दाइजो प्रथा विरुद्ध आवाज in Hindi Poems by Raju kumar Chaudhary books and stories PDF | दाइजो प्रथा विरुद्ध आवाज

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दाइजो प्रथा विरुद्ध आवाज

#firstquote
दहेज प्रथा विरुद्ध आवाज

लेखक: राजु कुमार चौधरी

आज पनि किन चुप छ समाज?
किन दिन्छ छोरी सँगै धनको साज?

दुलही बनाउँदा उपहार होइन,
दहेज माग्नु त अपमान हो नि।
शिक्षा, संस्कार, सम्मान दिऊँ,
छोरीलाई कहिले बोझ नठानौं।

घरको इज्जत, उज्यालो बत्ति,
छोरी हो त्यो, काँचो गिलास होइन।
किन किन्ने-बेच्ने नजरले हेर्‍छौं?
हामी सभ्य, तर सोच पुरानो किन?

दहेज नहोस् नातामा गाँठो,
माया होस् सम्बन्धको साँचो।
छोरीलाई अधिकारको आधार दिऊँ,
आउँ, आजैदेखि परिवर्तन ल्याऊँ।


 
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दहेज प्रथा विरुद्ध आवाज
लेखक: राजु कुमार चौधरी

आज पनि किन चुप छ समाज?
किन दिन्छ छोरी सँगै धनको साज?

दुलही बनाउँदा उपहार होइन,
दहेज माग्नु त अपमान हो नि।
शिक्षा, संस्कार, सम्मान दिऊँ,
छोरीलाई बोझ होदहेज प्रथा विरुद्ध आवाज #secondquote
"एक चिट्ठी अधूरी सी"

नाम: कविता — एक सीधी-सादी कॉलेज की लड़की, जिसकी दुनिया किताबों, चाय और सपनों से भरी थी।
नाम: राहुल — एक शांत और समझदार लड़का, जो कविता के क्लास में पीछे की बेंच पर बैठता था, लेकिन उसकी आँखें हमेशा कविता को ही देखती थीं।

धीरे-धीरे दोनों की बातें शुरू हुईं — लाइब्रेरी में मुलाकात, कॉरिडोर में मुस्कानें, और बारिश में भीगती कुछ यादें।
राहुल ने कभी कुछ कहा नहीं, लेकिन कविता सब समझती थी।

एक दिन राहुल ने कविता को एक चिट्ठी दी —
"जब तुम यह पढ़ो, मैं शायद तुम्हारे पास न रहूं। लेकिन मेरा दिल हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।"

कविता मुस्कराई — उसे लगा ये बस शरारत है।

पर अगले दिन राहुल कॉलेज नहीं आया… फिर कई हफ्ते बीत गए।

खबर आई — राहुल को कैंसर था।
वह नहीं चाहता था कि उसका प्यार बोझ बन जाए। इसलिए चुपचाप चला गया।

कविता रोज उस चिट्ठी को पढ़ती है… आज भी।
वह किसी और से कभी प्यार नहीं कर पाई — क्योंकि राहुल ने जो जगह दिल में बनाई, वो कोई और भर नहीं सका।


---

प्रेम कभी-कभी कहे बिना भी सबसे गहरा होता है।

 
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दहेज प्रथा विरुद्ध आवाज
लेखक: राजु कुमार चौधरी

आज पनि किन चुप छ समाज?
किन दिन्छ छोरी सँगै धनको साज?

दुलही बनाउँदा उपहार होइन,
दहेज माग्नु त अपमान हो नि।
शिक्षा, संस्कार, सम्मान दिऊँ,
छोरीलाई बोझ होस्वागत है VIRAL RAJU SIR COPYRIGHT TEAM में — एक ऐसा प्लेटफॉर्म जहाँ हम डिजिटल दुनिया के रचनाकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य करते हैं।

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दहेज प्रथा विरुद्ध आवाज
लेखक: राजु कुमार चौधरी

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किन दिन्छ छोरी सँगै धनको साज?

दुलही बनाउँदा उपहार होइन,
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लेखक: राजु कुमार चौधरी

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छोरीलाई बोझ हो