Kala Jaadu - 10 books and stories free download online pdf in Hindi

काला जादू - 10

काला जादू ( 10 )

" कम इन.... " अश्विन ने दरवाजे पर खड़ी अनुष्का को एक नजर देखते हुए कहा।

जैसे ही अश्विन की नजर अनुष्का पर पड़ी, वह मुस्कुराते हुए कैबिन के अंदर चली आई।

" बताओ क्या बात है? " अश्विन ने एक पीली फाईल देखते हुए कहा।

" सोर वो हम कोम्पोनी का नया प्रोडक्ट का बारे में आपशे कुछ बात कोरना चाहता था..... "

" हाँ बोलो...... "

" सोर हमारा नया प्रोडक्ट का मार्केट में विज्ञापोन करें तो कैशा रहेगा? "

" आईडिया तो अच्छा है अनुष्का , लेकिन इसके लिए हमें काफी पैसा चाहिए होगा , तो इस बारे में हमें सी ई ओ से बात करनी पड़ेगी..... "

" जी सोर आप आराम शे उनका साथे बात कोर लेना..... " अनुष्का ने मुस्कुराते हुए कहा।

" हाँ ठीक है.... ".अश्विन ने कहा और उसके बाद वह दोबारा से वही पीली फाईल देखने लगा , इस दौरान अनुष्का वहीं बैठे अश्विन को निहारती रही।

जब काफी देर तक भी अनुष्का बिना कुछ बोले वहाँ बैठी रही तो अश्विन ने उसकी तरफ देखते हुए कुछ " कुछ और भी बात करनी है? "

यह सुनकर अनुष्का सकपकाते हुए बोली " न..... नोही सोर.... "

" देन गो....." ऐसा कहकर वह दोबारा वही पीली फाईल देखने लगता है।

यह सुनकर अनुष्का को बहुत बुरा लगता है क्योंकि उसने उसे दिखाने के लिए ही यह परिवर्तन अपनाया था लेकिन अश्विन ने तो इस ओर बिल्कुल ध्यान ही नहीं दिया।

अनुष्का अपना मुँह लटकाकर वापस अपनी डेस्क पर आकर बैठ जाती है, उसे यूँ उदास देखकर पीयूष ने पूछा " कि होलो? (क्या हुआ) "

इस पर अनुष्का कुछ ना बोली, उसे कुछ कहने की जरूरत ही नहीं पड़ी क्योंकि उसके मायूस चेहरे ने सब बता दिया था।

उसका मायूस चेहरा देखकर पीयूष ने कहा " हो शोकता है कि आश्विन सर को सिंपल लोड़की पोशंद ही ना हो, उन्हें आज का जमाना का पोशंद हो? "

" किंतु इशका पोता कैशे चोलेगा ?" अनुष्का ने कहा।

" होम है ना..... हम उनशे बातों बातों में पूछ लेगा..... "

" शोत्ति ?" अनुष्का ने मुस्कुराते हुए कहा ।

" हां बाबा " पीयूष ने कहा ।

और इसी के साथ ही वह दोनों वापस अपने कामों में लग गए।

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दोपहर का समय -

अश्विन लंच करने के लिए आॅफिस के बाहर स्थित एक होटल में गया , उस होटल का मुख्य द्वार काँच का था और दरवाजे के दाईं तरफ ही एक बिलिंग काउंटर था , जिसपर एक कंप्यूटर लगी हुई थी, उस कंप्यूटर के बाईं तरफ एक मशीन थी जिसमें से बिल निकाला जा रहा था , उस कंप्यूटर के आगे एक 24-25 वर्षीय गोरा शख्स लाल टीशर्ट और काली पतलून में बैठा हुआ था । उस बिलिंग काउंटर के बाईं तरफ 3- 4 बड़े बड़े पारदर्शी फ्रीजर रखे हुए थे, जिनके अंदर तरह तरह की मिठाईयाँ और वयंजन रखे हुए थे , जो फ्रीजर के पारदर्शी होने के कारण साफ साफ देखे जा सकते थे। उस काउंटर के ठीक पीछे मटीले रंग की अलग अलग 5-6 टेबल चार चार कुर्सियों के साथ लगी हुई थी ,उनमें से 2 टेबल पर कुछ पहले से ही कुछ लोग बैठे हुए थे और बाकि के खाली थे ।

