Farzana books and stories free download online pdf in Hindi

फ़रजाना

 

बार-बार यही प्रश्न कौंध रहा था कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। साहिल ने ऐसा क्यों किया जो अपनी पत्नी पर जान छिड़कता था उसने इतनी बेरहमी से क्यों पीटा? किसी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था । बस अभी उसी मुद्दे की तह में जाना चाहते थे लेकिन सब कुछ अभी तो बेकार ही था। फ़रजाना भी एक कोने मे बैठी अपने मुंह से खून पोंछते हुए भूखी शेरनी सी रक्तिम अंगारों सी आंखों से घूर रही थी। बस वो घूरे जा रही थी। इसी खींचातान और पति के साथ हाथापाई, झगड़े में उसका कुर्ता फट गया था। जवान देह कुर्ते के फटे हिस्सों से बाहर बेबाक झांक रही थी। एक दो जगह से सलवार भी फट गई थी या यूं कहें कि साहिल ने उसकी सलवार भी फाड़ दीथी । वो बार-बार चिल्ला रहा था आज सबके सामने तुझे नंगी करके ही रहूंगा। बस इसी खींचातान और लड़ाई में सलवार कुर्ता दोनों ही फट गए थे ।
फ़रजाना के चेीरे पर अभी खून जमा था हालांकि उसने अपने चेहरे को पोंछने की कोशिश की थी लेकिन उसके कटे हुए गाल और होठ से अभी भी खून की बूंदें बहने का प्रयास कर रही थी । वो धीरे से दुखी मन से उठी और अपना सामान समेटने लगी थी । वो समझ गई थी कि अब इस घर में नहीं रहना है किंतु अभी उसके सामने प्रश्न यह भी था कि आखिर कहाँं जाएगी? उसको खुद भी यह समझ नहीं आ रहा था कि कहांँ जाना है । इस भरी दुनिया में कोई भीतो उसका नहीं था। अम्मी पहले ही गुजर गए थी ,भाई का एक हादसे में इंतकाल हो गया था ले देकर बाकी बचे थे अब्बा ,वो भी उसकी शादी के कुछ ही महीनों के बाद कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गए थे। कीमा पाव का ठेला लगाते थे इनकम का कोई और जरिया भी तो नहीं था। मकान के नाम पर बस एक छप्पर था। उनकी मौत के बाद सुना है उस छप्पर पर भी मोहल्ले वालों ने कब्जा कर लिया था। उसने अपना सामान एक संदूकची में भर लिया था। यह संदूकची उसके अब्बा ने उसके निकाह में दी थी । वह खड़ी हुई और अपना मुंह धोने के लिए गुसलखाने के पास गई थी उसने देखा उसके चेहरे पर काफी खून जम चुका है उसने धीरे से अपना मुंँह धोया लेकिन हाथें की रगड़ से फिर होठों से खून बहने लगा। इस बार उसने अपने मुँह मे अपनी चुन्नी ठूँस ली औरनिचले होठ को बाहर से दबा लिया। वह धीरे से उठी और अपना सामान लेकर चलने ही लगी थी कि तभी उसकी सास में अब कहा-
अब कहाँ मुंह काला करेगी जाकर?
चली जाऊंगी कहीं भी इतनी बड़ी दुनिया है।
क्यों कोई और भी यार है क्या ?
ढूंढ लूंगी
तेरी जैसे छिनाल ये ही कर सकती है। जाने से पहले यह बताती जा तूने मेरे बेटे की ज़िंदगी क्यों ख़राब की। इस अकेले से तेरा जी नहीं भरा था क्या? जो तूने और यार बना लिए।
और इसने जो वहांँ मुंबई में अपनी दूसरी लुगाई रखी वो क्यों रखी ? मैं नहीं थी क्या? मैं कम पड़ रही थी इसके लिए?
मरदजात है वो तो रख सकता है।
उसने आगे कुछ नहीं सुना बस संदूक उठा कर वहांँ से बस अड्डे पर आ गई थी। गुस्से में आ तो गई थी लेकिन अब जाएगी कहांँ यह अभी तक नहीं सोचा था। जभी उसके जहन मे एक विचार कोंधा । पति को ढूंढने मुंबई गई थी तब भी तो मैं किसी को नहीं जानती थी ना। उसने जयपुर के लिए टिकट लिया ओर बस मे सवार हो गई । जयपुर पहुंँच कर उसने अपना बटवा टटोला पूरे पाँच हजार उसके पास थे। रेलवे स्टेशन पहँुंचकर उसने बांद्रा का टिकट लिया और जयपुर बांद्रा ट्रेन में सवार हो गई। ट्रेन अपनी गति से दौड़े जा रही थी अभी भी राजस्थान की सीमा में ही चल रही थी। अभी थोड़ी देर पहले ही आबूरोड पिंडवाड़ा स्टेशन निकला था सुबह से कुछ भी नहीं खाया था भूख भी ज़ोर से लगी थी अभी कुछ खाने को भी नहीं था उसके पास तभी सामने वाली सीट पर बैठी महिला ने पूछा -
बेटी कुछ खाओगी ?
