Khvabo ki kimat - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

ख्वाबों कि क़ीमत - 2

ख़्वाबों की क़ीमत

पार्ट 2

कुछ दिन शॉपिंग और पैकिंग में निकल गए और फ्लाइट का दिन भी आ पुहंचा.. सौरभ और अवनि का परिवार उन्हें See-Off करने एयरपोर्ट गये। अवनि बार बार अपनी माँ और सास के गले लग रही थी। अवनि के दिल में अमेरिका जाने की ख़ुशी के साथ अपनों से दूर जाने का दुःख भी था वहीँ अवनि की माँ ने सब से छुपकर अपनी आँखों के भीगे कोने साफ़ कर बेटी को परदेस विदा किया। बडों से आशीर्वाद और लंबी उड़ान के साथ दोनों अमेरिका आ पुहंचे जहाँ सौरभ ने पहले ही छोटा सा अपार्टमेंट रेंट पर ले रखा था। सौरभ शादी से पहले वही रहता था और अब अवनि भी साथ आ गयी उसकी सुख दुख की साथी।

कुछ दिन घुमने फिरने.. मौज मस्ती के बाद सौरभ ने वापिस offiice जाना शुरू कर दिया।

“आपकी छुट्टियां इतनी जल्दी खत्म हो गयी” अवनि ने उदास होते हुए कहा।

“हाँ यार, और कितने दिन घूमना था तुम्हे.. अच्छा चलो मैं निकलता हूँ फिर.. देर हो रही है” सौरभ ने लैपटॉप बेग उठाते हुए कहा।

“और हाँ सुनो, आज कुछ अच्छा सा घर पर ही बना लेना.. बाहर का खाना खा खा कर मेरा पेट अपसेट हो गया है” दरवाज़े से मुड़कर सौरभ बोला और बाहर निकल गया।

अवनि ने उठ कर दरवाज़ा बंद किया और प्लानिंग करने लगी की आज पूरा दिन क्या क्या करना हैं.. “सब से पहले ये बिखरे कपडे समेट लूँ फिर रूम की सफाई करुँगी, अरे खाने में क्या बनाऊं.. ह्म्म्म छोले चावल बना लेती हूँ.. सौरभ को भी पसंद है.. हाँ ये ही सही रहेगा.. और ये टेबल भी यहाँ से हटा कर लेफ्ट साइड रखना है फिर इसकी जगह ये सोफे सही लगेगा” अवनि ने मन ही मन सारी लिस्ट तैयार कर ली और काम से लग गयी। आधे से ज़्यादा दिन गुजरने के बाद उसे नहाने की फुर्सत मिली पर काम और कमरा उसकी मर्जी के मुताबिक हो गया था इसलिए उसे थकन भी महसूस नही हुई।

फ्रेश हो कर उसने सौरभ के पसंद की एक western dress पहनी और rose परफ्यूम लगा कर सौरभ का इंतज़ार करने लगी “सौरभ रूम में इतने changes देख कर कितने खुश हो जायँगे” अवनि सोच कर मन ही मन खुश होती रही।

दरवाज़े की बैल बजी.. “टिंग टोंग”

“लगता है सौरभ आ गए” अवनि ने दौड कर दरवाज़ा खोला।

“आ गए आप, जल्दी से फ्रेश हो जाएं मैंने dinner में आपकी favorite डिश बनायीं है” अवनि सोचने लगी अब सौरभ उसकी पसंद की दात देंगे “वाह अवनि, तुमने तो बिलकुल ही हमारे कमरे को change कर दिया, really i am so lucky to have you”

“ये क्या है अवनि, ये क्या उल्टा सीधा कर दिया तुमने.. मुझे बिलकुल पसंद नही कि मेरे सामान या मेरे कमरे को ज़रा सा भी कोई इधर उधर करे” कमरे के बदलाव की तरफ ध्यान जाते ही सौरभ गुस्से से अवनि की तरफ पलट कर बोला।

“वो.. मैं.. बस.. यूँ ही कुछ..” अवनि के मुँह से टूटे फूटे अल्फ़ाज़ निकले। शादी के बाद पहली बार सौरभ ने अवनि पर गुस्सा किया था जो अवनि को बहुत feel हुआ।

“मैं 10 मिनट में फ्रेश हो कर आता हूँ जब तक सब सामान अपनी जगह होना चाहिए” सौरभ अवनि पर चिल्लाता washroom की तरफ बढ़ गया और अवनि वही खड़ी रह गयी। उसके अंदर कुछ टुटा था जिस की किर्चियाँ उसकी आँखों में चुभने लगी पर उसने बेदर्दी से ऑंखें रगड़ डाली। अपने अंदर हुई टूट फुट समेटने से पहले उसने रूम को पहले जैसा किया और किचन में चली गयी। “मेरा सामान.. मेरा कमरा” ये लफ्ज़ बार बार अवनि के दिल पर घूंसा बन कर लग रहे थे, क्या उसका कुछ भी नही.. उसे यूँ महसूस हुआ कि सौरभ भी उसका नही, अचानक सब पराया सा लगने लगा.. ये घर, ये सामान, ये मोहब्बत, खुद उसका पति सौरभ भी।