अश्विन वहाँ आकर उनमें से एक टेबल पर आकर बैठा ही था कि तभी वहाँ पीयूष आ गया ।

" सोर..... क्या हम यहाँ आपके शाथ बैठ सोकता है? " पीयूष ने उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठते हुए कहा।

" बैठ तो गए हो और कितना बैठोगे? "अश्विन ने उसे घूरते हुए कहा।

" आपका मोजाक करने का आदत हमको बहुत भालो लोगचि सर..... " पीयूष ने हँसते हुए कहा।

इसपर अश्विन ने कुछ ना कहा, वह बस चुपचाप पीयूष को घूरे जा रहा था , इसी दौरान लाल टीशर्ट और काली पतलून में एक 23-24 साल का साँवला लड़का वहाँ आया और कहा " क्या लाऊँ सर..... "

अब अश्विन ने पीयूष को घूरना छोड़कर उस लड़के की ओर देखते हुए कहा " आलू छोले और चावल ले आओ.... " उसके बाद उस लड़के ने पीयूष की तरफ देखा, इसपर पीयूष ने कहा " एक मिक्स्ड वेज पिज्जा विद एकस्ट्रा चीज़ ।"

यह सुनकर वह लड़का वहाँ से चला गया, उसके जाने के बाद पीयूष ने मुस्कुराते हुए कहा " सोर आप सीनियर होकर ऐशा शादा खाना खाता है...."

" तो तुम क्या चाहते हो कि मैं सोना चाँदी खाऊँ? " अश्विन ने उसे घूरते हुए कहा।

यह सुनकर पीयूष कहा " नहीं सोर मेरा मतलब तो...." अश्विन ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा " तुम्हारा मतलब तुम मुझे ना ही समझाओ.....मुझे ऐसा ही सिंपल दाल - चावल , सब्जी - रोटी ही पसंद है, इसे खाने से कम से कम जान तो आती है शरीर में....ये पिज्जा पास्ता वगैरह खाकर क्या खाक जान आयेगी शरीर में...... "

यह सुनकर पीयूष कुछ ना बोल सका क्योंकि अश्विन की बात बिल्कुल सही भी थी , फिर उसने कहा " सोर आपको किश तरह का लोड़की पोशंद है? "

यह सुनकर अश्विन ने आँखें भींचतें हुए कहा " ये तुम क्यों जानना चाहते हो? "

" ऐसा ही पूछा सोर क्योंकि आप बहुत ओलग ही है तो आपका पोसंद भी ओलग ही होगा..... "

" मैं नहीं जानता कि मेरी पसंद अलग है या नहीं बट मुझे सिंपल लड़की पसंद है, जो खाना बनाना जानती हो, जो मेरे घर वालों का ख्याल रखे..... फिर भले ही वह किसी भी जाति धर्म की हो मुझे उससे फर्क नहीं पड़ता..... "

" आपका पोशंद बहुत ओच्छा है सर....एंड यू नो व्हाट हमारा दोस्त आनुष्का भी बिल्कुल ऐसा ही है..... " पीयूष ने कहा।

" झूठ थोड़ा कम बोलो.... मैंने अपने आॅफिस के पहले दिन तुम तीनों को सिगरेट पीते हुए देखा था....."

" अरे सर वो तो मोनीष बोलेछि आनुष्का को..... "

" उसके कहने पर अनुष्का ने सिगरेट पी..... वो कैसे? "

" अरे सर वो मोनीष ने कहा कि आनुष्का में अगर दोम है तो ये सिगरेट पीकर दिखाए.... बश उसी लिए आनुष्का ने वो सिगरेट पिया...." पीयूष ने कहा और इसी दौरान उस लड़के ने छोले चावल की थाली अश्विन के आगे लाकर रख दी ।

यह सुनकर अश्विन कुछ ना बोला क्योंकि शायद वह इस बारे में जानना भी नहीं चाहता था और अब तक अश्विन की थाली भी आ चुकी थी इसलिए अश्विन ने बहस ना करते हुए सीधा अपना खाना खाना शुरू किया।

पीयूष अब एकदम चुप बैठा था, उसे शक था कि शायद अश्विन को उसकी इस बात पर भरोसा नहीं हुआ था , वह यह सोच ही रहा था कि तभी वह लड़का उसका पिज्जा भी ले आया और इसलिए पीयूष अब चुपचाप अपना पिज्जा खाने लगा।

