Pyar ka Bukhar - 4 in Hindi Love Stories by बैरागी दिलीप दास books and stories PDF | प्यार का बुख़ार - 4

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प्यार का बुख़ार - 4


प्रतिक्षा ने आदित्य के दिल को जीत लिया था। उनकी मुलाक़ात के बाद से ही उनके बीते हुए दिन उन्हें एक नई ज़िंदगी जीने के लिए रंगीन कर रहे थे। रोमांटिक बातें और मीठी सी मुस्कान, ये सब उनके बीच गहराई से जुड़ रहा था। जैसे एक पुरानी कहानी का आगे का अध्याय शुरू हो रहा था।

एक शाम, जब आदित्य और प्रतिक्षा अपनी प्रेम भरी दुनिया में खोए हुए थे, उन्होंने एक पार्क में मिलने का निर्णय लिया। पार्क में पहुंचकर वे एक बैंच पर बैठे और आपस में बातचीत करने लगे। धूप उनकी त्वचा को स्पर्श कर रही थी, और हवा उनके बालों से खेल रही थी। वे दोनों एक-दूसरे के समीप होने का आनंद ले रहे थे।

आदित्य ने प्रतिक्षा के हाथ में एक गुलाब का फूल दिया और कहा, "तुम्हारे बिना, मेरी दुनिया बेईमान है। तुम मेरी ज़िंदगी को रंगीन बनाती हो।"

प्रतिक्षा ने गुलाब का फूल ध्यान से देखा और सचमुच आनंदित होकर बोली, "धन्यवाद, आदित्य! ये फूल मेरे लिए कितना सुंदर है। इसे देखकर मेरे दिल में प्यार का बुख़ार भर आया है।"

उनकी बातों में एक अजीब सा जोश था, जैसे वे दोनों इस प्यार के बुख़ार में एक नयी उचाईयों की ओर बढ़ रहे थे। दूरी भी उनके बीच की मुद्रा ले रही थी। परंतु वे दोनों एक-दूसरे के दिल को धड़कनो को महसूस कर सकते थे।

बातचीत के दौरान, उनकी आंखें एक-दूसरे की ओर टिकी रहीं। एक दूसरे की आवाज़ सुनकर, उनके दिलों में बस एक ही शब्द घुम रहा था - "प्यार"। यह प्यार उन्हें ख़ुशी की ऊँचाइयों तक ले जा रहा था।

वक्त बीतता रहा और आदित्य और प्रतिक्षा की मोहब्बत और गहराई में इज़ाफ़ा होता गया। वे दोनों एक-दूसरे को समझने लगे थे, एक-दूसरे के इशारों और भावों की भाषा समझने लगे थे। उनकी दुनिया अब बस एक दूसरे के आसपास घूम रही थी।

आदित्य ने प्रतिक्षा के होंठों पर एक प्यारी सी मुस्कान देखी और कहा, "तुम्हारी मुस्कान मेरे दिल को चुराती है। जब भी तुम मुस्काती हो, मेरा प्यार का बुख़ार और बढ़ जाता है।"

प्रतिक्षा ने प्यार भरी आंखों से आदित्य को देखा और कहा, "तुम्हारे साथ होकर, मेरी ज़िंदगी रंगीन हो गई है। तुम्हारा प्यार मेरे दिल को जीने की वजह बन गया है।"

दोनों एक-दूसरे के साथ बिना बोले भी कई बातें कह रहे थे। उनकी आंखों में इश्क़ की बारिश गिर रही थी। वे आपस में इस प्यार की भाषा में बातें कर रहे थे, जिसे केवल वे ही समझ सकते थे।

इस रंगीन इश्क की दुनिया में, उनका प्यार का बुख़ार और भी तेज हो रहा था। वे एक-दूसरे के प्यार में खोए हुए थे, और उनके बीच की ज़िंदगी में एक नई उमंग घुल रही थी।

जैसे ही सूरज जमीन से गले मिलता गया और रात की आँधी आई, आदित्य और प्रतिक्षा ने एक दूसरे को अलविदा कहा। दिलों में एक बार फिर ये उम्मीद भरी ख़ुशी हुई कि वे एक दूसरे से मिलने के लिए जल्द ही फिर मिलेंगे।

इस रंगीन इश्क के बाद, आदित्य और प्रतिक्षा को अपनी ज़िंदगी में एक नया सफ़र शुरू करना था। यह प्यार का बुख़ारी रोमांस उन्हें आगे बढ़ने की हिम्मत दे रहा था, और वे इस बुख़ार में खो जाने को तैयार थे।

समय चलता रहेगा, पर उनकी प्रेम कहानी का आगे का अध्याय हमेशा रंगीन और उत्कृष्ट रहेगा। आगे बढ़ते हुए, वे इस प्यार के बुख़ार में और भी खो जाएंगे, और एक दूसरे के प्यार के रंग में आपसी मोहब्बत का आनंद लेंगे।