Sath Zindgi Bhar ka - 24 books and stories free download online pdf in Hindi

साथ जिंदगी भर का - भाग 24

आस्था क्या हुआ आप ऐसे क्यों भाग रहे हैं दादीसा

नहीं कुछ नहीं हमें लेट हो रहा है ना बस इसीलिए

आस्था है किसी तरह अपनी फूली हुई सांसों को कंट्रोल करते हुए कहा

आराम से बेटा चोट लग जाएगी ना और वैसे भी अभी वक्त है कॉलेज के लिए

दादीसा अब जाएं

आस्था ने कहा लेकिन नजर अभी भी एकांश के कमरे की ओर ही थी

हां जाओ दादी सा आस्था अपने कमरे में आ गए झट से दरवाजा लगाया

और उसे टिक कर खड़े हो गए शिव जी यह सब क्या था और हमारा दिल इतना क्यों धड़क रहा है

आज कुंवर जी को क्या हुआ हमारे इतने करीब होते हुए भी आस्था गिल दिल फिर एक बार मचल उठा धड़कने तेज हो गई और बदन में पता नहीं कितने सिहरन है दौड़ रही थी

आस्था आईने के सामने आकर खड़ी हो गई और अपने सर को जहां एकांश ने किस किया था

वहां हाथ लगाया और बिजली की रफ्तार से वापस नीचे ले लिया फिर एक बार उसका हाथ अपने सर की ओर बढ़ गया

जैसे ही उसका टच सिरको हुआ उसकी अपनी आंखें बंद की और फिर एक बार एकांश को फील करने लगी

कितनी अच्छी फिल्म है यह एकांश भी ख्याल से ही उसके पेट में तितलियां उड़ने लगी दिल जोरो से धड़कने लगा उसके पूरे बदन में अलग से ह हलचल हुई जो उसके समझ से कोसों दूर थी गाल अपने आप लाल हो रहे थे और नजरें वह तो आईने में खुद के दीदार करने के लिए भी उठ नहीं रही थी

आस्था नाश्ते का वक्त हो गया है

आइए दाई मां

हां हां आते हैं आप ताकि किसी तरह से कहा ओहो शांत शांत हो जाओ ना आस्था ने अपने पेट में उड़ रही तितलियों से पेट पर हाथ रखकर कहा क्या करें हम बाहर जाएं नहीं नहीं कुंवर जी भी तो वही होंगे ना फिर क्या करें बाहर तो जाना ही होगा हम कुंवर जी का सामना कैसे करेंगे

शिव जी प्लीज ताकत दीजिए हमें आस्था किसी तरह उठ गए और वापस बैठ गई उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था और शर्म तो इतनी आ रही थी कि बस किसी तरह वह बाहर गए और सर झुका कर सबको सर्व करने लगी

भाभी सा कुछ हुआ है क्या उत्तरा

ना नहीं तो आप ऐसे क्यों पूछ रहे हैं दीदी आस्था जिस तरह से हकला कर कह रही थी लगभग सभी को यकीन हो गया था कि कुछ तो हुआ है लेकिन क्या

ठीक है आप भी बैठी है आपको लेट हो रहा है ना कॉलेज के लिए दादीसा के कहने पर आस्था बैठ गई सब एकांश का ही वेट कर रहे थे

एकांश क्यों नहीं आए अभी तक तो कभी लेट नहीं होते मृणाल

आस्था की आंख फिर एक बार शर्म से झुक गए अपने आसपास क्या चल रहा है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था अचानक उसके दिल की धड़कन तेज हो गई

पेट में फिर से तितलियां डांस कर रही थी और नाक में एकांश के स्ट्रांग कॉलम परफ्यूम की स्मेल आ गई है उसका दिल मानो उसके कुंवर जी के आने की गवाही दे रहा था

