Sath Zindgi Bhar ka - 23 books and stories free download online pdf in Hindi

साथ जिंदगी भर का - भाग 23

नहीं मां गलती हमारी थी कहां हम सुबह के लिए आपको मनाने आए थे और मनाना छोड़ कर और चुराने लगे रूद्र में सर झुका कर कहा चुप रहिए

आप कुछ मत बोलिए सब हमारी ही गलती है मां आप रूद्र दा को मत डालिए ना पर दादासा प्लीज उन्हें भी हमारे साथ आने दीजिए

आस्था ने इतना प्यार से कहा कि वह मना नहीं कर पाए थैंक यू भाभी सा यू आर द बेस्ट चलिए भाई साहब रूद्र ने एक्साइटमेंट में कहा किधर आप हमारे साथ नहीं आ रहे हैं

आस्था अभी तो आपने परमिशन ली है और अब मना कर रहे हैं भाभीसा दो दो वह तो हम आपको डांट खाते हुए नहीं देख सकते थे

इसलिए और हां सिर्फ हम हमारे कुंवर जी के साथ जाएंगे और कोई नहीं समझे आप आस्था ने उसे एटीट्यूट में कहा लेकिन

रूद्र कुछ बोल पाता उससे पहले ही आस्था ने कहा लेकिन आपने पास रखिए हम तो चले हमारे कुंवर जी के साथ चले कुंवर जी आस्था एकांश का हाथ थाम ते हुए कहा और दोनों गाड़ी की ओर बढ़ गए

आस्था अभी भी पीछे देख कर उसे चिड़ा रही थी और सब मुस्कुरा रहे थे उनके बीच के यह प्यार से रिश्ते पर उनकी अंडरस्टैंडिंग पर और उनके बीच की केयर पर

एकांश ने आस्था का एडमिशन शहर के बेस्ट कॉलेज में करवाया था आस्था ने इंट्रोवर्ट नेचर की वजह से उसने आज उसने अपने आश्रम में कई 1 लड़कियां साक्षी का एडमिशन भी करवा दिया था

और उसे आस्था के साथ दोस्ती करने को कहा कॉलेज में भी आस्था और रिचा से दोस्ती हो गई ज्यादातर

यह तीनों हमेशा साथ ही रहती आस्था ने होशियारी की वजह से वह एक प्रोफेसर और दूसरा टीचर स्टाफ उससे बहुत इंप्रेस था आस्था की बढ़ती उम्र के साथ वह वाली फीलिंग आने लगी थी

अब यह बढ़ती उम्र असर कहिए या फ्रेंड्स के साथ होने वाले टॉक का असर लेकिन आस्था अपने कुंवर जी को उस नजर से देखना स्टार्ट कर रही थी

पहले जहां वह बिना झिझक अकाश की बाहों में चली जाती थी अब वही ऐसा करने से उसे शर्म आने लगी थी एकांश के करीब बैठने से उसे भी उसका दिल जोरों से धड़क था

एकांश को भी उस में होने वाले चेंजर्स समझ आ रहे थे जब वह शर्म आती तब एकांश को बहुत अच्छा लगता लेकिन इसी शर्म की वजह से वह उससे दूर दूर रहने लगी

जो बिल्कुल भी मंजूर नहीं था लेकिन वह कुछ कर भी तो नहीं सकता था देखते ही देखते और कुछ दिन बीत गए आस्था के सेमेस्टर एग्जाम समाप्त होने वाले थे

और इसमें भी उसने टॉप किया था इस बीच समय में अकाउंट आस्था का रिश्ता जहां गहरा हो चुका था वही रूद्र आस्था की मस्ती भ बढ़ चुकी थी

एक दूसरे को चढ़ाएं बिना उनका दिन ही नहीं पूरा होता था सभी घरवालों से भी उनका बां काफी हद तक अच्छा हो चुका था मगर बड़े पापा और हर्ष और स्वप्न से वह दूर ही रहती थी आकाश और अजय से भी उसकी कभी-कभी बात हो जाती थी

लेकिन फिर भी आदमियों को लेकर उसके दिल में जो डर था वह अभी भी बेकरार था

एकांश का काम बहुत ही बढ़ गया था कुछ दिनों से उन दोनों को बहुत कम वक्त एक दूसरे के साथ मिल रहा था

जिससे काम चिड़चिड़ा तो हो ही रहा था मगर आस्था का दिल भी किसी काम में नहीं लग रहा था वह सिर्फ हमने तो आज कुंवर जी के कपड़े निकाल कर रखे ही नहीं आता एक काम ठीक से नहीं हो रहा है

आपसे अभी जाकर निकालते हैं वह अभी तक बाथरूम में ही होंगे आता ने कहा और एकांश कम के कमरे में चली गई कौन सी वाली निकाले ब्लैक नहीं

हमें फिर से डांट नहीं खानी फिर कौन सी वाली वाइट मैं पहले ही वह गोरे हैं और वाइट शर्ट अच्छी दिखेगी लेकिन नहीं फिर यह रेड बहुत डार्क है

purple yellow कुछ समझ नहीं आ रहा है क्या करें अब आस्था ने अपनी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए आसमानी कलर की शर्ट निकाल दी

