वजूद. - Novels
by prashant sharma ashk
in
Hindi Fiction Stories
शंकर ओ रे शंकर।
हां भाभी, क्या हुआ काहे हमारा नाम पुकारे जा रही हो ?
अरे वक्त देख। तेरे भैया वहां खेत पर खाने की राह देख रहे होंगे और तू यहां खाट तोड़ रहा है।
भाभी हम तो खेत पर जाने के लिए ही यहां बैठे थे आप खाना दो तो हम जाए ना।
हां, पता है तू यहां क्या कर रहा था। चल ले और जल्दी जा। वो भूखे बैठे होंगे।
ओहो... भाभी अब भी इतना प्यार। उनकी इतनी भी चिंता मत किया करो भाभी।
चल भाग बहुत शरारती हो गया है। तेरा ब्याह होने के बाद देखूंगी कि वो तेरा कितना ख्याल रखती है।
अरे भाभी कहां हमारे ब्याह की बात ले आई। हम नहीं करने वाली शादी। हम तो बस आपकी और भैया की सेवा करते रहेंगे पूरी जिंदगी। शादी कर ली तो उसके नखरे अलग से उठाने होंगे।
तू तो मेरा बेटा है। तेरी तो शादी मैं ही कराउंगी। देखना चांद सी दुल्हन लेकर आउंगी अपने बेटे के लिए।
दुल्हन तो बाद में लाना, पहले इस भूखे को कोई खाना खिलाएगा ? शंकर के भाई हरी ने दरवाजा खोलते हुए बरामदे में आते हुए कहा।
अरे भैया आप आ गए, हम तो खेत पर ही आ रहे थे। ये देखो भाभी ने खाना भी बांध दिया था।
प्रशांत शर्मा भाग 1 शंकर ओ रे शंकर। हां भाभी, क्या हुआ काहे हमारा नाम पुकारे जा रही हो ? अरे वक्त देख। तेरे भैया वहां खेत पर खाने की राह देख रहे होंगे और तू यहां खाट तोड़ ...Read Moreहै। भाभी हम तो खेत पर जाने के लिए ही यहां बैठे थे आप खाना दो तो हम जाए ना। हां, पता है तू यहां क्या कर रहा था। चल ले और जल्दी जा। वो भूखे बैठे होंगे। ओहो... भाभी अब भी इतना प्यार। उनकी इतनी भी चिंता मत किया करो भाभी। चल भाग बहुत शरारती हो गया है। तेरा
भाग 2 शंकर ने कुसुम की बात का जवाब देते हुए कहा- भाभी आप हमें अपना बेटा मानती हो ना, तो फिर हमको इस सब झमेले में मत फंसाओ। हम तो अपनी भाभी मां और बड़े भैया की सेवा ...Read Moreबहुत खुश है। आप दोनों हो तो फिर हमें काहे की चिंता है। हरी ने कहा और अगर हम नहीं हुए तो ? शंकर गुस्सा होते हुए- ऐस कभी मत कहना भैया। वरना हम आपसे कभी बात नहीं करेंगे। आप कहां जाएंगे ? आप जहां जाएंगे हम भी आपके साथ आएंगे। हम आपको और भाभी को कभी भी नहीं छोड़ेगें।
भाग 3 वहीं तो भैया आज घर पर हो तो थोड़ा आराम कर लो रोज तो खेत में काम ही करते हो। ये काम तो हम यूं ही चुटकियों में कर देंगे। लाइए हमें दीजिए हम चारा डाल देते ...Read Moreशंकर ने हरी की बात को काटते हुए कहा। अब तू मानने वाला तो हैं नहीं चल तू ही कर ले। हरी फिर से खाट पर बैठते हुए बोला। शंकर ने फिर से गमछा अपनी कमर में बांधा और गाय को चारा डाल दिया। गाय को चारा डालने के बाद उसी गमछे से अपना पसीना पोंछते हुए बोला- अरे बाप
भाग 4 अगले दिन सुबह शंकर जल्दी उठकर गाय को चारा डालने से लेकर घर के बरामदे की सफाई का काम करता है। हरी खेत पर चला जाता है और कुसुम घर के अन्य कामों में व्यस्त हो जाती ...Read Moreदिन में खाना बन जाता है और शंकर समय पर खाना लेकर खेत पर आ जाता है। हरी और शंकर दोनों साथ में खाना खाते हैं। शंकर खेत में हरी की कुछ मदद करता है और करीब 4 बजे घर के लिए निकल जाता है। घर जाते हुए वो सब्जी और घर को थोड़ा सामान खरीदता है और फिर घर