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शाम का समय अनुष्का के घर पर -

अनुष्का गुलाबी टीशर्ट और काला पजामा पहन कर बेसब्री से कुछ सोचते हुए अपने कमरे में यहाँ से वहाँ टहल रही थी।

उसे टहलते हुए कुछ ही देर हुई होगी कि तभी उसके दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई , " कौन आछे? "अनुष्का ने दरवाजे के पास आकर कहा।

" अरे आमि पीयूष..... " दरवाजे के दूसरी तरफ से आवाज आई , यह सुनकर अनुष्का ने फौरन दरवाजा खोला, सामने पीयूष खड़ा था उसे देखकर अनुष्का ने मुस्कुराते हुए कहा " अंदर आ.... "

उसके बाद पीयूष अंदर आया, उसके अंदर आते ही अनुष्का ने पूछा " आश्विन सर ने क्या कहा? "

" वो बोलेछि कि उनको सिंपल लोड़की पोशंद है, जो खाना बनाना जानता हो बाकि कहीं का भी हो उन्हें चोलेगा.... " पीयूष ने अनुष्का के कंधों पर हाथ रखकर कहा।

यह सुनकर अनुष्का ने मुस्कुराते हुए कहा " फिर कल हम आश्विन सोर का लिए कुछ अच्छा बोनाकर ले जाएगा....लेकिन पीयूष होम क्या पहने कोल जो आश्विन सोर थोड़ा होम पर ध्यान दे?"

यह सुनकर पीयूष सोच में पड़ गया इस दौरान अनुष्का उम्मीद भरी निगाहों से उसे ही देख रही थी, फिर कुछ देर बाद पीयूष ने कहा " तुम कोल धोती ( साड़ी ) क्यों नहीं पहनता? "

" क्या? लेकिन हमको वो पहनना कहाँ आता है? "

" तो शीख ना बाबा.....अगर आश्विन सोर से शादी हुआ तो उनके लिए तो पहनेगा ना ? तो आभी शे शीख ले.... "

" बट हमारा पास धोती ना आछे..... "

" तो चल अभी ले आता है तेरे लिए...."

" ठीक आछे चोल..... "

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अगले दिन अनुष्का नीला साड़ी पहन कर आॅफिस के लिए निकलती है , वह इसमें बहुत खूबसूरत लग रही थी ।

अनुष्का वहाँ आकर लिफ्ट के पास खड़े होकर अश्विन का इंतजार करने लगती है , लगभग 10 मिनट बाद अश्विन वहाँ आता है, वह लिफ्ट के पास खड़ी अनुष्का को देखता है जिसने आज नीली साड़ी पहनी थी।

अश्विन को अपनी तरफ देखते हुए देखकर अनुष्का मुस्कुराते हुए कहती है " गुड मॉर्निंग सोर..... "

" गुड मॉर्निंग। " अश्विन ने कहा और फिर वह लिफ्ट का बटन दबा कर लिफ्ट की तरफ देखने लगा।

" सोर हम धोती में कैशा लोग रहा है? "अनुष्का ने मुस्कुराते हुए अश्विन की ओर देखते हुए कहा।

" हर लड़की भारतीय परिधान में अच्छी ही लगती है... " अश्विन ने बिना उसकी ओर देखे कहा।

यह सुनकर अनुष्का को थोड़ा गुस्सा आया और उसने कहा " हम अपना बात कोर रहा है बाकियों का नहीं.... हम कैशा लोग रहा है? "

अब तक लिफ्ट आ चुकी थी , लिफ्ट के आते ही अश्विन उसमें बढ़ गया ,उसके पीछे पीछे अनुष्का भी लिफ्ट में बढ़ गया।

लिफ्ट में आते ही अनुष्का कुछ देर तो शांत रहती है लेकिन कुछ देर बाद वह दोबारा उससे पूछा " सोर हम आपसे कुछ पूछा था अभी.... "

" क्या तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है अनुष्का? "

अब इससे पहले कि अनुष्का कुछ कहती लिफ्ट का दरवाजा खुलता है, दरवाजा खुलते ही 4-5 लोग उसमें बढ़ जाते हैं।

अनुष्का अब बिल्कुल चुपचाप वहाँ खड़ी अश्विन को ही घूरे जा रही थी लेकिन अश्विन ने उसकी ओर ध्यान ना देते अपना मोबाइल निकाला और उसमें कुछ देखने लगा।

