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उभरता सितारा

 

                         एक लड़का पांच मंजिला इमारत की छत पे खड़ा था । शायद वो आत्महत्या करने जा रहा था । उसकी आखों में आंसु और उदासी थी तभी उसने वहा से छलांग लगा दी लेकिन ये क्या ? । वो बीच हवा मे ही रुक गया और उस लड़के के सामने सात महागुरू अपने सफेद पोशाक पहने हुए आए । सात महागुरू ने उसके बताया की " कुशल तुम्हारा जन्म इस दुनिया से बुराई का नाश करने के लिए हुआ है तुम इस तरह से आत्महत्या करके विधि के विधान को नही बदल सकते । हम सप्त महागुरू तुम्हे तीन अलग अलग शक्तियां देते है १ ) तुम्हे कभी कोई मार नही पाएगा तुम्हारा शरीर बहुत कठोर होगा २) तुम्हारे दिमाग मे सौ इंसानों की बुद्धि होगी ३) ये एक तलवार है जो तुम्हारी शरीर की ऊर्जा से चलेगी उसके लिए रोज तुम्हे ध्यान लगाना होगा और अपनी शरीर की ऊर्जा को बढ़ाया होगा । जब तुम्हे इस शस्त्र की आवश्यकता हो " ॐ नम शत्रु शस्त्र स्तंभन उत्पन्न" इतना बोलना होगा और शस्त्र तुम्हारे सामने आ जाएगा " 

सात महागुरू ने कुशल को आशीर्वाद दिया और गायब हो गए । तभी कुशल की आंखे खुली और उसने देखा वो रास्ते पे लेटा हुआ था ।

 

                          कुशल एक ऐसा लड़का जिसका दुनिया मे कोई नही है। मुंबई की सड़को पे रहता था पेपर बेच के अपना खाना पीना खाता था । रात को सड़क के किनारे सो जाता था । लेकिन उसकी जिंदगी अब बदलने वाली थी क्युकी पिछली रात जब उसने आत्महत्या करने की कोशिश की तभी सात महागुरू ने उसे नया जीवन दिया है । अब उसको पैसे कमाने की जरूरत थी क्युकी उसको अगर कुछ करना है तो उसके पास पैसे होना बहुत जरूरी है । ऐसे भिखारी बन के तो वो दुनिया से बुराई कभी खत्म नहीं कर पायेगा । तभी कुशल की नजर थोड़ी दूर रास्ते पे गई उसने देखा की एक सत्तर साल के बूढ़े को कुछ लोग परेशान कर रहे हे उससे जबरदस्ती किसी पेपर पे हस्ताक्षर करवा रहे थे । तभी कुशल वहा पहुंच गया और उन गुंडों का सरदार कुशल को देख के बोला " ओ भिखारी चल निकल यहां से वर्ना कल की सुबह नही देख पाएगा " कुशल ने उसकी बात सुनते ही एक मुक्का उसके मुंह पे मारा उसी टाइम दस गुंडों से कुशल को चारो तरफ से घेर लिया उसे मारने के लिए आगे बढ़ने लगे कुशल ने सारे गुंडों को थोड़ी ही देर मे धरासई कर दिया । कुशल ने नीचे गिरे बूढ़े व्यक्ति को उठाया और साइड पे बिठाया गाड़ी मे से पानी बोतल निकाल के उस व्यक्ति को पानी पिलाया । उस व्यक्ति ने थोड़ी देर बात होश संभालते हुए बोला 

 

हर्षवर्धन : धन्यवाद बेटा में हरवर्धन बजाज हूं बजाज ग्रुप का CEO। मेरी तबियत अब ठीक नही रहती मेरे पीछे इस कंपनी को संभालने वाला कोई नहीं है मेरे ग्रुप के कुछ लोग मुझे मार के मेरी कंपनी को लेना चाहते है। मेरे ऊपर आज ये हमला भी मेरी सेक्रेटरी अनाया ने करवाया है। 