और उस पर ब्लैक ट्राउजर एंड ब्लैक कोट ब्लैक तो उन्हें पहनना की है फिर उनकी मर्जी हो या ना हो आस्था खुद से ही बढ़ बढ़ाई जा रही थी

और उसकी यह बातें एकांश कब से सुन रहा था आसमानी कलर का अनारकली ड्रेस वन साइड रिलीज हुई ओढ़नी खुले गिले लंबे बाल चेहरे पर फ्रेशनेस और बातें करते वक्त आने वाले क्यूट एक्सप्रेशन एकांश पूरी तरह से हैंग हो चुका था

और बस आस्था का दीदार करने में लगा हुआ था जवानी की चौखट पर वह कदम रख रही थी

उम्र के साथ-साथ उसके शरीर में भी बदलाव हो रहा था उसके फिटिंग ड्रेस में से देखते हुए वह परफेक्ट कर्व बेहद दिलकश थे

किसी मुंह से बंद है वह कब आस्था के करीब आ गया उसे पता ही नहीं चला

वह बस दो कदम की दूरी पर था आस्था के तंद्रा टूटी एकांश के शावर जेल की खुशबू खुशबू से वह अपनी ही धुन में पलटी और एकांश को अपने करीब पाकर चौक गई

एकांश बाथरूम में से सिर्फ टॉवल लपेटे हुए बाहर आया था उसकी वह वेल मेंटेंड बॉडी ऐप्स देखकर आस्था हिप्नोटाइज हो गई

जहां एकांश की नजर सिर्फ आस्था के चेहरे पर थी वहीं आस्था की नजर एकांश के बॉडी को नाप रही थी

किसी आवाज से एकांश होश में आया लेकिन आस्था भी वैसे ही थी आस्था को उसे छूने का मोह संभाल नहीं पाई और उसके हाथ एकांश के सीने पर जा कर रुक गए

एकांश के बदन में मानो हजारों हलचल दौड़ गई

आस्था के हाथ वैसे ही मुझे आने लगे और एकांश क बने एप्स के करो पर घूमने लगे एकांश की आंखें बंद होने लगी

आस्था की छूवन उसे मदहोश कर रही थी उसने किसी तरह अपने आप को संभाला आस्था आप एकांश आगे कुछ बोल ही नहीं पाया

आस्था भी जैसे नींद से जागे हो ऐसे होश में आई और हड़बड़ा कर इधर-उधर देखने लगी शर्म के मारे उसने अपनी गर्दन झुका ली

और जल्द से बाहर की ओर जाने लगी गड़बड़ में वह गिर ही रही थी

तब तक एकांश ने उसकी कमर से पकड़ कर उसे संभाला और वैसे ही दोनों कब से लगे जा रहे थे दोनों के बीच की दूरी ना के बराबर थी आस्था की सासें तेज हो गई थी

शर्म के मारे उसकी पलकें झुक गई और होंठों पर प्यारी सी मुस्कान आ गई

एकांश उसके नए रूप का दीवाना हुआ जा रहा था आस्था हमारी और देखिए

एकांश में प्यार से अपना चेहरा उसके कान की तरफ ले जाते हुए कहा और आस्था ने जोर से ना में सर हिला दिया

प्लीज एकांश की वही बेहद सीडकिटव आवाज ना आस्था कहा

और अपनी आखें पैक बंद कर ली

एकांश ने धीरे से अपना हाथ उसके चेहरेे की और ले गया

और अपनी उंगलियां सेे उसका चेहरा ऊपर की और उठाया

आस्था की पलके भी उठ गई जहां हड़बड़ा हर बार की तरह एकांश आस्था की हरि आंखों में खो गया

आज आस्थाा भी उसकी काली आंखों की कायल हो गई

कुंवर जी आस्था ने अपने थरथर आते होठों से कहा एकांश ने अपने लबों की मोहर उसके सर पर दे दी

नाइस शर्ट एकांश ने कहा और उसे लेकर बाथरूम की ओर बढ़ गया आस्था ने किसी तरह अपनी बढ़ती सांसो को कंट्रोल किया

और अभी जो हुआ उसे सोच कर फिर से शर्मा

कर अपने हाथों से चेहरा छुपा कर लिया

और वैसेे ही भागकर चली गई बाथरूम के दरवाजेे में खड़ा अकाउंट यह सब देख रहा था

और मुस्कुरा कर अपने बालों में हाथ घुमा कर तैयार होने चला गया

क्या यह दोनों के खूबसूरत जिंदगी की शुरुआत थी या फिर दर्द भरे सफर की आस्था और एकांश अपनी खुशियों भरे प्यार भरे जिंदगी की ओर बढ़ रहे थे लेकिन क्या यह रास्ता वाकई खुशियों भरा था या फिर खुशी के पीछे बहुत बड़ा दर्द लाने वाला jaane ke lie pdte rehiye tera mera sath hemsha