Sath Zindgi Bhar ka - 28 books and stories free download online pdf in Hindi

साथ जिंदगी भर का - भाग 28

आस्था इधर आइए सुनीता जी ने आस्था को बुलाया छोटी महा लेकिन हम कैसे सामने आए आस्था ने जी रखते हुए कहा आप चलिए हमारे साथ सुनीता जी ने बिना उसके कुछ सुने उसे ले आए यह कौन है

सुनीता जी दुष्यंत जी ने आस्था को देखते हुए कहा यह आस्था है हमारी बेटी बहुत खास है हमारे लिए और हमारे साथ ही रहती है अब सब से आपकी मुलाकात हो ही गई थी

तो सोचा क्यों ना हमारे घर के सबसे छोटी सदस्य से भी आपकी मुलाकात करवाई जाए नेता जी ने सबके और देखते हुए कहा एकांश के चेहरे पर खुशी साफ साफ झलक रही थी

आस्था ने आगे बढ़कर सब के पैर छुए और आशीर्वाद लिया दुष्यंत जी को भी उसके संस्कार बहुत पसंद आ गए

करण के अलावा रेवा और कुणाल ने कभी भी इस तरह से उनके पैर नहीं छुए थे

आपकी बेटी कैसी साधना कर्ण की मां ने कंफ्यूज होते हुए कहा साधना जी जरूरी नहीं रिश्ते खून के ही हूं कुछ रिश्ते जज्बातों के भी होते हैं दादीसा ने आस्था को अपने पास बुला कर बैठा लिया जिस पर साधना जी ने स्माइल की लेकिन वह कितना जबरदस्ती मुस्कुरा रही थी

यह उनके चेहरे से साफ साफ पता चल रहा था कहीं ना कहीं वह भी आस्था के रंग को लेकर मुंह मुंह टेढ़ा कर रही थी आस्था 12th स्टेट टॉपर सही कहा ना हमने दुष्यंत जी ने सोचते हुए कहा

और आस्था ने हां में सर हिलाया रेवा और कुणाल आस्था को घूर कर देखने लगे जी बिल्कुल दुष्यंत हमारी आस्था ने सिर्फ पढ़ाई में बल्कि और कामों में भी टॉपर है

आज का सारा खाना उन्होंने ही बनाया है दादा साहब भी आस्था की तारीफ में कहा और आस्था के चेहरे पर मुस्कान छा गए इसके बाद कुछ और देर सबने बातें की और करण की फैमिली विदा ले कर चली गई

थैंक्यू छोटी मां आस्था सुनीता जी के गले लग गई को कोई थैंक्स कहता है क्या आस्था सुनीता जी ने उसके सर पर प्यार से हाथ रख कर घुमाया

उन्होंने आस्था के चेहरे की उदासी देख ली थी इसलिए उन्होंने इसका इंट्रोडक्शन सबसे करवाया ताकि अगली बार उसे सबसे अलग ना रहना पड़े

चलिए फिर इसी बात पर और उतरा दीदी का रिश्ता तय होने पर हम सबके लिए एक बार स्माइल वाली खीर खाते हैं क्यों एकांश भाई सा रूद्र

हां हां खाते हैं लेकिन स्माइल वाली खीर यह क्या है उतरा

यह तो आपको एकांश भाई सा ही बताएंगे क्यों छोटी सी भाभी सा रूद्र ने हंसते हुए शरारत से कहा हम अभी आते हैं

आस्था शर्माते हुए वहां से चली गई और हम भी प्रकाश भी लगभग वहां से निकलने ही वाला था

तभी तक रूद्र ने उसे रोक लिया रूद्र लेट मी गो हमें काम है एकांश ने उसे आंखें दिखाएं ऐसा कैसा काम भाई सा आप को नहीं बताना तो हम बताते हैं रूद्र ने कहते हुए खीर का किस्सा बताया

और उसके बाद के दोनों के इशारे भी जिस पर सब उसे चिढ़ाने लगे वैसे मां अच्छी इंप्रूवमेंट है वरना हमें तो लगा था

