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तेजस - फिल्म समीक्षा

तेजस नहीं तेजस गिल अर्थात कंगना रनौत की फिल्म " तेजस "

फिल्म का नाम ' तेजस ' हो तो दिमाग में तुरंत ख्याल आता है, भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलटों का युद्ध कौशल, उनकी तेजस्विता, प्रतिबद्धता, कर्तव्य की बेदी पर राष्ट्र के लिए जान लेने या देने की लालसा या फिर शत्रु पर अचूक निशाना साधकर उसके युद्धतंत्र को तहस - नहस करने की मारक क्षमता का फिल्म रूपांतरण। न केवल हमारे पायलटों की कार्य दक्षता बल्कि स्वयं इस स्वदेशी फाइटर जेट की उच्च तकनीकी क्षमता और आसमान में युद्ध कौशल के साथ जमीन में शत्रु के सभी ठिकानो का ध्वस्तीकरण, जिसका लोहा आज पूरा विश्व मानता है।

परन्तु फिल्म तेजस, भारतीय वायुसेना के आक्रामक रण कौशल के इतर फिल्म की नायिका तेजस गिल, जो वायु सेना में एक फाइटर पायलट है की कहानी पर केंद्रित है, जो भले ही बहादुर है, आक्रामक है, राष्ट्र प्रेम को समर्पित है, परन्तु जिद्दी और जुनूनी है। फिल्म के निर्माता रानी स्क्रूवाला और निक्की विजय व् फिल्म के निर्देशक हैं, सर्वेश मेवारा। अन्य कलाकारों के रूप में अंशुल चौहान, वरुण मित्रा , मिरको एलेक्सिस, अनुज खुराना, वीना नायर और रोहद खान भी हैं परन्तु फिल्म पूरी तरह से नायिका तेजस गिल पर केंद्रित है, जिसका रोल कंगना रनौत ने निभाया है और फिल्म की कहानी में फिल्म का सबसे महत्वपूर्ण किरदार भारतीय वायु सेना भी नेपथ्य में चली गयी है। तेजस गिल एक ऐसी फाइटर पायलट हैं जो किसी भी खतरे से खेलने में माहिर हैं और वायु सेना के किसी भी चुनौतीपूर्ण मिशन को अपने हाथ में लेने से हिचकती नहीं हैं।

फिल्म की कहानी के अनुसार तेजस गिल का बचपन से ही सपना था कि वे बड़ी होकर देश के लिए कुछ ऐसा करें कि उनकी गिनती भारत की वीरांगनाओं के रूप में हो। जब उन्हें पता लगता है कि भारतीय वायु सेना में एक ऐसा फाइटर जेट शामिल किया गया है जो स्वदेश में ही निर्मित है और उच्च कोटि की अचूक तकनीकी मारक क्षमताओं से युक्त है तो वे अपने नाम को सार्थक करने के लिए वायु सेना को  फाइटर पायलेट के रूप में ज्वाइन करने के लिए जी - जान से जुट जाती हैं और सफल भी होतीं हैं।

अब उनके जीवन का एक ही उद्देश्य होता है, शत्रु के कुत्सित इरादों को नेस्तनाबूत करना, थल सेना के जवानों की हर कीमत पर रक्षा करना । इसके लिए भले ही उन्हें अपने अधिकारिओं के आदेशों की अवहेलना ही क्यों न करनी पड़े और कार्य कितना भी खतरनाक या चुनौतीपूर्ण हो, वे हर मिशन को पूरा कर सकती हैं । इस रूप में कहानी और उसके पात्र अविश्वनीय हो जाते हैं क्योंकि बहादुरी के साथ - साथ अनुशासन भारतीय सेना की सबसे बड़ी पहचान है। ऐसे दृश्यों में नायिका की अतिसक्रियता को दर्शक स्वीकार नहीं कर पाते और फिल्म दर्शकों से अपना कनेक्शन कमजोर कर देती है।

