Sheru and the magic of Daya in Hindi Short Stories by Manorama gupta books and stories PDF | शेरू और दया का जादू

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शेरू और दया का जादू

एक बार की बात है, एक हरे–भरे जंगल में एक छोटा-सा खरगोश रहता था। उसका नाम था शेरू। शेरू पूरा दिन उछल-कूद करता, पेड़ों के पीछे छुपता, तितलियों का पीछा करता और अपने दोस्तों को हँसाता-हँसाता खूब शरारतें करता था। उसकी प्यारी-सी नन्ही आँखें हमेशा नई खोज में चमकती रहती थीं। शेरू दिल का बुरा नहीं था, बस थोड़ा ज़्यादा ही शरारती था।

एक दिन वह खेलते-खेलते जंगल के उस हिस्से में पहुँच गया जहाँ वह पहले कभी नहीं गया था। वहाँ हल्की-सी सुनहरी रोशनी चमक रही थी, जैसे कोई सूरज की किरणें पकड़कर नीचे लटका रहा हो। जिज्ञासा में शेरू उछलता-कूदता आगे बढ़ा और उसने देखा कि वहाँ एक चमकता हुआ बड़ा जादुई पेड़ खड़ा था। उसके पत्ते सुनहरी चमक में झिलमिला रहे थे और जमीन पर रंग-बिरंगी किरणें बिखरी दिख रही थीं।

अचानक पेड़ की शाखाएँ हिलीं और एक मीठी-सी आवाज़ सुनाई दी,
“छोटे शेरू, तुम यहाँ तक कैसे पहुँचे?”

शेरू चौंका, फिर धीरे से बोला, “मैं तो बस खेलते-खेलते आ गया।”

जादुई पेड़ मुस्कुराया, “अगर तुम सच्चे दिल से दूसरों की मदद करोगे, तो मैं तुम्हारी एक खास इच्छा पूरी करूँगा।”

शेरू की आँखें चमक उठीं। इच्छा पूरी होने की बात सुनकर वह बहुत खुश हुआ, लेकिन साथ ही थोड़ा सोच में पड़ गया कि मदद कैसे करनी है। जादुई पेड़ ने कहा, “बस दिल से दया करो, खुद-ब-खुद मौके मिलेंगे।”

अगले दिन सुबह शेरू जंगल में घूम रहा था कि उसने एक हल्की-सी चहचहाहट सुनी। एक छोटा-सा चिड़िया का बच्चा अपने घोंसले से नीचे गिरा हुआ था और डरकर काँप रहा था। शेरू तुरंत उसके पास गया और बोला, “डरो मत, मैं मदद करता हूँ।” उसने बड़ी सावधानी से चिड़िया को उठाया और पेड़ पर उसके घोंसले तक पहुँचा दिया। चिड़िया की माँ ने कृतज्ञता में अपनी पंखों को फड़फड़ाया जैसे “धन्यवाद” कह रही हो।

थोड़ा आगे जाकर उसने देखा कि एक बूढ़ा कछुआ सड़क पार करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसकी धीमी चाल से उसे डर था कि कहीं कोई जानवर उसे चोट ना पहुँचा दे। शेरू ने आगे बढ़कर कहा, “चलिए दादाजी, मैं आपको पार करवा देता हूँ।” वह धीरे-धीरे कछुए के साथ चला और उसे सुरक्षित दूसरी तरफ छोड़ आया।

जब शेरू वापस लौट रहा था तो उसने एक बंदर को देखा जिसका केला नीचे गिर गया था। बंदर उदास था क्योंकि वह ऊँचाई पर बैठा था और नीचे आने से डर रहा था। शेरू ने उछलकर केला उठा लिया और हँसते हुए उसे ऊपर फेंक दिया। बंदर ने केले को पकड़कर खुशी से चिल्लाया, “वाह! तुम तो बहुत अच्छे हो!”

दिन ढलने लगा था और शेरू ने तीनों अच्छे काम कर लिए थे। वह थक गया था लेकिन खुश था। तभी वही सुनहरी रोशनी दिखाई दी। जादुई पेड़ उसके सामने प्रकट हुआ और बोला,
“शेरू, तुमने दया से भरे दिल से दूसरों की मदद की है। यही सबसे बड़ा जादू है।”

पेड़ ने अपनी शाखाएँ हिलाईं और अचानक उसके नीचे ढेर सारे रंग-बिरंगे मीठे फल उग आए। शेरू खुशी से उछल पड़ा।

पेड़ बोला, “तुम्हारी असली ताकत तुम्हारी दया है। इसे कभी मत भूलना।”

उस दिन के बाद से शेरू सिर्फ शरारती नहीं रहा—वह जंगल का सबसे मददगार और प्यारा दोस्त बन गया। जंगल के सभी जानवर उसे बहुत मानने लगे। और शेरू ने समझ लिया कि दूसरों की मदद करने से मन को मिलने वाली खुशी ही सबसे बड़ा इनाम है।