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काला जादू - 9

काला जादू ( 9 )
प्रशांत पाता है कि उस लौंग लगे नींबू का रंग बिल्कुल भी बदला नहीं था , यह देखकर वह सोच में पड़ जाता है और एक एक करके सारे के सारे नींबू काट देता है।

उन सभी लौंग लगे नींबूओं का रंग अंदर और बाहर दोनों तरफ से सामान्य था, यह देखकर वह आकाश से बोला " हमको शोमझ नहीं आ रहा कि ये शोब क्या है?"

" क्या मतलब बेटा? " आकाश ने आश्चर्य से पूछा।

" ओंकल जी आपका घोर पर किशी का तो शाया है बट वो शाया किशी को नुकशान पहुंचाने वाला नोही है......"

" क्या ? फिर वो साया हमारे घर में है ही क्यों? " आकाश ने हैरानी से कहा।

" उशका वहाँ आने का कोई ना कोई कारण जोरूर होगा...... लेकिन शोमझ नहीं आ रहा कि क्या कारण हो सकता है? "प्रशांत ने गंभीर स्वर में कहा ।

" पता नहीं बेटा तुम्हें ये बात बतानी चाहिए या नहीं.... " आकाश ने कुछ सोचते हुए कहा।

" कौन शा बात ओंकल जी? बताओ हमको ....हो शोकता है कि वो काम का बात हो..... " प्रशांत ने कहा।

" असल में उसे तुम्हारी बहन विंशती दिखाई देती है....."

" विंशती है तो दिखाई देगा ही ना ओंकल जी.....वो कोई मिश्टर इंडिया थोड़ा है.... " प्रशांत ने मुस्कुराते हुए कहा।

" अरे मतलब जहाँ वो नहीं होती वहाँ भी उसे दिखती है..... अभी कुछ दिन पहले देर रात को वो तुम्हारी बाल्कनी में देखते हुए बातें कर रहा था, जब हमने पूछा कि यहाँ क्या कर रहे हो तब उसने कहा कि वह तुम्हारी बहन से बातें कर रहा है , और जब हमने तुम्हारी बाल्कनी में देखा तो वहाँ कोई नहीं था.... और ऐसा ही कुछ कल भी हुआ था...... " आकाश ने कहा।

यह सुनकर प्रशांत ने कुछ सोचते हुए कहा " काल वाला बात तो विंशती हमको बताया था लेकिन ये नहीं पोता था कि ऐसा कुछ पहले भी हुआ है..... "

" क्या लगता है बेटा तुम्हें कि ऐसा क्यों हो रहा है? "

" ऐशा कुछ कभी हम शुना नहीं तो कुछ कह नहीं शोकता..... " प्रशांत ने कुछ सोचते हुए कहा।

" बुरा मत मानना बेटा लेकिन कहीं उसे तुम्हारी बहन से प्यार तो नहीं हो गया? "आकाश ने कहा।

यह सुनकर प्रशांत का मुँह बन गया लेकिन फिर उसने स्वयं को संयमित करते हुए कहा " अरे ऐशा कुछ नहीं होगा , आश्विन आपना लिमिट जानता है और वैशा भी हमारा विंशती का शादी तय हो चुका है। "

आकाश ने कहा " बेटा मुझे सिर्फ ऐसा लगा.... " लेकिन तभी उसकी बात बीच में काटते हुए प्रशांत ने कहा " आपको गोलत लोगा...... ओच्छा अब हम बैंक जाना की तैयारी कोरता है.... "

" हाँ फिर मैं भी चलता ही हूँ अब..... " कहकर आकाश वहाँ से चला गया, आकाश के जाते ही प्रशांत ने सामने रखी टेबल पर एक जोरदार मुक्का मारा, मुक्का मारने के समय उसका मुक्का उन कटे हुए कुछ नींबूओं पर पड़ा, जिससे वह नींबू बिल्कुल पिचक गए।

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आकाश वापस अपने फ्लैट में आकर सोफे से पीठ टिकाकर बैठ जाता है, इस दौरान वह अपनी आँखें बंद करके कुछ सोच ही रहा था कि तभी नीले सूट में ज्योति वहाँ आ जाती है।

आकाश को यूँ आँखें बंद कर बैठा देख ज्योति उससे बोली " क्या बात है? वह प्रयोग सफल हुए क्या? "

