Teri Chahat Main - 27 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरी चाहत मैं - 27

आज ऑफिस का माहौल कुछ अलग था, रिया जो ऑफिस आने वाली थी। सारा स्टाफ मे उसी को ले के बातें हो रही थी। सभी ये सोच रहे थे की उसके आने से कैसे बदलाव आते हैं। सभी को उसके घमंड और एटिट्यूड का पता था। कशिश कोई दोपहर तीन बजे ऑफिस मैं दखिल हुई। दखिल होते ही उसका सामना अजय से हुआ। वो और मोहित किसी नई परियोजना पर चर्चा कर रहे थे।

"वेलकम रिया, सर ने बताया था की आप आज आने वाली हैं।" मोहित ने अपना हाथ आगे बढ़ते हुए कहा।
रिया ने अजय को देखते हुए कहा "रिया नहीं रिया मैम बोलिए तो बेहतर होगा, मिस्टर मोहित। क्या आपको मलिक और नौकर का फर्क नहीं पता?”
फिर वो अजय से मुखातिब होते हुए बोली "तुमको सैलरी यहां काम करने के लिए मिलती, है ना की टहलने की। और जब मलिक को देखो तो ज़रा का सम्मान देना सीखो! अब जाओ अपनी जगह और काम करो।"
ये कह कर रिया एक केबिन मैं चली गई। सब उसके हरकत को हैरत से देखते रह गए। सब यही सोच रहे थे की मुकेश रॉय ने तो कभी किसी से ऐसे बात नहीं की। कुछ देर बाद ऑफिस बॉय रिया के लिए कॉफी ले के गया।

"ये क्या ले के आए हो तुम, इसको कॉफी कहते हैं? इसे जानवर भी नहीं पियेंगे जाहिल इंसान। तुम इसी वक्त यहां से निकलो। तुम्हारी नौकरी खतम।" अंदर से रिया के गुस्से से भारी आवाज आई। फिर केबिन से मयूस सा ऑफिस बॉय निकला। मिस्टर मोहित के पास आ के वो उनको देखने लगा। वो परेशान था।
मोहित ने तसल्ली देते हुए कहा “तुम अभी जाओ शंकर, और परेशान ना हो। मैं सर से बात करुंगा। तुम्हारी नौकरी बहाल हो जाएगी।” शंकर उम्मीद लिए बहार चला गया। शंकर एक अच्छा मुलाजिम था। मुकेश रॉय के साथ का सालो से काम कर रहा था। पूरे ऑफिस मैं सन्नाटा छाया था, की रिया ने इंटरकॉम पे अजय को बुलाया।
अजय "जी मैम।"

रिया "हम्म, तुम कुछ काम वाम करते हो या सिर्फ़ यहां मुफ्त मैं सैलरी उठाते हो।"
अजय जज़्बात के साथ जवाब देता है "मैम आप रिकॉर्ड्स देख लिजिये, आप मोहित सर से भी पूछ लिजिये, अगर आपको लगे की मैं ठीक काम नहीं कर रहा।
रिया बोली “ओह… उन सबको तुम बेवकुफ बना सकते हो मुझे नहीं, अजय मेहरा । पता नहीं पापा को क्या दिखता है की वो तुम्हे सर पर चढ़ाए हुए हैं। मेरा बस चले तो तुमको एक मिनट ना रहने दूं।” अजय को गुस्सा तो बहुत आया पर वो चुप रहा।
रिया फिर बोली "एक काम करो, जा के ऊपर कैफेटेरिया से मेरे लिए एक हार्ड कॉफी ले के आओ। यहां आकार मेरा सर दर्द करने लगा है।" अजय को गुस्सा तो आया पर फिर भी वो कॉफी लेने के लिए जाने लगा।