भाग 5 काकी वो शहर है अपना गांव नहीं। वहां बहुत काम होता है वक्त नहीं मिला होगा कमल को, इसलिए नहीं आ सका होगा। ऐसे ही बात करते हुए सुखिया काकी का घर आ जाता है शंकर थैला ...Read Moreके अंदर रखता है और काकी के पैर छूकर फिर अपने घर के लिए रवाना हो जाता है। आ गया क्यों बुलाया था प्रधान जी ने ? कुसुम ने शंकर से प्रश्न किया। वो पंचायत कार्यालय की छत टूट गई है। उसकी मरम्मत करना है। बारिश आने वाली है तो कार्यालय में पानी भर जाएगा। शंकर ने जवाब दिया। ठीक
भाग 6 शाम को खाना खाते हुए हरी ने शंकर से कहा- शंकर अगले रविवार को तुम सुखराम काका के साथ शहर चले जाना। उनका काम है वो करके अगले दिन वापस आ जाना। शंकर ने हां कहा। फिर ...Read Moreने कहा कि मैं चला जाता पर मैं दूसरे शहर जा रहा हूं बीज और खाद लेने के लिए। अब शंकर चौंक गया। मतलब भैया आप भी यहां नहीं होंगे और मैं भी, तो फिर भाभी...। ना हम भाभी को अकेले छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। आप सुखराम काका को बोल देना किसी को और को ले जाएं। नहीं शंकर अब
भाग 7 अरे भागवान बारिश यहां हो रही है जरूरी तो नहीं कि शहर में भी हो रही हो। अब तुम चिंता मत करो आराम से सो जाओ कल शाम तक तो वो घर आ जाएगा। हां आपका क्या ...Read Moreआप क्यों चिंता करोगे मेरा बेटा है वो। दिनभर भाभी, भाभी करके आगे पीछे घूमता रहता है। हां बेटे की इतनी चिंता। चलो अब आराम से सो जाओ। शाम तक आ जाएगा तुम्हारा बेटा। फिर दोनों सो जाते हैं। उनके सोने के कुछ ही देर बाद अचानक बारिशा शुरू हो जाती है। बारिशा लगातार तेज होती जाती है। निचले स्तर
भाग 8 कड़ी मशक्कत के बाद गांव के बचे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था और उनके खाने-पीने और रहने की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की गई थी। बचे हुए लोगों की आंखे अब भी बहते पानी ...Read Moreऔर गांव की तबाही के बाद बचे हुए मलबे में अपनों को तलाश रही थी। हालांकि उम्मीद किसी को नहीं थी फिर तलाश जारी थी। कई आंखों में उस तबाही की दहशत साफ देखी जा सकती थी और कई आंखे अपनों के खोने के गम से अब तक नम थी। गांव तो फिर बस सकता था परंतु जिनके घर अपनों
भाग 9 तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। उसने पलटकर देखा तो सेना का एक जवान था। बोल ना पाने की स्थिति में शंकर की आंखों से सिर्फ आंसू बह रहे थे उसने हाथों से इशारा कर ...Read Moreघर के बारे में उससे पूछा। सेना के जवान ने उसे कहा कि यह इलाका नदी के सबसे पास था। यहां जो कुछ भी था वो पानी में बह चुका है। हम दो दिन से यहां है यहां बहुत तलाशी लेने के बाद भी हमें यहां कुछ नहीं मिला है। उस जवान की बात सुनने के बाद शंकर लगभग बेहोश