" नहीं ज्योति, प्रयोग से यही बात पता चली है कि वो जो कुछ भी हमारे घर पर है, हमारे लिए खतरा नहीं है..... लेकिन मैंने शायद कुछ ऐसा बोल दिया जो शायद मुझे नहीं बोलना चाहिए था..... " पीठ सोफे से टिकाकर बैठे आकाश ने ऊपर की ओर देखते हुए कहा ।

" ऐसा क्या कह दिया आपने? "

" मैंने प्रशांत से बातों बातों में कह दिया कि अश्विन को विंशती दिखाई देने लगी है, जहाँ वह नहीं होती वहाँ भी , क्योंकि शायद वह उससे प्यार करने लगा है..... "

" आप पागल तो नहीं हो गए? ये बात प्रशांत से कहने की क्या जरूरत थी? " ज्योति ने आश्चर्य से कहा।

" मुझे लगा कि शायद ये जरूरी हो.... लेकिन लगता है गलती हो गई..... "

" आप भी ना.... पता नहीं क्या सोच..... "ज्योति बोल ही रही थी कि तभी अचानक दरवाजे की घंटी बजी और ज्योति आकाश से बात करना छोड़कर दरवाजा खोलने के लिए उठी।

जैसे ही उसने दरवाजा खोला तो अपने सामने दो पुलिस कर्मियों को देखकर चौंक गई।

उन दोनों पुलिस कर्मियों में से दाईं तरफ वाले की लम्बाई करीब छ: फीट के आसपास थी , उसका रंग गोरा था, उसके बाल छोटे छोटे सलीके से कटे हुए थे, वह कोई 28-29 साल का व्यक्ति प्रतीत हो रहा था , वह देखने में दूसरे पुलिस कर्मी का सीनियर लग रहा था।

बाईं तरफ के पुलिस कर्मी की लम्बाई दूसरे से थोड़ी कम थी, उसका रंग सावँला था, उसकी उम्र 32-35 के आसपास लग रही थी।

दरवाजा खुलते ही दाईं तरफ का पुलिस कर्मी कहता है " नोमश्कार, अमि इंस्पेक्टर जोतिन ,यहाँ का थाना इंचार्ज..... "

" जी नमस्ते..." ज्योति ने कहा।

" क्या ये आश्विन का घोर है? " जतिन ने कहा।

" हाँ जी, लेकिन आप लोग... "

" जी होम एक केस का तहकीकात कोरने यहाँ आया है..... क्या होम ओंदर आ शोकता है? "

" हाँ जी आईए..... " और उसके बाद वह दोनों पुलिस कर्मी अंदर आ जाते हैं , " आश्विन कहाँ पोर है? " जतिन ने अंदर आकर उस फ्लैट का अपनी आँखों से अवलोकन करते हुए कहा।

दो पुलिस कर्मियों को अपने घर में देखकर आकाश चौंक कर उठ खड़ा होता है , वह उन्हें देखने के बाद ज्योति की तरफ देखने लगता है, मानो वह पूछ रहा हो कि " ये पुलिस वाले अश्विन के बारे में क्यों पूछ रहे हैं? " कि तभी ज्योति ने कहा " जी अश्विन सो रहा है.... "

" तो उठाओ उशको..... बहुत जरूरी बात कोरना है उशशे.... " जतिन ने कहा।

" जी... " कहकर ज्योति बेडरूम में अश्विन को उठाने चली जाती है।

कुछ देर बाद अश्विन लाल टीशर्ट और काले पायजामे में ज्योति के साथ बाहर आता है, बाहर आते ही वह सामने जतिन को देखकर कहता है " हैलो आफिसर, क्या अनुष्का का कुछ पता चला? "

" हम उशी बारा में आपशे बात कोरने आया है..... " जतिन ने कहा।

" आईए बैठिए..... " अश्विन ने कहा।

" जी हम ऐशे ही ठीक हैं , आपशे आनुष्का मिसिंग केस का बारे में कुछ पूछताछ कोरना है, आई होप की आप इशमे हमारा सवालों का सही जोबाव देगा। "

" जी पूछिए.... "

" आनुष्का का दोश्त पीयूष ने बोताया कि आनुष्का आपको पोशंद कोरता था..... "

" जी पीयूष ने इस बारे में मुझे भी बताया था लेकिन मैंने पीयूष को ये कहकर टाल दिया कि इस बारे में बाद में बात करेंगे , लेकिन इस बात का अनुष्का के गायब होने से क्या लेना देना है? "

" जी पीयूष से जब हमने पहले इस बारा में बात किया तो उशने कुछ नहीं बोताया, लेकिन फिर जब हमने शोख्ती से पूछा तो उसने शोब बोता दिया...... " जतिन ने गंभीर स्वर में कहा।

" क्या बताया उसने ऐसा? "अश्विन ने हैरानी से कहा।

" जी उशने बोताया कि...........

