pure love in Hindi Love Stories by Rakesh Rakesh books and stories PDF | पाकीजा मोहब्बत

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पाकीजा मोहब्बत

अनाथ नरेश की परवरिश राम सिंह ने अपने बेटे दीपक बेटी राशि की तरह की थी और उसे परिवार का सदस्य होने का पूरा हक भी दे रखा था।

नरेश राम सिंह को पिता नहीं परमात्मा मानता था, वह किसी भी कीमत पर राम सिंह का हुकुम नहीं टालना चाहता था।

नरेश राम सिंह के बेटे बेटी से आयु में दो वर्ष बड़ा था, इसलिए राम सिंह दीपक राशि से पहले नरेश की शादी के लिए खानदानी खूबसूरत घरेलू लड़की ढूंढना शुरू कर देता है और अपनी बराबरी के खानदान में खूबसूरत लड़की खुशी से नरेश को अपना बेटा बता कर विवाह करवा देता है।

नरेश के भाग्य पर पूरा गांव बहुत चकित हो जाता है कि एक तो बड़े खानदान में शादी ऊपर से पत्नी हूर की परी पूरे गांव में नरेश की पत्नी से ज्यादा उसके साथ के युवकों में इतनी सुंदर किसी की भी पत्नी नहीं थी।

खुशी से शादी करने के बाद नरेश को ऐसा महसूस होता था, कि उसका जीवन संपूर्ण हो गया है। लेकिन उसकी यह खुशी ज्यादा दिन कायम नहीं रह पाती है क्योंकि दीपक एक रात शराब के नशे में नरेश से कहता है कि "मुझे तेरी पत्नी खुशी से मोहब्बत हो गई है, अगर मुझे खुशी नहीं मिली तो मैं अपनी जान दे दूंगा।"

और दूसरे दिन जब शराब का नशा उतरने के बाद नरेश यही बात दीपक के होश में आने के बाद पूछता है? तो वह खुशी से प्यार वाली बात दुबारा कहता है।

और नए-नए तरीकों से खुशी को तलाक देने के लिए नरेश पर दबाव डालने लगता है, तब मजबूर होकर नरेश खुशी को दीपक की सारी बातें बता देता है, तो खुशी नरेश से कहती है कि "मेरा पहला और आखिरी प्यार आप हैं और हमारे प्यार को किसी की नजर ना लगे, इसलिए हम दोनों पति-पत्नी गांव छोड़कर शहर चलते हैं, शहर में हम मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन खुशी से काट लेंगे।"

लेकिन जब नरेश शहर जाने की पूरी तैयारी कर लेता है, तो उन्हीं दिनों राम सिंह का देहांत हो जाता है।

राम सिंह का वकील दीपक राशि नरेश नरेश की पत्नी और गांव कि पंचायत के सामने रामसिंह की वसीयत सब को पढ़कर सुनाता है, तो रामसिंह ने नरेश के लिए सौ बीघा खेती की जमीन और गांव में तीन सौ गज जमीन मकान बनाने के लिख रखी थी।

इसलिए नरेश शहर जाने का इरादा छोड़ देता है और राम सिंह की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए गांव में ही रहता है और अपने मन में सोचता है, कि शायद पिता की मृत्यु के बाद दीपक के स्वभाव में बदलाव आ जाए।

लेकिन पिता की मृत्यु के बाद तो दीपक नरेश की पत्नी खुशी को पाने के लिए और पागल हो जाता है और एक दिन जब नरेश अपने मकान के लिए नए खिड़की दरवाजे खरीदने शहर जाता है, तो दीपक कुछ किराए के गुंडे शहर में भिजवा कर नरेश की हत्या करके उसकी लाश नदी में फिकवा देता है।

चार-पांच दिन बाद पुलिस को नरेश की लाश मिलती है, तो नरेश की लाश देखकर खुशी उस दिन के बाद से गुमसुम रहने लगती है।

दीपक नरेश की हत्या की कार्रवाई को आगे बढ़ने से रोकने के लिए अपने पैसे का पूरा इस्तेमाल करता है और पुलिस जांच में सहयोग भी नहीं करता है।

दीपक विधवा खुशी से शादी करने के लिए अपनी सारी धन दौलत उसके नाम करने के लिए तैयार हो जाता है।

और जब विधवा खुशी शादी से इंकार कर देती है, तो दीपक रात दिन शराब पीने लगता है।

विधवा खुशी के मायके वाले भी खुशी की दूसरी शादी करने के लिए उस पर बहुत दबाव डालने लगते हैं, तो खुशी ना शादी करती है और ना ही नरेश का घर छोड़ने के लिए तैयार होती है।

तो तीन बरस बाद ज्यादा शराब पीने की वजह से दीपक की तड़प तड़प कर मौत हो जाती है।

और समय के बीतने के साथ-साथ खुशी की आयु 80 वर्ष की हो जाती है।

एक रात विधवा खुशी को नरेश उसके सपने में दिखाई देता है, खुशी से नरेश सपने में पूछता है? कि "तुम दीपक नहीं किसी और से तो शादी कर सकती थी, तुमने अपनी पूरी जवानी मेरे घर में अकेले रह कर बिता दी। तुमने अपना जीवन मृतक पति के पीछे क्यों बर्बाद कर दिया।"

खुशी सपने में नरेश से कहती है कि "आपके घर को छोड़ने की सोचने भर से ही मुझे ऐसा महसूस होता था कि मैं अपने पहले और आखिरी प्यार से बेवफाई कर रही हूं।"