Tere Intzaar me - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरे इंतजार में.... - 4

अथर्व अपने ऑफिस के कोरिडोर से एक बड़ी सी स्क्रीन पर ऐसे ही केंटीन में बैठे स्टाफ देख रहा था। सारा स्टाफ शांति से खाना खा रहा था। तभी उसका ध्यान एक टेबल की ओर जाता है। जहां एक लड़का लड़की किसी बात पे शायद झगड़ रहे थे। वह यह देखकर मुस्कुरा देता है। " आज कल के कपल और उनके चोंचले " मन ही मन सोचता है। अभी भी उन लोगों की शक्ल दिखी नहीं थी! । सिर्फ पीठ ही दिख रही थी । तभी वह लड़का लड़की का हाथ पकड़कर भाग रहा था! शायद वह लोग टैरेस की ओर जा रहे थे! क्योंकि वह लोग लिफ्ट की ओर आगे बढ़ रहे थे! । और जैसा अथर्व ने सोचा था लिफ्ट सीधा उसके ऑफिस वाले फ्लोर पे खुली थी और टेरेस का रास्ता अथर्व के केबिन के पास से होते हुए गुजरता है! । तभी अथर्व कांच में से देखता तो उसे लड़के और लड़के की शकल साफ दिखाई देती है। उसे शायद शक्ल जानी पहचानी लग रही थी। वह सोच ही रहा था की! कहां देखा है!? । लेकिन उसे याद नहीं आता! फिर वह सोचता है! खैर! छोड़ो अब हमारे यहां काम कर रही है! तो शायद आते जाते नजर पड़ गई होगी! । तभी अथर्व के दरवाजे पे नॉक की आवाज आती है! जिस वजह से! वह कम इन कहता है और अपनी सीट पर बैठते हुए स्क्रीन को बंद कर देता है। अथर्व देखता है तो उसका खाना आया था। यह देखकर अथर्व कहता है! काका टेबल पर रख दीजिए! । काका खाना टेबल पर रखकर चले जाते है। अथर्व अपनी सीट से उठकर सोफे पर बैठते हुए! डिब्बा खोलता है और खाना खाने लगता है! । तभी खाना खाते खाते अचानक मानो जैसे उसे घुटन सी महसूस होने लगती हैं। जैसे उसे सांस नहीं आ रही थी। वह जल्दी से अपने गले में बंधी टाई को ढीली करता है! लेकिन फिर भी उसे चैन नहीं आ रहा था। जैसे कोई उसका गला घोट रहा हो! । वह कांपते हुए हाथों से! टाई को निकालकर जमीन पर फैंक देता है। और शर्ट के बटन खोल ही रहा था । की तभी उसके कानो में किसी के खिलखिलाने की आवाज आती हैं। कोई खुशी से हंस रहा था मानो! । यह आवाज अथर्व को अपनी घुटन को भुला देती है। और वह आवाज सुनने लगता है। तभी खिखिलाहट रुकते हुए! लड़की की आवाज आती है! । " वैद! एक बार हाथ लग जा फिर बताती हूं की मैं चीज क्या हूं! तुम्हारी नानी याद.... । इतना कहते ही आवाज धीरे धीरे दूर जा रही थी। अथर्व सोफे पर से उठते हुए! जल्दी से दरवाजा खोलते हुए! दोनो दिशा में देखता है! तो कोई भी नहीं था!। वह सोचता है कि शायद वो कपल ही होगे जो! यहां से थोड़ी देर पहले गए थे! । पर एक आवाज सुनकर उसका पैनिक अटैक काबू में हो गया! । आज से पहले तो ऐसा कभी भी नहीं हुआ! । हर बार जब ऐसा अटैक हुआ है! तब तब अथर्व को घंटो लग जाते है! तब वह खुद को नॉर्मल कर पाता है! । और आज कुछ ही क्षण में सिर्फ एक आवाज की वजह से उसका अटैक गायब हो गया!?। वह खुद ही समझ नहीं पा रहा था की यह कोई सयोंग था या फिर अथर्व का पैनिक अटैक सच में एक आवाज की वजह से काबू में आ गया था। वह बस दरवाजा पकड़े खड़े खड़े यह सारी बाते सोच रहा था। की तभी उसे महसूस होता है की उसके सीने पर किसीने हाथ रखा है! । जिस वजह वह घबराते हुए दो कदम पीछे चला जाता है! । जब सोच से बाहर आता है तो नीलू सामने खड़ी थी।