______फ्लैशबेक______

अनुष्का अपने रूम में पीठ के बल लेटी है, इस दौरान उसका एक हाथ उसके सिर के नीचे है और दूसरा हाथ उसके पेट पर, उसके नाक पर जख्म था जो कि ताज़ा लग रहा था, उसने हरी टीशर्ट के साथ काला ट्राउजर पहना हुआ था, और इस तरह वह लेटे लेटे ऊपर देखते हुए गहन चिंतन में डूबी हुई थी।

अनुष्का जिस बेड पर लेटी थी वह एक सिंगल बेड था, जिसपर पीली चादर बिछी हुई थी, उस बेड से थोड़ी ही दूरी पर बाईं तरफ एक खिड़की थी, जिसके ऊपर हल्के बादामी रंग का पर्दा लगा हुआ था , उस बेड के दाईं तरफ एक ड्रेसिंग टेबल था, और उस ड्रेसिंग टेबल के बगल में एक लकड़ी की अलमारी थी ।

उस बेड के सामने की तरफ एक स्लैब थी, जिसके ऊपर गैस और कुछ बर्तन लगे हुए थे, उस स्लैब के ऊपर कुछ लकड़ी के कपबोर्ड बने हुए थे, जो कि बंद थे।

उस स्लैब के दाईं तरफ मटीले रंग का एक दरवाजा था जो कि बंद था , वह पूरा कमरा हल्के गुलाबी रंग में रंगा हुआ था।

अनुष्का उस बेड पर लेटे लेटे काफी देर तक कुछ सोचे जा रही था।

कुछ देर बाद उस कमरे के दरवाजे पर किसी की दस्तक होती है , उस दस्तक की आवाज़ सुनकर अनुष्का अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आती है और दौड़कर दरवाजा खोलने दरवाजे की तरफ बढ़ जाती है।

" कौन आछे? ( कौन है? ) " अनुष्का ने दरवाजे के पास आकर कहा।

" आमि पीयूष.... " दरवाजे के दूसरी तरफ से आवाज आई।

वह आवाज सुनकर अनुष्का ने फौरन दरवाजा खोल दिया, दरवाजा खोलते ही अनुष्का ने पाया कि सामने पीयूष खड़ा था।

" भीतारे आशो ( अंदर आओ ) "कहते हुए अनुष्का वापस कमरे में आ गई, उसके पीछे पीछे पीयूष भी आ पहुँचा।

आश्विन सोर कि बोलछि? " ( अश्विन सर ने क्या कहा? ) अनुष्का ने आँखों में एक चमक के साथ कहा।

यह सुनकर पीयूष ने कहा " वो बोलेछि कि वो इश बारा में बाद में शोचेगा... बट हे रिलेक्सड हाँ उन्होंने ना नोही किया..... " अनुष्का ने पीयूष की बात बीच में काटते हुए कहा " किंतु उन्होंने हाँ भी नोही किया.... "

" पोड़ेशान ना हो आनुष्का तुमी.... उन्हें तुम पोशंद है.... "

" मोनीष बोलेछि कि आश्विन सोर हमें पोशंद नहीं कोर सोकता..... " अनुष्का ने रूआंसे स्वर में कहा।

" अरे मोनीष तो पागला आछे ( अरे मनीष तो पागल है )...." पीयूष ने कहा।

" होम फिर भी आश्विन सोर के जोन्ने चेंज होने का कोशिश कोरेगा.... हम शारा फालतू काम छोड़ देगा..... फिर तो आश्विन सोर हमको पोशंद कोरेगा ना? "

" अरे बिल्कुल कोरेगा.... " पीयूष ने कहा।

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अगले दिन अनुष्का नीला सलवार सूट पहन कर आॅफिस जाती है, हमेशा जींस और स्कर्ट पहनने वाली अनुष्का ने आज पहली बार सलवार सूट पहना था, उस पारंपरिक लिबास में अनुष्का बहुत खूबसूरत लग रही थी।

