Teri Chahat Main - 16 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरी चाहत मैं - 16

अजय ने दोनो की बातें सुन ली थी। उसे भी गहरा धक्का लगा। फिर वो भी सबके पास चला गया।
देर शाम तक सब लोग साथ रहे, फिर सब अपने घर को चले गए। अजय और न्यूटन राज के कहने पर राज के साथ ही रुक गए।
रात मैं अजय ने राज से पुछा, "राज ये जावेद कौन है। रूबी आप का क्या रिश्ता है?”
राज ने जवाब दिया "वो उनके पति हैं। वो अलग रहते हैं। दोनो मैं लड़ाई हो गई है। एक साल होने वाला है।"
न्यूटन बोला "लड़ाई तो बस बहाना है। वो तो किसी दूसरी लड़की के साथ रहते हैं।”
अजय बोला "कौन है वो लड़की?"
राज ने बताया "पता नहीं, कोई है, पर उस चक्कर मैं दोनो का अच्छा खासा संसार खराब हो गया है। शादी के बाद दोनो काफी खुश था। शादी के एक साल बाद ये लड़की जावेद जी से टकरा गई और तभी से..."
फिर कुछ सोचते हुए अजय बोला "हम लोगो को उस लड़की का पता लगाना पडेगा। हम लोगों को कुछ करना पड़ेगा। ऐसे तो दो लोगों की जिंदगी खराब हो जाएगी।”
न्यूटन बोला "सही कह रहे हैं, पर हम ये करेंगे कैसे?"
अजय बोला "पहले पता तो चले, की माजरा क्या है। पर ये बात हम तीनो के अलावा किसी और को नहीं बताना। "
फिर अजय ने राज से कहा "अब तेरा दो दिन बाद का क्या प्लान है?"
राज बोला "दो दिन बाद ऑफिस जाना है और क्या!"
न्यूटन जरा इतरा कर बोला "वो तो ठीक है, सिमरन जी से क्या कहोगे राज बाबू..."
अजय बोला "हम्म भाई सिमरन जी से अपने दिल की बात कैसे कहोगे … मिस्टर आशिक।"
राज बोला "तुम दोनो मेरी खिचना बंद करो। मैं तो वैसा ही पागल हो गया हूं, कुछ समझ नहीं आ रहा, यारों। पता नहीं कैसे बात बढ़ेगी।”
न्यूटन बोला "यार तू तो गया।" फिर वो जाने लगा "अब मुझे रात दिन तुम्हारा ही ख्याल है, क्या करूं प्यार मैं दीवानो जैसा हाल है।"
अजय भी उसकी ताल मैं ताल मिलाने लगा और राज बेचारा चुप चाप बैठा दोनो को घूरता रहा।

सही वक्त पर सब ऑफिस पहुंचे। सब कांफ्रेंस रूम मैं बैठे थे, तभी सिमरन अंदर आई।
"गुडमॉर्निंग और CWS ग्रुप में आपका स्वागत है। आप सभी के पास यहां एक उत्पादक और अच्छा समय होगा।"
सबने बोला "धन्यवाद सिमरन मैम।"

सिरमन बोली “पहली बात, मैं मैम नहीं हूं। हम सब एक ही उमर के हैं, और वैसे भी हम लोग एक दुसरे के नाम से ही एक दुसरे को बुलाते हैं। और मैं कोई बहुत पुरानी तो हूं नहीं। CWS में मेने को तीन महीने पहले ज्वॉइन किया था, नए ऑफिस के लिए कुछ लोगो जरुरत थी। मुझे यहां भेजा गया। तो यार आप सब मुझे दोस्त की तरह ट्रीट करो, सही रहेगा। बाकी काम मैं मजा भी आएगा।" सब बोले "जी बिलकुल सही है सिमरन।"

फिर सिमरन उनको काम की डिटेल्स देने लगी। वहा वो सब क्या करते हैं। सब ध्यान से उसकी बात सुन रहे थे। राज फिर सिमरन को ही निहार रहा था। उसकी हर बात उसे अच्छी लग रही थी, अपने ही ख्यालों में था की तभी सिमरन ने राज से कहा "राज तुम्हें कुछ पूछना है। तुमने अभी तक कोई बात नहीं की।” राज फिर हड़बडा गया "नहीं सिमरन जी मुझे सब समझ आ रहा है।"
सिमरन ने राज को देखा फिर बोली "सिमरन जी से आप का मतलब?" राज फिर बोला "सॉरी सिमरन जी मतलब सिमरन।"

