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आर्यभट्ट हॉस्टल

आगरा के प्रसिद्ध सेंट मैरी कॉलेज के प्रशासनिक मीटिंग हॉल में एक महत्वपूर्ण मीटिंग जारी थी।

"हमारे पास कोई चारा नही है,इस बार विश्वविद्यालय की तरफ से कॉलेज को सौ सीटे अतिरिक्त दी गयी है,आप सभी जानते है कि हमारे वर्तमान संचालित होस्टल की क्षमता इतनी नही है,इसलिए हमें अपना पुराना बंद पड़ा होस्टल फिर से चालू करना ही पड़ेगा।"
कॉलेज के प्रबंधक पुरषोत्तम दास ने सभी सदस्यों के सामने अपना फैसला सुनाते हुए मीटिंग खत्म की।

हॉल के बाहर आते ही कॉलेज प्राचार्य दुबे जी उनके पीछे दौड़े आते है, और कहते है "सर! उस होस्टल को फिर से खोलना बहुत बड़ा खतरा है,एक बार पुनः विचार कीजिये आप।"

"दुबे जी प्लीज! उस घटना को 6 साल हो चुके है,और इस बारे में सारे स्टाफ में से सिर्फ आपको पता है,तो कृपया अब जिक्र मत कीजिये उसका,कल से एडमिशन शुरू हो रहे है, हमारे पास इतना समय भी नही है कि नए होस्टल की व्यवस्था कर सके।"
अपनी असमर्थता जाहिर करते हुए प्रबंधक महोदय तो चले गए पर दुबे जी के चेहरे पर चिंता की लकीरों के साथ एक अनजान सा डर साफ दिखाई दे रहा था।

कॉलेज में नए सत्र की शुरुआत हो चुकी थी ,बारहवीं के बाद अपनी आंखों में कुछ बनने के सपने लेकर आगरा एवं अन्य छोटे शहरों से बच्चे कॉलेज में एडमिशन ले चुके थे,

राज,अमन,सैम और लक्ष्य की दोस्ती भी कॉलेज के पहले दिन ही हो गयी थी,कारण था एक ही क्लास के एक ही सेक्शन में होना और सी ब्लॉक वाला आर्यभट्ट होस्टल ।

मतलब ये चारों उन चालीस लड़कों में शामिल थे जिनको एक ही होस्टल में रहने की व्यवस्था कॉलेज प्रशासन की तरफ से की गई थी।

कई एकड़ के कॉलेज कैम्पस में बने सभी गर्ल्स व बॉयज होस्टल की बिल्डिंग्स के नाम महान भारतीयों के नाम पर थे जैसे कौटिल्य,पाणिनि,धन्वन्तरि,आर्यभट्ट आदि ,

इन सबमें पिछले छह वर्षो से बंद पड़ा तीन मंजिला 'आर्यभट्ट' कैम्पस के बाहरी छोर के पास था,मतलब सबसे अलग।

होस्टल की दूसरी मंजिल पर राज और लक्ष्य एक कमरे में साथ रहते थे तो उसी के बगल वाले कमरे में में सैम और अमन।

पचास वर्ष के हट्टे कट्टे ,लहराती काली घनी मूंछो वाले अर्धवृद्ध गिरधारी लाल जी को होस्टल के गार्ड एवं वार्डन दोनों की ही जिम्मेदारी सौंपी गई थी,
जो कि फौज से रिटायर्ड थे एवं उन्हें स्पेशल तौर से 'आर्यभट्ट' के लिए ही नियुक्त किया गया था।

स्वयं अनुशासित रहने वाले गिरधारी लाल सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक सभी छात्रों ने होस्टल में अनुशासन का पूर्ण पालन करवाते।

गिरधारी लाल जी को कुत्तों से बड़ा लगाव था,बाहर घूमते आवारा कुत्तों के खाने का प्रबंध भी वह स्वयं ही करते थे यही वजह थी कि कुछ आवारा कुत्ते उनके पालतू हो चुके थे और होस्टल में अक्सर आ जाया करते थे।

स्कूल की कैद से कॉलेज की खुली दुनिया में अभी अभी आये बच्चे बड़े खुश थे,

शुरू में कुछ दिन ठीक चला फिर एक दिन हॉस्टल का एक छात्र सैंडी छत से चीखता हुआ नीचे आया,
वह काफी डरा हुआ था,जब सब ने कारण पूछा तो उसने अपनी आपबीती बतानी शुरू की ...