अनुष्का वह सूट पहने लिफ्ट के पास खड़े होकर अश्विन का इंतजार करने लगी ,कुछ देर बाद काली शर्ट और नीली जींस में अश्विन वहाँ आता है, इस दौरान अश्विन कुछ चिंतित लग रहा था, इसलिए उसने लिफ्ट के पास खड़ी अनुष्का पर कोई ध्यान ना देते हुए लिफ्ट का बटन दबाया।

जब अश्विन ने उसकी तरफ देखा तक नहीं तब अनुष्का को थोड़ा बुरा लगा लेकिन फिर अगले ही पल अनुष्का ने मुस्कुराते हुए कहा " हैलो , गुड मॉर्निंग सोर..... "

" गुड मॉर्निंग..... " अश्विन ने बिना उसकी ओर देखे कहा।

अब अनुष्का को पहले से ज्यादा बुरा लग रहा था, क्योंकि आश्विन ने उसे गुड मॉर्निंग कहने के लिए मुड़कर देखा तक नहीं।

अगले ही पल लिफ्ट वहाँ आ गई, लिफ्ट के आते ही अश्विन उसमें बढ़ गया,अश्विन के पीछे पीछे अनुष्का भी उस लिफ्ट में बढ़ जाती है , लिफ्ट में आकर वह अश्विन के ठीक सामने आकर खड़ी हो जाती है ताकि अश्विन का ध्यान उस पर जाए लेकिन अश्विन तो अपने में ही मशगूल था।

कुछ देर बाद लिफ्ट 2nd फ्लाॅर पर आकर रूकती है, 2nd फ्लाॅर पर आते ही कुछ लोग लिफ्ट में और बढ़ जाते हैं जिससे अनुष्का अश्विन से थोड़ी दूर हो जाती है।

कुछ देर बाद 6th फ्लाॅर पर लिफ्ट रूकती है, तब अश्विन तेजी से लिफ्ट में से निकलकर अंदर अपने डिपार्टमेंट की तरफ जाने लगता है।

इस दौरान अनुष्का अश्विन को ही देखे जा रही थी, उसका मन कह रहा था जैसे वह अभी उसे पलटकर देखेगा, लेकिन असल में ऐसा कुछ नहीं हुआ।

अश्विन बिना अनुष्का की ओर देखे सीधे अपने कैबिन में जा बैठा, अनुष्का भी अपनी डेस्क पर आकर बैठ गई, इस दौरान वह काफी परेशान लग रही थी।

आज अनुष्का उस परिधान में बेहद अलग और खूबसूरत लग रही थी, इसलिए आॅफिस के सारे लोग उसे ही मुड़ मुड़कर देख रहे थे।

अनुष्का का ध्यान उस तरफ गया ही नहीं वह इस बात से परेशान थी कि जिसके लिए वह आज बिल्कुल अलग तरह से बन ठनकर आई थी उसने उसपर ध्यान ही नहीं दिया।

इसी बात से परेशान अनुष्का अपनी डेस्क पर बैठकर कभी कैबिन में बैठे अश्विन की ओर देखती तो कभी अपने कपड़ों की ओर।

कुछ देर बाद पीयूष अनुष्का के पास आया और कहा " कैशा रोहा ओनुष्का? "

इस पर अनुष्का ने पहले एक नजर अश्विन को देखा और फिर ठंडी साँस लेकर कहा " लोगता है कि हम शुंदोर नहीं लोग रहा.... "

" ऐशा नोही है ओनुष्का.... देखो शारा लोग कैशा तुमको ही देख रहा है क्योंकि तुम खूब भालो लोग रहा है..... एक काम करो तुम काम का बात कोरने का बहाने आश्विन शर का कैबिन में जाकर उनशे बात कोरने का कोशिश करो..... " पीयूष ने कहा।

" आर यू श्योर? " अनुष्का ने आशंकित स्वर में कहा।

" अरे डेम श्योर बाबा तू जा.... "

उसके बाद अनुष्का ने अपने टेबल पर रखी फाईल उठाई और अश्विन के कैबिन की ओर चल दी।

कैबिन के दरवाजे पर आकर अनुष्का ने उस कैबिन का दरवाजा हल्के से खोलकर मुस्कुराते हुए कहा " मे आई कम इन सर? "

क्रमश:......
रोमा.........