कमरा पहले जैसा देख कर सौरभ का गुस्सा भी झांग की तरह बैठ गया “अवनि खाना ले आओ, बहुत भूक लगी है यार” सौरभ ने अंदर से आवाज़ लगायी। अवनि चुप चाप खाना serve कर से वापिस किचन में जाने लगी..

“आओ! तुम भी साथ खाना खाओ” सौरभ ने जाती अवनि को रोकना चाहा।

“मुझे भूक नही है” बिना मुड़े कह कर अवनि किचन की तरफ बढ़ गयी, अपना किचन का काम finish कर के अवनि कमरे में आयी और सौरभ को पूरी तरह से इग्नोर करती उसकी तरफ पीठ कर के सोने लेट गयी।

“अवनि तुमने खाना क्यों नही खाया”

“मुझे भूक नही” गले में पहले ही इतने आंसू अटके हुए थे शायद की खाना नीचे उतर पाता।

“नाराज़ हो मुझसे, sorry यार.. तुम्हे पता तो है मुझे changes पसंद नही फिर भी तुमने मेरी मर्ज़ी के बिना change किया” सौरभ गलती मानते हुए भी अवनि की गलती बता गया। अवनि कुछ नही बोली पर उसका दिल पिगलता जा रहा था बस कुछ और तपिश फिर वो पूरी तरह पिगल कर सौरभ की बाँहों में चली गयी।

***

खट्टी मीठी बातें, छोटी बड़ी नोक झोक, कभी प्यार कभी नाराज़गी के साथ अवनि और सौरभ की married life अच्छी चल रही थी। पर कहते हैं ना हमेशा सब कुछ एक जैसा नही रहता.. मौसम बदलता है, वक़्त बदलता है, नसीब बदलता है, यहाँ तक कि इंसान बदल जाता है। अवनि की ज़िन्दगी भी बदलने वाली थी। खुशियों के बादल छटने लगे थे और कड़ी धूप छन छन कर अवनि के दिल पर पड़ने लगी थी जिसका अवनि को एहसास भी नही था।

“सौरभ, हमारी शादी को 6 महीने हो गए और आप मुझे गिनती के 6 बार भी बाहर खाना खिलाने नही ले गए.. बहुत बुरे हो आप” अवनि ने झूँठ मुठ की नाराज़गी जताई।

“अच्छा ज़रा गिनो.. मैं नाम बताता हूँ जगह के जहाँ जहाँ हम लंच और डिनर के लिए बाहर गए थे” सौरभ ने भी मस्ती के मूड में कहा।

“मुझे नही गिनना.. ले जाना नही चाहते तो साफ़ मना कर दें” इस बार अवनि सचमुच नाराज़ हो गयी, उसका झूँठ जो पकड़ में आने वाला था।

“अच्छा अब मुँह मत फुलाओ, तैयार रहना शाम में बाहर ही डिनर करेंगे” सौरभ में मुस्कुराते हुए कहा।

“क्या... सच” अवनि ख़ुशी से चिल्लाई।

“उन्ह.. क्यों चिल्ला रही हो यार, अच्छा अब मैं निकलता हूँ.. शाम में मिलते हैं” सौरभ कह कर office के लिए निकल गया।

“चलो भई, अब मुझे खाना तो बनाना नही आज तो क्यों ना घर की अच्छे से सफाई कर ली जाये, स्टोर रूम में भी बहुत धुल हो रही है.. सौरभ के आने तक सब हो जायेगा” अवनि ने सोचा पर ये नही सोचा था कि सामान की धूल साफ़ करते हुए किसी राज़ के उप्पर से भी धुल छटने वाली थी।

“उफ़.. कितनी dust हो रही है” अवनि स्टोर रूम की dusting में busy थी तभी सौरभ की कुछ पुरानी files में से एक file नीचे आ कर गिरी “अरे यार, ये कैसे गिर गयी.. देखूं तो ये किस चीज़ की file है ये” अवनि ने फर्श से file उठायी और खोल कर देखने लगी, दो पन्ने पलटे तो उसके क़दमों तले ज़मीन खिंच गयी। आस पास सहारा न मिलने की वजह से उसी फर्श पर आ गिरी जिससे उसने ये file उठायी थी “पापा ने घर सौरभ के नाम कर दिया, ये क्या किया पापा ने, पापा की खुद की मेहनत, खून पसीने से सींचा घर अब उनका नही रहा” अवनि की आँखों से पानी बह रहा था जो सदमे की वजह से अवनि साफ़ भी नही कर पाई और कितनी भावनाओ की बुँदे बह बह कर अवनि का दामन भिगो गयी।

