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मुलाकात - 6

आगे की कहानी .......
आवाज आई ,"जया मै हुं , खोलना कब से अन्दर बैठी है ,
चल जूही की विदाई तो देख ले,"
जया ने दरवाजा खोला और पल्लवी साधना के पीछे पीछे चल दी,
नीचे विदाई की तैयारी चल रही थी।
सब की आंखे नम थी मामी जी का बुरा हाल था रो रो के,
जूही ने सब से विदा ली पर जब अपने पापा के पास गई तो खुद को सम्भाल ना सकी अपने पापा से लिपट कर खूब रोई, ससुराल तो इसी शहर मे थी पर उसके पति दूसरे शहर मे रहते थे अपने पापा से मिल कर उसे दूरी का अह्सास हुआ ,मामा जी भी अब धीरज खो बैठे थे अपनी
बेटी से मिलकर फूट फूट कर रोये,
सब से मिल ली थी जूही सिवाय आनन्द के जूही ने पूछा आनन्द कहां है ? आनन्द बिल्कुल शान्त था और एक कोने मे खड़ा था सबने आगे बुलाया और जूही आनन्द के गले लग के सबसे ज्यादा रोई बोली "मम्मी पापा और दादी के ख्याल रखना और फोन करते रहना",
सब रो रहे थे जया भी अपने आँसू छुपाती नज़र आई उसे अपनी मां पापा याद आ रहे थे ,विदाई हुई जूही पनी ससुराल को चली गई।
सिर्फ एक जूही घर से गई थी पर लग रहा था मानो घर से घर के प्राण निकल गये हो थोड़ी देर रूक के जहां एक एक कर के मेहमान विदा हो रहे थे घर खाली होता जा रहा था।
जया साधना और पल्लवी भी अपनी पैकिंग करने लगी ,तीनो को नींद भी आ रही थी तीनो शादी विदाई की ही बाते कर रही थी ,
नाश्ता लग गया तो आनन्द उन्हे बुलाने आया तो तीनो को सामान पैक करते देख कर बोला आज रूक जाओ कल मै खुद छोड़कर आ जाऊंगा होस्टल। प्लीज बार जया को आनन्द पे ना जाने क्यों प्यार सा आ गया वो एक दम मासूम सा बच्चा लग रहा था ।
जहां जया एक पल भी यहां नही रूकना चाह रही थी वही सबसे पहले बोली ठीक है आनन्द पल्लवी और साधना तीनो एक दूसरे को देखने लगे सोच रहे थे जो यहां एक सेकेंड भी रूकना नही चाहती थी वो कैसे मान गई, पर अब जया कुछ कुछ बदल सी गई थी,
आनन्द से जूही का प्यार और विदाई मे कही बातें सुनकर जया को आनन्द से कुछ हमदर्दी सी हो गई थी,
सब नाश्ता करने चले गये , सब एक साथ बैठे थे अब घर मे बहुत कम लोग बचे थे मामा जी मामी जी कुछ नही खा रहे थे तब जया और पल्लवी ही उनको मना कर कुछ खिलाती है , सारा दिन आराम कर के जया और साधना पल्लवी ने सबके लिए चाय बनाई और शाम के खाने की जिम्मेदारी ले ली सिर्फ मामा जी मामी जी खुश करने के लिए , सबने मिलकर खाना बनाया बीच बीच मे आनन्द भी उनसे बात करने और हैल्प करने आ जाता था अब जया को आनन्द इतना बुरा भी नही लग रहा था वो भी आज थोड़ी सहज थी,
उसे आनन्द की बातों पर हंसी भी आ रही थी प्यार भी पर ना जाने क्यो
आनन्द और उन तीनो ने मिलकर खाना लगा दिया और सब खाने के लिए आ गए। खाने के साथ बातचीत करते हुए सब खाना खा चुके,
अब आनन्द पल्लवी और साधना जया भी खाना खाने बैठ गये ,आनन्द जया के पास बैठा और कुछ न कुछ मांगने और परोसने लगा वो जया की प्लेट मे भी वही सब परोस रहा था जो खुद की थाली मे परोस रहा था
अब पल्लवी ने आनन्द से इशारे मे पूछा ,
क्या बात है ? तो आनन्द ने इशारे मे पल्लवी से कुछ कहा जो साधना और जया समझ न सकी और पल्लवी हस दी सब हंसी-मजाक करते हुए खाना खत्म कर रहे थे।सब अपने अपने रूम मे सोने चले गये । ये चारो छत पर बतिया रहे थे ।अपने काम ,पढाई , कैरियर की बाते कर रहे थे दिन मे सोये थे तो नींद भी किसी को नही आ रही थी ।तीनो कभी गाते कभी मस्ती मजाक करते आनन्द अब जया को देख तो रहा था पर चोरी से ही ,
अब जया भी आनन्द को न जाने किस नजर से देख रही थी की आनन्द भी खींचा चला जा रहा था ,
कितनी देर हो गई पता ही नही चला,साधना और पल्लवी तो बात करते करते सो गई, आनन्द ने जया की ओर देखा और कहा जया तुम भी जाओ सो जाओ । जया ने हुं कहा और आनन्द को देखकर बोली कुछ पूंछू तुमसे, आनन्द ने हां मे सिर हिला दिया ।
जया बोली ,"तुम चोरी चोरी मुझे क्यों देख रहे थे ,?क्या हुआ .?,कुछ बात है क्या ..? तो आनन्द ने कहा "बताऊंगा मेरे एक सवाल का जवाब दोगी तो !
जया ने कहा पूछो आनन्द ने कहा तुम तो एक मिनट भी रूकने को तैयार नही थी यहां तुम कैसे रुक गई । तो जया ने कहा आप ही जूही दीदी की विदाई हुई दादी और अंकल आन्टी और तुम तीनो ही सब से ज्यादा दुखी थे मे कुछ नही कर सकती थी पर रूक कर कुछ खुशी तो दू ही सकती थी सो रूक गई अब तुम बोल क्या बात थी,
आनन्द ने कहा .......


आगे की कहानी जानने के लिए बने रहिये हमारे साथ
धन्यवाद🙏🌷