उसे लगा अल्लाह ने भी क्या सुनी है कुछ भी ना बोली थी बस उस महिला की ओर देखे जा रही थी भला ये अल्लाह की कौन नेक बंदी है जो अपने आप ही मुझसे पूछ रही है उस औरत ने दो रोटियाँ थोड़ी सी सब्जी और कैरी का अचार उसे दे दिया । उसने पूछ लिया -
कहांँ जाओगी? फरजाना के मुंह से निकला -
मुंबई जाऊंगी
अच्छा वहाँ रहती हो या किसी रिश्तेदार के यहांँ जा रही हो ?
नहीं मैं वहांँ नहीं रहती
तो फिर कौन है ?
वो सोचने लगी क्या जवाब दूँ कोई भी तो नहीं है वहां । बस वो सलीम बंजारा जरूर है लेकिन वह भी तो मुझे पिटता देख कर भाग गया था ।
जी मेरे दूर के रिश्तेदार हैं
लगता है घर से नाराज होकर आई हो
उसने अपनी पारखीनज़रों से तोलते हुए बोला ।
जी- - - जी जी नहीं
हूँ अच्छा है - - वहांँ कहाँं जाओगी?
जी वो महालक्ष्मी के पास ही सलीम बंजारा के यहांँ
महालक्ष्मी के पास ही तो हम लोग जा रहे हैं चलो हम लोग साथ ही ले चलेंगे तुम निश्चिंत रहो। मैं अलका हूंँ और यह मेरे पति शेखर हैं । मैं देख रही थी तुमने पूरे रास्ते कुछ भी नहीं खाया है।
जी वो - -
कोई बात नहीं खा लो और हाँं और चाहिए तो ले लेना अभी काफी सारा खाना है हमारे पास।
जी बस
नाम क्या है तुम्हारा
फरजाना
बहुत प्यारा नाम है शादी हो गई क्या?
वह सोच रही थी क्या जवाब दूँ वही तो तोड़ कर आ रही हूंँ फिर कुछ सहमते से बोली -
जी हुई थी
हुई थी इसका मतलब अब नहीं है क्या हुआ ?
अभी तलाक देकर आ रही हूँ इससे पहले कि वो मुझे तलाक देता मैने ही उसे तलाक दे दिया।
और यह तुम्हारे मुंँह पर चोटें
उसी ने मारा था।
ओह
सुनो जी वो दर्द वाली दवा है ना आपके पास एक गोली इसको दे दो आराम मिल जाएगा।
उस अनजान औरत का अपनापन देख एक बार तो उसका जी भर आया था लेकिन अगले ही पल संभल कर बोली नहीं दवा की जरूरत नहीं है । वैसे भी यह कल रात की चोट है । वह सोच रही थी कि कहीं अपनापन दिखाकर यह मुझे मुंबई के कोठे पर तो नहीं बिठा देंगे। अब क्या पता कि इसके साथ जो मरद है वो इसका पति है या कि कोई दलाल । क्या पता चले वह थोड़ा ज्यादा ही सावधान हो गई थी । वो सोच रही थी अब अल्लाह ही बचाएगा घर तो छोड़ दिया लेकिन अब ना कोई ठोर है ही कोई ठिकाना। बस अपना सामान उठाकर मैने घर छोड़ने का फैसला तो कर लिया लेकिन मुंबई जाने का तो मैंने सोचा ही नहीं था । और फिर वह अपनी ही यादों में खो गई -
उसके निकाह को पूरा एक बरस बीत गया था। शादी के तीसरे की दिन उसका शौहर साहिल मुंबई चला गया था । कोई एक महीने बाद फिर आया था और पांच दिन तक उसके साथ रहा । वो फिर वापस जब जाने लगा था तो फरजाना ने कहा था -
अभी तो हमारी शादी को एक महीना ही हुआ है और आप मुझे छोड़कर इस तरह चले जाते हो। वह बोला था -
अरे पगली तुझसे अलग थोड़े ही ना हूँ । हम दोनों तो दो जिस्म एक जान हैं समझी मेरी सेक्सी। साहिल के मुंह से सेक्सी सुनकर शर्म के मारे सिमट सी गई थी । बहुत जल्दी ही तेरे को भी लेकर चलूंगा वहाँ।वो बोला था और चला गया था । अगले पांच महीनों तक कोई खबर नहीं बस अपने अब्बा को कभी कभार फोन कर लिया करता था लेकिन मुझसे कभी कोई बात नहीं की थी उसने । इसी तरह से अगले पांच महिने और गुजर गए थे । तभी फरजाना ने उसकी सास से पूछा था । वो कहां रहते हैं ?
