जापान के एक छोटे और शांत गाँव में, एक पुराने बौद्ध मंदिर के पास, हानी कामाडो अपनी साधारण और आध्यात्मिक जीवन जी रही थी। 40 साल की हानी दिखने में मात्र 21 साल की लगती थी। भारत से आने के बाद वह पिछले 28 सालों से यहीं रहती थी। ध्यान और साधना में उसकी विशेषज्ञता पूरे गाँव में सम्मानित थी।
उसके साथ उसका गोद लिया हुआ बेटा, युरी, रहता था। युरी चार साल का था जब हानी ने उसे अपनाया था। उसके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी थी, और हानी ने उसे बचपन से ही माता-पिता और गुरु जैसी देखभाल दी थी। आज भी उसकी आँखों में वही मासूम सम्मान और भरोसा झलकता था, और दोनों का बंधन गहरा और प्यारा था।
दोपहर में युरी गाँव के बाज़ार से सामान लाया और हानी के लिए एक प्यारा सा उपहार भी लाया — हानी का पसंदीदा वेज पोटैटो फ्राई। शाम को जब वह देर से आया, हानी थोड़ी नाराज़ हुई।
युरी: “कोचो… मैं आ गया। माफ़ी चाहता हूँ… वहाँ ज़्यादा भीड़ थी।”
हानी (हल्की मुस्कान के साथ): “क्यों, कोचो की बात नहीं मानते? ठीक है… चलो, आज कुछ नहीं सिखाऊँगी।”
युरी (जल्दी से): “नहीं, नहीं! मैंने आपके लिए सब्ज़ियाँ और उपहार लाया है।”
हानी का गुस्सा धीरे-धीरे गायब हो गया।
हानी: “हम्म… और कुछ?”
युरी (शर्माते हुए): “ये लो… आपके लिए! वेज पोटैटो फ्राई, आपका पसंदीदा। मज़ा आएगा।”
हानी मुस्कुराई और बोली, “धन्यवाद, बेटा। आओ, साथ में खाते हैं।”
रात के खाने के दौरान, युरी उत्साहित था।
युरी: “कोचो मम्मा… हम आज ध्यान करेंगे न?”
हानी: “हां बेटा, आज करेंगे।”
युरी: “उसके बाद क्या करेंगे?”
हानी: “अगर समय मिला… हम मंदिर के पास बैठकर आकाश की तरफ देखेंगे और बातें करेंगे। मैं तुम्हें एक कहानी सुनाऊँगी।”
युरी (थोड़ा भावुक होकर): “काश मेरे माता-पिता होते… मैं आपको जरूर उनसे मिलवाता।”
हानी (धीरे से): “अगर होते… तो मैं उन्हें बताती… ‘हमारा युरी बहुत मस्ती करता है, शरारती है।’”
रात 8 बजे, ध्यान का समय आया। हानी लाल कपड़े पहनकर मंदिर के आंगन में बैठी।
हानी: “युरी बेटा… यहाँ आओ। हम ध्यान करेंगे।”
युरी: “मम्मा… ध्यान?”
हानी: “हां। शांति से बैठो, अपनी सांस पर ध्यान दो। मन को शांत रखो।”
युरी ने ध्यान करने की कोशिश की, लेकिन थक गया और थोड़ा उदास हो गया। 9 बजे ध्यान खत्म हुआ। वह धीरे से हानी के पास आकर बैठ गया।
हानी: “युरी… क्या हुआ? उदास मत हो। तुम ये तीन दिन में आसानी से सीख जाओगे।”
युरी (आँखों में आंसू): “मैं… सफल नहीं हो पाया… हमेशा, मम्मा…”
वह अपना सिर हानी की गोद में रख देता है।
हानी: “ऐसा नहीं है। चलो, अब मुस्कुराओ। नहीं तो हानी तुम्हारे साथ नहीं बात करेगी।”
कुछ देर बाद युरी धीरे से बोला:
युरी: “कोचो… मम्मा…”
हानी: “हम्म? बोलो युरी।”
युरी (धीरे, मासूम आवाज़ में): “आप मुझे बिल्कुल… मेरी असली माँ जैसी लगती हो।”
हानी थोड़ी पल भर के लिए शांत रही, फिर मुस्कुराई।
हानी: “मेरा बच्चा… यही तो रिश्ता है हमारा। माँ जैसा ही प्यार है।”.
यूरी: हाँ बिल्कुल
वेसे माँ को हमे टेंपल जाना है
हानी: अ. पर मुझे
कोई नहीं मे आउंगी बस
Hii guys this is my first one
To agr likhne me galti hui hoto maaf krna
And support me plzz buddys❣️🌸🙏
Aage me Or behetar likhne ka prayash karugi.
Thank u 🙏