Ladki ka Number in Hindi Love Stories by Divana Raj bharti books and stories PDF | लड़की का नम्बर

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लड़की का नम्बर

लड़की का नम्बर

दिवाना राज भारती।

दो शब्द

दोस्तों आप सभी का दिल से धन्यवाद जो आपने मेरी कहानी को पढा और सराहा। एक बार पुनः आपके बीच एक कहानी ले के प्रस्तुत हूँ उम्मीद हैं आप सभी को पसंद आयेगी। आप अपनी राय अवस दे। मुझे आपकी इमेल का इंतजार रहेगा।

मैं अपने परिवार संग अपने दोस्तो का भी धन्यवाद करता हूँ। जिन्होंने मुझे समझा और लिखने के लिए पेरित किया।

आप सब का पुनः धन्यवाद।

लड़की का नम्बर.........

कहते है जोड़ी उपर से ही बनके आती है। किसकी हमसफर कहाँ मिल जायें ये कोई नही जानता। मेरा जिवन साथी कौन है कहाँ है कैसी है ये तो वही उपरवाला ही जानता है जिनको ये जिम्मेवारी मिली है। लेकिन हम कोशिश करना कहाँ छोड़ते है जबभी कहीं कोई लड़की दिखती है हम उसमें अपनी जिंदगी ढूँढने लगते है। उसे अपनी प्रेमिका बनाने की सोचने लगते है। जब भी कही घुमने जाते है तो पुरे सज-धझ के जाते है ताकि कोई लड़की देखे और इम्प्रेश हो जाये। आजकल तो चार दोस्त जब भी साथ मिलते तो लड़की के बारे मे बात होना लाजमी हो गयी है। पहले तो ये पूछेंगे की किसी लड़की से बात होती है, अगर हाँ तो कौन है कहाँ तक बात पहुँची है, अब सब बात तो बतानी ही पड़ती है दोस्त जो ठहरा। सब लड़के कि बात अक्सर किसी न किसी लड़की से होती ही है, न जाने क्या बातें करते है पुरी-पुरी रात। हम लड़कों का फिर भी मन कहाँ भरता है। दोस्तों से बात करते समय फिर भी ये बात तो पुछ ही देते है किसी लड़की का नम्बर है तो दे काँल करते है। लड़की का नम्बर मिलते ही हम उसके पिछे ऐसे पड़ जाते है जैसे किसी पके फल के पिछे बंदर। अगर गलती से भी फेसबुक पे किसी लड़की की आइडी मे मोबाइल नम्बर दिख जाये तो उस नम्बर पे तब तक कोशिश करते हैे जब तक की बंद न हो जायें। आजकल तो लड़कों की नम्बर माँगने की डिमांड भी अलग-अलग होने लगे है जैसे वोडाफोन का देना, आइडिया का ही देना इत्यादि। अगर हम कभी दोस्तों से मोबाइल मांग लो एक काँल करने भी तो बहाना बना जाते है बैलेंस नही है और किसी लड़की का नम्बर डायल करने बोल दो तो न जाने कहाँ से बैलेंस आ जाती है। तो बस ऐसे ही कट रही है हम लड़कों की जिंदगी। क्या हम लड़के ही ऐसे होते है लड़कियाँ नही इस बात पे हम बस इतना कह सकते है अपने दिल से पूछो पराये दिल की हाल। हम लड़के शुरु से ही ऐसे नही थे मोबाइल ओपरेटर वालो के कमाल के आँफर ने हमे कमाल के बना दिये। किसी जमाने मे एक मजनू के एक ही लैला होती थी आज के जमाने मे एक मजनू के न जाने कितनी लैला होती है। मोबाइल ओपरेटर वालो की अनलिमिटेड प्लान ने हमारी चाहत और पसंद भी अनलिमिटेड कर दी थी।