"और हां, कॉफी अच्छी होनी चाहिए अजय।" रिया ने कातिलाना मुस्कुराहत के साथ अजय को टोका।
थोड़ी देर बाद अजय एक कप कॉफी के साथ लौटता है।
रिया ने फिर तंज लेहजे मैं कहा "एक कप कॉफी लाने मैं इतना वक्त! तुम तो यहां चपरासी के काम के लायक भी नहीं हो। पता नहीं तुमको किस लिए यहां रखा गया है। खैर कॉफी अच्छी है।"
रिया ने कॉफी पीते हुए अपने सिस्टम पे बिजी हो गई। अजय कुछ देर वहा खड़ा रहा, फिर बोला "जी क्या अब मैं जा सकता हूं।"
रिया ने उसे बिना देखे ही कहा "यहाँ खड़े - खड़े कोई तीर अगर ना मार रहे हो तो बेशक जाओ। वैसा भी अभी मुझे केबिन को सही करना है। सब फेला हुआ है। निकलो और मिस्टर मोहित को अंदर भेजो जरा जल्दी।”
रिया ने मोहित को आदेश दीया “मि. मोहित मुझे जरा ये केबिन डेकोरेट करना है। किसी ढंग के डिजाइनर को बुलायिये।”

मिस्टर मोहित "जी मैम, मैं अभी कुछ अच्छे डिजाइनर से संपर्क करता हूं।"
रिया ने केबिन मैं रखी फाइलें को देखते हुए कहा "हम्म, मुझे यहां का काम समझना है, इस लिए शुरू करने के लिए आप कुछ फाइलें भेजिए।"
"जी बेहतर है, मैं अभी कुछ फाइलें लाता हूं।" मिस्टर मोहित ने जवाब दिया और केबिन से बहार चले गए।
अजय, अपनी सीट पे बैठा हुआ काम कर रहा था, उसका मूड सही नहीं था। सना उसके पास आके बोली, “यार ये! रिया तो किसी को इंसान ही नहीं समझती। मोहित सर को चपरासी बना डाला है पहले दिन।”
"बेकार का घमंड है!" रोहित ने दोनो की बातें मैं दखल दी।
“भाई, पैसा बोलता है। जब सब कुछ आसान से मिलता है तब ज्यादातर ऐसा ही होता है।” राज भी शमिल हो गया।
तभी सिमरन वहां आई और बोली "तुम लोग को आज कॉफी या चाय नहीं पीनी जो यहां पर बैठे हो।"

चलो कैफेटेरिया। ” और फिर सब कैफेटेरिया की तरफ चल पडे।

थोड़ी देर बाद जब सब वापसी लौट तो रिया ने फिर अजय को बुलाया। अजय केबिन मैं दखिल हुआ और पूछा "जी मैम"
रिया ने फिर उसे देखे बगैर कहा "हम्म, अगर कैफेटेरिया की तफरी खतम हो गई हो तो कुछ काम भी कर लो।"
अजय बोला "मैम, मैं ब्रेक पे गया था। हम सब शाम को ब्रेक लेते हैं।”
रिया बोली “ओह, सभी लेते हैं ब्रेक। पर वो काम करते हैं। टाइम पास नहीं करते तुम्हारी तरह।"
अजय फिर चुप कर गया।
"हम्म , ज़रा ये फ़ाइलें उठाओ और मेरी कार मैं रखवाओ।” कशिश ने उठते हुए कहा।
अजय बहुत मुश्किल से अपने आप को संभल रहा था। आज तक कभी किसी ने उसके साथ ऐसा बरताव नहीं किया था।
ऑफिस मैं सब अजय को फाइल्स उठाते हुए रिया के पीछे चलने लगा चलते हुए सब उसे देख रहे थे। कोई रिया के रविये से खुश नहीं था।
कार के पास पहुच के रिया बोली "मैं अपना मोबाइल ऊपर भूल गई हूं, जरा उसे ले के आना जल्दी से।"
अजय फाइल्स कार मैं रख कर वापस चला गया फोन लेने के लिए। कुछ देर बाद वो फोन के साथ लौटता है।

रिया कार मैं बैठे हुए बोली “हम्म… चलो तुमने कुछ तो काम किया आज। एक बात का ध्यान रखना अजय, अब इस ऑफिस मे हमारी तरह से काम होगा। इसलिए काम की आदत डाल लो, खुद भी और अपने बाकी के चमचों को भी समझा दो। वर्ना ऑफिस से बहार करने में मुझे वक्त नहीं लगेगा, तुम्हारे जैसे दो कौड़ी के इंसान को।” फिर रिया वहां से चली गई। अजय गुस्से में तो था, पर अपने जज्बात को काबू मैं रखना उसे आता था।


To be continued
in 27 Part