उसकी सास को तो पता नहीं था लेकिन उसके ससुर ने बताया था कि वो कहीं महालक्ष्मी एरिया में हाजी गोस मोहम्मद के यहाँ रहता है । बस फरजाना ने म नही मन ठान लिया कि वो पति के पास जाकर ही रहेगी । दो-तीन दिन अच्छी तरह से सोचने समझने के बाद उसने अपनी सास को कहा कि वह साहिल के पास जाना चाहती है तो सास ने झिड़कते से कहा था-
पगला गई है क्या मुंबई कोई थोड़ी दूर थोड़े ही ना है कई हजार कोस दूर बताते हैं।
कितना ही दूर हो मैं जाऊंगी दसवीं पास तो की है मैंने अच्छे से पहुंँच जाऊंगी ।
इस बात पर सास और ससुर दोनों ने ही काफी विरोध किया था लेकिन उसने किसी की भी नहीं सुनी और जसरासर से बस मे बैठकर जयपुर आ गई थी । वहीं से उसने मुंबई की ट्रेन पकड़ ली थी और मुंबई पहुंँच कर वो पति की खोज में महालक्ष्मी इलाके मे एक थ्री व्हीलर करके चली गई थी। महालक्ष्मी इलाके में हाजी गौस मोहम्मद का घर खोजने लगी थी लेकिन मुंबई कोई छोटा सा गांँव तो था नहीं बहुत बड़ा शहर महानगर था और महानगर में इस तरह से किसी का सही ठिकाना सही पता ना हो तो मिल पाना बहुत मुश्किल है । इसी तरह से भटकते हुए उसे आज पूरे दो महीने हो गए थे लेकिन अभी तक साहिल नहीं मिला था। भटकते भटकते दरगाह आज मुंबई के इस इलाके में अपने पति को ढूंढते ढूंढते थक गई थी लेकिन अभी तक नहीं मिला था । आज भी शाम हो चुकी थी लेकिन अभी तक पति का कोई ठिकाना नहीं मिला । वह भटकते भटकते एक दरगाह पर पहुंँच गई थी उसे नहीं पता था कि वह कौन सी दरगाह है वहीं पर उसे पता चला कि वह हाज़ी अली की दरगाह है यहाँं मांगी गई सारी मुरादें पूरी होती ऐसा उस आदमी ने बताया था जो अभी उसके पास आकर बैठा था । उसने हाज़ी अली की दरगाह में सजदा किया और अपने पति से मिलन की मुराद मांगी । दरगाह के बाहर निकली थी कि फिर उस आदमी ने कहा
मोहतरमा क्या मांगा आपने
जी अपने शौहर की सलामती और और उनसे मुलाकात
यानी
जी कुछ नहीं
सुनिए मेरा नाम सलीम बंजारा है और यहीं रहता हँूं आपके शौहर का नाम
जी साहिल पठान
परदेसी हो
जी राजस्थान से हैं हम लोग
कहां बिछड़ गए
यही मुंबई रहते हैं काम करते हैं
तो आप
मैं उन्हीं को खोजने यहांँ आई हूंँ
मोहतरमा मुंबई कोई छोटी सी जगह थोड़े ही है जो आप ढूंढ लंेगी
जी
कुछ मालूम है कहाँं रहते हैं
महालक्ष्मी इलाके में किसी हाज़ी गौस मोहम्मद के यहांँ पर है।
मोहतरमा रात होने को आ रही है दरगाह में आप नहीं सकती हैं कहां जाएंगी
पता नहीं अल्लाह जाने
परवरदिगार का नाम आपकी जुबान पर है तो कुछ रास्ता तो सोचा ही होगा उसने भी वैसे यदि मुझ पर भरोसा करो तो मेरे साथ चल सकती हो ।
उसे भटकते भटकते दो महीने हो गए थे मुंबई में और वह इतना तो समझ गई थी कि इतनी आसानी से किसी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता लेकिन इतनी रात होने पर अब वह कहीं और जा भी नहीं सकती थी इन दो महीनों में उसने यह देखा था कि किस तरह से फुटपाथ पर भूखे भेड़िए उसके जिस्म को खा जाना चाहते हैं । जिस्मो के भूखे हैं वो लोग तो उसकी हड्डियों तक को नोच लेना चाहते है लेकिन वह अपनी ही जुगत स ेअब तक अपने आप को बचाती आई है। बहुत सोचने के बाद उसने कहा-
शुक्रिया अल्लाह हिफाजत करेगा मेरी
