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विजय बहादुर

आइए पाठकों हम भी विजय बहादुर और उसके दोस्त मनोज के साथ में एक लंबी विजय यात्रा पर निकलते हैं।।

उपन्यास विजय बहादुर एक अनसुलझी कहानी
एपिसोड - 1


चारों और से सुंदर काननो, फूल झाड़ियों से घिरा हुआ एक बहुत ही सुंदर साम्राज्य था -अवंतिपुर। जहां के राजा राय बहादुर जी बड़े आमोद प्रमोद से अपना जीवन यापन कर रहे थे। अवंति अत्यधिक सुंदर साम्राज्य था और जितना सुंदर था उससे भी ज्यादा इसकी वास्तुकला सुंदर थी। जहां के लोग भी खुशी से अपना जीवनयापन कर रहे थे। परंतु खुशी में गम का आ जाना तो स्भाविक सी बात ही है।रियासत के महाराजा रायबहादुर जी फिर भी निराशा में डूबे रहते थे क्योंकि उनके कोई भी संतान नहीं थी।वे अपने उतराधिकारी को लेकर हमेशा से ही चिंता में डूबे रहते थे।महाराजा की आयु भी अब 45 वर्ष की हो चुकी थी।एक दिन महाराजा रायबहादुर जी ने दरबार में घोषणा कर दी की "कल सुबह रियासत के सभी युवा हमारे दरबार में पहुंच जाए,हम ये फैसला करेंगे की हमारे बाद में इस रियासत का महाराजा कौन बनेगा।" ये घोषणा पूरी रियासत में कर दी गई।अगली सुबह महाराजा के दरबार में युवाओं की भीड़ लग गई। महाराजा रायबहादुर दरबार में उपस्थित हुए।युवाओं की और देखते हुए महाराज ने गभीरता से कहा"रियासत का महाराजा तो हर कोई बनना चाहता है।लेकिन हर कोई तो नही बन सकता ना।मेरे बाद में इस रियासत का महाराजा वही बनेगा जो मेरे प्रश्न का सही जवाब ढूढकर लायेगा।" ये सुनते ही सारे युवा उत्सुकता से महाराजा की और देखने लगे।महाराजा ने फिर कहा"मेरा प्रश्न ये है की शैतान गुलबदन खां की कब्र कहा पर है।" सारे दरवार में अजीब सी खामोशी छा गई।महाराज फिर बोले"है कोई जो इस प्रश्न का उत्तर पता लगा सकता है।" ये सुनते ही लगभग आधे युवाओं ने हाथ खड़ा कर लिया।

महाराज अजीब तरीके से मुस्कुराए और फिर बोल पड़े"इस प्रश्न का उत्तर ढूढने के लिए अनेक बहादुर सुरमे गए पर सारे विफल रहे,सब मारे गए,ये एक मौतिया प्रश्न है जो भी जवाब के लिए गया वो मारा गया।"ये सुनते ही लगभग सारे हाथ नीचे हो गए।एक हाथ अब भी ऊंचा था।एक युवा मुस्कुराते हुए महाराज की और देख रहा था।उसकी उम्र लगभग 20 साल की होगी।महाराज ने उसे आगे अपने पास बुलाया।"काफी बहादुर लगते हो,तुम्हे लगता है की तुम इस प्रश्न का जवाब ढूढकर ला सकते हो?"महाराज ने लड़के की और उत्सुकता से देखते हुए कहा।लड़के ने भी गंभीरता से जवाब दिया"जी महाराज,जरूर।

"क्या नाम है तुम्हारा।" महाराज ने पूछा।

"विजय" उस लड़के ने जवाब दिया।

" "अभी भी तुम्हारे पास वक्त है, सोच लो,हो सकता है तुम वापिस जिंदा न लोट पाओ।" लड़के ने आत्मविश्वास से जवाब दिया " महाराज इस प्रश्न का जवाब मैं आपके कदमों में लाकर रख दूंगा।""ठीक है तो तुम्हें कितना समय चाहिए?" महाराज ने शकभरी निगाहों से उस लड़के विजय बहादुर की और देखा।विजय कुछ देर के लिए अपनी सोच में गुम सा हो गया और फिर वो अनायास ही बोल पड़ा"दो महीने।" विजय का जवाब सुनकर महाराज अजीब सी हंसी में हंसे और बोले"ये काम उतना आसान भी नहीं है जितना कि तुम सोच रहे हो, मैं तुम्हे पूरे दो वर्ष का समय देता हूं,अगर तुम जिंदा वापिस लौट सके तो।" विजय ने भी हां में सिर हिला दिया।अगली सुबह विजय अपने माता पिता का आशीर्वाद लेकर अपने दोस्त मनोज को अपने साथ लेकर इस विजय अभियान पर निकल पड़ा। हालांकि उन दोनो को ही नही मालूम था की उन्हे कहा जाना है?वे दोनो बस यायावर की तरह चले जा रहे थे।चलते चलते वे एक वीरान और भयानक से जंगल में घुस गए।लंबे समय के बाद में अब मनोज ने अपनी चुप्पी तोडी और वो बोल पड़ा।

मनोज - यार विजय एक सवाल पूछूं क्या?

