Pyar ek anokha rishta - 31 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ३१

हां भाई जाने दो अभी।

आभा ने हंसते हुए कहा अभी तो सुनील को दुल्हा बने देख लेते है।
मिनल ने कहा अरे जीजी ये भी सही है।
राज ने कहा सब जल्दी से जल्दी खाना खाने के बाद सो जाइए हां।
हां चलो, चलो बहुत भूख लगी है।
राज ने हंसते हुए कहा खा ले बेटा पता नहीं बाद में नसीब हो या ना हो।
परी ने मुंह फुलाकर कहा हां,देव बोल ले जो बोलना है।
सब खाना खाने लगे।
हिना और जीनत भी थोड़ा बहुत खाने लगे।
राज ने देखते ही कहा क्या बात है बहुत डाइटिंग चल रही है?
ज़ीनत ने कहा हां मुझे तो मोटी होना पसंद नहीं है।।
हिना ने कहा मुझे भी।
राज ने कहा ओह मौसम बदल रहे हैं।
अन्दाज बदल रहे हैं।
इंसान भी बदल रहे हैं।
पर प्यार को कभी बदलते नहीं देखा है।
हिना ने कहा हां सही कह रहे हैं आप।।।
फिर हिना उठकर चली गई।

फिर सब जाकर सो गए।
दूसरे दिन सुबह सब कुछ तैयारी करने आ गए थे।
पुरा घर अच्छे से सजा दो।
राज और सुनील सब कुछ अच्छे से बता रहे थे।
फिर धीरे धीरे सजावट होने लगी।
रिश्तेदार लोग आने लगे और नाश्ता चाय काफ़ी ये सब अतिथि सरकार चलने लगा।

राज और सुनील भी अपने रूम में तैयार हो रहे थे।

दोपहर के खाने के बाद ही मेहंदी लगाने वाली आ गई।

परी जल्दी से बैठ गई और बोली कि पुरा महंदी दोनों हाथों में और पैरों मे।
राज ने कहा हां मैम ऐसा करो पुरे चहरे से लेकर शुरू हो जाओ।
परी ने कहा मारूंगी हां।
राज ने कहा अच्छा बाबा शुरू हो जाओ।
वैसे भी यह सब तुम लड़कियों का काम है।
परी को मेहंदी लगना शुरू किया गया।
शगुन की मेंहदी सबसे पहले सुनील ही लगाएगा।मिनल ने कहा।
राज और सुनील पास पहुंच गए।
राज ने कान में कुछ फुसफुसाया।
परी ने कहा देखो कुछ गडबड हुआ ना ।।
सुनील ने कहा अरे अपनी जान प्यारी है।
राज ने कहा ओह मर गए यारों।।
फिर राज इधर उधर देखने लगा और फिर मन में सोचा कि कहां है वो?
अब तक आई नहीं। बहुत ही नकचढ़ी है!
ज़ीनत नीचे आकर बोली मुझे भी लगाना है।
राज ने ज़ीनत को देखते ही कहा अरे आपकी दोस्त।
ज़ीनत ने कहा अरे वो कुछ काम कर रही है।
राज ने कहा ओह ये बात है।

सब रिश्तेदार हिना को ढुंढ रहें थे।
आभा क्या बात है तेरी बहु कहां है?
माइके गई क्या?
आभा ने कहा अरे नहीं ताई जी वो ऊपर है अभी बुलाती हुं।
मालती ने कहा हां, मैं बुला लाती हूं।

मालती ऊपर जाकर हिना के कमरे में जाकर बोली भाभी जल्दी नीचे चलों।
हिना ने कहा अरे बाबा आती हुं।

फिर हिना नीचे पहुंच गई।
आभा ने कहा ये लो आ गई हिना।
ताई जी तुम्हें याद कर रही थी हिना।।
हिना ने बढ़कर पैर छुए और फिर बोली ओह। कैसे हैं आप सब?

ताई जी ने कहा हमारे पास बैठो।
हिना ने कहा हां, जरूर।
फिर हिना बैठ गई और सब बातें करने लगे।

सब मेहंदी लगाने में बिजी थे।
जाकर मेहंदी लगा लो हिना।
हिना ने कहा अरे नहीं मुझे मेहंदी से बहुत एलर्जी है।
राज ने यह सब सुनकर मन में बोला कि यह बात मुझे भी पता है कि महंदी तुम्हें कितना पसंद है?
आज भी याद है कि तुम क्या करती थी मेहंदी लगाने के लिए।मेरे से ही लगवाती थी और फिर खाना भी मेरे हाथ से ही खाती थी पर अब ऐसा क्यों नहीं हो सकता है? क्या हुआ जो भाई अब इस दुनिया में नहीं है पर मैं तो तुम्हें उनके पहले से ही जानता हूं।
क्यों नहीं मैं बता पा रहा हूं सब कुछ।।

फिर इस तरह से मेहंदी की रस्म पूरी हो गई।
शुभ संध्या में लेडिज संगीत का कार्यक्रम था।
सब कोई तैयार होने पार्लर जा रहें थे पर यह क्या हिना नहीं जा रही है क्यों?
जीनत भी जा रही थी तब राज ने ज़ीनत को धीरे से कहा क्या हिना नहीं जा रही है?
जीनत ने मायूस हो कर कहा अरे नहीं इतना बोला मैंने पर।।।
राज ने कहा ओह माई गॉड।
फिर सब चले गए।
आभा और मिनल भी तैयार होने चली गई।
राज नीचे इधर उधर घुमने लगा और फिर सोचा कि कैसे इसको समझाऊं कि वो क्या है मेरे लिए।
दिल का हाल कैसे बयां करूं वो क्या है मेरे लिए।
कुछ देर बाद ही राज अपने स्टडी रूम में जाकर लैपटॉप पर काम करने लगा।

इधर हिना अपने कमरे में तैयार होने लगी।
जीनत ने तो बोला मुझे पर मेरी कोई अहमियत नहीं है यहां, मुझे यहां से जाना होगा।
ये सब मिट जाएं तो मैं यहां से चली जाऊंगी।
किस के लिए रूकू मैं?
कौन है मेरा।
जो था वो अब वो मेरे नसीब में नहीं।।।
फिर हिना एक साड़ी पहन कर तैयार हो गई थी।