एक दिन हम सब दोस्तों के साथ गप्पें मार रहे थे तभी रितेश बोला यार मेरा अनलिमिटेड लोकल काँल प्लान आज खत्म हो रहा है अगर किसी को किसी से बात करना है तो कर लो। उस दिन मेरे दिमाग मे एक शैतानी आई मैने उसका मोबाइल लिया और वोडाफोन का चार अंक का कोड सेम रखता बाँकी का छ: अंक अपनी मरजी से जो मन मे आता डायल करने लगा। उस दिन हमलोग ने अनेकों नम्बर डायल किये, कोई स्विच आँफ बताता तो कोई नेटवर्क से बाहर, अगर कोई काँल लग जाता और यदि काँल रिसीव करने वाला कोई आदमी लड़का या औरत होती तो कोई न कोई बहाना बना के काँल कट कर देते लेकिन अगर काँल लड़की की होती तो वो नम्बर मेरे मोबाइल मे अजीब अजीब नाम से सेव हो जाते। काँल करते समय तो दोस्त लोग एक दुसरे को ताना भी मारते बोलते देखा मैने जो नम्बर डायल किये लड़की उठाई तुम नहा के नही आये हो तो तुम्हारा लक खराब है आदि। कभी-कभी तो काँल रिसीव करने वाले ऐसे भी होते जो हमारी बलात्कार कर देते। किसी अंजान लड़की से बात करना उसे इम्प्रेश करना भी आसान काम नही है इसके लिए भी खास हुनर की जरुरत पड़ती है। उस दिन मस्ती के साथ वो शाम तो खत्म हो गयी। लेकिन अनुज के लिये यहाँ से रंगीन शाम शुरु हुई थी। अनुज एक होनहार और मेहनती लड़का था। बचपन से उसका सपना था कि वो इंजिनियर बने जिसके लिये उसने कोई कसर बाँकी नही छोड़ी थी। बिहार मे बीसीसीसीईबी के द्रारा होने वाली परीक्षा पास कर नालंदा काँलेज आँफ इंजिनियरिंग मे नामांकन भी करवा लिया था। वो हमसब से अलग था न हमारी तरह इधर-उधर की बाते करता न इधर-उधर घुम के समय को बरबाद करता हम दिन भर मोबाइल मे मूवी देखते या फेसबुक पे चैट करते और वो हमेशा पढते रहता। वो लड़की के बारे मे अक्सर यही बोलता की ये समय की बरबादी है और कुछ नही। लेकिन आज अनुज ने भी एक नम्बर सेव किया था। किसी लड़की की आवाज ने आज उसका भी दिल पिघला के रख दिया था।