विजय - हां क्यों नहीं पूछो मनोज।

मनोज - विजय ये गुलबदन खां था कोन?उसे किसने मारा होगा?उसकी कब्र कहा होगी?

विजय - पता नही मनोज।पर हमे उन लोगो का पता लगाना होगा जिन्होंने उसे दफनाया होगा।

मनोज - मुझे तो शेतानो से बड़ा डर लगता है और एक ये जंगल इतना भयानक है और रात भी होने को आ गई है। मैं तो कहता हूं विजय हमे आज की रात इसी जंगल में बितानी चाहिए नही तो जंगली जानवर हमे मार डालेंगे।

विजय - मुझे लगता है हमे कुछ आगे चलकर देखना चाहिए। शायद गुलब्दन खां के बारे में कुछ पता चल जाए।

मनोज - अरे मेरे भाई महाराज ने तुम्हे दो साल का समय दिया है,दो दिन का नही।इस प्रश्न का जवाब आराम से पता लगा लेंगे।

विजय - ठीक है मनोज। पर हमे रात गुजारने के लिए कोई गुफा ढूंढनी चाहिए नही तो जंगली जानवर हमे मार डालेंगे।

ये कहते हुए वे जंगल में आगे बढ़ गए । अंधेरा हो चुका था। चारों तरफ एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ था।सिर्फ खामोशी ही चारों तरफ विराजमान थी। अचानक जंगली भेड़ियों के भौंकने के आवाज आने लगी। वे दोनो थोड़ा सा डर गए।हालांकि विजय बहादुर को डर तो नही लगता था पर उस भयानक रात का दृश्य ही कुछ ऐसा था की कोई भी होता तो डर ही जाता।वे दोनो जंगल के बीचों बीच पहुंच गए।उन्हे अचानक एक गुफा नजर आई । वे दोनो उस गुफा में घुस गए।मनोज तो गुफा के अंदर पड़ी घास पर लेट गया था।विजय भी वही बैठ गया। अंधेरा भी पहले से अधिक बढ़ गया था।
वे दोनों फिर गहरी नींद में सो गए। जंगल में चारो तरफ एक भयानक सा अंधेरा छाया हुआ था। भयानक आवाज़ें चारों तरफ से आ रही थी । कभी कुत्तों के भौंकने की आवाजें आती थी तो कभी गीदड़ों के भौंकने की आवाजें आती थी। अचानक से बाहर तेज हवा चलने लग गई ।विजय को अचानक से ठंडी हवा का एक झोंका सा आकर लगा और उसकी नींद खुल गई। उसने बाहर देखा चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था ।उसे अचानक एक लड़की की आवाज सुनाई दी। लड़की पुकार रही थी "बचाओ, बचाओ।" यह आवाज सुनकर विजय उठ खड़ा हुआ । उसने अपने दोस्त मनोज की और देखा तो मनोज गहरी नींद में सोया हुआ था। उसने मनोज को जगाने की कोशिश की मगर मनोज तो मानो कुंभकर्ण की नींद सो रहा था।।
विजय ने अपनी तलवार उठाई और गुफा से बाहर निकल गया। विजय ने बाहर आकर देखा बाहर अभी भी अंधेरा था पर यह चांदनी रात थी इसलिए काफी कुछ साफ नजर आ रहा था। पर चारों तरफ छाया अजीब सा सन्नाटा किसी के भी दिल में डर पैदा करते हैं ।अगर विजय के स्थान पर उस रात कोई और होता तो वो डर ही जाता। विजय गुफा के बाहर कुछ देर तक सतब्ध सा खड़ा रहा। उसे समझ में नही आ रहा था की वो क्या करे। उसने मनोज की और देखा वो अब भी गहरी नींद में सोया पढ़ा था। कि तभी फिर से वही लड़की की चिलाने की आवाज आई। विजय उस आवाज की और धीरे-धीरे चलने लगा। वह आवाज तेज होने लगी ।विजय ने भी अपनी गति तेज कर दी। फिर वह बहुत तेजी से दौड़ने लगा और गुफा से काफी दूर निकल गया। वह आवाज भी अब नजदीक आने लगी ।आवाज कुछ भयंकर सी झाड़ियां के पीछे से आ रही थी। उसे भी कुछ डर लग रहा था ।उसने डरते डरते धीरे से झाड़ियां के पीछे देखा तो झाड़ियों के पीछे का नजारा देखकर वह दंग रह गया ।