Kile ka Rahashy - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

किले का रहस्य - भाग 5

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि जासूस सप्तरिषि मंडल ने किले में नर्तकियों और घुंघरूओं की आवाज के रहस्य का पता लगा लिया।

रात को जब वो महल की छत के कंगूरों पर अपनी दूरबीने सटाये

बैठे हुए थे तो उन्हें अरावली की श्रेणियों से कुछ वाहन आते दिखाई दिये।

अब आगे-

अमित --- देखो कुल चार गाड़ियां हैं जो इसी ओर आ रही

संजू और वो तीन गाड़ियां किले कि ओर आ रही हैं। -

अवंतिका --- एक गाड़ी उसी झोपड़ी के आगे रुक गई है। कुछ पेटियों को उतार कर झोपड़ी में रख रहे हैं।

रोहित झोपड़ी के आगे रखी गाड़ियों में से चार आदमी अवंतिका अरे जो गाड़ियां किले की तरफ आ रही थीं वो

किधर गई ।

अमित शायद किले के पीछे, चलो उस तरफ से चलकर देखते हैं।

अवंतिका -हां अपनी गाड़ियां उन्होने किले के पीछे की तरफ खड़ी कर दी हैं।

संजू अरेरेरे इन आदमियों के हाथों में बैग्स हैं और वो उनको लेकर अंदर जा रहे हैं।

अवंतिका --- अमित और संजू चलो हम तीनों उस तरफ बैठकर झोपड़ियों की निगरानी करते हैं, तुम चारो किले की ओर ध्यान लगाये रखना, देखना वो आदमी कितनी देर में वापिस आते हैं।

करीब एक घंटे तक वो चारो प्रीती नियति आशीष और रोहित

दूरबीनों में आंखे गढ़ाये बैठे रहे लेकिन अंदर गया कोई

आदमी वापिस आया ही नहीं।

उधर करीब एक घंटे बाद

अमित ---- देखो संजू देखो अवंतिका देखो देखो जो आदमी

किले के अंदर गये थे वो झोपड़ी में से बाहर निकल रहे हैं अवंतिका ---और उनके हाथ में बक्से भी हैं।

अमित ---- O.M.G साजिश, शायद कोई बहुत बड़ी बहुत गहरी साजिश

अवंतिका अमित रात कितनी काली है ना। रात के चार बज रहे हैं इस अंधियारी काली रात का फायदा उठा कर अब वो चारों

गाड़ियां वापिस अरावली की पहाड़ियों पर जा रही हैं।

अमित ने उन चारों को भी अपने पास बुला लिया।

अवंतिका - तुम चारों को कुछ विशेष बात दिखाई दी।

रोहित अपने माथे पर हाथ मारते हुए

हे भगवान पूरे एक घंटे हमने झक्क मारी पर शायद उन्हे तो किला ही निगल गया

अमित हंसते हुए

अरे बुद्ध किले ने नहीं निगला वो सब हमने झोपड़ियों में से निकलते देखे हैं।

आशीषO.M.G और तभी यह अफवाह जोर शोर से फैली हुई है कि जो रात को यहां किले में जाता है वह कभी वापिस नहीं आता।

प्रीती बुरा सा मुंह बनाकर

अफवाहों का गरमा गरम बाजार |||||

प्रीती की इस अदा पर सभी को हंसी आ जाती है

अमित झोपड़ी में - -वो सब तो चले गये, उनके किले में घुसकर झोपड़ी में

से निकलने की बखिया तो हम सुबह उधेड़ेंगे,

अभी थोड़ी नींद निकाल लेते हैं। बहुत थकान हो रही है।

अगले दिन सुबह जब उनकी आंख खुलती है तो 9 बज रहे होते हैं, वो सातों दो टुकड़ियों में पीछे की पगड़डियों से सरक

लेते हैं

बाहर आकर अपनी कारों में बैठकर होटल पहुंच जाते हैं।

अमित • शीघ्रता से वाश होकर हम डायरेक्ट लंच लेकर

12 बजे तक किले पर पहुंच जायेंगे।

अवंतिका --हां आज हमें किले को अंदर से खगालना है, शायद किले के गर्भ मे बहुत रहस्य छिपे पड़े हैं।

रोहित मोमबत्तियां टार्च और माचिस की जिम्मेदारी तुम्हारी है

ठीक 12 बजे वो सब किले के अंदर थे।

अवंतिका और अमित दोनों के खोपड़ों में टन टना टन जासूसी घंटियां बज रही थी, सभी किले के एक ओर पड़े पत्थरों पर बैठ कर प्लानिंग करने लगे।