मेहतरमा ये मुम्बई है कदम कदम पर यहाँ जवां जिस्मो सौदागर बैठे हैं ,लुटेरे बैठे हैं । वैसे अल्लाह पाक की कसम मैं आपको हाथ भी नहीं लगाऊंगा आप मेरे साथ चलिए आपके लिए यही मुनासिब होगा ।
ठीक है चलिए
वो सलीम बंजारा के घर पहुंँचकर कुछ सकुचाई सी बैठ गई थी। घर क्या था एक खोली थी एक चारपाई पड़ी थी बस एक छोटा सा गैस का सिलेंडर और एक बर्नर वाला चुल्हा ,बर्तनों के नाम पर चाय बनाने लायक दो पतिलियाँ थी बस यही कुल जमा सामान था सलीम बंजारा के घर मे । सलीम बंजारा उसे घर छोड़कर चला गया था। वो बेहद डर गई थी कि कहीं वो उसका सौदा तो करने के लिए नहीं गया है वो सोचे जा रही थी लेकिन कुछ भी कर सकने की हालत मे नहीं थी । अब उसने अपने आप को हालात के हवाले छोड़ दिया था, थक गई थी वह पूरे दो महीने मे अपने आप से लड़ते ,जमाने से लड़ते और पति को ढूंढते । वो बस अपनी सलामती की दुआ में आंँख बंद करके कलमा पढ़ रही थी तभी एक हल्की सी दस्तक के साथ दरवाज़ा खुला था। उसके दोनों हाथों में कुछ था वह बोला
लीजिए मोहतरमा खाना ले आया हूंँ अब खाना खाइए कल सुबह ही आपके शौहर को ढूंढने चल पाएंगे। खाने में दो-दो खमीरी रोटी और एक-एक प्लेट मटन कोरमा लाया था दोनों ने खाना खाया और फिर सोने के लिए उसने कहा
आप चारपाई पर यहीं सो जाइए मैं बाहर दरी बिछा लेता हूँ। आप भीतर से कुन्दी बंद कर लीजिएगा । मैं बाहर दरी बिछाकर सो जाता हँू । हाँं सुबह थोड़ा जल्दी उठिएगा यहांँ मुंसिपलटी के टॉयलेट में लाइन लगती है।
जी
वो सोच रही थी ए तो नेक बंदा है । वो दरी लेकर बाहर आ गया और फिर से उसने उस मोहतरमा से कहा
आप भी दरवाजा बंद कर लीजिए
उसने दरवाजा बंद करने से पहले कहा जी मेरा नाम फरजाना है आप मुझे फरजाना कह सकते हैं
और फिर उसने दरवाजा बंद कर लिया था। वह काफी हद तक तो निश्चिंत हो गई थी लेकिन रह रह कर यही ख्याल आ रहा था कि ईद के बकरे को भी तो खूब खिलाया पिलाया जाता है और फिर कुर्बानी दी जाती है । कहीं यह मुझे भी तो इसी तरह से - - - - । वह घबराकर उठ बैठी थी ,खोली मे इधर उधर देखने लगी दरवाजा बंद था कुन्दी लगी थी। एक कोने में एक मटका रखा हुआ था उसमें एक गिलास पानी लिया , पानी पीके थोड़ी सी घबराहट कम हुई थी । उसने एक बहुत बुरा सपना भी देखा था सपने में देखा था कि उसके ससुर का इंतकाल हो गया है और उसे दफनाने ले जा रहे हैं उसका बेटा भी नहीं पहँुंच पाया था। बेटे को फोन लगाया था लेकिन लग नहीं पा रहा था । पानी पीने के बाद उसकी थोड़ी सी घबराहट कम हुई थी वह वापस चारपाई पर लेट सोचने लगी अल्लाह क्या वाकई मेरे ससुर का इन्तकाल हो गया है और साहिल नहीं पहुंँच पाया । अल्लाह मेरे ससुर की हिफ़ाजत करना।
वो सोच रही थी साहिल कैसा होगा इन्ही खयालों के बीच उसे कब वापस नींद आ गई पता नहीं लेकिन सुबह ठीक चार बजे उसके आंँख खुली और वह बाहर मुनिसीपलीटी टॉयलेट की तरफ जाकर लाइन मे लग गई । सचमुच अभी भी काफी लंबी लाइन लिखी है उसके थोड़ा सा आगे ही सलीम बंजारा भी खड़ा हुआ था । वह कुछ भी नहीं बोली लेकिन सलीम ने उसे देखते ही उसे अपनी जगह खड़ा कर दिया । वह बोली थी
पहले आप जाकर आ जाइए
जी मैं जा चुका हँूं आपके लिए - - आप फ्री हो कर आइए मैं नाश्ता लेकर आता हूंँ
