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नवीन और नेहा

क़ाज़ी वाजिद‌ की कहानी - प्रेमकथा
चांदनी रात में अचानक चांद झील की सतह पर कमल के फूल की तरह खिल गया। मनोरम दृश्य था। चांद लग रहा था, जैसे बच्चा पालने में‌ और रंग बिरंगी पोशाक में परियां उसे देखने को उत्सुक।... यह परियां थी, पर्यटक, जिन्होंने शाह ब्रदर्स के फैशनेबल लिबास पहने हुए थे। ... अक्टूबर में नैनीताल में सैलानी अपनी मनपसंद चीजों के लिए धन खुलकर लुटाते हैं। इस धन का बड़ा हिस्सा शाह ब्रदर्स के पास चला जाता है । उनका यहां लेटेस्ट फैशन का शोरूम है।
शाह ब्रदर्स का बड़ा भाई संदीप शाह था। वह आधा पहाड़ी, आधा मैदानी, क़ाबिल और सभ्य था। हर बरसात के बाद वही, माल खरीदने मुंबई जाता रहता था। ...'नवीन, उसने अपने छोटे भाई से कहा, 'इस साल माल ख़रीदने तुम जाओगे। तुम वहां कुछ दिन घूम फिर सकते हो और थोड़ी तफरीह भी कर सकते हो।
उसके दो हफ्ते बाद एक व्यक्ति मुम्बई के मलाड इलाके में थोक की दुकान फैशन मार्ट में दाख़िल हुआ। वो गवाडीन का सूट पहने था जिस पर हीरे की स्कार्फ-पिन लगी हुई थी। ...दुकान के मालिक निझावन ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया‌। ... 'और नैनीताल में संदीप शाह साहब के क्या हाल हैं?' उसने कहा, 'इस साल उनकी जगह हम नवीन शाह साहब का स्वागत करते हैं।'
'बिल्कुल सही निशाना, 'नवीन शाह ने कहा, 'और यह जानने के लिए, मैं आपको कुमांयु में अपना चालिस एकड़ का फार्म दे सकता हूं कि आपने मुझे पहचान कैसे लिया?'
'मैं जानता था, 'निझावन ने खीसें निपोरते हुए कहा, जैसे मैं यह जानता हूं कि इस साल देश में अधिक बारिश हुई और यह भी जानता हूं कि इस साल शाह ब्रदर्स सूखे साल के दस हज़ार रुपये के बजाए इस शीत काल के मौसम में पंद्रह हजार रूपए के गाउन खरीदेंगे। लेकिन यह सब तो कल होगा। पहले तो मेरे निजी दफ्तर में चलकर एक कॉफी हो जाए, जिससे आपके मुंह में कुमाऊं की कॉफी का स्वाद जाता रहेगा।' ...दोपहर बीत चुकी थी और दिन का काम समाप्त हो चुका था। निझावन ने नवीन को आधी काफी पीते छोड़ा और अपने दफ्तर से निकलकर अपने बेटे के पास आया। बेटा जाने की तैयारी में था और एक आईने के सामने अपनी हीरे की टाई पिन ठीक कर रहा था।
निझावन ने बेटे से कहा, 'हैरी आज रात तुम्हें मि. नवीन को घुमाना- फिराना होगा। यह हमारे दस साल पुराने ग्राहक हैं। मि. संदीप जब भी आते थे, मैं उनके साथ खाली समय में शतरंज खेलता था। यह अच्छा है, लेकिन मि. नवीन जवान हैं और पहली बार मुंबई आए हैं। उनका मन बहलाव होना चाहिए।'
'बिल्कुल ठीक, 'हैरी ने अपनी पिन को कसतेे हुए कहा, 'मैं उन्हें ले जाऊंगा।...चांदनी रात में सी- बीच पर नए जोड़ों को बिकनी पहने आनंदित होता देख नवीन को लगा, उसने अपने जीवन के छत्तीस वर्ष धन कमाने मे व्यर्थ कर दिए।शादी का कीड़ा उसके दिमाग में कुलबुलाने लगा।