वह छत पर अकेले घूमते हुए कानो में इयरफोन लगाए आत्ममुग्ध हो कर गाने सुन रहा था,

तभी उसे लगा कि गाने के बीचोबीच किसी लड़के ने उसका नाम लेकर पुकारा हो....सैंडी...
पहले दो तीन बार तो उसे लगा कि शायद यह वहम हो ,फिर जब बार बार ऐसा हो रहा था तो इयरफोन निकाल कर चारो ओर देखा तो कोई नही था,

छत पर रखी पानी की टंकी के पास कुछ हिलता दिखा इसे तो उसने सोचा कि होस्टल के दोस्तो में से कोई मज़ाक कर रहा है,
वह टँकी के पास पहुँच कर चारो ओर चक्कर लगा कर देख ही रहा था कि पीछे से किसी ने कंधा थपथपाया... वह पीछे मुड़ा तो कोई भी नही था...बस वह डर गया।

"हा हा हा...सारे दिन भर हॉरर मूवीज देखेगा तो ऐसा ही होगा न।" अमन ने दांत निकालते हुए कहा।

"और क्या भाई,तेरे दिमाग मे बस वही सब भरा रहता है न इसलिए ऐसा महसूस हुआ तुमको... समझा....ये सब कम कर दे यार मूवीज वगैरह"
सैम ने भी समझाया।

जब वहां मौजूद ज्यादातर छात्रों ने भी इस घटना के पीछे यही वजह बताई तो सैंडी ने भी विश्वास कर लिया कि यह उसके दिमाग का वहम ही था,और यह बात वार्डन तक पहुंचे बिना ही दब गई।

दो दिन बाद रात के साढ़े बारह बजे लक्ष्य टेबल लैम्प की रोशनी में किताबो में खोया था,और राज सो चुका था।

हल्की सर्दी के इस मौसम में भी बाहर तेज बारिश हो रही थी,
तेज हवा से कमरे की खिड़की पर लगा पर्दा उड़ने की आवाज से लक्ष्य का ध्यान भंग हुआ,किताबो पर गढ़ी उसकी नजरे खिड़की की ओर चली गयी....एक साया हल्की रोशनी में बाहर बालकनी में नजर आया ,जो हाथ से कुछ इशारा लक्ष्य की ओर कर रहा था,शायद लक्ष्य को अपनी ओर बुला रहा था।

लक्ष्य बिना डरे दरवाजा खोल कर बाहर आया तो देखा लम्बी सी बालकनी में सन्नाटा पसरा था,दूर दूर तक कोई भी नही था।

बगल वाले अमन और सैम के कमरे में खिड़की से झांक कर देखा तो उनके कमरे की लाइट ऑन थी और दोनों ही गहरी नींद में सो रहे थे।

अचानक से उसे अपने ठीक पीछे किसी के खड़े होने का अहसास हुआ,वह तेजी से पलटा तो वहाँ कोई भी न था।

थोड़ा सा डरा हुआ लक्ष्य अपने कमरे में वापस गया दरवाजा बंद करके जैसे ही वापस घूमा,अचानक से बाहर तेज बिजली चमकी जिसकी खिड़की से आई रोशनी में उससे ठीक सटा हुआ एक भयानक चेहरे वाला कोई शख्स नजर आया,और लक्ष्य के पलक झपकते ही गायब गया।

सफेद पुतलियों वाली आंखे ,चेहरे पर खतरनाक मुस्कुराहट,माथे पर चोट के बहुत सारे निशान, मोटे व भद्दे होंठो से बाहर झांकते हुए दो नुकीले दांत और उन दांतो में लगा हुआ सुर्ख लाल रक्त ।