कोई आधे घंटे बाद उसका नंबर आया था वह फारिग होकर खोली मे लौट आई थी । टाइम करीब पांच सवा पांच बजे थे । इधर सलीम अपने दोनो हाथों में दो दोने पकड़े चला आ रहा था। उसने सलीम से पूछकर चाय चढा दी । चाय के साथ गरम-गरम वडा पाव खाकर वो दोनों महालक्ष्मी के इलाके में हाजी गौस मोहम्मद के यहाँं ढूंढने निकल पड़े । सलीम बंजारा उस इलाके से काफी वाकिफ था इसलिए वह थोड़ी ही देर में तकरीबन साढे आठ बजे हाजी गौस मोहम्मद के घर के सामने पूछते पूछते पहुँच ही गण् थे। हाजी साहब उम्र दराज थे ,पूरे बाल मेहंदी के रंग से चुनरी लाल और यही हाल दाढ़ी का भी पूरी की पूरी लाल । हाजी साहब को देखते हैं सलीम ने कहा
अस्सलाम वालेकुम चचा
वालेकुम अस्सलाम कौन हो बरखुरदार तुम?
जी मै सलीम बंजारा हूंँ और यह मोहतरमा आपके यहांँ एक किराएदार साहिल पठान की बेगम हैं
साहिल की बेगम ?
जी
तो वो जो उसके साथ रह रही है फिर वो कौन है ? मियां यह कैसे हो सकता है उसकी बेगम तो उसके साथ रहती है ।वैसे भी अब वो यहाँ से खाली कर गया हैं वो कह रहा था कि अब बीवी को ले आया हूँ मकान छोटा पड़ने लगा था सो बडी जगह चाहिए थी ऐसा कह रहा था ।
लेकिन चचा ये मोहतरमा कह रही हैं कि ये उनकी बेगम हैं राजस्थान से आई हैं ।
राजस्थान के किसी गाँंव से तो फिर उसके साथ रह रही है वह लड़की अपनी जिसे बेगम ही बताया था लेकिन अभी वह कुछ दिन पहले ही यहांँ से खाली करकेे तकरीबन 20 दिन पहले ही खाली किया ।
लेकिन यह कह रही है कि यह उसकी बीवी है राजस्थान से आई है और अभी उसी की तलाश में है वह पिछले तकरीबन साल भर से अपने घर नहीं गया है ।
समझ गया बरखुरदार समझ गया मैं साहिल अपने गांव की बीवी को छोड़कर यहांँ किसी शहर वाली से दिल लगा बैठा। आजकल के इस दौर में क्या कहें क्या करें आजकल में कोई नया दौर चला है वो क्या कहते हैं लिव-इन में रह रहे हैं लोग और वह अपने आप को मियां बीवी मानते हैं पता नहीं अभी उसने शादी की है या वैसे ही उसको अपने फंसा कर रखा है अल्लाह जाने ।
उसने कुछ बताया होगा कहाँं जा रहा है कहांँ मकान ले रहा है
मुझे पूरा तो पता नहीं लेकिन हांँ कह रहा था कि कुलाबा की कोई निचली बस्ती में उसे मकान मिल गया है किसी यूसुफ शेख का नाम बता रहा था हो सकता वह किसी दूसरे के घर में ही रह रहा हो।
कोलाबा के निचली बस्ती शुक्रिया चचा जान अल्लाह हाफिज।
और फिर दोनों एक टैक्सी लेकर कुलाबा की निचली बस्ती में चले गए। वहां उन्होंने पूछताछ शुरू की युसूफ शेख का घर किधर है । कोई दो ढाई घंटे बाद यूसुफ शेख का घर मिल गया। घर काफी बड़ा था युसूफ शेख ने अपने घर के बाहरी इलाके में वन बीएचके के कुछ फ्लैट बनवाए हुए चार मंजिल थी । उसने चारों मंजिलें किराए पर चढ़ाई हुई थी तभी सामने एक मोहतरम आते हुए दिखाई दिए। सलीम बंजारा ने मोहतरम को सलाम किया और पूछा कि वह युसूफ शेख के यहांँ जाना चाहते हैं। मोहतरम ने कहा
मैं ही हूंँ बोलिए ।
हुजूर आपके यहांँ पर कोई साहिल पठान किराए में रहते हैं
हां तीसरी मंजिल पर रहते हैं
जी ये उनकी बेगम
सलीम बंजारा ने युसूफ शेख से कहा
ये मोहतरमा मोहतरमा राजस्थान से आई है और आपके यहाँ रह रहे साहिल पठान की बीवी है साहिल ने यहांँ किसी दूसरी औरत को रख लिया है और जिस औरत के साथ रह रहा है उसको वह यहांँ आपको बेगम बता कर रह रहा है। हक़ीकत में यह उनकी बेगम हैं
