Sabaa - 2 in Hindi Philosophy by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | सबा - 2

Featured Books
Categories
Share

सबा - 2

इस मुलाकात में दोनों कुछ खुल गए। एक दूसरे के बारे में जानकारी भी हासिल कर ली। अब जब कभी काम से सुविधा होती, दोनों कुछ दूर के एक पार्क में मिलने का मौक़ा और बहाना ढूंढ लेते।
लड़का उस बड़ी सी आलीशान दुकान में चौकीदारी भी करता था और कभी - कभी भीड़ - भाड़ ज़्यादा होने पर भीतरी काउंटरों पर भी बुला लिया जाता था। मोल तोल के लिए।
एक दिन दोनों पार्क में हमेशा की तरह टहल रहे थे। सहसा लड़की बोली बोली - तुझे कितनी तनखा मिलती है?
- दस हजार। लड़के ने तुरंत कहा।
उसकी तत्परता से लड़की सहमी सी चुप हो गई। लड़के का मन छिल गया। उसे मन ही मन लगा कि शायद उसका वेतन सुन कर लड़की में अपनी पगार को लेकर कोई हीन भावना आ गई। उसे सीधे सपाट अपनी आमदनी इस तरह नहीं बतानी चाहिए थी।
लड़की को चुप देख कर लड़का उसके कुछ और नज़दीक होकर बोला - तुझे उस घर में खाना बनाने में कितना टाइम लगता है?
- किस घर में? लड़की ने कुछ हैरानी से कहा।
- वहीं, जहां तू काम पर जाती है।
- अच्छा। एक घंटा... लड़की ने जवाब दिया।
- तुझे पता है मेरी ड्यूटी कितनी देर की है। लड़के ने किसी रहस्य की तरह कहा।
फिर अपने आप ही बोल पड़ा - नौ घंटे। सुबह आठ बजे आता हूं, और शाम पांच बजे तक रहता हूं, कभी- कभी छः - सात भी बज जाते हैं।
लड़की चुपचाप चलती रही।
लड़का ज़ोर देकर बोला - तब जाकर दस हजार मिलता है। तू तो एक घंटे में ही तीन हज़ार कमा लेती है।
- तो मैंने कब कुछ कहा? लड़की को इस हिसाब - किताब पर हैरानी हो रही थी।
लड़के को भी जैसे एकाएक ये अहसास हुआ कि वो बिना बात ही अपना वेतन लड़की से ज़्यादा होने की सफाई दे रहा है, लड़की ने तो ऐसा कुछ कहा नहीं। शायद अपनी इतनी लंबी ड्यूटी होने की बात से उसके मन में ही जैसे कोई हीन भावना आ गई हो।
लड़का माहौल को कुछ हल्का - फुल्का बनाने के लिए बोल पड़ा - आधी सैलरी तो तू मोबाइल में ही उड़ा देती होगी।
- मेरे पास कहां मोबाइल है रे। ये तो मैं कभी- कभी मेरी दीदी का ले आती हूं। वो भी ऐसे कहां देती है, लाओ तो अपने आप रिचार्ज कराना पड़ता है।
- क्या करती है तेरी दीदी।
- फांदेबाज है।
- मतलब? लड़का उसकी आंखों में देखने लगा।
- कुछ नहीं करती। ऐश करती है घर में।
- ले, वो कुछ नहीं करती फिर भी मोबाइल रखती है और तू कमाती है फिर भी उसका फ़ोन मांग कर लाती है! लड़के ने जैसे उसे चिढ़ाते हुए कहा।
लड़की हंसने लगी। फिर बोली - अगले महीने से मुझे दो घर और मिलने वाले हैं, फ़िर देखना मैं भी अपना मोबाइल खरीद लूंगी। ये पुरानी साइकिल भी पता है मैंने ख़ुद खरीदी थी अपने पैसे से।
लेकिन इतने सारे घरों में काम करेगी तो तुझे टाइम ही कहां मिलेगा मोबाइल पर बात करने का। लड़के ने फिर उसे जैसे कोई चुनौती सी दी।
लड़की उसकी बात सुनकर कुछ सकपकाई फिर बोली - नहीं रे। एक काम तो घर में एक बूढ़े बीमार आदमी को बस थोड़ी सी देर संभाल कर आने का है। दूसरा एक अकेली औरत का शाम का खाना बनाने का है।
बात करते- करते उसे ध्यान आया कि उसे तो आज वहां बात करने जाना था।
दोनों जल्दी - जल्दी कदम बढ़ाने लगे।