कि सिर्फ कुंवर सा ही शर्म आएंगे मृणाल बड़ी मां आप भी और रुद्र आपको तो हम अभी बताते हैं

एकांश ने कहते हुए रूद्र को मारना चाहा लेकिन रुद्रपुर टी से वहां से भाग गया

वैसे दादी इस बात में भी इंप्रूवमेंट नहीं है कि कभी ना मस्ती करने वाले एकांश भी मस्ती करने लग गए हैं अनीता

हम कमरे में जा रहे हैं एकांश ने झूठे गुस्से में कहा

ठीक है हम भी भाभी सा को खीर लेकर वही भेजते हैं रूद्र उतरा ऐश्वर्या तीनों ने एक साथ कहा और अगले ही पल एकांश हंसते हुए वहां से चला गया

कुछ देर बाद आस्था एकांश के कमरे के बाहर खड़ी थी और अंदर जाने से हिचकी जा रही थी

फिर बड़ी हिम्मत करके उसके कमरे का दरवाजा खोला और अंदर चली गई एकांश को अपने सामने देखते ही उसे झूले वाला मंजर याद आ गया और अपने आप शर्म से पलके झुका दी

एकांश का हाल भी कुछ ऐसा ही था अनजाने में ही सही लेकिन दोनों उस वक्त बहुत करीब थे

और उस करीबी का एहसास अभी तक एकांश के अंदर समाया हुआ था

आस्था एकांश ने नॉर्मल ही कहा आस्था की हालत खराब हो गई फिर एक बार उसे ऐसा लगा को पेट में कई सारी तितलियां डांस कर रहे हैं

दिल की धड़कनों के साथ-साथ सांसो की स्पीड भी बढ़ गई है आप खीर दे रहे हैं ना हमें या फिर ऐसे ही खड़ी रहना है

एकांश ने उसके चेहरे के बदलते एक्सप्रेशन को देखते हुए कहा हा लीजिए ना

आस्था ने आगे आकर खीर की प्याली उसके हाथ में दे दी वैसे किस सोच में गुम है आप एकांश नहीं नहीं तो कुछ भी नहीं आस्था ने जल्दी-जल्दी कहा कुंवर जी से पूछे क्या वह गार्डन में आए थे

या नहीं आस्था फिर से सोचने लगी क्या हुआ एकांश आप गार्डन में आए थे क्या आस्था ने बड़े हिम्मत करके पूछा और उसके चेहरे पर के भाव को देखकर एकांश समझ गया

कि जो भी हुआ था उसे सपना समझ रही थी अगर इन्हें पता लगा कि वह सपना नहीं सच था तो पता नहीं है

कितने दिन हम से सिर्फ शर्माते ही रहेंगे हां हम सब आए थे आप भी वही थी क्या एकांश ने सच तो कहा लेकिन आधा ही वह भी इस तरह से कहा कि आस्था को यकीन हो गया

कि वह सपना ही देख रही थी यह सपना था तो कुंवर जी को थोड़ा पता चलेगा हम उनके बारे में क्या सोचते हैं आस्था थोड़ी रिलैक्स हो गई कुछ नहीं बस ऐसे ही पूछा चलिए अब हम जाते हैं आस्था ने मुस्कुराते हुए कहा और वहां से चली गई

एकांश भी मुस्कुराते हुए उन लम्हों को याद करने लगा रेवा उसके आलीशान बेडरूम में लेटे हुए एकांश के ख्यालों में गुम थी

पूरे रास्ते उसे सिर्फ एकांश का ही चेहरा नजर आ रहा था एकांश रेवा ने बेहद प्यार से उसका नाम पुकारा कोई इतना हैंडसम कैसे हो सकता है

वह कितने दिलकश दिखते हैं आप हम तो आप का नशा चढ़ गया है और यह नशा आपको पाने से ही कम होगा नहीं नहीं कम नहीं आपको पाने से और बढ़ेगा मिस्टर एकांश सिंह सूर्यवंशी यू आर माइन ओनली ली और बहुत जल्द हम लोग Mr and Mrs रेवा एकांश सूर्यवंशी बनेंगे

