The Author Qais Jaunpuri Follow Current Read ओटो ड्राईवर By Qais Jaunpuri Hindi Short Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books उजाले की ओर –संस्मरण ============... ठहराव में डूबा दिसंबर साल का आख़िरी महीना कोई साधारण महीना नहीं होता। यह सिर्फ़ कै... नेहरू फाइल्स - भूल-85 भूल-85 विकृत, स्वार्थपूर्णधर्मनिरपेक्षता और अल्पसंख्यकवाद धर... माँ की चुप्पी - 1 सुबह के चार बजे थे। बाहर अभी भी गहरा अंधेरा छाया हुआ था, और... The curse of kiradhu temple कहानी — किराडू का श्रापमेरा नाम राहुल है, और यह कहानी मेरी ज... 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यू. पी.? हाँ, जौनपुर, उत्तर प्रदेश. आप? मैं तो झारखण्ड, बिहार से. क्या करते हैं आप? लिखता हूँ. मतलब? क्या लिखते हैं? कहानी, कविता, गाने. फ़िल्मों में भी ट्राई कर रहे हैं. अच्छा...! मलतब डायलॉग मारते हैं? डायलॉग मारते नहीं, कहानी लिखते हैं. ये मेरा विज़िटिंग कार्ड है. गूगल करना. बहुत कुछ मिलेगा. अच्छा...बहुत अच्छा डायलॉग मारा है साब? उड़ता परिन्दा...गगन...क्या बात है! कितना पढ़े हो? सिविल इंजीनियर. अच्छा...! इंजीनियरिंग किए हो? हाँ. अच्छा, बहुत बढ़िया. गाना भी लिखते हो? हाँ. कऊन सी पिच्चर में लिखा है? कऊन सा गाना है? कुछ सुनाओ. दुई लाइन? अभी पिक्चर रिलीज़ नहीं हुई है. हीरो कौन है? सब नए लड़के हैं. अच्छा कहानी क्या है? राजस्थान की कहानी है. वो छोटे बच्चों का शोषण करते हैं ना. मतलब जो रेप करते हैं बच्चों का... उसकी कहानी है? हाँ. बहुत अच्छा काम करते हैं आपलोग. कहानी लिखना. डायलॉग मारना. गाने लिखना. आप गाते भी हो? नहीं. बस लिखता हूँ. अरे जब लिखते हैं तो गा भी सकते हैं ना. कऊन सी बड़ी बात है...? जिसने लिख लिया समझो उसने गा भी लिया. हाँ सुर ठीक होना चाहिए. डायलॉग भी मारते हो? नहीं डायलॉग मारता नहीं हूँ. डायलॉग लिखता हूँ. कुछ सुनाओ ना. एक सुनाओ. कोई एक. ऐसे क्या सुनाऊँ? कहानी लिखने में कैरेक्टर जो बोलते हैं वही डायलॉग हो जाता है. हाँ सही बात. ई राज ठाकरे भी बहुत बोलता है. इसके ऊपर भी लिखना चाहिए आपको? आप बताओ कोई घटना. कुछ दर्दनाक. अरे आपको पता तो होगा... कितना हंगामा किया था इसने... कि बम्बई से उत्तर भारतीयों को भगा दूँगा. आपको पता है? आज इलक्शन है. इन्हीं उत्तर भारतीयों से हाथ जोड़कर अब वोट माँगता है. सही कह रहा हूँ. ये नेता लोग ऐसे ही होते हैं. नहीं. मैं तो कहता हूँ आपको इनके ऊपर भी लिखना चाहिए. कहता है, “उत्तर भारतीयों को नहीं रहना चाहिए बम्बई में.” जिस दिन बम्बई से सारे उत्तर भारतीय चले जाएँगे. बम्बई में एक कुत्ता भी नहीं दिखाई देगा. भूखे मर जाएँगे ये सब. बम्बई चल ही रही है उत्तर भारतीय लोगों की वजह से. अब ये देखो! ये रहा अमिताब का बंगला. अमिताब कहाँ से है? इलाहाबाद से. इलाहाबाद कहाँ है? यू.पी. में. अब अमिताब बच्चन को कहते हैं कि बम्बई में नहीं रहना चाहिए. बताओ साब! जिस दिन अमिताब बम्बई छोड़ देगा. आपको पता है क्या होगा? आधी बम्बई ख़ाली हो जाएगी. शाहरुख़ ख़ान भी दिल्ली से है. दिल्ली भी उत्तर भारत में आता है. तब तो पूरी बम्बई ही ख़ाली हो जाएगी. हहहहहहहहहह. सही कह रहे हैं आप. मेरा एक दोस्त है. वो भी यू.