Gyarah Amavas - 30 books and stories free download online pdf in Hindi

ग्यारह अमावस - 30



(30)

कुछ देर पहले ही इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने फोन करके गुरुनूर को सब इंस्पेक्टर नंदकिशोर और उसकी टीम के द्वारा रानीगंज में जो जांच की गई थी उसके बारे में बताया था। अभी तक उन्हें मंगलू के अतिरिक्त किसी के ‌बारे में कोई उपयोगी जानकारी नहीं मिली थी। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने बताया कि उनकी टीम अपनी कोशिश कर रही है। लेकिन एक दूसरी बहुत महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। रानीगंज थाने में एक किशोर उम्र के लड़के के लापता होने की रिपोर्ट लिखाई गई ‌है। सब इंस्पेक्टर नंदकिशोर रानीगंज थाने में उस केस के बारे में और अधिक जानकारियां लेने गया था। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने कहा कि जैसे ही कोई और नई खबर मिलेगी वह उसे सूचना दे देगा।
एक और बच्चे के लापता होने की खबर ने गुरुनूर को परेशान कर दिया था। उसे अपनी नाकामी का एहसास हो रहा था। वह गुस्से में अपने केबिन में टहलने लगी। उसी समय सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने केबिन का दरवाज़ा नॉक किया। वह अंदर आया तो गुरुनूर को परेशान देखकर उसने कहा,
"मैडम आप बहुत अधिक परेशान लग रही हैं। कोई खास बात है ?"
गुरुनूर अपनी ‌कुर्सी पर बैठते हुए बोली,
"खास बात तो यह है कि इतना सबकुछ हो रहा है। हम समझ भी रहे हैं कि यह सब कोई सनकी आदमी किसी तांत्रिक क्रिया के लिए कर रहा है। लेकिन वह कौन है ? ऐसा किस लालच में कर रहा है ? हम कुछ भी पता नहीं लगा पा रहे हैं। हमें दीपांकर दास पर शक है। लेकिन उसके खिलाफ कोई पक्का सबूत नहीं है। जो भी गुनहगार है इतना होने के बावजूद भी वह बड़ी निडरता से अपना काम कर रहा है। रानीगंज थाने में एक और किशोर उम्र के लड़के के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज़ हुई है।"
यह सुनकर सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे गंभीर हो गया। कुछ देर सोचने के बाद बोला,
"मैडम आप सही कह रही हैं। वह शैतान अभी भी बेधड़क काम कर रहा है। अमावस को अब केवल बारह दिन बचे हैं। उसने नई बलि का इंतज़ाम कर लिया।"
गुरुनूर ने कहा,
"अगर इस बार भी वह अपने मंसूबे में कामयाब रहा तो मैं अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाऊंँगी।"

सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने दृढ़ता से कहा,
"नहीं मैडम इस बार वह कामयाब नहीं हो पाएगा। हमारे पास बारह दिन हैं। हम उसे पकड़ने के लिए ज़मीन आसमान एक कर देंगे।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे की यह बात सुनकर गुरुनूर की हताशा कम हो गई। उसे अपने डैडी की नसीहत याद आई कि हिम्मत कभी नहीं हारनी चाहिए। उसे कमज़ोर पड़ने के लिए खुद पर गुस्सा आया। अपने आप को संभाल कर उसने भी आत्मविश्वास के साथ कहा,
"सही कह रहे हो आकाश। हमारे पास बारह दिन हैं। वह शैतान चाहें कितना भी शातिर हो अब उसे उसके किए की सज़ा ‌दिलाकर रहेंगे। तुम बताओ जंगल की कांबिंग करके कुछ मिला।"
"नहीं मैडम.... कोई सफलता नहीं मिली। समझ नहीं आ रहा है कि छठी लाश गई कहाँ ?"
गुरुनूर ने कहा,
"हो सकता है उसे जंगल में कहीं दफना दिया गया हो।"
"अगर ऐसा हुआ होगा तो इतने बड़े जंगल में दफन लाश को तलाश कर पाना मुश्किल होगा। लेकिन मेरे मन में आ रहा था कि बाकी बलियों की तरह छठी बलि उस खंडहर में नहीं दी गई होगी जहाँ हमें लाश मिली थी। कातिल को जब जंगल में मिल रही लाशों का पता चला होगा तो वह सतर्क हो गया होगा। पांचवीं लाश उस खंडहर में दफन थी। इसका मतलब उसके बाद बलि की प्रक्रिया किसी और जगह की गई।"
इस बात को सुनकर गुरुनूर के दिमाग में भी एक बात आई। उसने कहा,
"जंगल की कांबिंग के दौरान तुम्हें ऐसी कोई जगह मिली जहाँ इस काम को अंजाम दिया जा सकता हो।"
"नहीं मैडम.... कांबिंग के दौरान मैंने भी उन्हें इस बात का ध्यान रखने के लिए कहा था। कोई ऐसी जगह नहीं मिली जहाँ इस तरह का काम हो सके।"
"फिर उन लोगों ने बलि किस जगह पर दी होगी ? क्या बसरपुर के किसी घर में यह हुआ ?"
"मैडम बस्ती के बीच में यह काम करने में उनको खतरा अधिक था। उन्हें पता था कि पुलिस को जंगल में लाशें बरामद हुई हैं। पुलिस सतर्क हो गई है। इसलिए बस्ती में ऐसा करना उनके लिए ख़तरनाक होता।"
दोनों शांति से सोचने लगे कि वह जगह हो कहाँ सकती है। सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कुछ सोचकर कहा,
"मैडम हमारा शक दीपांकर दास पर है। तो क्या यह काम शांति कुटीर में नहीं हो सकता है ?"
"आकाश ऐसा नहीं हो सकता है। दीपांकर दास ने अपनी एक छवि बना रखी है। यदि वह इन सबके पीछे है तो उस उस छवि की आड़ में ही यह सब कर रहा है। शांति कुटीर में बाहर से भी लोग आकर ठहरते हैं। वह ऐसी गलती नहीं करेगा कि किसी को शक हो। अगर वह कर सकता तो सारी बलियां वहीं देता। शांति कुटीर के फार्म में आसानी से लाशों को दफन कर देता। किसी को पता भी नहीं चलता। यह काम कहीं और किया गया है। हमको थोड़ी और खोज करनी होगी।"
"मैडम वैसे तो हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है। लेकिन ऐसी कोई जगह मिली तो नहीं। ऐसा भी हो सकता है कि अब वह बसरपुर के बाहर अपना काम कर रहा हो।"
गुरुनूर अपने मन में कुछ सोच रही थी। उसने कहा,
"तुमने जो संभावना जताई है उस से इंकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन मेरे मन में आ रहा है कि हमने पूरी तरह से कोशिश नहीं की है।"
"ऐसा क्यों मैडम ?"
गुरुनूर के मन में एक नया विचार आया था। उसे लग रहा था कि इतने दिनों तक इस बात पर ध्यान क्यों नहीं गया। उसने सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे को समझाया,
"आकाश सरकटी लाशें पूरब, पश्चिम और दक्षिण के पहाड़ी जंगलों में मिली थीं। हमने अपनी तलाश यहीं तक सीमित रखीं।"
"हाँ मैडम यह बात एकदम सही है।"
"आकाश बसरपुर चारों तरफ से पहाड़ से घिरा है। हमने चौथी दिशा की तरफ तो ध्यान ही नहीं दिया। उत्तर के पहाड़ के जंगल में भी तो यह काम हो सकता है।"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे के चेहरे पर चमक आ गई। उसने कहा,
"मैं अभी अपनी टीम को उत्तर वाले पहाड़ के जंगल में ऐसी किसी जगह की तलाश करने को कहता हूँ जहाँ वह शैतान आसानी से अपना काम कर सकता हो।"
गुरुनूर ने उसे फौरन काम में जुट जाने के लिए कहा। वह यह कहकर चला गया कि जितनी जल्दी हो सके, अच्छी खबर देगा।