अवंतिका हमने किले को गौर से तो देखा ही नही, -- जबकि सारे रहस्य ही इस किले में दफन हैं।

अमित - हां अवंतिका ।।।।। याद है जब हम पिछली बार गलियारे में घूम रहे थे तो हमें बहुत आगे जाकर दांये हाथ की

तरफ एक सुरंग सी दिखाई दी थी ।।

अवंतिका हा हां अमित उसमें बहुत अंधेरा होने के कारण हम अंदर नही जा पाये थे।

अमित - हाँ ।।।।। लेकिन आज उस अंधेरे से लड़ने के लिये हमारे

पास पूरी तैयारी है, आज हम उसमें अवश्य घुसेंगे ।

अवंतिका हा मैं अमित और रोहित उस सुरंग में घुसेंगे।

तुम चारों थोड़ी थोड़ी दूरी पर बाहर ही पसर कर बैठ जाना,
वैसे तो आजकल कौन किसकी परवाह करता है, फिर भी अगर कोई

पूछे तो कह देना, घूमते घूमते थक गये हैं इसलिये बैठ गये

हैं

प्रीती-पता नहीं क्यों मुझे तो डर सा लग रहा, कहीं आप पर कोई मुसीबत आ गई तो ।।।।।।।।

अमित डरो मत प्रभु पर विश्वास रखो, और यदि फिर भी हम किसी संकट में फंसे तो या तो तुम्हे मैसेज कर देंगे या फोन ।

कुछ समय बाद वो सब गलियारे में घूम रहे थे सुरंग को ढूंढ रहे थे।

करीब 15 मिनट चलने के बाद उन्हें दांयी तरफ वो सुरंग

दिखाई

दी उसमें अंधकार होने के कारण कोई भी घुमंतु उसमें नही जा रहा था। वो सातों काफी देर वहीं खड़े रहे जब उन्होने देखा कि आगे पीछे दूर दूर तक कोई नही है तो वो आश्वस्त होकर अमित, अवंतिका और रोहित अपने झोलों को सभालत हुए सुरंग में घुस गय।

सुरंग में घुप्प अंधेरा था और वो इतनी संकरी थी कि उन्हें एक के

पीछे एक होकर ही जाना पड़ रहा था।

तीनों ने एक दूसरे को एक हाथ से कस कर पकड़ रखा था और और दूसरे हाथ से दीवारों को टटोल टटोल कर वो आहिस्ता आहिस्ता आगे बढ़ रहे थे।

अमित सबसे आगे था फुसफुसाया रोहित अभी टार्च मत जलाना शायद रौशनी देखकर बाहर के कुछ लोग और भी आ जायेंगे और हम अपना काम नहीं कर पायेगे।

वो तीनों धधीरे धीरे कदम दर कदम रख कर चलते जा रहे

थे।

कोई पंद्रह मिनट चलने के बाद सुरंग फिर दांई ओर को मुड़ गई थी, वो तीनों भी सुरंग के साथ ही दांयी ओर मुड़ गये,

करीब फिर पंद्रह मिनट और चलने के बाद अमित ने कहा

रोहित अब जरा टार्च की रौशनी तो फेको रहित ने अब टार्च जला ली थी अब उन्हे एक दूसरे को पकड़ने की जरुरत नही थी,

वो थोड़ा रुके बंद सुरंग के कारण जी में घबराहट शुरु हो गई थी

वहीं बैठकर उन्होने कोल्ड ड्रिंक ली थोड़ी देर बाद उन्होने फिर चलना शुरु कर दिया।

अमित - हम आधे घंटे से इस सुरंग में चल रहे हैं इसका कोई दूसरा छोर ही नही मिल रहा।

अवंतिका - चलते रहो चलते रहो कभी तो मिलेगा ।

अब उन तीनों ने अपनी गति तेज कर दी थी।

सुरंग एकबार बांयी और दूसरी बार दांयी ओर घूम जाती थी।

ऐसे छह घुमाव आने के बाद करीब आधे घंटे ओर चलने के

बाद

आखिर सुरंग समाप्त हुई और उनके सामने था एक लंबा चौड़ा हॉल, अब उन तीनों ने ही अपनी टार्चे जला ली थी, वो
फटी फटी

आंखों से झॉल के चारों ओर टार्च की रोशनी धुमा रहे थे।

सामने की दीवार पर दृष्टि जाते ही वो तीनो भौचक्के और

अवाक्

रह गये।

ऐसा क्या देखा था उन्होंने सामने ." जानने के लिये बने रहियेगा अगले भाग में