पी. से है. आज से बीस साल पहले तीन सौ पचास रुपए लेके बम्बई आया था. कितना? तीन सौ पचास रुपए. हाँ, तीन सौ पचास रुपए. आज करोड़ों का मालिक है. ऊ कहते हैं ना, ख़ुद से जो अपना रास्ता ढूँढ़ता है उसे मन्ज़िल मिल ही जाती है. दूसरा नहीं बताएगा आपको. आपको प्यास लगी है तो कुआँ भी आपको ख़ुद ही खोदना पड़ेगा. मेरा वो दोस्त चालू टिकट लेके बम्बई आया था. आज करोड़ों का मालिक है. मेहनत बेक़ार नहीं जाती साब. आप बहुत अच्छा काम कर रहे हो. ये कहानी लिखना. गाने लिखना. डायलॉग मारना. सबके बस की बात नहीं. हर कोई नहीं कर सकता. आम आदमी के बस की बात नहीं गाने लिख देना. अपनी तरफ़ यही प्रॉबलम है. शादी बहुत जल्दी हो जाती है. बम्बई में तो क्या है कि पहले कुछ कर लो फिर शादी करो. मगर अपने यहाँ माँ-बाप को डर लगा रहता है कि लड़का बड़ा हो गया है. इधर-उधर मुँह मारेगा. गड़बड़ करेगा. बदनामी होगी. इससे अच्छा शादी कर दो. जा भई. बम्बई की तरह गर्लफ्रेण्ड-ब्वॉयफ्रेण्ड नहीं बना पाते हैं ना गाँव में. साला लड़की के बाप को पता चले तो जान से मार देते हैं. यहाँ बम्बई में जान से मार देना बहुत मुश्किल है. इतने कैमरे लग गए हैं बम्बई में. लेकिन फिर भी बम्बई में बहुत हालत ख़राब है. मतलब? मतलब, सौ में से नब्बे लड़कियाँ किसी न किसी से सेट हैं. आजकल तो कॉलेज में ही सबकुछ हो जाता है. इतना छोटा-छोटा स्कर्ट पहनती हैं. नंगी औरत और खुला पैसा... ये दो चीज़ आदमी को कहीं भी दिखे तो मन डोल ही जाता है. चाहे कितना बड़ा इमानदार आदमी हो. अगर उसके सामने ये दो चीज़ें दिख जाएँ तो बस समझो गड़बड़ होनी ही होनी है. बस दो चीज़ें साब. नंगी औरत और खुला पैसा. अब लड़के क्या करेंगे? जब लड़कियाँ ही अपने शरीर का हुस्न खोल के दिखाएँगी तो भला कौन मना करेगा? अब शरीर ही ऐसा बनाया है ऊपरवाले ने कि शरीर देखते ही शरीर जाग जाता है. बम्बई में तो बहुत जगहें हैं. इधर मिल लिए. उधर मिल लिए. हो जाता है. यही लड़कियाँ अपना शरीर ढँक कर के रखें तो इनके ऊपर गन्दी नज़र कोई क्यूँ रखेगा? बताओ साब? सही बात. बम्बई में आदमी शादी इसीलिए जल्दी नहीं करता. क्यूँकि शादी के सारे मज़े वो पहले ही ले चुका होता है. अब जिसने सारा मज़ा ही ले लिया वो शादी क्यूँ करेगा? आप देखो! बम्बई में ज़्यादातर लोग शादी तीस-बत्तीस के बाद ही करते हैं. तब वो घर बसाते हैं. लेकिन बम्बई में बीवी तो बस नाम की होती है. उसका सारा मज़ा तो कोई पहले ही ले चुका होता है. हाँ, बीमारी-सीमारी में कोई देखने-ताकने वाला होना चाहिए. इसलिए शादी कर ली. पहले जैसा तो कुछ रहा ही नहीं. एक बात बताऊँ साब? क्या? मुझे भी एक लड़की से मोहब्बत हो गई थी. अच्छा...! हाँ साब. लेकिन वो शादी-शुदा थी. शादी तो मेरी भी हो गई है. लेकिन मेरी बीवी उधर गाँव में रहती है. तो मैं यहाँ अकेले ही रहता हूँ. गाँव गया था तो वहीं नज़र मिल गई. उसका हसबैण्ड यहीं बम्बई में काम करता है. मेरा दोस्त तो नहीं है वो. लेकिन मैं उसे जानता हूँ. उसकी बीवी हमेशा कहती थी, “मुझे बम्बई आना है.” लेकिन उसका हसबैण्ड उसे बम्बई ला ही नहीं रहा था. पैसे की कमी थी बेचारे के पास. मुझसे बोली, “आप समझाओ मेरे पति को.” फिर मैंने उसके पति को मनाया. उसने कहा, “पैसे नहीं हैं मेरे पास.” मैंने कहा, “मैं देता हूँ.” मैंने दस हज़ार दिए उसे. उधर