khamoshi in Hindi Short Stories by Asmita Madhesiya books and stories PDF | खामोशी

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खामोशी

अक्सर हमारे जीवन में ऐसा पल जरूर आता है जब कुछ ऐसी स्तिथि का सामना करना पड़ता है जो him कभी नहीं चाहते, या कोई ऐसी परिस्थिति जिसका सामना करने से हम हमेशा डरते हैं।

कुछ ऐसी ही कहानी है पूजा की जो एक मध्यम वर्गीय परिवार की सीधी साधी लड़की है,जिसने अपने आंखों में बहुत खूबसूरत सपने सजा कर रखा था । हर उम्र अपने साथ कुछ अलग ही मजा लेकर आता है।चाहे वो बचपन हो ,जवानी हो, या बुढ़ापा ।बस कुछ ऐसा हो हाल था पूजा का जो लगभग बीस इकीस साल की है देखने में बहुत खूबसूरत ,आंखे इतनी सुंदर की अगर काजल लगा ले तो चार चांद लग जाए । जो भी उसको एक  बार देखे वो बस उसको देखता ही रह जाए।लेकिन इसका पूजा को शायद उस हद तक एहसास नही था ।पूजा मध्यम वर्गीय परवार की लड़की थी जिसके वजह से वो काफी दबाव में जीती थी उसको कुछ खास एहसास नहीं था की लोग उसको किस नजर से देखते हैं। मां बाप के पास बहुत पैसे भी नहीं थे साथ साथ उसकी शादी भी करनी थी ।हालाकि की वो बहुत पढ़ी लिखी तो नही थी लेकिन उसको पढ़े लिखे लोगो देख कर बहुत अच्छा लगता था ।  धीरे धीरे समय बीतते जा रहा था और फिर वो दिन भी आ गया जब उसकी शादी के लिए अच्छे वर की तलाश भी शुरू हो गई घर वाले हर संभव कोशिश करने लगे की पूजा का घर बस जाए और वो अच्छे परिवार में जाए ।

देखते ही देखते घर वालो को लड़का भी मिल गया और शादी की तयारियां भी शुरू हो गई। पूजा का मन घबराने लगा की अब बस वो कुछ ही दिन की मेहमान है अपने मायका में ।लेकिन क्या कर सकती थी वो भी ,ये तो हर लड़की को सहना ही पड़ता है हर लड़की को इस चीज से गुजरना पड़ता है। लेकिन इसी माहौल में पूजा को याद आने लगा की कल जब मैं दूसरे घर जाऊंगी तो वहां के लोग कैसे होंगे क्या कोई मुझे प्यार करेगा ? क्या सब लोग मुझसे खुश होंगे ?  फिर खुद से बाते करते हुए कहती है की मैं सबको खूब खुश रखूंगी कभी किसी को कोई शिकायत का मौका दूंगी ही नहीं बस सबको खूब प्यार दूंगी , किसी के कुछ  बोलने से ही पहले उसको सब कुछ ला कर दे दूंगी, सबकी खूब सेवा करूंगी ,इतनी सेवा की कभी कोई मेरी बुराई नही कर पायेगा , कभी कोई मुझसे चाह कर भी नाराज नही हो पाएगा । बस उसने इन्ही सब बातों से अपनी को बहला लिया ।  शादी हो गई और अब विदाई की बारी आ गई । लोग रो रहें थे पूजा के मन में एक हो ख्याल आ रहा था की लोग इतना रो क्यों रहें हैं मैं एक घर से दूसरे घर में ही तो जा रही हूं रोने की क्या बात है ।

जब वो ससुराल पहूंची तो कुछ दिन तो बनावटी दिखावे में निकल गया जो उसके साथ सब कर रहे थे लेकिन जो जैसा होता है उसकी सच्चाई सामने तो आ ही जाती है। ऐसे ही धीरे धीरे सब लोग ने अपना रवैया बदलना शुरू हो गया ,  आए दिन कोई न कोई तमाशा और अब उसे समझ आने लगा की लोग विदाई के वक्त क्यों रो रहें थे खास तौर पर शादी शुदा लड़किया या औरते। चाहे कितना ही कलेश हो जाए  पूजा सिर्फ  खामोश रहती थी और सोचती की जब माहौल शांत हो जाएगा तब मैं अपनी बात समझा दूंगी ,लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं था ।जब जब वो अपनी बात रखने जाती तो उसको और उसकी बातों को नजरअंदाज कर दिया जाता था ।  रोज के ताने सुन सुन कर उसका मन अब उदास रहने लगा अब उसको कुछ अच्छा नहीं लग था ।  तबियत खराब होने पर उसको एहसास हुआ कि खामोशी वहीं रखनी चाहिए जहां उसकी जरूरत हो। सबसे जरूरी आपका अपना स्वास्थ होता है उसको किसी के लिए बर्बाद नही करना चाहिए ।