उसका शरीर सुन सा हो गया। मानो उसे लकवा मार गया हो । कोई छोटी सी लड़की 10 से 12 साल की एक पेड़ के पास गिरी हुई थी और वह चिल्ला रही थी उस लड़की के सामने एक बहुत ही भयानक खतरनाक और बड़ा सा भेड़िया खड़ा था। वह भेड़िया लड़की की और घूर घूर कर भयानक सी नजरों से देख रहा था माना वह लड़की ही अब उसका भोजन थी। विजय के कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें और क्या ना करें। विजय ने अपने कंप कंपाते हुए हाथों से अपनी तलवार निकाल ली। इतने में उस भेड़िए ने तेजी से उस लड़की की और छलांग लगा दी। उस लड़की ने डरते हुए अपनी आंखें बंद कर ली और जोर से चिला उठी मानो यह उसकी जिंदगी के कुछ आखिरी पल हो। कुछ देर तक कुछ भी घटित नहीं हुआ। उस लड़की ने डरते हुए धीरे-धीरे अपनी आंखें खोली। उसने देखा की विजय तलवार लेकर उस भेड़िए पर टूट पड़ा था। लड़की ने आश्चर्य से विजय की और देखा मानो उसे विजय के रूप में अपना मसीहा मिल गया हो। भेड़िए और विजय के बीच घमासान युद्ध छिड़ गया। कभी भेड़िया जीतते हुए नजर आता तो कभी विजय जीतते हुए नजर आता । वह लड़की आंखें फाड़ फाड़ कर सब कुछ देख रही थी। उसके समझ में नहीं आ रहा था कि कौन जीत रहा है और कौन हार रहा है । विजय ने अपनी पूरी ताकत लगाकर भेड़िए को उठाकर दूर फेंक दिया।वह लड़की विजय की बहादुरी को देखकर दंग रह गई । कुछ देर तक दोनों के बीच इसी तरह यह लड़ाई चलती रही। लड़की अभी भी पेड़ की जड़ों के पास गिरी पड़ी थी। वह हिल भी नहीं पा रही थी मानो उसे लकवा मार गया हो। भेड़िए ने अचानक ही विजय के जोरदार पंजा दे मारा जिसके कारण विजय एक पेड़ से जा टकराया । उसकी तलवार भी थोड़ी दूरी पर जा गिरी। उस लड़की की अब विजय के रूप में आखरी उम्मीदें भी समाप्त हो चुकी थी। वह भेड़िया फिर से उस लड़की के सामने जाकर खड़ा हो गया और फिर से लालायित नजरों से उसकी और देखने लगा। विजय तो हिल भी नहीं पा रहा था। भेड़िया लड़की के ऊपर छलांग लगाने के लिए तैयार हो गया और उसने विजय के देखते ही देखते छलांग लगा दी। अचानक ही ना जाने किसने विजय में जान फूंक दी। उसने अपनी तलवार उठाई और जोर से चीखते हुए भेड़िए की ओर लपक पड़ा । इससे पहले कि वह भेड़िया लड़की तक पहुंच पाता विजय ने अपनी तलवार से उस भेड़िये के दो टुकड़े कर दिए। उसे भेड़िये के टुकड़े उस खामोश और सुनसान सी रात में वहीं पर बिखर कर रह गए। विजय भी लोटपोट होता हुआ एक पेड़ की कोख में जा गिरा। उस लड़की ने अब कुछ राहत की सांस ली।।वो सांवले से रंग की लड़की डरते हुई धीरे धीरे खड़ी हुई। विजय भी संभलते हुए खड़ा होकर उस लड़की के पास चला गया। विजय ने लड़की के कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा"बेटा तुम कोन हो और इतनी रात को इस सुनसान से जंगल में क्या कर रहीं हो?" उस लड़की ने विजय की और भावसून्यता से देखते हुए कहा। " जंगल के दूसरे सिरे पर हमारा कबीला है। हम वही रहते हैं। मैं अपने दोस्तो के साथ जंगल में जड़ी बूटियां लेने आई थी। हमे काफी देर हो गई थी,अंधेरा भी पहले से अधिक बढ़ चुका था। वापिस लौटते वक्त मैं अपने दोस्तो से बिछड़ गई और इस जंगल में खो गई तभी मुझ पर उस भेड़िए ने हमला कर दिया।" यह कहकर लड़की कुछ देर के लिए अपनी सोच में गुम सी हो गई।वो लड़की फिर से घबराते हुए बोल पड़ी" लेकिन तुम इतनी रात को इस आदमखोरों के जंगल में क्या कर रहे हो?" आदमखोरों का नाम सुनते ही विजय थोड़ा सा घबरा उठा और बोला "आदमखोर"। "हां रात के वक्त इस जंगल में खतरनाक आदमखोर आते है। अगर कोई इंसान उन्हे मिल जाए तो वो उसे उठा ले जाते है और मारकर खा जाते हैं। जिस तरह वो मेरे दोस्त मीना और बुधिया को खा गए थे।" ये सुनते ही विजय थोड़ा सा घबरा गया। उसे अचानक ही मनोज का ख्याल आया। वो अपने आप से बुधबुधा पड़ा"मनोज।" लड़की ने भी शकभरी निगाहों से से विजय की और देखा और बोल पड़ी"कोन मनोज।" "मेरा दोस्त मनोज , हम दोनो एक गुफा में रुके थे,वो अब भी वही सो रहा है।" "तुमने उसे अकेला छोड़ दिया।जल्दी चलो उसे आदमखोर उठाकर ले जायेंगे।" लड़की की ये बात सुनते ही विजय के चेहरे का रंग उड़ गया। विजय ने उस लड़की का हाथ पकड़ा और तेजी से गुफा की और भागने लगा।।

सतनाम वाहेगुरु।।