अगली सुबह दस बजे नवीन कारोबार के लिए तैयार होकर दुकान में पहुंचा। निझावन ने खुद उसकी आवभगत की। शाह ब्रदर्स अच्छे ग्राहक थे और नकद में अपनी छूट लेनी कभी नहीं छोड़ते थे। ... 'अरे हमारे इस छोटे से कस्बे के बारे में आपकी क्या राय बनी?' अपनी मूर्खता पूर्ण मसखरी मुस्कान के साथ निझावन ने पूछा।'
नवीन शाह ने कहा, 'कल आपका बेटा और मैं सी-बीच पर गए थे। आपके यहां जिंदगी रंगीन और रोमांचक है, हमारे यहां शालीन और नीरस है। दोनों के अलग-अलग लुत्फ हैं।'
निझावन उसे सूट के नमूने दिखाने ऊपर ले गया। ... 'मिस नेहा से कहो कि यहां आए।' उसने एक सेल्समैन से कहा। ... मिस नेहा आई और नवीन को पहली बार लगा कि रूमानियत और सौंदर्य की उजली आभा उस पर अवतरित हो रही है। वह हिप्नोटाइज़ सा खड़ा- का-खड़ा रह गया। उसकी फैली आंखें मिस नेहा पर जम गई। मिस नेहा ने उसे इस तरह टकटकी लगाए देखा तो थोड़ा शर्मा गई, जो उसकी आदत के विपरीत था।
फैशन मार्ट की अव्लल मॉडल थी मिस नेहा। घुंघराले बालों वाली नेहा को फैशन मार्ट में दो साल हो गए थे। वह अपने काम को बखूबी समझती थी। उसकी निगाह में चमक थी, लेकिन ठंडक भी थी। उसे ख़रीदारों की परख थी।
'अब मि. नवीन, 'निझावन ने कहा, 'मैं चाहता हूं आप लाइट शेड्स के इन प्रिंसेस गाउन को देखें। आपके यहां की आबोहवा में यह खूब चलेंगे। पहनिए मिस नेहा।'
और वह बेहतरीन मॉडल बड़ी तेजी से एक से बढ़कर एक पोशाक पहनकर दिखाती और फिर फुर्ती के साथ ड्रेसिंग रूम में जाकर उसे बदल कर दूसरी पहन आती। हर बार वह और भी गज़ब ढा रही थी। वह पूरे आत्म-विश्वास के साथ ख़रीदार के सामने खड़ी होती और वह अवाक-अचल खड़ा उसे ताकता ही रह जाता, जबकि निझावन बड़े मीठे शब्दों में उस अंदाज़ का बखान करता जा रहा था। मॉडल के चेहरे पर उसकी मंद-मंद, निर्पेक्ष पेशेवर मुस्कान थी, जैसे वह उकताहट या घृणा जैसे किसी भाव को छिपा रही हो।
नुमाइश खत्म हुई तो नवीन कुछ झिझकता सा दिखा। निझावन को थोडी चिंता हो गई कि उसका ग्राहक कहीं और माल देखने का विचार न कर ले। लेकिन नवीन तो मन-ही- मन नेहा से शादी के सपने देख रहा था।
'कोई जल्दी नहीं है' मि. नवीन, ' निझावन ने कहा, 'आज रात है, आपके पास सोचने के लिए। आपको इन दामों में ऐसा माल और कोई नहीं दे सकता। मुझे लग रहा है कि मुंबई में आप बोर हो रहे हैं, मि. नवीन। आपके जैसा नौजवान- सच है, आपको लड़कियों का साथ नहीं मिल पा रहा है। क्या आप एक अच्छी जवान लड़की को आज रात खाने पर ले जाना पसंद करेंगे? यह मिस नेहा बहुत अच्छी जवान लड़की है, यह आपको खुश रखेंगी।
'लेकिन यह तो मुझे जानती तक नहीं, ' नवीन ने चकित होते हुए कहा। वह तो मेरे बारे में कुछ भी नहीं जानती। क्या वह जाएगी? मैं उससे परिचित भी नहीं हूं।'
'क्या वह जाएगी?' निझावन ने भौहें ऊंची करके दोहराया बिल्कुल जाएगी, वह। मैं आपका परिचय कराता हूं।'
उसने मिस नेहा को ऊंची आवाज में बुलाया। ... मि. नवीन आज रात तुम्हारे साथ खाने पर जाना चाहेंगे। निझावन ने चलते-चलते कहा।
'क्यों नहीं, 'मुझे बहुत खुशी होगी।'