हमारी सेटिंग पहले से थी. फिर मैं ले आया उसे अपने साथ. उसके पति ने कहा, “तू, आ रहा है तो उसे भी साथ ले आ.” तो वो मेरे ही साथ आई. उसकी शादी को चार साल हो गए थे. लेकिन उसे बच्चा नहीं हो रहा था. फिर उसे मुझसे प्यार हो गया. मैं भी यहाँ अकेले था. फिर तो हमने ख़ूब मज़े किए. फिर तो वो इतनी पागल हो गई कि मुझसे बोली, “अब मैं तुम्हारे साथ ही ब्याह करूँगी. मुझे कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता तू शादी-शुदा है, क्या है. बस तू मुझे अपने साथ ले चल. मेरा पति मुझे बच्चा नहीं दे सकता. मैं माँ बनना चाहती हूँ.” बस, फिर एक महीना हम ग़ाएब हो गए. उसे लेके मैं यहीं बम्बई में ही था. लेकिन पुलिस पकड़ नहीं पाई. बात मेरे गाँव में भी फैल गई. मेरी बीवी को भी पता चला कि मैं किसी और औरत को लेके भाग गया हूँ. लोगों ने उससे कहा केस करने के लिए. लेकिन मेरी बीवी बोली, “मैं केस नहीं करूँगी. मैं जानती हूँ अपने पति को. वो ज़रूर आएगा मेरे पास.” फिर इधर उसके पति ने केस कर दिया. लेकिन एक महीना तक हम छुप के रहे. किसी को कुछ पता नहीं चला. ख़ूब काम लगाया. एक महीना. रोज़. कई बार. मज़ा आ गया. फिर उसको लेके मैं झारखण्ड चला गया. चुपचाप कोर्ट मैरिज करने. लेकिन वहाँ वकील ने बताया कि तुम दोनों तो शादी-शुदा हो. बिना पहली पत्नी और पहले पति को तलाक़ दिए तुम दोनों शादी नहीं कर सकते. साला सब दिमाग झण्ड हो गया वहीं पे हम दोनों का. मैं तो तैयार था कि, “तुझे अपने पास रखूँगा. भले ही एक बीवी है तो क्या? तुझे नहीं छोडूँगा. लेकिन बीवी को तलाक़ नहीं दे सकता था. बच्चे थे ना. बच्चों को कैसे छोड़ सकता था. फिर थाने में जाके हम दोनों ने वहीं सलेण्डर कर दिया. केस तो बम्बई का था. उसके पति ने यहाँ सब मिसिंग-विसिंग सबका केस डाल दिया था. लेकिन हमने वहाँ गाँव में सलेण्डर किया. वहाँ पुलिसवाले कम मारते हैं. सहर की पुलिस तो तोड़ के रख देती है. ख़ासकर के लड़की के मामले में. वहाँ तो वो सामने आ गई. बोली, “इसने नहीं, मैंने इसे भगाया है.” साब, बहादुर थी वो. पुलिस ने हमें हाथ भी नहीं लगाया. एक ही कमरे में रखा. ये रहा अमिताब का बंगला, जलसा. बस, अब आगे वाले सिग्नल से राइट ले लीजिएगा. ठीक है. फिर क्या हुआ? फिर... फिर, उन्होंने हमें पाँच दिन थाने में ही रखा. क़ैद नहीं किया. क़ैद करते तो चौबीस घण्टे के बाद कोर्ट में पेस करना पड़ता है. उन्होंने पाँच दिन तक हमें एक ही कमरे में रखा. हमने वहाँ भी काम लगाया. साला थाने में भी नहीं छोड़ा. अब एक ही कमरे में थे तो क्या करते! आगे इस गेट पे रोक लीजिएगा. बस, फिर उसको सही-सलामत उसके घर छोड़ दिया और मैं वापस बम्बई आ गया. आप उसके पति से मिलते हैं अभी भी? वो कुछ नहीं कहता? वो क्या कहेगा? और वो औरत? नहीं. फिर उसने शादी कर ली किसी और से. झारखण्ड में ही. चीज़ थी साब वो. आज भी याद आती है उसकी. जितने दिन रही, पागल कर दिया था उसने. उसके अलावा कुछ समझ में ही नहीं आता था. मेरा नम्बर है आपके पास. कभी फ़ुर्सत से फ़ोन कीजिएगा. मुझे आपकी कहानी अभी पूरी सुननी है. डिटेल में. ज़रूर साब. ज़रूर. मेरी कहानी तो....उसके बिना अधूरी है...अच्छा साब चलता हूँ. आपने मेरी कहानी सुनी. अच्छा लगा. इसे भी लिख दीजिएगा. ज़रूर. *** Download Our App