Sath Zindgi Bhar ka - 15 books and stories free download online pdf in Hindi

साथ जिंदगी भर का - भाग 15

एकांश आस्था को बाहों मे लेकर सो गया .....

उसे उसके प्यार का अहसास हो गया था .... लेकिन आस्था .... उसका क्या ...

क्या उसे इतनी समज थी की वो प्यार मोहब्बत जैसे जज्बातों को समज पाये ..... नही ....

she was an innocent girl .... जिसके लिये प्यार का मतलब सिर्फ उसकी माँ थी ..

थी हा .... उसके दिल मे .... एकांश के लिये कुछ तो था ..... लेकिन ये कुछ क्या हे ....

ये उसके समज से परे था .... शायद अहसान ..... यही वजह तो जो उसे एकांश के करीब ला रही थी .....

कुँवरजी ने हमे आगे पढ़ने से नही रोका .... हमारी जरुरत का खयाल रखते हैं ..... इन्ही बातों की वजह से वो एकांश की रिस्पेक्ट करती थी ....

बहोत रिस्पेक्ट . और अब इसी सफर को तो एकांश को पार करना था ..

आस्था उसकी जिवनसाथी तो बन चुकी ..... लेकिन .... अब .... अब उसे हमसफर बनाना था ... उस रिस्पेक्ट की फीलिंग को थी .

मोहब्बत की फिल्लींग मे बदलना था . और ये सब करने के लिये करना था इन्तज़ार ....

आस्था के बड़े होने का .. उसका mature होने का .. मोहब्बत के खूबसूरत जज्बातों को समझने लायक होने का ......

एकांश ने डीसाइड कर लिया था .... जबतक आस्था खुद उसकी तरफ कदम नही बढाती तब तक वो खामोश रहेंगा ....

अपने जज्बातों को कभी भी उसपर नही दालेंगा ....

उसे उसकी जिंदगी एक नॉर्मल लडकी की तरह जीने का पुरा हक हे ...... और वो लाइफ वो जियेंगी .....

हमारी शादी कभी भी आस्था के प्रेजेंट और फ्यूचर मे कोई भी मरुकावट नही लायेगी ..

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एकांश की नींद जल्दी ही खुली .... या फिर ये कहें की वो पुरी रात सोया ही नही ....

आस्था मासूमी से उसकी बाहों में उसकी शर्ट पकडते हुये सोयी थी .... उफ्फ .... कितनी मासूमियत से भरा चेहरा हे

आपका आस्था . आज का दिन हमारा बहोत ही अच्छा गुजरेंगा .....

आपकी ये प्यारी सी सुरत देखकर हमारे दिन की शुरुवात जो हुयी हे ...

एकांश ने हल्के से अपनी लबो की मोहर उसके सर पर दे दी .... और उससे दूर हो गया .....

वो नही चहता था की आस्था उसे अपने इतने करीब देखकर कोई गलत मतलब निकाले ....

जो एक कदम उसने उसकी और बढ़ाया हे वो पीछे ले ..

एकांश रेडी होकर आ गया और अपने सामने लैपटॉप खोलकर बैठ गया ..

अपने सामने आस्था को मासूमी से सोता हुआ देख उसका बिल्कुल भी दिल नही था की वो काम करे .... !

फिर क्या .... जनाब काम छोड़कर बैठ गये आस्था का दिदार करते हुये . घड़ी मे सुबह के 5.30 बज रहे थे ..

आस्था की नींद खुली ..... अंजान जगह देख पहले तो वो घबरा गयी लेकिन अपने सामने एकांश को देख उस घबराहट की जगह मुसकान ने ले ली Good morning .... ठीक हे आप ....

एकांश ने नॉर्मल टोन मे कहा बट वही जानता था की आस्था को होश मे देख उसे कितनी खुशी हो रही है ....

दिल कर रहा है की उसे बाहों में भर ले ..

Good morning .... आस्था ने भी अपनी प्यारी से स्माइल के साथ कहा 5.30 बज गये .....