गुरुनूर खुश थी। जैसा उसने सोचा था उत्तर के पहाड़ वाले जंगल में एक खंडहर हो चुका मकान मिला था। उसने इस कामयाबी के लिए सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे की खूब तारीफ की थी। दोनों फॉरेंसिक टीम के साथ वहाँ मौजूद थे। फॉरेंसिक टीम ने अपना काम शुरू कर दिया था। मकान के आहते में उन्हें एक से अधिक लाशों के होने की संभावना मिली थी। इस समय उन स्थानों पर खुदाई की जा रही थी। गुरुनूर और सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे उस जगह के बारे ‌में बात कर रहे थे। गुरुनूर ने कहा,

"तुमने बहुत अच्छा काम किया है आकाश। पर एक बात मन में आ रही है। गड़रिए बसरपुर के चारों तरफ पहाड़ पर अपने जानवर चराने लाते हैं। तो उन लोगों ने कभी इन खंडहरों को क्यों नहीं देखा ?"
सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने जवाब दिया,
"मैडम गड़रिए बहुत कम इतनी दूर जंगल के अंदर आते हैं। उन्हें इसकी आवश्यकता ही नहीं पड़ती है। जैसे कि ये मकान ऊँचाई पर और जंगल में बहुत अंदर है। इस तक आसानी से पहुँचा नहीं जा सकता है। दक्षिण पहाड़ वाला खंडहर भी इसी तरह जंगल में अंदर की तरफ था। दूसरे अधिकांश गड़रिए भूत प्रेत के डर से ऐसी जगहों से दूर ही रहते हैं। अंधेरा होने से पहले ही अपने घर लौट जाते हैं। हो सकता है कि किसी ने देखा भी हो पर इनके आसपास ना आया हो।"
"ठीक कह रहे हो तुम। फिर जैसा हम सोच रहे हैं बलि देने का काम अमावस की रात में होता है। तब इन जंगलों में कोई भी नहीं आता होगा।"
"मैडम दक्षिणी पहाड़ वाले खंडहर में तहखाना था जहाँ वह घृणित काम हो रहा था। यहाँ भी ज़रूर कोई ऐसी जगह होगी। फॉरेंसिक टीम अपना काम कर रही है। हम लोग मकान के अंदर चलते हैं।"
गुरुनूर ने फॉरेंसिक टीम को निर्देश दिया कि कुछ भी मिलने पर उसे सूचना दी जाए। वह सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे के साथ मकान के अंदर चली गई। उन्हें वह कमरा मिल गया जहाँ अनुष्ठान के लिए सब एकत्रित हुए थे। वहाँ जांबूर का आसन भी था। वहीं ग्यारह काले रंग के चोंगे थे। थोड़ा और ढूंढ़ने पर उन्हें तहखाने में जाने का रास्ता मिल गया। तहखाने में अंधेरा था। गुरुनूर ने अपनी टीम को टॉर्च लाने के लिए कहा। उसके बाद वह सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे और कांस्टेबल हरीश के साथ तहखाने में उतर गई। उन्हें नीचे आयताकार एक कमरा मिला। दोनों उस कमरे को अच्छी तरह से देख रहे थे। तभी कांस्टेबल हरीश ने उन्हें उसके साथ लगे कमरे के बारे में बताया। तीनों उस कमरे में गए तो वहाँ का नज़ारा बहुत भयानक था। दो विचित्र सी मूर्तियां रखी थीं। उनके पास बहुत सा सूखा खून था। उन मूर्तियों के पास ही नर मुंडों का ढेर था। गिनती करने पर कुल सात नर मुंड मिले।
आहते में खुदाई करने पर तीन लोगों की लाशें मिली थीं। एक लाश किसी वयस्क की लग रही थी। उसका सर कटा हुआ था किंतु सर लाश के साथ ही गाड़ा गया था। बाकी दोनों लाशें सरकटी थीं। उनके साथ उनका सर नहीं था। स्पष्ट था कि बाकी लोगों की तरह उनकी भी बलि दी गई थी।