अनुज ने उस नम्बर पे काँल किया तो किसी ने रिसीव नही किया। अनुज तीन बार काँल किया लेकिन कोई जवाब नही मिला। रात ग्यारह बजे उसी नम्बर से मिसकाँल आया अनुज ने रिटर्न काँल किया लेकिन पुनः कोई जवाब नही आया। ये सिलसिला तीन दिन चला चौथे दिन उधर से किसी लड़की की आवाज आई अनुज का दिल धड़कनें लगा ये वही आवाज थी जिसने अनुज की लड़की के प्रती सोच बदल दी थी। शुरु मे तो समान्य बात हुई जैसे कौन है कहां से बोल रहे है ये नम्बर कहां से मिली आदि। धीरे-धीरे बातों का सिलसिला बढने लगा मिनट से घंटे मे धंटे से पुरी पुरी रात। अब तो अनुज ने भी अनलिमिटेड प्लान डलवा लिया था एक्सट्रा बैट्री भी ले लिया था ताकि बात करते समय कोई रुकावट न आ जायें। उस लड़की का नाम अनीता था अनुज को अब उसके काँल का इंतजार रहता। कभी-कभी बात नही हो पाती जिसका कारण यह था की अनीता के पास अपना मोबाइल नही था। वो जिस मोबाइल से अनुज से बात कर रही थी वो उसकी सहेली रुबी की थी। हुआ यह था की एक दिन अनीता और रूबी साथ मे लुडो खेल रही थी। जब हमलोगों ने गलत नम्बरों पे काँल कर रहे थे तो एक काँल रूबी के नम्बर पे भी आयी थी उस समय काँल रिसीव रूबी नही अनिता ने की थी और काँल करने वाला अनुज था। उस दिन के बाद अनुज जब दुबारा काँल किया था तो रूबी आवाज पहचान गयी थी वो काँल रिसीव तो करती लेकिन कुछ बोलती नही। ये सारी बात रूबी ने अनीता को बताई फिर क्या था रात को अनीता रूबी का मोबाइल ले जाती रात भर बात करती और सुबह दे जाती। शुरु मे तो रुबी बिना कोई हिचकिचाहट के खुशी से मोबाइल दे देती थी लेकिन अब बहाने बनाने लगती। अनीता को भी अब रूबी से मोबाइल माँगना अच्छा नही लगाता था। घरवाले को भी शक हो गया था कि अनीता न जाने रात को किससे बात करती है उपर से अनीता कि खुद की मोबाइल भी नही थी तो अनीता सोचती बात करना ही छोड़ दे और अनुज से गुस्से से दो-चार दिन बात भी नही करती लेकिन दिल कहां किसी की सुनता है वो रुबी से मोबाइल मांग ही लाती। अनुज को जब ये बात पता चला तो अफसोस हुआ कि उसकी प्रेमिका उस से बात करने के लिये दुसरे से मोबाइल मांग के लाती है। क्या सच मे अनीता अनुज की प्रेमिका थी। अनुज ने कभी अनीता को देखा भी नही था तो क्या बिना देखे किसीको किसी से प्यार होता है क्या। मैंने सुना है कि प्यार पहली नजर मे हो जाती है लेकिन यहाँ तो नजरें भी नही मिली फिर प्यार कैसे हो गया। शायद ये प्यार अलग था अनीता अनुज के दिल मे आँखों के रास्ते नही कानों के रास्ते उतरी थी। अब तो दोनों एक दुसरे को पसंद भी करने लगे थे। अनीता की परीक्षा होने वाली थी पटना मे मेडिकल की तो दोनों ने प्लान बनाया की एक दुसरे से पहली बार मिलेंगे। अनुज ने अनीता के लिए गिफ्ट मे एक मोबाइल भी खरीद लिया। अनुज ने तो मन ही मन अनीता को अपना प्रेमिका मान चुका था अब तो बस मुहर लगना बांकी था। अनुज तय किये दिन तय किये हुये जगह पे पहुँच तो गया लेकिन अनीता को अनुज पहचानता कैसे यहाँ तो बहुत सारी लड़कियां थी। हाँलाकि अनीता ने बताई थी की वो लाल रंग की शुट पहन के आयेगी फिर भी अनुज को अनीता को ढूँढना मुश्किल लग रहा था। तभी अनुज को याद आया की अनीता ने अपनी प्रवेश-पत्र चेक करने तो अनुज को भी बोली थी और अनुज ने तो उसे मोबाइल मे सेव भी कर रखा है। अनुज ने उसकी सहायता से क्रमांक नम्बर का पता लगाकर परीक्षा केंद्र के अन्दर आ गया। अब इतना तो अनुज को पता चल ही गया था की अनीता का परीक्षा कौन-सी रूम मे होने वाली है। अनुज अनीता के रूम मे चला गया अनिता अपनी सीट पे बैठी हुई थी। अनुज अनिता को तबतक देखता रहा जबतक की गार्ड ने उसे गेट के बाहर न कर दिया। आज अनुज बहुत खुश था हो भी क्यो नही उसके सपनो की रानी जो मिल गयी थी। अनुज अब देर न करते हुये अपनी दिल की बात अनीता को बता देना चाहता था व बताना चाहता था की वो बिलकुल वैसी है जैसा उसने सोचा था उनसे प्यार तो उसे उनकी आवाज से ही हो गया था। आज अनीता को देखते ही अनुज ने मुहर लगा दिया कि अब उसका जीवन साथी उसका हमदम उसका हमसफर सिर्फ अनीता बनेगी। अब ये दो घंटे कब बीतेंगे की परीक्षा खत्म हो अनीता बाहर आये। अनुज ने तो दो घंटे मे न जाने कितने सपने देख डाले। अनीता के बाहर आते ही अनुज ने उसे गले से लगा लिया दोनों ने ऐसे गले लगे थे मानो जन्मो बाद मिल रहे हो। अनुज ने अपना गिफ्ट अनिता को दिया और बोला ये मैनें तुम्हारे लिये लाया है अब हमे बात करने के लिए रात का इंतजार नही करना पडे़गा और दोनों हँस पड़े। अनिता बोली अब मुझे चलना चाहिये मेरा भाई बाहर इंतजार कर रहा है। दोनों वापस अपने घर चले आये। अब जब मन करता दोनों आपस में बात कर लेते थे। उन दोनों की नजदीकियां इतनी बढ गयी की दोनों शादी भी करना चाहते थे।। लेकिन ये इतना आसान नही था दोनों अलग-अलग जाति के थे और दोनों शादी अपने परिवारजनों की मरजी से ही करना चाहते थे और परिवारजनों को मनाना सीधी अंगुली से घी निकालने के बराबर थी। अनुज एक माध्यमिक परिवार से था उसके घर की स्थिति दयनीय थी। जब अनुज इंटर मे था तभी गाड़ी से ठोकर लगने से उनके पापा की मृत्यु हो गयी थी। पापा के गुजरने के बाद उसके घर की स्थिति और भी खराब हो गयी वो बिलकुल टूट सा गया था। घर का बड़ा बेटा होने के वजह से घर की सारी जिम्मेवारी उसी के उपर था। इस बुरे वक्त में उसके मामा ने सारी जिम्मेवारी अपने जिम्मे लिये। अनुज के सपने को मरने नही दिये उसके सपने को उसके आँखों मे उन्होंने जिंदा रखा। अनुज ने भी मेहनत से पीछे नही हटा अपनी जी तोड़ मेहनत से वो मुकाम हासिल कर ही लिया था। अब जिसकी जिदंगी दुसरे के रहमो क्रर्म से चल रही हो जो खुद दुसरे पाँव के सहारे खड़े हो वो अपना घर कैसे बसा सकता था। उसे पहले अपने पाँव पे खड़ा होना था कुछ ऐसा करना था की लोग उसके साथ खड़े हो विरूद्ध मे नही। इधर अनिता दिल्ली आ गयी अपनी जीजा के पास नर्स की पढाई करने। चूँकि अनिता की सिम रोमिंग मे थी तो वो अनुज से बात अपनी जीजी के मोबाइल से करती। अनिता का जीजी का सिम पोस्टपेड होने के वजह से उसका बिल हरबार से ज्यादा आया। जब अनिता की जीजा जी जब बिल जमा करने गये तो उन्हें अनीता पे शक हुआ उन्होंने काँल लिस्ट निकलवाया उनका शक सही निकला। एक नम्बर था जिसपर बहुत देर और बहुत बार काँल किया गया था। अब ये नम्बर है किसका ये पता करना आजकल मुश्किल नही था। उन्होंने उस नम्बर को फेसबुक पे सर्च किये एक नाम डिसप्ले पे दिखा जो नाम था अनुज भारती उन्होंने उसके प्रोफाइल को ऐसे देखा मानो अनुज चोर हो और वो जासूस। उन्होंने अनुज के बारे मे अनिता से बात किये। लेकिन अनिता कुछ बताने के लिये तैयार नही हुई वो सिर्फ इतना बोली कि अनुज उसका दोस्त है। अनिता की जीजा जी भी किसी जमाने मे सच्चे आशिक थे वो भी प्रेमी प्रेमिका कि गंगा मे डुबकी लगा चुके थे। वो जानते थे किसी दोस्त से दिन रात प्रतिदिन बात नही होती है ऐसा सिर्फ प्रेमी प्रेमिका ही करते है। वो जानते थे कि परिवारजनों के डर से कोई भी आशिक अपने आशिक के बारे मे नही बताता है। उन्होंने खुद से वादा किया की वो अनुज और अनिता के प्यार के विरूद्ध नही खड़ा होगा उनका पुरा साथ देगा लेकिन पहले अनुज को जानना परखना जरूरी था। उन्होंने अनुज से एक अजनबी दोस्त बनकर बात करने लगे। करीब एक महिने बात करने का बाद उन्हें यकीन हो गया की अनुज अच्छा लड़का है और वो अनिता को खुश रखेगा तो उन्होंने सारी सचाई अनुज को बता दिया की उसका अजनबी दोस्त अनिता के जीजा जी है और उन्होंने अनुज से वादा करवायें कि वो अनिता को इसके बारे मे कुछ न बताये और जल्दी से कोई नोकरी ले फिर वो अनुज की शादी अनीता से करवा कर अनीता को सरप्राइज देगें। अब अनुज मेहनती तो था ही अपने प्यार को पाने, खुद के पैर पे खड़े होने की चाह और कुछ करने की जुनून के वजह से उसने SSC JE कि परीक्षा उत्तीर्ण कर नोकरी भी ले लिया। कहते है भगवान् और भाग्य भी उसी का साथ देता जो कुछ करने के लिये जी तोड़ मेहनत करता है। अनीता को सरप्राइज मे अनुज मिल गया। उनके जीजा-जीजी कि मदद से दोनों पक्ष शादी के लिये मान गये।