सिमरन मुस्कुरा दी और फिर बोली "चलो सब लोग एक ब्रेक लेते हैं, पहले दिन इतना ज्यादा काम सही नहीं। आओ सब कैफेटेरिया मैं, चाय वगेहरा पी लेते हैं।"
कैफेटेरिया मैं सब लोग चाय कॉफी के साथ नॉर्मल बात कर रहे थे। इसी तरह पुरा समय निकल गया। शाम को ऑफिस से निकलते हुए। सिमरन परेशान सी दिख रही थी। वो उनके पास पहंची और बोली, "पता नहीं मेरी स्कूटर को क्या हुआ है, स्टार्ट नहीं हो रही। और यहां आस पास कोई मैकेनिक भी नहीं मिला।” क्या पर रोहित बोला, आप कहां रहती हैं?

सिमरन ने रोहित को एड्रेस बता दिया, "देखिए आज राज को उस तरफ काम भी है। आप एक काम किजिये, आप राज के साथ मेरी गाड़ी मैं चली जाइए। मैं आपकी स्कूटर को चेक करवा देता हूं। कल आप ले जाइगा। बिल्डिंग के गार्ड को भी बता देते है।'' सिमरन ने राज को देखा तो वो फिर घबरा गया।
रोहित बोला "यार राज तुमने कहा था ना की कोई काम है। उस तरफ, मैं चला जाता पर मुझे उल्टा पडेगा। तुम चले जाओ। रास्ते में सिमरन को ड्रॉप कर देना, बाइक मैं लेता जा रहा हूं। कल कार लेते आना। राज कुछ समझता उसे पहले ही रोहित ने राज की तरफ कार की चाभी फेंक दी।

सिमरन कार मैं बैठ गई। फिर राज भी कार मैं बैठ कर सिमरन के साथ निकल गया।
“चलो यार इसकी गाड़ी तो बढ़ी। वर्ना पता नहीं, कभी इसे ऐसा मौका मिला भी की नहीं।” रोहित जल्दबाजी हुए बोला। न्यूटन बोला "मतलब क्या है?"
रोहित बोला, "अभी समझाता हूं, जरा इधर आओ सब।" रोहित सब को ले कर सिमरन की स्कूटर के पास ले कर आया, फिर उसे झुक कर साइलेंसर से एक कपडे का टुकड़ा निकला जिसमे कुछ गिली मिट्टी का गोला पड़ा था। वो सब को देखते हुए बोला "कुछ समझ आया तुम लोग को !" हीना बोली "इससे क्या समझे, जरा सही सही बता रोहित।"

रोहित बोला "बात ये है की स्कूटर बिलकुल सही है, बस इस कपडे और मिट्टी के ढेले की वजह से नहीं स्टार्ट हो रही थी, पुराना आइडिया है, आलू, आटे का पेड़ा या मिट्टी का ढेला बना कर गाड़ी के साइलेंसर मैं फंसा दो तो गाड़ी स्टार्ट नहीं होती। मैंने मौका देख कर यहीं किया। ताकी हमारे राज बाबू को थोड़ा सा समय सिमरन जी के साथ अकेले मिल जाए। ताकी वो बेचारा कुछ बात तो कर ले सिमरन से। "सब हसने लगे, फिर सना बोली" तो ये सब तेरी करस्तानी है। पर अगर उसे कुछ नहीं बोला या बात नहीं की तो?”

“ तो उसका कुछ नहीं होने वाला। तब उसे भगवान भरोसा छोडना पडेगा।” रोहित बोला.
सना बोली "मान गए रोहित तेरे को, खाने के अलावा तुझे और भी कुछ भी सूझने लगा हैं।"
फिर सब हंस पड़े हैं। फिर गार्ड को बता कर वो सब भी वहा से चल पडे ।


To be continued
in 18th part