अथर्व: ( गहरी सांस लेते हुए ) नीलू यार! तुमने तो मुझे डरा ही दिया! ।
नीलू: क्या!? मतलब में इतनी बुरी दिखती हूं! क्या!? ।
अथर्व: मेरा वो मतलब नहीं था!? ।
नीलू: अच्छा! तो फिर क्या मतलब था! तुम्हारा? ।
अथर्व: खैर! ये सब छोड़ो! तुम ये बताओ! यहां क्या कर रही हो!? ।
नीलू: अब क्या मुझे अपने बॉयफ्रेंड के ऑफिस आने के लिए किसी वजह की जरूरत पड़ेगी !? ।
अथर्व: तुम आज सारी बाते उल्टे भाव में क्यों ले रही हो!? ।
नीलू: ( खिलखिलाते हुए ) ओह! मेरे भोंपू! में तो सिर्फ तुम्हे परेशान कर रही हूं! ये तो तुम ही जो सारी बात! सीरियस होकर ले रहे हो! ।
अथर्व: खैर! चलो अंदर चलकर बात करते हैं! ( दरवाजा खोलते हुए ) ।
नीलू: थैंक यू! ( कहते हुए पहले वह जाती है। ) ।
अथर्व: ( ऑफिस में जाते हुए दरवाजा बंद करते हुए कहता है। ) तो! कोई काम था, क्या!? जो अचानक ऑफिस आना पड़ा!? ।
नीलू: ( सोफे पर बैठते हुए ) हां! पर पहले तुम खाना तो फिनिश कर लो! ठंडा हो रहा है! । ( टाई को जमीन पर से उठाते हुए ) ।
अथर्व: हम्म! ( कहते हुए सोफे पर बैठते हुए! खाना खाने लगता है। ) ।
नीलू: अथर्व!? ।
अथर्व: ( नीलू की ओर देखते हुए ) हम्म!? ।
नीलू: कुछ हुआ था क्या!? क्योंकि थोड़ी देर पहले भी जब में शर्ट के बटन बंद कर रही थी तुम सहम गए थे! ।
अथर्व: नहीं! कुछ नहीं वो गरमी हो रही थी इसलिए बटन खुले थे और मैं सोच में डूबा हुआ था! इसलिए अचानक तुम आई मुझे पता ही नहीं चला! ।
नीलू: अथर्व! ।
अथर्व: नीलू! ।
नीलू: यार! तुम हर बार टाल देते हो!? कितनी बार कहां है! की मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूं कोई पराई नहीं! ।
अथर्व: ( नीलू के हाथ को अपने हाथ में थामते हुए ) तुम जानती हो ना! की तुम्हारी मेरी लाईफ में क्या अहमियत है!? ।
नीलू: हां पर तुम सबकुछ अकेले ही सह रहे हो! ना मुझे कुछ बताते हो और जब पूछती हूं तो ऐसे इमोशनल ब्लैकमेल करते हो! ।
अथर्व: क्योंकि मैं तुम्हे सही सलामत देखना चाहता हूं! और किसी भी मुसीबत में नहीं डालना चाहता! जब सही वक्त आएगा मैं तुम्हे बता दूंगा! ।
नीलू: ( अथर्व के हाथ में से हाथ छुड़ाते हुए ) ( गुस्से में) सही वक्त सही वक्त! पता नही कब आएगा ये सहीं वक्त! मेरे जिंदा रहते आ जाए तो बेहतर है।
अथर्व: ( अपनी जगह से उठते हुए ) नील्लू!!! ।
नीलू: ( अपनी भूल का अहसास होता है। ) अथर्व! ( जगह से उठते हुए ) आई एम सॉरी! वो मैं! ।
अथर्व: ( आंखे बंद करते हुए गहरी सांस लेता है। ) तुम घर जाओ! हम बाद में बात करेंगे! ।
नीलू: पर... अथ... ।
अथर्व: नीलू... इससे पहले बात और बिगड़े प्लीज जाओ! मैने कहां ना बाद में बात करेंगे।
नीलू: ( निराश होते हुए ) ठीक! है फिर मैं तुम्हारा घर पे इंतजार कर रही हूं! जल्द ही आना! ( अथर्व के गाल पर किस करते हुए वह ऑफिस से चली जाती है। ) ।

जब दरवाजा बंद होने की आवाज आती है! तब अथर्व आंखे खोलता है! वह गहरी सांस लेते हुए अपने ऑफिस के बाहर समुंद्र की ओर देखने लगता है। समुंद्र की लहरे मानो जैसे उसके जीवन के उतार चढ़ाव को बयान कर रही थी । वह बस ऐसे देखे रहा था मानो जैसे शायद कोई जवाब मिल जाए!? इन सारी बातों और घटनाओं का जो वह अकेले सालों से जेल रहा है! । ना ही किसी को बता रहा है और ना ही बताना चाह रहा है!।