Teri Chahat Main - 15 in Hindi Love Stories by Devika Singh books and stories PDF | तेरी चाहत मैं - 15

तेरी चाहत मैं - 15

अजय बोला "चलो यार अब क्या आज ही देखना ना है, अब तो रोज़ - रोज़ मिलना, अब चल कर CEO से मिल लेते हैं।" सब जल्दबाजी में लिफ्ट की तराफ चल दिए।
थर्ड फ्लोर पर वो सब CEO के रूम के बहार पहुंचे और ऑफिस बॉय को इंफॉर्म किया किया। ऑफिस बॉय अंदर गया और फिर बहार आ कर बोला "आप सब अंदर जाए।"

"सब अंदर पहुंचे। सामने मुकेश रॉय बैठे थे। सब उन्को देखने लगे। वो मुस्कुराते हुए बोले, "पहली नौकरी मुबारक हो आप सबको। मोहित साहब आप सब से काफी खुश हैं। आओ बैठो सब।"
सब बैठे गए, मुकेश रॉय फिर बोले "भाई तुम सब ये ना समझो की तुम लोगो को जॉब मैंने दी है, या मेरी वजह से मिली है। मुझे पता था की तुम लोग यहां आए हो, पर मैंने बिलकुल भी कोई बात नहीं की है इस सिलसिले में। तुम सब अपनी कबलियात पर यहां हो।”
हीना बोली "जी शुक्रिया। हम सब पूरी मेहनत से काम करेंगे।"
मुकेश रॉय बोले "मुझे यकीन है की ऐसा ही होगा। तो फिर आप सब दिए गए टाइम पर आए। सिमरन आप को काम की डिटेल्स देदें गी। बाकी मेरी आप से कम ही मुलाकात होगी। मैं यहां ज्यादा नहीं आता, अभी ये ऑफिस शुरू ही हुआ है। बाकी बातें काम के साथ आप सब सीख लेंगे।"
अजय बोला "जी हम सब वक्त पर आ जाएंगे। मोहित सर ने जो यकीन किया है हम पर वो टूटने नहीं देंगे।”
मुकेश रॉय मुस्कुराते हुए बोले "अल्लाह आप सबको कामयाबी दे।"
फिर वो सब बहार आ गए। बहार आ कर रोहित बोला, “चलो भाई आज सेलिब्रेट किया जाए। मुझे भूख लग रही है।"
राज बोला हां हां क्यों नहीं "चलो मेरे घर चलो। आज अजय मेरे पापा से भी मिल लेगा। रूबी आपा को भी कॉल कर दो, और अभी बताना मत की किस लिए मिल रहे हैं। सरप्राइज देंगे वो खुश होंगी।"
हीना बोली "ठीक है, ऐसे किसी से मिलने पर इतना खुश हो, नौकरी के लिए या सिमरन के लिए!" इस पर सब हसने लगे और वो राज के घर के लिए चल पड़े हैं।

राज के घर पर, सब राज के पापा जो की एक रिटायर्ड आर्मी मैन थे, वे सभी उनसे मिले और उनको सब कुछ बताया। उनका नाम मेजर शेखर था। मेजर शेखर ने सब दोस्तों को मुबारक बाद दी।
मेजर शेखर अजय से बोले "तुम्हारे बारे में राज ने कई बार बताया है। तुम से मिलने का इंतजार देख रहा था, आज मिल भी लिया। जैसा राज ने कहा था, तुम उससे ज्यादा लायक हो बेटा।”

अजय बोला "शुक्रिया अंकल, ये सब आप का आशीर्वाद है।"
मेजर शेखर "भाई मैंने तुम सबके सारे किस्से सुने हैं, राज बताता रहता है। तुम्हारे एक्सीडेंट का भी पता चला, पर बेटा उस वक्त मैं शहर मैं नहीं था। इसलिए तुम्हे देखने नहीं आ पाया।"
तबी रूबी भी वहा आ पहुंची, सब ने उसे घेर लिया। रोहित बोला "दीदी बतायें हम सब आज यहां इक्कठा किस लिए हुए हैं।"
रूबी बोली "मुझे नहीं पता, पर मैं काफी जरूरी काम छोड़ कर आई हूं। अगर बेकार की बात हुई तो मैं तुम्हारा बैंड बाजा दूंगा।”
हीना बोली "वक्त नहीं बेकार होगा, ज़रा इन लिफ़ाफ़े को तो देखिये।" रूबी ने एक लिफाफे को देखा फिर बाकियो को देखा, उसके चेहरे पर खुशी झलकने लगी।
तभी मेजर शेखर बोले "रूबी बेटा कैसी हो, बड़े दिन बाद यहां आई हो, वो भी सबकी वजह से, अपने अंकल की याद नहीं आती तुमको कभी।"
रूबी बोली "नहीं अंकल ये बात नहीं है, आप को कैसे भूल सकती हूं, बस इस समय काम ज्यादा है।"
रूबी झुक कर मेजर शेखर का आशीर्वाद लेने लगी तो मेजर शेखर ने उसे रोके हुए बोला "अरे बेटी की जगह कदमो मैं नहीं दिल मैं होती है," ये कह कर उसे प्यार से गले लगा लिया।
फिर मेजर शेखर ने पुछा "और बताओ बेटा जावेद कैसा है, काफी टाइम से आया नहीं।"
रूबी का चेहरा मुर्झा गया। वो कुछ ना बोली। मेजर शेखर बोले "यानी अभी तक ..................."
तबी हीना बोली "चलो नाशता तैयार है। जल्दी आ जाओ सब।" रूबी उस तरफ चली गई। मेजर शेखर उसे देखते रहे, उनकी आंखें मैं अफसोस था।


To be continued

in 16th part

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