यह हम कैसे मान लें मिया कि ये उनकी बेगम हैं
तभी फरजाना बोली
जी आप सही कह रहे हैं अल्लाह जानता है मैं उसकी बीवी हूँ पूरा गांँव जानता है । पूरे दो महिने हो गए हैं मुझे इस शहर मे उन्हें ढूँढते हुए। यूसुफ साहब को पूरी बात समझ आ गई थी वो मुतमइन हो गए थे कि यही उसकी बीवी है । पूरी बात समझ आई तो उसने कहा फ्लैट की तीसरी मंजिल पर उनके साथ ही हो लिया । ऊपर पहुंँचकर दरवाजे के ठीक सामने खड़े हो धीरे से घंटी बजाई तो भीतर से किसी ज़नाना आवाज ने कहा
आती हूँ
दरवाजा खोलकर उसने पूछा
कौन मांगता है
वो बोल ही रही थी कि पीछे पीछे साहिल भी बनियान पहने आया तो उसके पैरों के तले जमीन खिसक गई । फरजाना ज़ोर से चिल्लाई
गाँंव में बीवी को छोड़कर शहरी छिनाल के साथ गुलछर्रे उड़ा रहे हो और वहांँ मैं सोच रही थी कि आप मेरे लिए मेहनत मजदूरी कर रहे हैं सबका पेट भर रहे हैं । अरे सुनो तो सही यहाँं मकान मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है इसलिए हमने मकान शेयर किया है ।
तभी वो जो साथ रह रही थी वो बोली
अच्छा तो तुम पहले से ही शादीशुदा हो झूठे मक्कार फरेबी और अब भी झूठ बोल रहा है मैं बताती हँूं इसने मुझ से निकाह किया और अभी दिखाती हँूं तेरे को।
वह तभी जाकर एल्बम और मैरिज सर्टिफिकेट लेकर आ गई सब को दिखाना शुरू किया। फरजाना के पैरों तले की ज़मीन खिसक गई थी । उसकी हालात खराब हो गई थी । उसको लग रहा था जैसे आसमान से किसी ने गिरा दिया हो । उस औरत ने भीतर से पानी लाकर पिलाया फिर बोली
देखो मैं नहीं जानती हूँ कि तुम सच बोल रही हो या झूठ लेकिन इतना समझ गई हूँ कि साहिल ने मुझसे झूठ बोलकर ही संबंध जोड़ा है ।
तभी साहिल बोला
देखो फरजाना जो भी कुछ हुआ है वो वक्त की मजबूरी के कारण हुआ है । अच्छा आप कौन हैं?
इनसे क्या पूछते हो मैं बताती हूँ ये सलीम साहब हैं और मैं इन्हें की बदौलत यहाँ आ पाई हूंँ ।सलीम साहब अब आप मुझे फोरन यहाँ से ले चलिए ।
इधर वो लड़की जो उसके साथ रह रही थी बोली
अब तुम कुछ भी समझो ये अब मेरा है लीगली भी और सोशली भी एण्ड नाउ यू गेट लास्ट।
उसने धड़ाम से दरवाजा बन्द कर लिया। फरजाना का बुरा हाल था , सलीम उसे वापस अपनी खोली मे ले आया था ।वो कुछ भी पही बोल रही थी बस एकटक छत को घूरे जा रही थी । पूरा लगभग इसी तरह से बीत गया था। सलीम धीरे से उठा और पतीली चढा दी चाय बनाने के लिए।बाहर गया और दो वडा पाव ले आया था सुबह से दोनो ने ही कुछ भी नहीं खाया था। चाय छानकर एक वडा पाव और चाय का कप उसकी ओर रख दिया ।वो कुछ नहीं बोली बस फिर से रोने लगी थी । सलीम ने समझाया कि भूखे रहने साहिल वापस तो नहीं आ जाएगा अब ये चाय लो और आगे के बारे मे सोचो । मैं तो यही कहुँगा कि वापस अपने गाँव लौट जाओ ।ये मायानगरी है यहाँ कोई भी विश्वास के काबिल नहीं है । वो बोली-
वो जो मेरा था वो ही विश्वास तोड़ गया तो फिर किस पर भरोसा करें।
वो फिर रोने लगी लेकिन रोते रोत ही वो उठी ओ अपना मुँह धोया और चाय हाथ मे ले ली। चाय पी कर वो बोली
सलीम साहब आप एक एहसान मुझ पर और कीजिए
अरे आप ऐसा क्यों बोल रही हैं
आप मुझे मेरे गाँव छोड़ कर आ सकते हैं ?