क्या बात है भाई सा आज बड़े चमक रहे हैं यह क्या सेम सेम नॉट बैड रूद्र ने हमेशा की तरह उसे चढ़ाना शुरू कर दिया एंड he was blushing

भाई सा are you blushing रूद्र

नहीं नाश्ता करें हम गेटिंग लेट एकांश ने कहा लेकिन आंखों के कोने से वह आस्था को ही देख रहा था जो सिर्फ चम्मच प्लेट में घुमा रही थी आस्था Akansh ki वह प्यार भरी आवाज पर आस्था को ऐसा लगा जैसे किसी ने कान में शहद घोल दिया है

पहली बार उसे अपने नाम सुनने में इतना अच्छा लग रहा था और नजरों पर शर्म का पर्दा और गहरा हो गया आस्था खाना खाने के लिए होता है

खेलने के लिए नहीं जल्दी से फिनिश कीजिए एक आंच नहीं तो हमेशा की तरह कहा लेकिन आज उसे अकाउंट की बातें सुनकर गुदगुदी से हुई जी आस्था नहीं सर झुका कर कहा और जल्दी से दो बाइट खा कर उठ गई

आस्था नाश्ता तो कीजिए एकांश लेट लेट हो रहा है कुंवरजी आस्था जल्दी से अपने रूम में गई क्या हुआ है इन्हें इतना अजीब क्यों बिहेव कर रहे हैं मृणाल

रूद्र कहीं आप भी तो कुछ नहीं किया सुनीता नहीं माशा हमने कुछ नहीं किया आप भाई साहब से पूछिए रूद्र

हम हम नहीं जानते कभी नहीं तो आज एकांश ने घबराते हुए कहा कुंवर सा जो भी है क्लियर इट अजिंक्य

जी बाबा सा एकांश भी कह कर उठ गया और बाहर आस्था का इंतजार करने लगा

हम आपको कॉलेज छोड़ते हैं बाहर आती आस्था को देख एकांश ने कहा आस्था नहीं सर झुकाए सिर्फ हा कहा ऐसे तो कई बार वह ekansh के साथ कॉलेज गई है

लेकिन आज उसकी हिम्मत ही नहीं हो रहे की गाड़ी के अंदर बैठने की आइए एकांश ने उसका हाथ थामकर उसे अंदर बिठाया

ड्राइवर कहां है आस्था आज हम drive करेंगे आई वांट टू टॉक एकांश के कहने पर फिर एक बार एक आस्था की आस्था की पलकें शर्म से झुक गए

कुछ दूर आने पर आस्था नहीं गाड़ी रोक दी और कैसे बात शुरू करें यह सोचते हुए 5 मिनट बीत गए तभी कांच पर नॉक हुआ

वोट एकांश चिढते कहा एनी प्रॉब्लम बॉस बाहर एकांश का बॉडीगार्ड था

नो यू मे गो नाउ एकांश ने उसे अभी भी वहां खड़ा हुआ देखकर कहा आस्था बाहर चल कर बातें करें एकांश और आस्था गाड़ी से उतर गए सुबह होने की वजह से ज्यादा ट्रैफिक नहीं था

दोनों में वहीं मौजूद पार्क की बेंच पर बैठ गए एकांत में इशारे से ही अपने पीछे आने वाले गार्ड्स को दूर खड़ा होने को कहा

जी कहिए Ekansh को खामोश देखकर आस्था किसी तरह बोल पड़ी नाराज है

हमसे एकांश और आस्था ने ना में सिर हिलाया फिर बात क्यों नहीं कर रही है

आप यहां तक कि हमारी और देख भी नहीं रही है एकांश आस्था की पलकें और झुक गए

और वह खामोश हो गई आस्था आय एम सॉरी ए काल के आगे कुछ बोलने से पहले ही आस्था ने अपनी उंगली उसके होंठों पर रख दी इस तरह आस्था के अचानक करीब आने से एकांश Kho Gaya

Comment krke jarur batyega कि apko aj का ye episode Kesa lga