दो सेकेंड में ही उसका चेहरा लक्ष्य के दिलोदिमाग में उतर गया , और यही दो सेकेंड किसी के भी होश उड़ाने के लिए काफी थे।

लक्ष्य की चीख ने पास में सो रहे राज के साथ साथ सैम,अमन एवं अन्य लड़को को भी जगा दिया था।

गिरधारी लाल जी जब पहुँचे तो बालकनी और लक्ष्य के कमरे में होस्टल के लड़को की भीड़ लगी थी में और लक्ष्य अभी तक डर से थर थर कांप रहा था।

पूरी बात सुनकर उनको भी लगा कि यह लक्ष्य का वहम है,पर तभी सैंडी एवं कुछ अन्य लड़को ने भी अपने साथ हुई इस प्रकार की घटनाओं का जिक्र किया तो उनका माथा ठनका,

इसी बीच बालकनी में खड़े हुए सभी लड़के चीखते हुए कमरे के अंदर ही घुस आए,यह देख गिरधारी लाल जी हैरान थे,
पूंछने पर बताया कि धप्प की एक तेज आवाज के साथ एक कटा हुआ हाथ बालकनी में आ गिरा है।

बाहर जा कर देखा तो सच मे एक खून से सना हुआ हाथ पड़ा हुआ है, होस्टल के लड़के भयभीत हो कर चीख पुकार करने लगे।
अब माहौल बहुत डरावना हो चुका था,
होस्टल के सभी लड़को के एक कमरे में एकत्रित हो जाने से कमरा भी खचाखच भर चुका था
गिरधारी लाल सबको सांत्वना दे तो रहे थे पर स्वयं भी बहुत चिंतित थे,
उन्होंने कॉलेज प्रशासन एवं पुलिस को सूचना देने के लिए फोन निकाला पर नेटवर्क पूरी तरह गायब था,
सिर्फ उनके ही नही सभी लड़को के फोन से सिग्नल बिल्कुल ही गायब थे ,मानो किसी ने होस्टल में नेटवर्क जैमर लगा दिया हो।

टप्प... टप्प... टप्प... टप्प.....एक हरे रंग की रबर की गेंद दरवाजे के ठीक सामने बालकनी में बिना किसी भी सहारे के टप्पे खाती हुई उछल रही थी।

खटाक....की आवाज के साथ कांच के दरवाजे वाली खिड़की अचानक से खुल गयी और तेज हवा अंदर आने लगी।

अब शायद जो भी नकारात्मक शक्ति यहां थी,वह खुल कर तांडव मचाने के मूड में आ चुकी थी,
रात में इस होस्टल में मदद के लिए भी कोई नही आ सकता था।
गिरधारी लाल को अब तो एक ही रास्ता शेष दिखाई दिया ,बच्चों सहित यहां से निकल जाना।

सभी को इशारा करते हुए वह बाहर बालकनी से होते हुए नीचे की ओर भागे,
बालकनी में अब वो कटा हाथ नही था यह देख सबको आश्चर्य हुआ।

सभी बच्चे और गिरधारी लाल नीचे पहुंच चुके थे,पर होस्टल से बाहर निकलने का लोहे का मुख्य द्वार बंद था,सबके भरकस प्रयास के बाद भी उसे खोला न जा सका।

बिन मौसम बरसात अभी भी हो रही थी,लग रहा था कि जैसे सारे साल की बारिश एक ही रात में हो जाएगी।

तभी ऊपर से एक कुत्ते के जोर जोर से भौंकने की आवाज आई,
शायद कोई कुत्ता ऊपर ही रह गया था,
पर अगले ही पल यह आवाज जोर जोर से चिल्लाने में बदल गयी जैसे उस कुत्ते को किसी के द्वारा मारा जा रहा हो

गिरधारी लाल बच्चों की सुरक्षा के लिए अपनी दोनाली बंदूक साथ लाकर उनकी ढाल बनकर खड़े हो गए थे,पर वह भी जानते थे कि आत्माओ से निपटना हथियारों के बस की बात नही।