***

अवनि ने खुद को संभाला और फिर से फाइल खोल कर सही से पढ़ी जिसमे लिखा था घर अवनि के नाम है लेकिन trusty सौरभ था, सौरभ को सारे हक़ थे प्रॉपर्टी को इस्तेमाल करने के, यदि अवनि की मृत्यु हो जाती है तो प्रोपेर्ट्री का मालिक सौरभ बन जाता।

“इतना दहेज़ लेने के बाद भी ये घर क्यों, आखिर क्यों..” अवनि के मन में ये सवाल बार बार उठ रहा था। उसने जल्दी से सारी files पहले जैसे रखी और कमरे में आ कर मोबाइल से माँ को कॉल लगायी..

“हेल्लो”

“हेल्लो माँ, मैं बोल रही हूँ अवनि”

“अरे अवनि बेटा किसी है तू, बहुत दिन बाद फ़ोन किया”

“हाँ माँ मैं ठीक हूँ, आप और पापा कैसे हैं”

“सब अच्छा है बेटा, हम सब तुझे बहुत याद करते है, तेरे पापा भी तुझे बहुत याद करते हैं”

“माँ, एक बात बताओ”

“पूछ अवनि, क्या बात है, सब ठीक है ना”

“पापा ने घर मेरे नाम क्यों किया”

“.......”

“चुप क्यों हो माँ, बताओ मुझे”

“छोड़ ना अवनि, क्या फर्क पड़ता है.. घर तेरे नाम हो या तेरे पापा के”

“फर्क पड़ता है माँ, पापा के खून पसीने की कमाई को.. उस पर सिर्फ पापा और आपका हक़ है, एसे क्यों किया माँ”

“अवनि, तेरे सास ससुर ने शर्त रखी थी, उन्हें बड़ी रकम चाहिए थी तभी सौरभ तुझे अमेरिका ले जाता वरना नही ले कर जाता। हमारे पास इतनी बड़ी रकम नही थी.. जो पैसे थे वो सब शादी और दहेज़ में लग गए, सिर्फ ये घर बचा था इसलिए हमें यहीं सही लगा”

“तो नही करते मेरी यहाँ शादी, कहीं और हो जाती.. रिश्तों की कमी तो नही थी माँ”

“हाँ पर भगवन ने यही तेरी जोड़ी बनायीं थी और फिर तेरी हमेशा से ख्वाहिश थी अमेरिका जाने की.. हमें तेरी ख़ुशी से ज़्यादा कुछ कीमती नही.. ये घर भी नही”

“और सौरभ को प्रोपेर्टी trusty क्यों बनाया”

“तेरे ससुराल वालों की यही मर्ज़ी थी, उनका कहना है आप अपनी बेटी के नाम घर कर दें.. जो कुछ है आपकी बेटी का ही है पर अभी वो बच्ची है और दुनिया बहुत तेज़ है कही कोई गलत फायदा ना उठा ले इसलिए सौरभ को trusty बना दे..”

“वो शर्त पे शर्त रखते गये और आप लोग सब मानते गये, मुझे कुछ भी नही बताया”

“मुझे और तेरे पापा को भी यही सही लगा, काम से कम उन्होंने सौरभ के नाम नही कराया घर फिर तेरी ख़ुशी से ज़्यादा कुछ बड़ा नही है अवनि”

“अच्छा मैं अब फोन रखती हूं.. मुझे बहुत ज़रूरी काम करना है, आप सब लोग अपना ख्याल रखना” अवनि को अपने पापा की ना समझी पर गुस्सा आ रहा था।

“ठीक है, तू भी अपना और सौरभ का ध्यान रखना और इन सब बातों के बारे मत सोच”

अवनि ने फोन रख दिया, सारी बातें सुन कर उसे बस यही ख्याल आ रहा था अगर सौरभ का मन बदल गया और उसके मन में लालच जग गया तो वो अवनि को कुछ भी नुकसान पुहंचा सकता है क्योंकि अवनि की मौत के बाद सारी प्रॉपर्टी सौरभ के नाम हो जायेगी और वही उसका एकलौता मालिक बन जायेगा।

....To be continue in part 3

Dear readers, apko meri likhi kahani kysi lagi plz feel free to comment.. I’ll take ur comments as feedback.. Thank you..

-Khushi Saifi