।