हमें यकीन है जिस तरह हम आपके खूबसूरती के दीवाने होकर आपको इतना अपना बनाने का ख्वाब देख रहे हैं

ना वैसे आप भी हमारे ही बारे में सोच रहे होंगे और क्यों ना सोचे रीवा राजपूत है ही इतनी खूबसूरत कि एक बार जो हमें देखें वह हमारे हुस्न का दीवाना हो ही जाता है रेवा ने अपने आप को शीशे में देखते हुए कहा घमंड से कहा और हंसते-हसते फिर एक बार बेड पर लेट गई

आने वाले तूफान से अनजान आस्था भी एकांश के ख्वाब देख रही थी उसे बार-बार एकांश के करीब आना याद आ रहा था

एकांश की गर्म सांसे उसे अभी भी अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी जिस वजह से वह बार-बार शिखर सिहर रही थी

oh hoकुंवर जी मत कीजिए इतना परेशान हमें बहुत शर्म आ रही है

आस्था ने अपना चेहरा हाथों से ढक लिया यह कैसे ख्वाब देख रहे हैं हम वह भी खुली आंखों से अगर कुंवर जी को पता चला तो क्या सोचेंगे

वह हमारे बारे में लेकिन हम भी क्या करें वह लम्हे अभी भी हमारी आंखों में के सामने घूम रहे हैं

क्या कुंवर जी हमें किस करने वाले थे या फिर नहीं उनका तो पता नहीं लेकिन हमें उनके लबों का एहसास अपने लबों पर चाहिए था

आस्था अपने ही सोच पर हैरान हुए और चर्माकर बिस्तर में छुप गई पागल आस्था कुछ भी सोच रही हो यह साक्षी और रिचा को तो हम छोड़ेंगे नहीं

उन्होंने ही ऐसे ख्यालात हमारे दिमाग में डाले हैं आस्था अपने आप से ही बड़बड़ आई जा रहे थे और शर्मा भी रहे थे

अब यह उम्र का असर कहें या फिर प्यार का खुमार लेकिन आस्था को एकांश की करीबी बेहद पसंद आने लगी थी

आपने इससे पहले प्यार के एहसास में वो इस कदर क रही थी कि उसे आने वाले खतरे का जरा सा भी अंदाजा नहीं था

हर कोई इंगेजमेंट की तैयारियों में शॉपिंग में बिजी था आस्था भी जितनी हो सके उतनी हेल्प कर रही थी

लेकिन सब न उसे पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा उतरा के साथ-साथ सुनीता जी ने आस्था के लिए भी बहुत सारी शॉपिंग की हर्षिका के शादी के वक्त सभी उससे नाराज थे

इसलिए उस पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया था लेकिन इस बार ऐसा नहीं था

जिससे आस्था भी बहुत खुश हो रही थी रेवा भी एकांश को रिझाने के मौके भी नहीं छोड़ रही थी किसी ना किसी बहाने वह एकांश के करीब आती या फिर उसके साथ ज्यादा वक्त बिताती

आस्था को मिलती अटेंशन की वजह से वह आस्था बेहद गुस्सा थी वह आस्था को अकेले में नीचा दिखाती सबके सामने हंस हंस कर बातें करती

आस्था को उसका बिहेवियर कुछ समझ ही नहीं आ रहा था इसलिए वह खामोश थी और उसकी यही खामोशी उसके लिए कितना बड़ी मुश्किल पैदा करने वाली थी यह आने वाला वक्त ही जानता है

आप लोग बोर हो गए हैं क्या मेरी इस स्टोरी से मेरे इस स्टोरी पर कमेंट बहुत कम आ रहे हैं प्लीज यार एम वेटिंग फॉर यू और कमेंट तो प्लीज कमेंट कीजिए और emoji भी दीजिए मुझे पता है आपको भी बहुत सारे अच्छे-अच्छे कहानियां पढ़ने को मिलती हैं और आप उन्हें कमेंट देते हैं लेकिन फिर भी यह कहूंगी कि थोड़े कमेंट मेरे लिए भी बचा कर रखिए और मुझे भी दीजिए थैंक यू