आज उनकी शादी है हम भी शादी मे आये है खुब मस्ती हो रही है। आज हमसब दोस्त बहुत खुश है हो भी क्यो नही आखिरकार मेरे दोस्त को उसका प्यार उसका सपना जो उसे मिल गया था। हमे आज उससे जलन भी हो रही है हो भी क्यो नही साला नौकरी भी ले गया और छोकरी भी। साला सही कहता था जिदंगी मे लक्ष बनाओ लक्ष, लक्ष बनाने से रास्ता असान हो जाता है। आज उसे सब मिल गया और मुझे कुछ नही। न नौकरी है और न प्यार है तो सिर्फ डिग्री। जितना समय मैने फेसबुक चैट मोबाइल मूवी मे बर्बाद किया काश उसका आधा समय भी ईमानदारी से पढाई मे लगाया होता तो हमारी लाइफ भी कुछ और होती। मैने खुद से वादा किया कि आज से पढाई और कोई लड़की नही अगर कोई लड़की आयी तो सच्चा प्यार और शादी नो टायम पास नो रिचार्ज। क्या हम बदल पायेंगे तभी मेरे मोबाइल पे किसी अंजान नम्बर से काँल आया मेर दिल धड़कने लगा मैनें सोचा कही किसी लड़की का नम्बर तो नही मैंने काँल रिसीव किया मैनें हैलो बोला।

उधर से राज कहां है तु जल्दी आ जयमाला शुरु हो रही बहुत लड़की आयी है किसी न किसी लड़की का नम्बर तो मिल ही जायेगी जल्दी आ तु।

ये हमारा दोस्त पप्पू था जो हमारे साथ शादी मे आया था। मै जाते समय यही सोच रहा था की हम लड़के कभी नही सुधरेंगे।

...............समाप्त.............