इतना कहते ही उनकी सांसे तेज हो गई ।

 

कुशल : बाबा आपको हुआ क्या है क्यों आपकी तबियत ठीक नही रहती ।

 

हर्षवर्धन : मे पहले कराटे चैंपियनशिप था उस टाइम मुझे एक गंभीर चोट लगी थी वो चोट धीरे धीरे मुझे अब इस उम्र मे परेशान कर रही हे । रात के टाइम बहुत ज्यादा दर्द होता हे और कभी कभी बेहोश हो जाता हूं।

 

कुशल : बाबा आप चाहो तो मे आपको ठीक कर सकता हूं

( हर्षवर्धन आश्चर्य से कुशल को देख रहे थे )

 

हर्षवर्धन : क्या तुम सच कह रहे हो ? अगर ये सच है तो में तुम्हारा अहसान जिंदगी भर नही भूलूंगा ।

 

कुशल : बाबा उसके लिए हमे एक कमरे मे जाना होगा बीच रास्ते मे आपका इलाज नही कर पाऊंगा मे। 

 

हर्षवर्धन : ठीक है हम अभी तुम्हारे घर चलते है तुम बस केसे भी करके मुझे ठीक कर दो 

 

कुशल : बाबा मेरा कोई घर नही । मे सड़क के किनारे रहता हूं

 

हर्षवर्धन : ठीक हे हम लोग मेरे बंगलो पे चलते हैं

 

थोड़ी देर मे दोनो एक बड़े से बंगलो पे बाहर आ गए अंदर बहुत सारे नोकर चाकर थे । थोड़ी देर मे दोनो एक कमरे मे पहुंच गए और कुशल ने हर्षवर्धन को बेड पे लेटा के इनकी पीठ पे कुछ जड़ी बूट्टी और कुछ लेप लगाने लगा थोड़ी देर मे हर्षवर्धन बेहोश हो गए और उनको होश आया पांच घंटे बाद जब वो उठे तो उनको लगा की वो किसी और के शरीर मे आ गए हो उनका जेसे नया जन्म हुआ हो । उन्होंने हंसते हुए कुशल को गले लगा लिया । कुशल भी उनके आशीर्वाद लेके जाने लगा ।

 

हर्षवर्धन: रुको बेटा क्या नाम है तुम्हारा क्या करते हो अपने बारे मे कुछ तो बताओ

 

कुशल : बाबा मेरा नाम कुशल है मे पेपर बेचता हूं और अपना काम चलाता हूं

 

हर्षवर्धन : तुम्हारे परिवार मे कोन है

 

कुशल : बाबा मेरा इस दुनिया में कोई नही है। 

 

हर्षवर्धन : तुम मेरी एक बात मानोगे ?

( कुशल ने हा मे हर हिला दिया )

 

हर्षवर्धन : मेरा इस दुनिया मे कोई नही है क्या तुम मेरे बेटे बन के मेरे साथ रहोगे ? 

 

कुशल की आंख मे अब आंसू आ गए थे उसे कभी ऐसा अपनापन नही मिला था उसने भाग के हर्षवर्धन के पैर छुए और गले लगा लिया 

 

थोड़ी देर दोनो ने बात की ओर खाना खाकर सो गए 

 

दूसरे दिन हर्षवर्धन ऑफिस चले गए और नोकर के बोल के गए थे । 

कुशल उनका बेटा है जब भी वो उठे उसको नाश्ता दे दे और उसका खयाल रखे । कुशल जब उठा तो नोकर ने उनको नाश्ता दिया और उसके नहाने के लिए बाथरूम मे ले गए उसके लिए कपड़े और बाकी समान वहा रख दिया । कुशल थोड़ी ही देर मे सारे नोकर का चहिता हो गया था सब लोग उसके साथ अच्छे से बात करते थे उसका ख्याल रखते थे । शाम को हर्षवर्धन आए तो देखा कुशल सबके साथ हंसी मजाक कर रहा था । 

 

हर्षवर्धन: बेटा तुम्हे कोई तकलीफ तो नही हुई ? 