हमारी पूजा .... आस्था की नजरे घड़ी पर जाते ही उसने जोर से कहा और उठकर खड़ी हो गयी ....

अगले ही पल उसे चक्कर आने लगे मगर वो गिर पाती तभी तक एकांश ने उसका हाथ थाम लिया ....

उसे अच्छे से बिठाकर पानी का ग्लास उसकी और बढ़ा दिया

ठीक हे आप लिजिये पानी पीजिए .... एकांश.. ने उसके ओठो से पानी का ग्लास लगाया आप पानी क्यु नही पी रही .... आस्था को वैसा ही बैठा देख एकांश ने कहा हमने ब्रश नही किया .... और ना ही पूजा की हे ......

तब तक हम पानी नही पी सकते .....

आस्था का मासूमी भरा जवाब

वो इतना क्यूट सा फेस बनाते हुये कह रही थी की एकांश को गुस्सा आने से पहले ही चला गया ...

उसने गहरी सांस छोडी .... कल इतनी तबियत खराब होने के बाद भी उसने अपना व्रत नही तोड़ा ....

तो अब क्या पानी पियेंगी .. आप फ्रेश हो जाइये ....

हम दाईमाँ को भेजते हे .....

एकांश उसे बाथरूम तक ले आया .... और हा दरवाजा लॉक मत किजीये .....

लेकिन .. आस्था कुछ भी बोल पाती उससे पहले ही एकांश ने कहा हम बाहर जा रहे है ....

आपको अगर अंदर चक्कर आ गये तो ....

i cant take risk ..... दाईमाँ आ जायेंगी .. ओके .....

एकांश हम्म .... आस्था वही खडी रही .....

एकांश समझ गया और वो बाहर चला गया ....

दाईमाँ ने उसकी बैग लाकर उसे दी .

दाईमाँ .... आप पूजा की तयारी किजीये हम तयार होकर आते है ..

*****

आस्था नही आस्था .... कुँवारसा ने आपके साथ ही रुकने को कहा है ....

दाईमाँ दाईमाँ हम ठीक हे .... पहले ही पूजा के लिये लेट हुआ है ....

अगर आप यही रुकी रही तो और लेट होगा

आस्था ठीक है ... दाईमाँ बाहर चली गयी और आस्था अंदर ..... तयार होकर उन्ही के साथ वही हवेली में बने मंदिर में जाकर उसने पूजा की .....

उसने दाई माँ को प्रसाद दिया और खुद भी थोड़ा सा खाकर पानी पिया

दाईमाँ .... हम कुँवरजी को प्रसाद दे आये .. आस्था

जी बिल्कुल .... दाईमाँ सच है ..

कॉलर का फुल स्लिव का ड्रेस .... गीले खुले बाल ....

हाथ में पूजा की थाली .... और उसमे जलते दिये की रोशनी मे चमकता आस्था का मासूम चेहरा .....

एकांश बस उसे ही देखता रहा .... प्यार जैसी खुबसूरत और कोई फीलिंग नही होती .....

जो भी इस प्यार के चक्कर में पढ़ता हे ना बस वो उसमे ही उलझ कर रह जाता है .... हर रंग मे .... हर सुरत ने ..... हर साज मे .... हर शृंगार मे .... सादगी मे .... हमारा दिल्बर हमे बेहद खुबसूरत दिखाई देता है .... और बस .... उसमे ही खोने को दिल चाहता है ......

एकांश का भी वही हाल था .... इतना हँड्सम वो .... इतना सक्सेसफुल इतने बड़े एम्पायर का राजा ....

नजाने कितनी हसीन नजरे उसके दिदार के लिये तरसती थी .... लेकिन उसकी एक आम सी ..... मासूम सी ....

जो उसके नजरे .... सामने उसके नाखून बराबर भी नही थी ..... एक ऐसे लडकी मे उलझने को बेकरार थी . बस उसके चेहरे पर ही आकर थम जाती थी ......

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