Dard Dilo ke - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

दर्द दिलों के - 2

तुषार और आरवी एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। उनके सारे दोस्तों में वो दोनो एक आइडल couple थे। आरवी और तुषार दोनो अपने career को लेकर काफी फोकस थे।
आरवी तुषार से बाते कर रही होती है तभी ईशा वहा आती है।

ईशा : तुम दोनो यहां बैठे हुए हो ।मैं तुम्हें पूरे कॉलेज में ढूंढ रही थी। आरवी अब चले और तुषार तुम्हे पता है क्या कि वो लोग कौन थे? उन्हें इतनी चोट कैसे लगी ?
तुषार : पक्का तो नहीं पता पर सुनने में आया है कि उनसे उस रहीस जादे की gf को गलती से धक्का लग गया था ।
आरवी : कौन? तुम किसकी बात कर रहे हो?
ईशा : ओहो आरवी ! पूरे कॉलेज को पता है बस तुझे छोड़ कर।
आरवी : तुम लोग बताओगे या मैं खुद ही पता कर लूं।
ईशा : अरनव सिंह ! बहुत ही अमीर है । इसका भाई यहां का एमएलए है और पूरा खानदान बहुत ही ऊंची ऊंची post पर है।
आरवी : अमीर है तो क्या ? कुछ भी करेगा । कितना मारा था उन लोगो को । मुझे ऐसे लोग बिल्कुल नहीं पसंद। बतमीज और साथ मैं घमंडी भी है । इतनी सी बात पे कौन ऐसा करता है ।
तुषार : तुम लोग ये सब छोड़ो और क्लास लगाने चलो ।
आरवी : हां चलो ।
ईशा और आरवी घर आते हुए ....
ईशा : आरवी एक बात पूछूं ।
आरवी : हां।
ईशा : अगर तेरी शादी अरनव जैसे किसी लड़के से हो जाए तो।
आरवी : क्या बोल रही है यार । मैं तुषार से बहुत प्यार करती हूं। और मैं मर जाउंगी लेकिन उस घमंडी अरनव से कभी शादी नही कर सकती ।कभी भी नही ।
ईशा : अच्छा । भगवान करे तेरी और तुषार की जोड़ी बनी रहे ।
दोनो हंसते हैं.....
( अगले दिन)
फिर कॉलेज में भीड़ लगी है.. आरवी और ईशा आगे जाते है तो देखते है आज फिर कोई लड़का नीचे पड़ा है और उसको काफी चोट भी लगी है और सामने वही लड़का खड़ा है ..
आरवी : बस बहुत हो गया ईशा । आज मैं इसे बताती हूं कि rule regulations नाम की भी कोई चीज होती है।
ईशा : आरवी चुप कर के यही खड़ी रह। जायदा झांसी की रानी बनने की जरूरत नहीं है । आज तुषार भी नही आया है ।
आरवी ईशा की नही सुनती और आगे बढ़ती है..
आरवी : excuseme mr. ये क्या लगा रखा है तुमने रोज रोज का । तुम क्या सोचते हो तुम्हे कोई रोक नहीं सकता। आज मैं तुम्हारी शिकायत principal sir से करती हूं। कॉलेज का पूरा माहौल खराब कर रखा है ।
अरनव : बस ! कौन हो तुम ? तुम्हारा कुछ लगता है क्या ये ?
आरवी : नहीं। बस तुम जैसे बतमीज को रोकना भी जरूरी है । इसलिए रोक रही हूं।
अरनव : Just shut your mouth . दूसरो के फटे में टांग अड़ाने का बहुत शौक है न तुम्हें। आज मैं तुम्हे बताता हूं कि इसका क्या परिणाम निकलता है।
आरवी : मैं तुमसे डरती नहीं हूं ।
तभी ईशा आगे आके आरवी का हाथ पकड़ लेती है और कहती है मैं इस की तरफ से sorry बोलती हूं.. ये तो कुछ भी कहती है ।
आरवी : ईशा क्या बोल रही हो ।
ईशा : आरवी तुम्हे तुषार की कसम है । चुप रहो।
अरनव : समझा दो अपनी दोस्त को की मेरे मामलो से दूर रहे।
ईशा : जी ठीक है ।
ईशा आरवी को खींच कर ले जाती है।
सब आरवी की ही बात कर रहे होते है कि कितनी बहादुर है । अरनव से लड़ गई। वही अरनव गुस्से से आग बबूला हो रहा होता है । उसके दोस्त भी उसे ले जाते हैं।