 

कुशल : नही बाबा मुझे कोई तकलीफ नही हुई 

 

हर्षवर्धन : बेटा वैसे तुम कितने साल के हो आगे क्या सोचा है ? 

 

कुशल : बाबा मे बाइस साल का हूं मेने अभी तक कुछ सोचा नहीं है आगे क्या करू । आप ही मेरा मार्गदर्शन करे 

 

हर्षवर्धन : बेटा मेने सोचा हे तुम अब मेरी जगह लो कंपनी मे । अब में बूढ़ा हो चुका हूं कंपनी को एक जवान CEO की जरूरत है। तुम्हारा मार्गदर्शन मे करूंगा लेकिन कंपनी को तुम्हे संभालना होगा । 

 

कुशल ( कुछ सोचते हुए ) : ठीक है बाबा आप जैसा कहो । मे पूरी कोशिश करूंगा आपकी उम्मीद पे खरा उतरूंगा। 

 

हर्षवर्धन: ठीक हे कल तुम मेरे साथ मेरी ऑफिस चलोगे 

 

दूसरे दिन हर्षवर्धन और कुशल दोनो बजाज ग्रुप की ऑफिस पहुंचे सब ने एक साथ खड़े होकर हर्षवर्धन को गुड मॉर्निंग बोला । हर्षवर्धन ने कुशल को आगे करते हुए बोला आज से कुशल बजाज आपके नए CEO होंगे। आज से ऑफिस की सारी जिम्मेदारी कुशल बजाज की होगी । सब लोग आपस में बात करने लगे आखिर ये कोन हे नया CEO, कुछ लोगो के चहरे पे खुशी थी कुछ लोगो के चहरे पे गुस्सा और नाराजगी थी । हर्षवर्धन कुशल को CEO की केबिन मे ले गए उसे बोला कुछ भी जरूरत हो कुछ समझ न आए मुझे कॉल कर देना । शाम को जब कुशल घर आया वो सीधा हर्षवर्धन के कमरे मे गया 

 

हर्षवर्धन : वाह बेटा अभी कुछ देर पहले हमारी कंपनी के डायरेक्टर का कॉल आया था उन्होंने बताया की नए CEO ने पहले ही दिन बहुत अच्छे से सारे काम देखे । सारे लोग तुम्हारे काम से बहुत ज्यादा खुश थे । 

 

कुशल (हल्की मुस्कान के साथ ) : बाबा ऑफिस मे कुछ लोग हमारे सिक्रेट बाहर बेच रहे है इस लिए हमे पिछले कुछ महीने से बहुत नुकसान हो रहा है

 

हर्षवर्धन : हा बेटा शायद तुम सही कह रहे हो । हमारी मार्केट वैल्यू पिछले कुछ महीने से कम हो रही थी मे इतने दिन में समझ नही पाया । तुमने आज पहले ही दिन सब कुछ जान लिया । मुझे अपने फैसले पे गर्व है मेने तुम्हे CEO बना के कोई गलती नही की ओर एक बात तुम जिसको कंपनी मे रखना चाहो रखो जिसको बाहर करना चाहो कर दो । 

 

कुशल : ठीक है बाबा ( ये कह के कमरे से बाहर चला गया ) 

 

आज कुशल को कंपनी मे बात करते हुए 6 महीने हो गए थे । और कुशल की कंपनी पूरे मुंबई में टॉप 2 पे आ गई थी जिसकी कुल संपत्ति ही 

40 हजार करोड़ की थी । एक नजर से देखो तो पूरे मुंबई का किंग था कुशल अब ।

 

 

अगली कहानी कुछ दिन बाद