Wo Billy - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

वो बिल्ली - 4

(भाग 4)

अपनी नन्हीं सी कली किटी को डरावनी महिला औऱ बिल्ली के साथ देखकर शोभना की स्थिति ऐसी हो गई मानो किसी ने श्राप देकर पत्थर बन जाने का कह दिया हो। बुत बनी शोभना न कुछ कह सकी न ही उसे अब कुछ सुनाई दे रहा था। अचानक ही कानों में सुन्न सी पिन चुभती आवाज़ आई औऱ शोभना की आँखों के सामने अंधेरा छा गया। शोभना धम्म से वही बैठ गई ।

हॉल में रात के सन्नाटे सी खामोशी के साथ अंधेरा पसरा हुआ था। शोभना के कानों तक अपने बेटे गोलू की आवाज़ इस तरह से आई जैसे वो बहुत दूर से आवाज़ लगा रहा हो - मम्मा ! मम्मा !

शोभना विक्षिप्त सी अपने दोनों हाथों को आगे किए हुए टटोलने लगीं। उसे एक नरम सांत्वना देता हुआ सा हाथ अपने कंधे पर महसूस हुआ।

शोभना की आँखों के सामने से अंधरे की काली बादली छट गई। सामने गोलू और किटी खड़े थे।

दोनों बच्चों से लिपटकर शोभना उन्हें बेतहाशा चूमने लगी। उसे लगा जैसे शरीर में प्राण का पुनः संचार हो गया।

शोभना ने किटी से पूछा - किटी बेटा ! वो...वो बिल्ली कहाँ है..?

किटी ने मासूमियत से कहा - कौन सी बिल्ली मम्मा ?

आश्चर्य से शोभना ने किटी की ओर ऐसे देखा जैसे वह अदालत के कठघरे में खड़ी हो, औऱ किसी ने उसके खिलाफ झूठी गवाही दे दी हो।

शोभना की जीभ लड़खड़ा गई उसने किटी के दोनों कंधों को पकड़ते हुए पूछा - बेटा ! अभी आप वहां सीढ़ी पर एक आँटी के साथ थे न ओर आपके पास बिल्ली भी थीं ..?

किटी बड़ी मासूमियत से बोली - नहीं, मम्मा मैं तो अपने रूम में ड्रॉइंग कर रही थीं।

शोभना का सिर चकरा गया। उसे लगा जैसे उस पर वज्रपात हो गया हो। वह खुद से ही बुदबुदाते हुए कहने लगीं - यह कैसे हो सकता है..? मैने अपनी आँखों से उस औरत और बिल्ली को किटी के साथ देखा था। नहीं...नहीं ...यह मेरा वहम नहीं है।

तभी गोलू ने कहा - " मम्मा आप किससे बातें कर रहें हो ? "

"किसी से नहीं बेटा" - अपने माथे पर छलक आई पसीने की बूंदों को आंचल से पोछते हुए शोभना ने कहा ।

बच्चे अपने रूम में चले गए। शोभना अब तक हॉल में घटित हुए वाकये के कारण डरी-सहमी हुई थीं। वह इसी उधेड़बुन में थी कि क्या सच में वह दृश्य मेरा वहम था...महज मेरे दिमाग की उपज...? नही..! नहीं..! मैंने जो देखा वहीं सच है, पर किटी झूठ क्यों कहेगी..?

शोभना अपने मन में कई सवालों के जाल बुनती गई औऱ हर सवाल पर गुत्थी और भी उलझती चली गईं। तभी डोरबेल की आवाज ने शोभना को प्रश्नों के जाल से बाहर कर दिया। उधेड़बुन में ही शोभना ने दरवाजा खोला। सामने रघुनाथ खड़े थे। शोभना के चेहरे की उड़ी हुई रौनक देखकर रघुनाथ हँसकर बोले - " चेहरे पर बारह क्यों बजे हुए है ? "

अपने हावभाव को छुपाने का प्रयास करते हुए शोभना ने कहा - कुछ नहीं, आज काम ज़्यादा था इसलिए थोड़ी सी थकान सी हो गई।

रघुनाथ ने कहा - " फिर तो आज डिनर हम बनाएंगे,रघु की स्पेशल खिचड़ी " तुम सब्जियां काटकर रखों। मैं मुंह-हाथ धोकर आता हूँ - कहकर रघुनाथ वॉशरूम चले गए।

शोभना अब भी भ्रमजाल में फंसी हुई थी। मन में विचार मथनी की तरह घूम रहें थे। वह किचन कि ओर चली गई। शोभना ने सब्जियां काटकर रख दी, रघुनाथ भी किचन में आ गए और खिचड़ी बनाने लगें। जब खिचड़ी तैयार हो गई तो रघुनाथ ने शोभना से कहा - दोनों बच्चों को भी ले आओ । गर्म खिचड़ी बड़ी स्वादिष्ट लगती है। शोभना बच्चों को लेने के लिए गई। गोलू तो सामने से आता हुआ दिख गया। शोभना ने उससे पूछा - "गोलू, किटी कहाँ है ?"

गोलू ने आंखे मलते हुए कहा - " मम्मा मैं तो हॉल में ही वीडयो गेम खेल रहा था। किटी अपने रूम में होंगी। शोभना ने गोलू से कहा - " अच्छा, तुम चलो मैं किटी को लेकर आती हुँ।

शोभना किटी के रूम के दरवाजे के पास पहुंचकर ठिठक गई। अंदर से लोरी गाने की आवाज आ रहीं थीं।

हवा धीरे आना

नींद भरे, पंख लिए, झूला झुला जाना

नन्ही कली सोनी चली हवा धीरे आना

शोभना ने हौले से दरवाजा खोला । पलंग पर किटी दीवार कि ओर मुहं किये हुए थीं। शोभना ने बिना कुछ कहे किटी के पास चली गई। शोभना के पैरों की आहट से अचानक किटी पलटी। उसके बाल बिखरे हुए हवा में उड़ रहे थे, आंखे सुर्खलाल थी । वह भर्राए गले से चीखते हुए बोली - चली जाओ यहाँ से। यह मेरा घर है, इस घर की मालकिन मैं हूँ ।

शोभना डर से पीछे हटी। तभी किटी शोभना पर ऐसे झपटी जैसे शेर अपने शिकार पर झपटता है।

शोभना तेज़ चिल्लाई और अपने मुँह को दोनों हाथों से ढक लिया।

शोभना की आवाज़ सुनकर रघुनाथ वहाँ दौड़कर आए । " क्या हुआ ? " रघुनाथ ने शोभना के हाथ चेहरे से हटाते हुए कहा ।

लड़खड़ाती जबान से शोभना ने कहा - क..क..किटी

क्या किटी..? वो तो हॉल में गोलू के साथ है।

शेष अगलें भाग में...