सीढ़ियों पर किसी के चलने की आवाज साफ आ रही थी,शायद कोई ऊपर से नीचे आ रहा हो।

सारे बच्चे डर से जोर जोर से चिल्लाते हुए बचाने की गुहार लगा रहे थे पर तेज बारिश के शोर में उनकी आवाज सिर्फ इसी होस्टल तक ही सीमित थी।

मेन गेट से चिपके खड़े सभी डरे सहमे बच्चे अब भगवान से उनको बचाने की प्रार्थना कर रहे थे।

गिरधारी लाल की बंदूक की नाल सीढ़ियों की तरफ ही थी,पद्चापो की आवाज अब रुक गयी थी।

"कौन है वहां?" बच्चों को रुकने का इशारा करते हुये गिरधारी लाल गन से शूट कर देने वाली पोजिशन लेकर सीढ़ियों की ओर बढे।

सीढ़ियों की तरफ से बड़ी मात्रा में खून बह रहा था,गहरा लाल एकदम ताजा खून।

गिरधारी लाल जैसे ही सीढ़ियों के करीब पहुँचे उनके पैरों तले जमीन खिसक गई,

सीढ़ियों पर एक घिनौना मुर्दा पालथी मार के बैठा हुआ था,
जिसके आधे जिस्म से मांस के लोथड़े लटक रहे थे तो शेष पर सिर्फ हड्डियों का ढांचा ही दिखाई दे रहा था,
उसकी गोदी में गिरधारी लाल का पसंदीदा भूरा कुत्ता जैकी था ,
जैकी के मृत शरीर को वह मुर्दा मुंह झुकाकर अपने नुकीले दांतो से खोद खोद कर खाने में मशगूल था,
जैकी के फट चुके पेट से बहता खून नीचे फैल रहा था, और उसमें से निकली आंते मुर्दे के हाथों में थी।

भय और गुस्से के मिश्रित परिणाम के रूप में गिरधारी लाल की बंदूक से निकली गोलियां मुर्दे को छेदती हुई निकल गईं।

पर वह मुर्दा बिना टस से मस हुए अभी भी पुर्ववत स्थिति में अपने भोजन का आनंद ले रहा था।

ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही .......किसी चुड़ैल की जोरदार हंसी की दूसरी ओर से आती तेज आवाज ने गिरधारी लाल को समझा दिया था कि यहां कोई आत्मा नही आत्माओ की पूरी टोली मौजूद है।

अगले ही पल खींसे निलकालते हुए मुर्दो की पूरी फौज ही बरामदे में बच्चों के चारो ओर मौजूद थी ,
ठहाकों की तेज आवाज निकाल निकाल कर वह सभी मुर्दे बच्चों को अपना भोजन समझ रहे थे।
आधे से ज्यादा बच्चे डर से बेहोश हो चुके थे,
पर तभी तेज आवाज में ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ऊँ नमो भगवते की आवाज से होस्टल गूंज उठा,
गिरधारी लाल ने पलट कर देखा तो सैम को इस मंत्र का जाप करते हुए पाया।

सैम यानी 'सोमननन्दन शास्त्री', उसके पिता एक बहुत बड़े तांत्रिक थे,
लोग उन्हें भूत भगाने वाले बाबा के रूप में जानते थे,
पिता के साथ रहते हुए थोड़ी बहुत विधा सैम ने भी सीख ली थी,
पर साथियों द्वारा मजाक न उड़ाया जाए इसलिए कभी उसने होस्टल या कॉलेज में इस बात का जिक्र नही किया था।

सैम मुर्दो के बीच खड़ा बिना डरे हुए आंखे बंद किये मन्त्रो का जाप कर रहा था,
और मुर्दे बिना पानी की मछली की तरह चीखते हुए छटपटा रहे थे।

थोड़ी देर में सब गायब हो चुके थे,मुर्दे ,खून,आवाजे।
बस पहले जैसा नही हुआ तो सिर्फ जैकी,उसकी खून से सनी लाश सामने पड़ी थी।
लोहे का बंद गेट खुल चुका था,
सबसे ज्यादा अचम्भा तो तब हुआ कि बाहर इतनी बारिश होने के बाद भी एक बूंद पानी नही था,
मतलब सब कुछ एक मायाजाल था।