कहाँ राजस्थान?
जी
वो रिजर्वेशन करवाना पडेगा
आप करवा लीजिए ना प्लीज। पैसे कुछ तो मेरे पास हैं यदि कम पड़ेंगे तो मैं गाँव पहुँचकर आपको दे दूंगी ।
जी ठीक है मैं बात करता हूँ
उसने एक एजेंट से बात की तो जयपुर के लिए अगली सुबह की ही टिकट मिल गई थी ट्रेन सुबह आठ बजे चलने वाली थी वो दोनों ट्रेन से जयपुर पहुंँचे और फिर दूसरी ट्रेन से चूरू पहुंँच गए थे र्। चूरू से जसरासर गांँव के लिए बस मिल गई थी । गांँव पहुंँच कर वह अपनी सास को कुछ भी ना कह पाई थी। उसकी सास बार बार यही पूछ रही थी
अरे साहिल कैसा है ? मिला कि नहीं
जी मिले थे वो बस मजे मे हैं अम्मी
तो फिर तू क्यों वापस आ गई?
बस अम्मी जी किया आ गई
अजीब लड़की है ये भी
इधर फरजाना अपनी विधवा सास को क्या बताती कि उसका बेटा अपने बाप की मैय्यत मे भी क्यों नही आया था । वो कहाँ मसरूफ था क्या कहती वो ?उसकी सास ने किसी अनजान मरद को उसके साथ देखकर फिर से पूछा
अच्छा ये तो बता ये कौन है?
अम्मी ये सलीम साहब हैं इन्ही की बदोलत मैं वापस आ पाई हूँ
क्या मतलब
अम्मी मैं बाद मे बताती हूँ अभी रात होने को है पहले खाना बना लेते हैं
उसने ज़्ाल्दी ज़ल्दी खना बनाया ओर पहले अपनी सास को डालने लगी तो वो बोली
अरे पहले वो आदमी जो आया है उसे तो परोस दे
उसने ऐसा ही किया । सलीम को खाना परोस कर फिर उसने अपनी सास को भी खाना डाल दिया । पूरा खाना बनाकर खुद भी खाने लगी थी। उसकी सास ने कहा
सुन ये जो आया है इसको तेरे ससुर वाले झोंपड़े मे सुला दे और तू मेरे साथ यहाँ सो जा
जी अम्मी
उसने अपने ससुर के झोंपड़े की सफाई की और सलीम को वहाँ सुला दिया ।
दोनो अपने झोंपड़े मे साथ थी तभी उसकी सास ने फिर से पूछा
अरे बता तो सही तू वापस क्यो आ गई
अम्मी अभी बहुत थक गई हूँ नींद आ रही है कल पूरी बात बता दूंगी
दोनो सो गई थी । कोई आधी रात का समय होगा अचानक ही फरजाना उठी और अपनी सास को देखा उसको गहरी नींद आ रही थी वो उठी और सलीम जिस झोंपड़े मे सो रहा था उसमे वो चली गई। वो सो रहा था पूरी मासुमियत के साथ। न जाने फरजाना को क्या सूझावो उस पर झुकी और उसकी पेशानी चुम ली।अचानक ही सलीम की आँख खुल गई थी अपने ऊपर इस तरह से उसको झुका देखकर वो घबराकर उठने की कोशिश करने लगा तो वो धीरे से बोली-
घबराओ मत मैं हूँ फरजाना, आपसे कुछ और भी मांगने आई हूँ
बस इतना कहा और वो सलीम के साथ उसी खाट बैठ गई। वो बोला
ये आप क्या कर रही हैं
सलीम मुझे आपका साथ भी चाहिए।
पहले तो सलीम काफी असहज था लेकिन अपने पहलू मे जवाँ जिस्म की अगन से वो भीअपना आपा खोता जा रहा था किन्तु फरजाना अपनी हद जानती थी वो हद उसने नहीं तोड़ी ।
सुबह फरजाना को अपने झोंपड़ें मे न देखकर उसकी सास ने सोचा शायद जल्दी उठ गई होगी । काफी देर तक भी नहीं आने पर बूढे मन मे आशंका उठी कहीं उस परदेशी के साथ तो- - -
वो उठी ओर बगल वाले झोंपड़े मे झांकने लगी । वो देख रही थी कि फरजाना कहाँ गई होगी । वो उसे ढूँढते हुए अपनी बाखल मे चली गई वहाँ फरजाना अकेली लगभग आधी जागी सी आधी सोई सी घास के ढेर के पास - - - और नींद के कारण कपड़े अस्त व्यस्त । इधर एक और अजीब सा वाकया हो गया था। साहिल भी अपनी चोरी पकड़े जाने के कारण मुम्बई से भाग आया था कि तुरन्त पहुँकर फरजाना को मना लेता हूँ। अपने घर के दालान मे पहुँचते ही अपनी अम्मी की गालियों से उसको अंदेशा हो गया था कि फरजाना ने किसी गैर मरद के साथ सम्बंध बनाया है । वो आवेश मे आकर पहले तो फरजाना को मारने को हुआ तभी सलीम ने उसका हाथ पकड़ लिया था । कैसे मर्द हो तुम अपनी जोरु पर हाथ उठाते हो । अच्छा तो तू यहाँ तक आ गया। तू सिखाएगा मुझे मरदानगी तेरी तो ऐसी की तैसी। तभी फरजाना कड़क कर बोली
क्यों मैंने ऐसा क्या कर दिया जो तुम्हारी गैरत जाग उठी ? और जो तुमने वहाँ मुम्बई मे उस दूसरी औरत के साथ अपना घर बसा रखा है वो?
