Pyar ka Bukhar - 9 in Hindi Love Stories by बैरागी दिलीप दास books and stories PDF | प्यार का बुख़ार - 9

Featured Books
  • જૂનું અમદાવાદ

    *અમદાવાદનો અમારો ગાંધી રોડલેખક: *અશોક દવે**મને એટલું યાદ છે...

  • એક ષડયંત્ર.... - ભાગ 50

    (માનવ સિયાને સોના જેવું બનાવે છે, ઉદાહરણ આપી સમજાવે છે. સિયા...

  • ભાગવત રહસ્ય - 4

    ભાગવત રહસ્ય-૪   સચ્ચિદાનંદરૂપાય વિશ્વોત્પત્યાદિહેતવે I તાપત્...

  • સચિન તેંડુલકર

    મૂછનો દોરો ફુટ્યો ન હતો ને મૂછે તાવ દેવો પડે એવા સોલીડ સપાટા...

  • જોશ - ભાગ 1

    Kanu Bhagdev ૧ : ભય, ખોફ, ડર... ! રાત્રિના શાંત, સૂમસામ વાતા...

Categories
Share

प्यार का बुख़ार - 9

मुकुल और विद्या के प्यार की कहानी को एक दरार ने झूठा फ़ोटो दिखाया । यह फ़ोटो उन दोनों की खुशी का पल था, जो उन्हें मिलने के बाद गुजरा था। मुकुल ने विद्या को सच्चा प्यार दिया था, और विद्या ने भी उससे अपना सब कुछ साझा किया था। परंतु इस फ़ोटो ने इन जीवनसाथियों के बीच प्यार के माहौल को गरमा दिया और अंजाना सा राज़ खोल दिया। वे जानने के लिए उत्सुक थे कि इस फ़ोटो को कौन और क्यों हम तक ले आया? क्या इसमें हम दोनों ही हैं? हमने ऐसा कैसे किया? किसकी हमारे प्यार को नजर लग गई? दोनों के मन में ऐसे अनगिनत अनसुलझे सवाल उबाल रेट ले रहे थे।

मुकुल ने अपने दोस्त राहुल को यह सब बताया और उन्होंने साथ मिलकर इसे गहराई से खोजने का फ़ैसला किया। राहुल राजनीतिक दायरे में काम करने वाले थे और उनका नेटवर्क खुबसुरत ख़बरों की छाप रहता था। उन्होंने कुछ सूत्रों के जरिए जानकारी प्राप्त की कि फ़ोटो का झूठ इक राजनीतिक दल द्वारा फैलाया गया है।

इस साजिश के पीछे एक प्रतिद्वंद्वी दल था, जो मुकुल के बढ़ते हुए प्रेम को रोकने के लिए तैयार था। इस दल का नेता राजा वर्मा था, जो एक कायर और दोगले राजनेता थे। उन्हें विद्या की प्रभावशाली वक्ता और शानदार परिचय से जलन होती थी। उनका यह अंधाधुंध प्रेम उन्हें राज्य के शासन पर ख़तरा महसूस करवा रहा था।

एक शाम, विद्या और मुकुल एक रोमांचक बाग में घूम रहे थे, जहां फूलों की खुशबू भरी थी और प्रकृति का मेल जोल दिखाई देता था। वे एक-दूसरे के साथ अपनी ख़ुशियाँ साझा कर रहे थे, जब एक रोमांचक गाना बजने लगा। उन्होंने एक-दूसरे के आँखों में देखा और वह गाना उनके दिलों में आग लगा गया। उन दोनों के बीच भी जो घटनाकम हो रहा था उसके कारण बहुत दूरियां आ गई थी उसके बावजूद ,उन्होंने एक-दूसरे पर पूरा विश्वास किया था।

परंतु उनके प्यार की परीक्षा जल्द आने वाली थी। एक दिन, विद्या के घर पर एक आयोजन था, जिसमें उनके दोस्त और परिवार जन सभी मौजूद थे। मुकुल ने भी इस अवसर पर उनके साथ वक़्त बिताने का निर्णय किया। उन्होंने विद्या को खास उपहार भी दिया, जिसमें एक सुंदर सा गहना था।

पार्टी के दौरान, राजा वर्मा के एक साथी ने चालाकी से विद्या के दोस्तों को बहका दिया। उन्होंने दोस्तों को दिखाई देने वाले फ़ोटो को अपने स्मार्टफ़ोन से भी फ़ोटोग्राफ कर लिया। फिर उन्होंने उस फ़ोटो को मुकुल के सामने रख दिया। मुकुल को फ़ोटो देखकर झटका लगा, क्योंकि वह फ़ोटो उसी वक़्त की थी, जब उन्होंने विद्या के साथ समय बिताया था। यह झूठ फ़ोटो उन्हें भ्रमित कर रहा था।

मुकुल की आँखों में आंसू आ गए। वह विद्या की तरफ़ देखता रहा, और उन्हें सब सच्चाई हड़बड़ी से बताने की कोशिश की। परंतु राजा वर्मा के साथी ने उनके पास आकर उन्हें रोक लिया। राजा वर्मा ने मुकुल के सामने खड़े होकर विद्या की दुश्मनी और उसके प्रेम की उड़ान के बारे में बातें की। उसने विद्या को धोखा देने और मुकुल को उसके दिल से दूर करने का प्लान रचा था।

मुकुल की आंखों में तेज़ आग जल रही थी। वह विद्या से मिलने को तैयार था, लेकिन राजनीतिक दल के ख़तरे के कारण उसे यह भ्रम हो गया था कि विद्या ने उससे धोखा किया था।

परंतु विद्या अपने प्यार के विश्वासघात का सामना करते हुए मुकुल के पास आई और उसे सब सच्चाई बताई। वह राजा वर्मा की साजिश का पर्दाफाश करते हुए उसके साथ एक साथ काम करने का निर्णय लिया।

विश्वासघात की साजिश का पर्दाफाश होने से राजा वर्मा का दल बिखर गया। मुकुल और विद्या के प्यार की विजयी यात्रा आगे बढ़ी। इन घटित घटनाओं ने उन्हें और अधिक क़रीब ला दिया।

इस प्रेम की कहानी में भ्रमरों और विश्वासघात की साजिशों से भरी यह जंग उन्हें एक-दूसरे से और भी ज़्यादा प्यार करने के लिए मजबूर कर देगी। इन अमेज़िंग पलों और जंगों से भरी इस कहानी में प्रेम का सफर है, जो दिलों को छू जाएगा और रुहानी रिश्तों की महत्वपूर्णता को अंजाम देगा।