सैम और उसके दोस्तो ने बेहोश हो गए अपने साथियों पर पानी छिड़का,जिस से वो होश में आ गए।

ठीक आधे घण्टे बाद रात के तीन बजे गिरधारी लाल और सभी बच्चे कॉलेज कैंपस में ही स्थित प्रिंसिपल दुबे जी के आवास पर थे।

आंखे मलते हुए दुबे जी ने दरवाजा खोला तो गिरधारी लाल की बंदूक को अपने सीने पर पाया।

फिर इस भूतिया आर्यभट्ट होस्टल की कहानी का विस्तार से पता चला।

"आठ साल पहले छोटे से सेंट मैरी कॉलेज का विस्तार किया जा रहा था,आसपास पड़ी सरकारी जमीन को प्रबंधक पुरूषोत्तम दास द्वारा कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के साथ मिलकर कौड़ियों के दाम पर कॉलेज ट्रस्ट के नाम खरीद ली थी।

जिस जगह आर्यभट्ट होस्टल है उस जगह एक प्राचीन कब्रिस्तान हुआ करता था,मुगल काल के दौरान आगरा सल्तनत में मौत की सजा पाए कैदियों को यही दफनाया जाता था।

छह साल पहले इसकी शुरुआत हुई,पहले ही साल इसमें पांच छात्रों और वार्डन की एक साथ रहस्यमय तरीके से मौत हो गई,
हम सबको छात्रों ने पूरे भूतिया हादसे के बारे में बताया था पर प्रबंधक पुरुषोत्तम को कॉलेज की बदनामी का डर था,
जांच कर रहे पुलिस अधिकारी को रिश्वत खिला कर इसको शॉर्टसर्किट से लगी आग से होने वाला हादसा दिख दिया गया और तभी से इस होस्टल में ताला डाल दिया गया था।

गुपचुप तरीके से कई बड़े तांत्रिकों को यहाँ लाया गया ,
पर उनके अनुसार इन आत्माओ को मंत्रोच्चारण से कुछ देर के लिए तो रोका जा सकता है,
पर हमेशा के लिए इनको शांत करने का एक ही उपाय है कि इस जगह को कभी भी आबाद न किया जाए ,बस।
पर मेरे लाख मना करने पर भी होस्टल को दोबारा आबाद कर दिया गया,जिसका परिणाम आज आप के सामने था।

गुस्साए हुए गिरधारी लाल एवं सभी छात्र प्रिंसिपल दुबे जी को लेके सुबह सुबह प्रबंधक पुरुषोत्तम दास के यहाँ पहुचे,पर यहां पहले से ही काफी भीड़ थी।

पता चला कि प्रबंधक महोदय की आज रात ही रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई, उनकी लाश छत से लटकती हुई पाई गई।

मामला साफ था आत्माओ ने उन्हें मुख्य दोषी मानकर बदला लिया था।

कॉलेज बोर्ड की मीटिंग में बहुमत के साथ दुबे जी को ही कॉलेज प्रबंधक चुना गया।

आर्यभट्ट होस्टल को अब हमेशा के लिए बंद किया जा चुका था,यह दूसरी दुनिया के लोगो का ठिकाना था जिन्हें किसी की दखलअंदाजी बिल्कुल भी पसन्द नही थी।

होस्टल के सभी डरे सहमे बच्चे सैम के द्वारा भरोसा दिलाने पर कुछ दिन में फिर से सामान्य हो गए,एवं फिर से मस्ती के साथ पढ़ाई वाली कॉलेज लाइफ में व्यस्त हो गए।

उन सबके रहने के लिए मात्र पन्द्रह दिनों में कॉलेज मैनेजमेंट ने एक नया होस्टल तैयार कर दिया था ,जिसका नाम रखा गया ' सोमनन्दन'।

(समाप्त)