झूठ बोलती हैं साली । बता- - - बता क्या किया मैंने हरामजादी अपने पाप को मेरे सर मढ़ रही है।उस गैर मरद के साथ जो तू इतने दिनों से पहले मुम्बई और अब यहाँ - - - - -
आज तक तो मैने उसके साथ कुछ भी किया नही है लेकिन हाँ अब उसके साथ ही करुंगी
अभी बाकी क्या रह गया? बता मैंने क्या किया ?
तुमने वो सब किया जो तुम्हें ठीक लगा।वो वहांँ मुंबई में दूसरी लुगाई के साथ रह रहा था वो ठीक था ? उसके साथ निकाह कर लिया वो ठीक था ?
मैं मर्द हूंँ चार चार रख सकता हूंँ इसकी इज़ाजत तो क़ुरान भी देती है। लेकिन तेरी हिम्मत कैसे हुई ये सब करने की ?
क्या करने की ?
उस हरामजादे के साथ
जैसे तुम्हारी हिम्मत हुई वैसे ही मेरी भी हो गई समझ गए वैसे आज तक मैं अपने धर्म पर चली हूँ लेकिन अब मुझे भी तेरे जैसे बेगैरत मरद के साथ नहीं रहना है ।
इतना सुनते ही साहिल ने फरजाना को चोटा पकड़कर घसीटना चाहा लेकिन वो उसके काबू मे नहीं आ रही थी। उसने फरजाना का कुर्ता फाड़ दिया और इसी हाथापाई मे उसकी सलवार भी फट गई थी । साहिल पर वहशीपन सवार था वो बार बार कह रहा था कि सबके सामने उसे वो नंगी करेगा सबको दिखाएगा कितनी भूख है इसको। वो अपने आपको बचाती सी इधर उधर भाग रही थी। उधर सलीम चुपचाप कब का ही अपनी जान बचा कर भाग गया था। साहिल की दूसरी बीवी साहिल के बिना बताए ही साहिल के पीछे पीछे आ गई थी । झाड़ियों की ओट में वो देख रही थी किस कदर साहिल पर खून सवार था।
ठहर जा कुत्तिया तुझे मैं बताता हँूं , तू क्याा छोड़ेगी मुझे मैं आज अभी यहीं तलाक देता हूँ ।
अरे जा तू क्या मुझे तलाक देगा मैं ही आज तेरे को तलाक देती हूँ अभी इसी वक्त से तू मेरा खविन्द नही है । जा तलाक तलाक तलाक तीन बार तलाक मैने ही तुझे दे दिया है ।इतना कहकर फरजाना ने अपना झोला उठाया और चल दी अनजानी सी डगर।
इधर ज़रीना अपने आप को ,अपनी तक़दीर को कोसती चुपचाप लौट गई मुंबई और शायद सुनील बंजारा भी उसी ट्रेन में था जिस टेªन से ज़रीना हाँ साहिल की दूसरी बीवी वापस लौट रही थी। फरजाना उस टेªन को तो नहीं पकड़ पाई थी लेकिन इसके बाद वाली टेªन से वो मुम्बई की राह चल पड़ी थी , शायद सुनील बंजारा के पास।

योगेश कानवा
105-67 अहिंसा मार्ग
विजय पथ, मानसरोवर
जयपुर 302020
मो0 9414665936