तेजस की नायिका, फाइटर पायलट कम, बॉलीवुड की स्वप्निल सुपर - वुमन अधिक लगती है। ज्यादातर वही परदे पर दिखाई देती है और उसके हर संवाद में देशभक्ति का तड़का लगा रहता है। किसी भी खतरे से डरना तेजस गिल के खून में नहीं है। वो देश के लिए समर्पित सिपाही है, आतंकवाद से नफरत करती है, इसलिए आतताइयों को मार डालना अपना कर्तव्य समझती है। फिल्म में रोमांच तो है परंतु उत्सुकता उत्पन्न करने में फिल्म असफल रहती है। फिल्म में हर जगह ऐसा लगता  है कि इस प्रकार के दृश्य बॉलीवुड की देश भक्ति पर बनी भी फिल्मों में पहले भी कई बार फिल्माए जा चुके हैं। कहीं - कहीं तो संवाद भी वही है जो पहले ही सुने जा चुके हैं। फिल्म में नया कुछ भी देने की कोशिश नहीं की गयी है। यह इस फिल्म की कमजोरी है।इस कारण फिल्म प्रेरणादायी नहीं बन पाती। फिल्म फाइटर जेट " तेजस " की क्षमता और सफलता पर केंद्रित न होकर नायिका " तेजस गिल " के चारों ओर घूमती है और वह भी फ़िल्मी अंदाज में।

नायिका, भारतीय वायुसेना की फाइटर की जगह एक सुपर वुमन सी दिखाई देती है, जो बहुदारी का कोई भी काम आसानी से कर लेती है। दर्शक पहले ही अनुमान लगा लेता है कि अब यही होने वाला है, इसलिए दर्शक के मन में ऊब उत्पन्न होने लगती हैं। फिल्म वायुसेना के जाबांज फाइटर पायलटों की कठिन दिनचर्या और उस कठिन प्रक्रिया से कोई परिचय नहीं करवाती, जिसमें तपकर निकलने के बाद वे प्रतिष्ठित भारतीय वायु सेना का हिस्सा बनते हैं। यह इस फिल्म का कमजोर पक्ष है।

कंगना रनौत फाइटर पायलट की दक्षता और कर्मठता के किरदार को व्यक्त करने में पूरी तरह से सफल हुईं हैं।  किरदार को आत्मसात करने की उनकी अभिनय क्षमता फिल्म का सबसे सबल पक्ष है परन्तु कहानी में कोई नयापन न होने के कारण फिल्म दर्शकों को बाँध पाने में असमर्थ है।

फिल्म की कहानी में भारतीय वायुसेना की अधिकारी तेजस गिल को पाता लगता है कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने एक भारतीय खूफिया एजेंट को कैद कर लिया है और जल्द ही वे उसकी हत्या कर देंगें। तेजस गिल  वह खतरनाक मिशन को अंजाम देने के लिए जानी जाती हैं। इस एजेंट के रेस्कयू ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए तेजस गिल आगे आती है और वह एक अन्य अधिकारी आफिया (अंशुल चौहान) के साथ इस ऑपरेशन को पूरा करने के लिए निकल पड़ती है। अपने मिशन के दौरान उसे शत्रु के कुछ और खतरनाक इरादों के पता चलता है । तेजस गिल हर बाधा को पार करके अपने मिशन में सफल होकर हजारों लोगों कि जान बचती है। इस पूरे घटनाक्रम का अनुमान दर्शक पहले ही लगा लेते हैं।

फिल्म दो घंटे में समाप्त हो जाती है,अर्थात फिल्म की लम्बाई को बेमतलब खींचा नहीं गया है। सभी कलाकारों का अभिनय स्वाभाविक है और फिल्म एक्शन से भरपूर थ्रिल का वातावरण भी उपस्थित करती है, संगीत फिल्म के सब्जेक्ट और दृश्य को उभारने में सक्षम है, परन्तु कहानी की कमजोरी फिल्म का वह दुर्बल पक्ष है जो दर्शकों को फिल्म के साथ बाँध नहीं पाता। यदि आप टाइम पास की दृष्टि से फिल्म देखने जाते हैं तो निराश नहीं होंगें।

 

सुरेंद्र कुमार अरोड़ा

साहिबाबाद। मो : 99911127277