6th फ्लाॅर आते ही अश्विन और अनुष्का लिफ्ट से बाहर आ जाते हैं , इस दौरान वह दोनों बिल्कुल शाँत थे ।

अश्विन वहाँ आकर सीधा अपने कैबिन में चला जाता है और अनुष्का आकर अपनी डेस्क पर बैठ जाती है, उसे अभी अश्विन पर गुस्सा भी आ रहा था।

अनुष्का ने आकर अपना सिस्टम आॅन किया ही था कि तभी पीयूष वहाँ आ गया और मुस्कुराते हुए कहा " की होलो आनुष्का? सर कि बोलेछि ?( क्या हुआ अनुष्का? सर ने क्या कहा? )"

" होम पर ध्यान ही नहीं देता है वो...... उनको दिखाई नहीं देता क्या कि होम उनका लिए कैशा बोदल गया? "ये कहते हुए अनुष्का की आँखों में आँसू आ गए ।

" अरे यार सोर को शोर्म आता होगा ना..... ऐशा करो तुम जो बना कर लाया है वो हम आश्विन सोर को खिलाएगा..... उनको पोशंद आएगा..... "

" हमको नोही लोगता पीयूष..... उनको मुझ से कोई ना कोई पड़ेशानी तो है..... "

" अरे ऐशा किचू नहीं है.... तुम लाओ हम उन्हें खिला देगा...."

" ठीक आछे पीयूष तुम इतना कह रहा है तो होम तुम्हारा बात मान लेता है.... " अनुष्का ने ठंडे स्वर में कहा।

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दोपहर का समय -

सारे लोग लंच करने या तो बाहर निकल गए थे या अपनी डेस्क पर बैठकर ही लंच कर रहे थे।

अश्विन भी बाहर जाने की तैयारी करने लगा कि तभी अनुष्का और पीयूष उसे उसके कैबिन के बाहर ही रोक लेते हैं.....

" हैलो सोर कहीं जा रहा था आप? " पीयूष ने मुस्कुराते हुए कहा।

" अब मैं कहाँ जा रहा हूँ ये भी तुम्हें बताऊँगा? "

" अरे नहीं सोर असल में आप जिस काम से जा रहा था वो हमें पोता है, इशलिए ओनुष्का आप का लिए कुछ लाया है...." पीयूष ने एक स्टील का टिफिन अश्विन के सामने लाते हुए कहा।

" क्या है इसमें? " अश्विन ने वह स्टील का टिफिन देखते हुए कहा।

" आप ही खोल कर देखिए ना सोर? "

" ठीक है... " कहकर अश्विन ने वह स्टील का टिफिन पीयूष के हाथों से लिया और उसे खोलने लगा।

टिफिन का ढक्कन खोलते ही उसमें से कुछ पीले रंग का तरल पदार्थ अश्विन के ऊपर गिर गया फिर अश्विन ने गुस्से से पीयूष को घूरते हुए पूछा " इसमें क्या है ?"

" मांस आछे सोर..... मैंने बोनाया है.... " अनुष्का ने मुस्कुराते हुए कहा।

" मेरा व्रत था आज..... लेकिन तुम लोगों की बेवकूफी से वह खंडित हो गया। " अश्विन ने गुस्से में उन दोनों को घूरते हुए कहा।

यह सुनकर वह दोनों बहुत डर जाते और कहते हैं " साॅरी सर.... "

लेकिन अश्विन बिना कुछ कहे वह टिफिन वापस पीयूष को देता है और गुस्से में वहाँ से चला जाता है।

अश्विन के जाने के वह दोनों एक दूसरे का मुँह तांकने लगते हैं ,फिर अनुष्का कहती है " अब क्या कोरेगा पीयूष? सोर तो बहुत गुस्सा हो गया होम शे..... "

" हम कुछ कोरता है ना ओनुष्का.... तुम उशका चिंता मोत करो.... " पीयूष ने कहा ।

" अब लोगता है हमको ही कुछ कोरना पड़ेगा..... "

" तुम क्या कोरेगा अब? "पीयूष ने हैरानी से कहा।

" वो तुम खुद ही देख लेना.... लेकिन अब होम सोर को बताएगा कि हम कौन हैं? "

क्रमश.......
रोमा........