साढ़े सात बजे नवीन और नेहा, दोनों मिलाड केे एक रेस्टोरेंट में बैठे थे। वह काले रंग की एक सादी झीनी पोशाक पहने थी। ... नवीन ने बढ़िया खाने का आर्डर दे दिया। नेहा ने एक मोहक मुस्कान बिखेरी और वेटर से कहा, 'सुनो दो चाय ले आओ।' नवीन ने मेज़ पर आगे झुकते हुए कहा, 'सुनो नेहा, कई बरसों से जब खेतों में बसंत के फूल खिलते थे, तो मैं किसी के बारे में सोचा करता था, जिसे न तो मैंने कभी देखा था और न ही जिसके बारे में कभी सुना था। कल तुम्हें देखते ही मुझे लगा कि वह तुम हो। मैं कल घर वापस जा रहा हूं और तुम मेरे साथ चलोगी। मुझे यह पता है, क्योंकि जब तुमने पहली बार मुझे देखा, तभी मैंने तुम्हारी आंखों में इसे देख लिया था। एतराज़ करने की ज़रूरत नहीं है। रास्ते में मैंने तुम्हारे लिए यह छोटी सी भेंट चुनी थी।' लाल गुलाब और हीरे की अंगूठी उसकी ओर बढ़ा दी।
'हद से बाहर मत जाइए।' नेहा ने सख्त लहजे में कहा।
'मैं दस करोड़ का मालिक हूं।' नवीन बोला, 'मैं तुम्हारे लिए नैनीताल में सबसे बढ़िया घर बनवाऊंगा।'
'आपके पास अगर सौ करोड़ भी हो तो भी आप मुझे खरीद नहीं सकते खरीदार महोदय। पहली बार में तो आप मुझे दूसरों की तरह नहीं दिखे थे, लेकिन देखती हूं आप सब एक जैसे ही हैं। मैं गलत थी।' नेहा ने कहा। 'मुझसे यह उम्मीद की जाती है कि मैं आपके साथ खाने पर जाऊं और आपको खुश रखूं, ताकी आप बूढ़े निझावन का माल खरीदें, लेकिन मुझसे यह उम्मीद मत करें कि मैं आपके साथ नैनीताल जाऊंगी। लेकिन मुझे कहना पड़ेगा कि आपने एक मामले में उन सबको मात दे दी। वे तो अमूमन हीरों की बातें ही करते हैं मगर आप तो सचमुच हीरा लेकर आए। अब आप मुझे घर पहुंचाते हैं, या मैं पुलिस वाले को बुलाऊं।'
'चलिए।' नवीन उठ खड़ा हुआ। उसने अपनी जेब से रेशमी रूमाल निकाला और नम आंखो से मेज़ पर बिखरी पंखुड़ियां रुमाल में सजोकर रख लीं।
कार में नेहा ने नवीन से कहा, 'बिखरी पंखुड़ियां सजोने वाला सच्चा प्रेम करता है। एक बात और, अगर नेहा निष्ठुर न होती, तो बिक चुकी होती।'
'नेहा, मुझे तुम पर गर्व है।' नवीन ने कहा।उसने नेहा का हाथ पकड़ा और कहां दूसरा हाथ भी दो। उसने नेहा के दोनों हाथ चूमे। फिर कहा, 'सब कुछ मैं तुम पर और भाग्य पर छोड़ता हूं।'
नेहा की आंखों में उस पल तेज़ चमक थी। 'तो आपका यह मतलब था? क्या आप...'
नेहा घर पहुंच चुकी थी। उसने नवीन से कहा, 'मेरे साथ एक स्कूल टीचर रहती हैं, वही मेरी सब कुछ है। क्या आप उनके सामने यह सब कुछ कह सकते हैं, जो आपने मुझसे कहा?'
स्कूल टीचर ने जान- बूझकर नवीन से दिल दुखाने वाली बात कही। नवीन ने धैर्य से कहा, ' वही होता है, जो भाग्य में लिखा होता है।' स्कूल टीचर ने नवीन को अच्छी तरह से परख लिया और सगाई की सहमति दे दी। नेहा ने निझावन अंकल को फोन पर यह सब कुछ बताया। वह उसी समय सपरिवार आए। उनके आशीर्वाद से सगाई की रस्म अदा की गई। कुछ दिनों बाद हमारी शादी हुई, जिसमें भाई साहब, निझावन अंकल और टीचर आंटी ने जी भर के नृत्य किया।
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